non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:16 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
पहले साए की बात सुन कर दूसरे साए ने सहमति में सिर हिलाया और फिर से वो हर जगह का बारीकी से मुआयना करने में लग गया। कमरे में मौजूद हर चीज़ बेसकीमती थी। फिर चाहे वो मंत्री का बेड हो, सोफे हों, फर्श में बिछा कालीन हो या फिर दीवारों पर लगी पेंटिंग्स।

पहला साया बेड के दाहिने साइड की दीवार की तरफ देख रहा था। उस दीवार पर हर दीवार की तरह ऊॅचाई पर पेंटिंग्स लगी हुई थी किन्तु पेंटिंग्स के नीचे दीवार पर नीचे से लगभग छः फुट की ऊॅचाई पर ऐसे नक्काशी की गई थी जैसे किसी बड़े से आदम कद शीशे के फ्रेम पर खूबसूरत नक्काशी की हुई होती है। दरअसल दीवार पर वो एक फ्रेम जैसा ही कुछ बना हुआ था। किन्तु फ्रेम के अंदर का भाग खाली था। यानी कि उसमें कोई चित्र वगैरह नहीं बना हुआ था। बल्कि ऐसा लगता था जैसे कि किसी बड़ी सी चीज़ का सिर्फ फ्रेम बना दिया गया हो। पहला साया दीवार में बने उस खाली फ्रेम को बड़े ध्यान से देखने लगा। एकाएक ही उसकी ऑखें सिकुड़ीं। उसने तुरंत ही दीवार के इधर उधर किसी खास चीज़ की तलाश में अपनी नज़रें दौड़ाईं।

दीवार पर बने उस फ्रेम के बाईं तरफ एक मध्यम साइज़ की पेंटिंग लगी हुई थी। पहला साया जाने क्या सोच कर उस पेंटिंग की तरफ बढ़ा। पेंटिंग के पास पहुॅच कर उसने अपने एक हाॅथ से पेंटिंग के फ्रेम को पकड़ कर बाईं तरफ किया। पेंटिंग के निचले भाग के बाईं तरफ होते ही जो चीज़ नज़र आई उसे देख कर साये की ऑखें पहले तो हैरत से फटीं फिर एकाएक ही उनमें चमक आ गई। उसने तुरंत ही पलट कर दूसरे साये को धीमी आवाज़ देकर अपने पास बुलाया।

दूसरे साये के पास आते ही उसने उस साये को भी पेंटिंग के पीछे दीवार पर नज़र आ रही उस चीज़ को दिखाया। दरअसल वो चीज़ एक छोटे से कम्प्यूटर के माॅनीटर जैसी थी। ऊपरी तरफ दीवार से चिपकी हुई स्क्रीन और स्क्रीन के नीचे कीबोर्ड। स्क्रीन के ऊपरी भाग पर दो कलर की बत्तियाॅ थीं। जिनमें से एक हरी तथा दूसरी लाल कलर की थी। लाल कलर वाली बत्ती इस वक्त रौशन थी। स्क्रीन पर लिखा था "प्लीज इन्टर योर पासवर्ड"।

"मुझे लगता है कि।" पहले साए ने धीमे स्वर में कहा___"ये किसी ऐसी जगह के लिए है जहाॅ पर जाने के लिए इसमें सबसे पहले पासवर्ड डालना पड़ता है।"
"बिलकुल ठीक कहा तुमने।" दूसरे साये ने दीवार पर इधर उधर नज़र दौड़ाते हुए कहा____"किन्तु यहाॅ पर ऐसा तो कुछ नज़र नहीं आ रहा जिससे ऐसा प्रतीत होता हो कि यहाॅ से कहीं दूसरी जगह जाने का कोई रास्ता हो।"

"ज़रा इस चीज़ को देखिए।" पहले साए ने दाहिनी तरफ दीवार पर नज़र आ रहे उस खाली फ्रेम की तरफ इशारा करते हुए कहा___"इस दीवार पर ये छः फीट ऊॅचा तथा साड़े तीन फीट चौड़ा फ्रेम भला किस उद्देश्य से बनवाया गया होगा? अगर ये मान कर चलें कि ये दीवार पर महज शोभा बढ़ाने के लिए बनवाया गया है तो फिर इसी तरह के सेम फ्रेम दो तरफ की दीवारों पर भी बने होने चाहिए थे। एक तरफ तो कमरे का दरवाजा है। अतः उस तरफ ना भी बनवाया जाता तो कोई बात न थी। किन्तु ऐसा फ्रेमनुमा डिजाइन सिर्फ इसी एक तरफ की दीवार पर क्यों बनवाया गया हो सकता है?"

