non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:16 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
उस वक्त रात के दो बज रहे थे।
गुनगुन स्थित मंत्री दिवाकर चौधरी के बॅगले के पिछले भाग पर जहाॅ कि अशोक व देवदार जैसे पेड़ लगे हुए थे दो काले साए अॅधेरे में छिपे खड़े थे। दोनो के ही जिस्मों पर काला स्याह लबादा था। यहाॅ तक कि दोनो के चेहरे तथा हाॅथ तक काले कपड़ों से ढॅके हुए थे। चेहरे व सिर पर चढ़े काले मास्क से सिर्फ उनकी ऑखें ही झाॅक रही थी या फिर ये भी कि जब वो दोनो बात करने के लिए मुह खोलते तो उनके दाॅत चमक उठते थे। कहने का मतलब ये कि वो दोनो ही सिर से लेकर पाॅव तक काले किन्तु चुस्त दुरुस्त कपड़ों से ढॅके हुए थे।

बॅगले के चारो तरफ बाउण्ड्री वाल थी जिसमें थोड़ी थोड़ी दूरी पर रोशनी के लिए मध्यम साइज के एलईडी बल्ब लगे हुए थे। बाउण्ड्री वाल के अंदर तथा बाहर दोनो तरफ हाॅथों में गन लिए गार्ड्स भी खड़े नज़र आ रहे थे। रात के इतने समय भी वो सब मुस्तैदी से खड़े थे। उन सभी के जिस्मों पर भी काले ही कपड़े थे तथा सिर पर काली कैप थी।

बॅगले का मुख्य दरवाजा जो कि खालिश स्टील का ही था। उस दरवाजे के पास भी दोनो तरफ गनमैन तैनात थे। ख़ैर हम बात कर रहे थे उन दो रहस्यमय सायों की। ये दोनो ही साए क़रीब दस मिनट से उन पेड़ों के पास अॅधेरे में छिपे खड़े थे। बारह फीट ऊॅची बाउण्ड्री वाल को दोनो ने बड़ी ही दक्षता से लाॅघ लिया था। जिसके लिए उन्हें रस्सी की मदद लेनी पड़ी थी। उनकी चारो ऑखें बड़ी बारीकी से चारो तरफ का अध्ययन कर रही थीं। दोनो ने एक बात नोट की कि जितने भी गनमैन वहाॅ तैनात थे वो सब अपनी जगह पर ही कायम थे। यानी वो सब अपनी पोजीशन नहीं बदलते थे। सिर्फ दो ही ऐसे गनमैन थे जो हर पाॅच मिनट में इस तरफ आते थे और फिर इधर उधर सरसरी सी नज़र डाल कर वापस लौट जाते थे।

बाउण्ड्री वाल से बॅगले की इमारत की दूरी लगभग बीस फुट थी। नीचे ज़मीन पर चारो तरफ विदेशी घाॅस उगी हुई थी। बाउण्ड्री वाल की तरफ ही ये सारे पेड़ लगे हुए थे। हलाॅकि बीच बीच में ऐसे छोटे छोटे पौधे भी लगे हुए थे जो अक्सर बाग़ों की शोभा बढ़ाने के उपयोग में आते थे। किन्तु ये पौधे दो तरफ ही दिख रहे थे। सामने की तरफ विदेशी घाॅस तो थी ही साथ ही बीचो बीच सफेद मारबल लगा हुआ था जो कि मुख्य दरवाजे तक था।

इस बार जब वो दोनो गनमैन आकर वापस लौटे तो उन दोनो सायों की नज़रें आपस में मिलीं और फिर दोनो ही बारी बारी पेड़ के पास से निकल कर बड़ी तेज़ी से इमारत की दीवार की तरफ उस हिस्से की तरफ बढ़े जहाॅ पर लगभग पंद्रह फुट की ऊॅचाई पर एक शीशे की खिड़की थी तथा उस खिड़की के सामने ही छोटी सी बालकनी थी। खिड़की पर देखने से ऐसा प्रतीत होता था जैसे अंदर अॅधेरा हो। बालकनी में भी स्टील की रेलिंग लगी हुई थी। ये हिस्सा बॅगले के बाएॅ साइड था।

बालकनी के नीचे पहुॅचते ही एक साए ने तुरंत ही अपने हाॅथ में ली हुई रस्सी को एक हाॅथ से गोल गोल घुमाया और फिर तेज़ी से ऊपर की तरफ उछाल दिया। रस्सी बड़े वेग से लहराती हुई ऊपर की तरफ गई और रेलिंग के ऊपरी भाग से ऊपर उठ कर वापस नीचे की तरफ आने को हुई तो वो रेलिंग के दूसरे हिस्से से पर फॅस गई। हलाॅकि रस्सी के छोर पर लगे लोहे के मामूली से राॅड से आवाज़ हुई किन्तु वो आवाज़ बहुत धीमी हुई थी। क्योंकि वो राॅड स्टील में लगने के साथ ही नीचे से ऊपर की तरफ उठा तो वो बीच से निकल कर नीचे दीवार पर टकरा गया था।