"यकीनन तुम्हारी बात में प्वाइंट है।" दूसरे साए ने दीवार पर बने उस फ्रेम की आकृति को गौर से देखते हुए कहा___"अगर इस स्क्रीन से ये पता चलता है कि ये किसी चीज़ के लिए पासवर्ड माॅग रहा है तो ये भी हो सकता है कि यहाॅ पर कोई ऐसी जगह हो सकती है जहाॅ जाने के लिए हमें इसमें पासवर्ड डालना होगा। इसका मतलब ये हुआ कि यहाॅ पर कहीं कोई दूसरी जगह भी है जहाॅ जाने का रास्ता बना होगा। जोकि फिलहाल हमें नज़र नहीं आ रहा। हलाॅकि ऐसा भी हो सकता है कि ये माॅनीटर सिस्टम किसी और ही चीज़ के लिए हो।"

"बिलकुल हो सकता है।" पहले साए ने कहा___"किन्तु इस कमरे में ऐसे खास सिस्टम का उपयोग भला किस चीज़ के लिए हो सकता है? मुझे लगता है कि ये इलेक्ट्रिक सिस्टम लगाया ही इस लिये गया है कि इसके माध्यम से ही हमें कहीं जाने का रास्ता नज़र आए। कहने का मतलब ये कि अगर हम इस स्क्रीन पर सही पासवर्ड डाल दें तो मुमकिन है कि किसी जगह जाने का रास्ता नज़र आ जाए या फिर रास्ता ही बन जाए। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि कुछ और ही हो जाए।"

"हाॅ ये सही कहा तुमने।" दूसरे साए ने कहने के साथ ही दीवार पर बने उसी फ्रेम की तरफ पुनः देखा___"कहीं ऐसा तो नहीं कि ये फ्रेम ही वो रास्ता हो। बेशक ऐसा ही हो सकता है क्योंकि ये फ्रेम नीचे फर्श से ऊपर की तरफ है। दूसरी बात इसका साइज बिलकुल वैसा ही है जैसे किसी दरवाजे का होता है। वरना सोचने वाली बात है कि अगर ऐसा कोई फ्रेम सिर्फ कमरे की शोभा बढ़ाने के लिए बनाया गया होता तो ये फर्श से लगा हुआ नहीं होता बल्कि फर्श से एक या दो फीट की ऊॅचाई से बना हुआ होता। तीसरी बात ये बनाया ही इस तरह गया है कि आम इंसान इसे देख कर यही समझेगा कि ये सिर्फ एक फ्रेम ही है जो कि कमरे की शोभा बढ़ाने के लिए एक तरफ की दीवार पर बनाया गया है।"

"इसका मतलब कि ये साबित होता हुआ नज़र आ रहा है कि ये फ्रेम कहीं जाने का दरवाजा ही है।" पहले साये ने कहा___"और ये तभी खुलेगा जब हम इस इलेक्ट्रिक सिस्टम में पासवर्ड डालेंगे?"

"करेक्ट।" दूसरे साये ने कहा____"अब सवाल ये है कि इसका पासवर्ड क्या होगा?"
"इसका कीबोर्ड बिलकुल वैसा ही है जैसे किसी कम्प्यूटर का होता है।" पहले साये ने उस स्क्रीन से लगे ही कीबोर्ड की तरफ देखते हुए कहा___"इसका पासवर्ड किसी के नाम से अथवा किन्हीं संख्याओं से भी हो सकता है।"

"बेशक हो सकता है।" दूसरे साए ने कहा___"और ये हमारे लिए काफी चिंता का विषय भी हो गया है। क्योंकि अगर हमें इसका सही पासवर्ड न मिला तो ये दरवाजा नहीं खुलेगा। मुझे पूरा यकीन है कि इस दरवाजे के पार ही ऐसी वो जगह है जहाॅ पर हमें वो चीज़ें मिल सकती हैं जिसके लिए हम यहाॅ आए हैं। हलाॅकि ये सिर्फ हमारा अंदेशा ही है कि यहाॅ पर कोई दरवाजा हो सकता है जहाॅ पर जाने के लिए ये इलेक्ट्रिक सिस्टम लगाया गया है। ऐसा भी हो सकता है कि इसका उपयोग इसके अलावा भी किसी और चीज़ के लिए हो। किन्तु एक बार चेक तो करना ही चाहिए हमें। संभव है कि वैसा ही हो जैसे का हमें अंदेशा है।"

"कुछ भी हो सकता है। मगर चेक तो यकीनन करना ही पड़ेगा। ख़ैर, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि इसका पासवर्ड यहीं कहीं मौजूद हो?" पहले साये ने कहा___"मेरे कहने का मतलब है कि इसका पासवर्ड मंत्री ने आलमारी में ही कहीं छुपा कर रखा हुआ हो। मैं ऐसा ये सोच कर कह रहा हूॅ कि जब ये सिस्टम लगवाया गया होगा तब इसका सबकुछ नया नया ही रहा होगा। शुरू शुरू में किसी भी चीज़ का पासवर्ड हमें इतना जल्दी याद नहीं होता और अगर याद हो भी गया तो उसके भूल जाने के चान्सेस ज्यादा रहते हैं। ऐसा हम सबके साथ होता है। इस लिए ऐसा मुमकिन है कि जैसे हम किसी चीज़ का पासवर्ड अलग से लिख कर उसे सम्हाल कर रख लेते हैं वैसे ही मंत्री ने भी किया हो।"

"सही कहा तुमने।" दूसरे साये ने कहा___"ऐसा हो सकता है। मंत्री ने इसका पासवर्ड यहीं कहीं छुपा कर रखा होगा। अतः हम कमरे में रखी इन आलमारियों की तलाशी लेते हैं।"

दूसरे साये की बात सुन कर पहले साये ने हाॅ में सिर हिलाया और फिर दोनो ही कमरे में रखी तीन तीन आलमारियों की तरफ बढ़े। उन तीन आलमारियों में एक अनलाॅक थी जबकि बाॅकी की दो आलमारियाॅ लाॅक थी। दोनो ने एक एक लाॅक आलमारी को सम्हाल लिया। मास्टर की से दोनो आलमारियों को अनलाॅक किया और फिर उसके अंदर तलाशी अभियान शुरू कर दिया।

दोनो ही आलमारियों में कई तरह के काग़जात भरे पड़े थे। जिन्हें उलट पलट कर वो दोनो ही साये बारीकी से देख रहे थे। किन्तु उन कागजातों में उन्हें उस सिस्टम का पासवर्ड जैसा कुछ न मिला। आलमारी के अंदर ही एक और लाॅकर था जोकि बंद था। उन दोनों ने उन लाॅकरों को भी मास्टर की से खोला। अंदर वाले लाॅकर्स में काफी सारी ज्वेलरी तथा बैंक की काॅपी पासबुक वगैरह थी तथा काफी सारे नोटों के बंडल भी थे।

तभी दूसरे साये को उस लाॅकर से कुछ मिला जिसे उसने लाॅकर से बाहर निकाला। वो एक डायरी थी। दूसरे साये ने उस डायरी को खोल कर उसके हर पेज को बारीकी से देखना शुरू कर दिया। उसमें काफी कुछ चीज़ें लिखी हुई थी। काफी सारे पेज़ देखने के बाद सहसा एक पेज पर साये की नज़र ठहर गई।

"मिल गया।" साये के मुख से ज़रा ऊॅची आवाज़ निकल गई। मारे खुशी के उसे होश ही नहीं रह गया था कि वो दोनो इस वक्त मंत्री के बॅगले में चोर की हैंसियत से आए हुए हैं। वो तो शुकर था कि बॅगले के अंदर कोई था नहीं वरना उसकी इस आवाज़ से ज़रूर किसी न किसी को पता चल जाता। ख़ैर उसकी आवाज़ से और तो किसी को पता न चला किन्तु पहला साया ज़रूर चौंक कर उसकी तरफ देखने लगा था। दूसरे साये को भी तुरंत ही ख़याल आ गया था कि खुशी के आवेश में उसके मुख से कुछ ज्यादा ही ऊॅची आवाज़ निकल गई थी। दोनो ही कुछ देर अपनी साॅसें रोंके खड़े रहे।

पहला साया दूसरे वाले के पास आया और फिर उसकी तरफ देख कर बोला___"बाहर जो गनमैन तैनात हैं उन्हें यहाॅ बुलाना है क्या?"
"साॅरी।" दूसरा साया बोला___"मारे खुशी के याद ही नहीं रह गया था कि हम यहाॅ चोर बन कर आए हुए हैं। ख़ैर, ये देखो। हमें जिसकी तलाश थी वो इस डायरी में है। तुम्हारा कहना बिलकुल सही था कि मंत्री ने उस सिस्टम का पासवर्ड अलग से कहीं लिख कर छुपाया हुआ होगा।"

"तो फिर देर किस बात की है?" पहले साये ने धीमें स्वर में मुस्कुराते हुए कहा___"हमें यहाॅ पर आए हुए काफी समय हो गया है। इस लिए अब हमें जल्दी जल्दी अपने काम को अंजाम देना होगा। ऐसा न हो कि मंत्री वापस लौट आए यहाॅ। साला दुर्भाग्य को कोई नहीं जानता कि कब किसके सिर पर आ धमके।"
"सही कहा तुमने।" दूसरे साये ने कहा___"आओ फिर शुरू करते हैं।"

कहने के साथ ही दूसरा साया उस सिस्टम की तरफ बढ़ चला, उसके पीछे पीछे ही पहला साया भी बढ़ चला था। सिस्टम के पास पहुॅच कर दूसरे साये ने डायरी पर लिखे पासवर्ड को सिस्टम पर बड़ी सावधानी से डाला और फिर इंटर का बटन दबा दिया। इन्टर का बटन दबाते ही स्क्रीन के ऊपर लगी हरी बत्ती जल उठी साथ ही स्क्रीन पर "वैलकम" लिखा नज़र आया। ये देख कर वो दोनो साये अभी मुस्कुराये ही थे कि तभी उनके दाहिनी तरफ हल्की सी आवाज़ हुई। दोनो ने पलट कर उस तरफ देखा।

दीवार में जिस जगह वो फ्रेम बना हुआ था उसी फ्रेम के बीचों बीच से एक दरवाजा खुलता हुआ अंदर की तरफ जाने लगा था। वो एक ही पल्ले का मोटा सा दरवाजा था। जो बंद होने पर बिलकुल दीवार की तरह ही नज़र आता था। कुछ ही पलों में वो दरवाजा पूरा खुल कर दाहिने साइड हो गया। दरवाजे के उस तरफ अॅधेरा था जो कि इस तरफ के उजाले से थोड़ा दूर हो गया था। दोनो ही साये दरवाजे के पास आकर खड़े हो गए। दरवाजे से आगे लगभग तीन फीट पर फर्श था उसके बाद नीचे जाने के लिए सीढ़ियाॅ नज़र आ रही थीं।

"कमाल है।" पहला साया बोल पड़ा___"ये तो बेसमेंट लगता है। कोई सोच भी नहीं सकता था कि यहाॅ पर ऐसा कुछ हो सकता है।"
"ऐसे लोग।" दूसरे साये ने कहा____"ऐसे कामों के लिए ऐसी ही जगहों का ज्यादातर चुनाव करते हैं और इससे सेफ्टी भी रहती है। वरना खुद सोचो कि कोई दूसरा यहाॅ तक कैसे पहुॅच जाएगा? ख़ैर छोंड़ो, आओ इसके अंदर चलते हैं।"

"मुझे लगता है कि।" पहले साये ने कहा___"हम में से किसी एक को ही अंदर जाना चाहिए जबकि किसी एक को यहीं पर रहना चाहिए। क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि बाहर तैनात गनमैनों में से कोई बॅगले के अंदर ये सोच कर आ जाए कि एक बार अंदर की तरफ का हाल चाल भी देख लिया जाए। अतः अगर ऐसी वैसी कोई बात होती है तो कम से कम हम में से कोई एक यहाॅ रह कर उसे सम्हालने की कोशिश तो करेगा।"

"ये भी सही कहा तुमने।" दूसरे साये ने कहा___"तो ठीक है तुम यहीं रहो। इसके अंदर जाने का काम अब मेरा है।"
"ओके बेस्ट ऑफ लक।" पहले साए ने कहने के साथ ही अपने दाहिने हाॅथ का अॅगूठा दिखाया उसे___"लेकिन हाॅ ज़रा सम्हाल कर।"

दूसरे साये ने हाॅ में सिर हिलाया और दरवाजे के उस पार बढ़ चला। उस पार के फर्श पर आकर वह ठिठका और दोनो तरफ देखा तो उसे बाईं तरफ दीवार पर एक स्विच नज़र आया। उसने उस स्विच को पहले ध्यान से देखा उसके बाद उसने हाॅथ बढ़ा कर स्विच का बटन दबा दिया। परिणामस्वरूप सीढ़ियों के ऊपर लगी एक ट्यूबलाइट रौशन हो गई। अब वहाॅ पर काफी प्रकाश था।

दूसरा साया सामने की तरफ मुड़ कर बड़ी सावधानी से सीढ़ियों पर उतरता चला गया। जबकि कमरे में दीवार के पास ही खड़ा पहला साया उसे जाते हुए देखता रहा। उसके दिल की धड़कनें अनायास ही बढ़ गईं थी। उधर कुछ ही पलों में दूसरा साया सीढ़ियाॅ उतर कर बेसमेंट में पहुॅच गया। नीचे की लास्ट सीढ़ी से थोंड़ी ही दूरी पर दाहिनी तरफ की दीवार में एक और स्विच नज़र आया। साये ने उस स्विच का बटन ऑन कर बेसमेंट की लाइट जला दी। लाइट के जलते ही बेसमेंट में तीब्र प्रकाश फैल गया।

तीब्र रौशनी में बेसमेंट की हर चीज़ स्पष्ट नज़र आने लगी थी। किन्तु जिस खास चीज़ पर साये की नज़र पड़ी उसे देख कर उसकी ऑखें फटी की फटी रह गईं। बेसमेंट काफी बड़ा था। ऐसा लगता था जैसे ये कोई लम्बा चौड़ा हाल हो। चारो तरफ की दीवारों पर अलग अलग चीज़ों का क्रमशः स्टाक था यहाॅ। किन्तु सबसे खास चीज़ ये थी कि हाल के सामने अंतिम छोर के फर्स पर ही एक बड़ी सी ट्राली थी जिसके ऊपर दो हज़ार के तथा पाॅच सौ के नोटों के बंडल नीचे से ऊपर की तरफ रखे हुए थे। ये सब न्यू करेन्सी थी। जोकि पाॅलिथिन में बंद थी। इतने सारे रुपये को देख कर किसी की भी ऑखें फटी की फटी रह जातीं। उस ट्राली के आगे दीवार से सटे स्टील के खाॅचे बने हुए थे जिनके दो खाॅचों में चमचमाते हुए गोल्ड के बिस्किट रखे हुए थे। बिस्किट के वो दोनो ही खाॅचे पारदर्शी शीशे से बंद थे। बाॅकी के खाॅचों में लकड़ी के बाक्स थे। फर्श पर भी काफी सारे बाॅक्स रखे हुए थे।

ये सारी चीज़ें देख कर साये की ऑखें फटी हुई थी। किन्तु जल्द ही उसने खुद को मानो सम्हाला और आगे की तरफ बढ़ चला। लकड़ी के एक बाक्स के पास पहुॅच कर उसने बाक्स के ऊपर लगे लकड़ी के ही ढक्कन रूपी पटरे को पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसे निकाला। ढक्कन के हटते ही बाक्स में रखी हुई जो चीज़ नज़र आई उसे देख कर साये की ऑखें एक बार पुनः हैरत से फैलीं। बाक्स में एक जैसी कई सारी गन रखी हुई थी। मतलब साफ था कि यहाॅ पर जितने भी ऐसे बाक्स थे उन सब में तरह तरह की गन्स ही थीं।

साये ने चारो तरफ नज़र घुमा कर बारीकी से देखना शुरू कर दिया। दाएॅ तरफ एक केबिन जैसा बना हुआ था। साया उस तरफ बढ़ गया। केबिन में पहुॅच कर उसने देखा कि ये एक छोटा सा केबिन है जिसमें एक तरफ ऊॅची सी मेज थी तथा मेज के ऊपर एक कम्प्यूटर रखा हुआ था। मेज में कई सारे दराज थे। साये ने एक एक करके सभी दराज को खोल कर देखा। उन सब में कई तरह की रसीद व काग़जात थे तथा कई सारी फाइलें भी थीं। साये ने उन सभी फाइलों को बारीकी से देखना शुरू कर दिया।

फाइलों में से कुछ फाइलों को उसने अलग करके एक तरफ रखा। उसके बाद उसने एक नज़र कम्प्यूटर पर डाली। कुछ देर तक वह उसे देखते हुए सोचता रहा। फिर वह अलग की हुई फाइलों को लेकर केबिन से बाहर आ गया। जैसा कि बताया जा चुका है कि बेसमेंट काफी बड़ा था। साया हर जगह जा जा कर बारीकी से देखने लगा। तभी एक तरफ उसे एक बड़ा सा दरवाजा नज़र आया। ये दरवाजा ठीक वैसा ही था जैसा कि बेसमेंट में आने के लिए उस कमरे में था। इस दरवाजे के बाईं तरफ वैसा ही एक और सिस्टम लगा हुआ था। जिसमें पासवर्ड डालने के लिए स्क्रीन पर "प्लीज इन्टर योर पासवर्ड" लिखा हुआ था। साये ने कुछ सोचते हुए अपने लबादे से एक छोटा सा मोबाइल निकाला और उसमें से हरा बटन दबाया। हरा बटन दबाते ही उसमें डायल काल की लिस्ट में एक ही नंबर दिखा जिसे उसने पुनः हरा बटन दबा कर डायल कर दिया। डायल करते ही मोबाइल को कान से लगा लिया उसने, कुछ ही सेकण्ड में दूसरी तरफ से काल रिसीव किया गया।

"यहाॅ पर वैसा ही एक और दरवाजा है।" काल रिसीव किये जाने पर साये ने तुरंत बिना किसी भूमिका के धीमे स्वर में कहा___"अतः तुम उस डायरी में देखो कि क्या इसका भी पासवर्ड उसमें है या फिर इन दोनो दरवाजों का एक ही पासवर्ड है। जल्दी से देख कर मुझे बताओ।"

उधर यकीनन पहला वाला साया ही था। दूसरे साये को अपने कान में कुछ देर सुरसराहट की आवाज़ आती रही उसके बाद कुछ कहा गया। जिसके जवाब में साये ने कहा___"ओह एक मिनट।"

कहने के साथ ही ये साया दरवाजे के बाएॅ साइड दीवार पर लगे सिस्टम के पास तेज़ी से गया। सिस्टम के पास पहुॅचते ही बोला___"हाॅ अब बताओ।"

उधर से शायद पहला वाला साया इस साये को पासवर्ड बता रहा था जिसे ये वाला साया उसके बताने के साथ ही कीबोर्ड पर अपनी एक उॅगली से पंच करता जा रहा था। थोड़ी ही देर में साये के द्वारा "इन्टर" का बटन दबाए जाते ही सिस्टम पर लगी हरी बत्ती जल उठी। बत्ती के जलते ही वो दरवाजा हल्की आवाज़ के साथ इस तरफ ही खुलता चला गया। दूसरी तरफ अॅधेरा था जोकि इधर की रौशनी से हल्का सा दूर हो गया। हल्की रोशनी होते ही सामने सींढ़ियाॅ नज़र आईं जो कि ऊपर की तरफ जा रही थी। साया उन सीढ़ियों को देख कर पहले कुछ देर कुछ सोचा फिर आगे बढ़ कर उन सीढ़ियों पर चढ़ता चला गया। सीढ़ी के ऊपर आकर उसने देखा कि सामने एक और दरवाजा है किन्तु ये दरवाजा लोहे का था। दरवाजे के निचले भाग की दरार में हल्की रोशनी दिख रही थी। मतलब साफ था दरवाजे के दूसरी तरफ कुछ और भी था किन्तु क्या? इस सवाल का जवाब तो उस तरफ पहुॅच कर ही मिल सकता था।

साये ने देखा कि दरवाजा इस तरफ से ही बंद है। क्योंकि मोटा सा ताला कुण्डे पर झूल रहा था। ऐसा ताला साये ने पहली बार ही देखा था। कुण्डे के पास ही एक छिद्र था, वो छिद्र ऐसा था जैसे कीहोल हो। यानी कि ये दरवाजा दो तरह से लाॅक था। साये ने झुक कर कीहोल से अपनी एक ऑख सटा दी। दूसरी तरफ काफी उजाला था तथा उस उजाले में ही उसे ऐसा नज़र आया जैसे उस तरफ कोई फैक्ट्री हो। कुछ लोग भी उस तरफ नज़र आए। जिनमें कुछ आम आदमियों के साथ साथ हाॅथों में गन लिए कुछ गार्ड्स भी थे।

उस तरफ का नज़ारा देख कर साये ने कीहोल से अपनी ऑख हटा ली। उसके बाद वह एक पल के लिए वहाॅ नहीं रुका बल्कि पलट कर वापस चल दिया। बेसमेंट में आकर उसने दरवाजे को बड़ी सावधानी से बंद किया। दरवाजा जैसे ही पूरा बंद हुआ वैसे ही बगल से दीवार पर लगे उस सिस्टम के स्क्रीन पर "डोर हैज बीन क्लोज्ड" लिखा नज़र आया और साथ ही ऊपर लगी लाल बत्ती जल उठी। लाल बत्ती के जलते ही स्क्रीन पर फिर से "प्लीज इन्टर योर पासवर्ड" लिख गया।

कुछ ही देर में बेसमेंट से चलता हुआ वो साया सीढ़ियों के पास आया और फिर सीढ़ियाॅ चढ़ते हुए कमरे में पहले वाले साये के पास आ गया। दरवाजे को बंद करने के बाद उसने पहले गहरी गहरी साॅसें ली। उसके बाद उसने पहले साए की तरफ देखा तो हल्के से चौंका।

"ये क्या है?" दूसरे साये ने पहले साये के हाॅथ में बैग देख कर पूछा।
"इसमें मंत्री का लैपटाॅप है।" पहले साये ने कहा___"ये मुझे इस बेड के नीचे बने बाक्स में मिला है। मैने इसे अभी देखा नहीं है। हो सकता है कि इसमें भी पासवर्ड वाला चक्कर हो इस लिए इसे हम अपने साथ ही ले चलेंगे।"

"ये बहुत अच्छा हुआ।" दूसरे साए ने कहा___"मंत्री के लैपटाॅप में भी काफी कुछ मसाला मिल सकता है। ख़ैर, इन फाइलों को भी इस बैग में डाल लो। उसके बाद हमें तुरंत यहाॅ से निकलना है। अब यहाॅ पर ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं है।"
"ठीक है।" पहले साए ने कहने के साथ ही बैग को बेड पर रखा और दूसरे साये से फाइलें लेकर बैग में डाल लिया।

उसके बाद ये दोनो ही शातिर चोर जिस तरह छुपते छुपाते हुए यहाॅ बड़ी होशियारी से आए थे वैसे ही यहाॅ से निकल भी गए। बालकनी से जब दोनो नीचे ज़मीन पर उतर आए तो बालकनी में इनकी वो रस्सी ही फॅस गई। वो तो शुकर था कि इस तरफ आने वाले वो दोनो गनमैन इस तरफ आए ही नहीं। वरना उन्हें बालकनी की रेलिंग से झूलती हुई ये रस्सी ज़रूर दिख जाती और ये दोनो भी। ख़ैर दोनो ने किसी तरह उस रस्सी को निकाल ही लिया और फिर उसी रस्सी के द्वारा बाउण्ड्री वाल के उस पार भी चले गए। थोड़ी ही देर में वो दोनो अॅधेरे का लाभ उठाते हुए कहीं गायब से हो गए।
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