"जल्दी करो।" दूसरे साए ने धीमी आवाज़ में उस पहले साए से कहा जिसने रस्सी को ऊपर बालकनी की तरफ उछाला था, बोला___"हमें पाॅच मिनट से पहले ऊपर पहुॅचना होगा। वरना वो दोनो गनमैन फिर से इधर आ जाएॅगे।"

"बस हो ही गया है।" पहले साए ने ऊपर देखते हुए अपने एक हाॅथ को हल्का सा झटका दिया। परिणामस्वरूप दीवार के पास ही झूल रहा वो मामूली सा राॅड तेज़ी से नीचे सरका और कुछ ही पलों में पहले वाले साए के हाॅथ में आ गया। राॅड के हाॅथ में आते ही उसने दूसरे साए की तरफ देख कर बोला___"गो।"

पहले साए की बात सुनते ही दूसरा साया तेज़ी से आगे बढ़ा और रस्सी के दोनो भागों को पकड़ कर पहले उसे हल्का सा अपनी तरफ खींचा। जैसे चेक कर रहा हो कि सब ठीक है कि नहीं। उसके बाद वो दोनों हाॅथों से रस्सी को थोड़ा और ऊपर से पकड़ा और फिर झूल गया। कुछ ही पलों में वो रस्सी में झूलता हुआ ऊपर बालकनी के पास पहुॅच गया। नीचे खड़ा पहला साया चारो तरफ देख रहा था। तभी ऊपर पहुॅच गए साये ने रस्सी को झटका दिया तो नीचे खड़े साए ने उसकी तरफ देखा। ऊपर पहुॅच चुके साए ने हाॅथ के इशारे से उसे ऊपर आने को कहा।

उसका इशारा मिलते ही पहला वाला साया भी रस्सी को पकड़ कर ऊपर झूलते हुए कुछ ही पलों में पहुॅच गया। उसके पहुॅचते ही दूसरे साए ने रस्सी को ऊपर खींच लिया। तभी पहले वाले साए ने नीचे देखा, वो दोनो गन मैन इसी तरफ आ रहे थे। ये देख कर दोनो साए वहीं बालकनी पर बैठ कर छिप गए। थोड़ी ही देर में उन्होंने देखा कि वो दोनो गन मैन वापस जा रहे हैं तो ये दोनो भी उठ गए।

"चलो अब काम पर लग जाओ।" दूसरे साए ने धीमी आवाज़ में कहा___"किन्तु सावधानी से।"
"जो हुकुम।" पहले साए ने अदब से सिर को हल्का सा खम करते हुए धीमी आवाज़ में कहा।

पहले वाले साए ने पलट कर खिड़की को देखा। उस खिड़की पर शीशा लगा हुआ था तथा दो पल्लों की खिड़की थी। पहले साए ने खिड़की में हाॅथ लगा कर उसे अंदर की तरफ हल्के से पुश किया तो कुछ न हुआ। मतलब साफ था खिड़की के दोनो पल्ले अंदर से बंद थे।

"ये अंदर से बंद है।" पहले वाले साए ने पलट कर दूसरे साए से कहा___"शुकर है कि हम काॅच काटने वाला हीरा लेकर आए थे, लाओ उसे।"
"ऐसे काम के लिए।" दूसरे साए ने धीरे से कहा___"ऐसी चीज़ की ज़रूरत तो पड़ती ही है।"

दूसरे साए ने कहा और अपने काले लबादे से हीरा निकाल कर पहले वाले साए के हाथ में दे दिया। हीरा लेकर पहला साया वापस मुड़ा और दाहिने पल्ले में एक हाॅथ जमा कर हीरे से पल्ले पर लगे शीशे को खास तरीके से काटना शुरू कर दिया। उसके दूसरे हाॅथ में एक अजीब सी चीज़ थी जो कि शीशे से ही चिपकी हुई थी। कुछ ही देर में शीशे का एक आयताकार टुकड़ा कट गया। पहले साए ने अपने दूसरे हाॅथ को अपनी तरफ बहुत ही सावधानी से खींचा। नतीजा ये हुआ कि वो कटा हुआ टुकड़ा उस अजीब सी चीज़ से चिपका हुआ अपनी जगह से बाहर आ गया।

अभी पहला साया उस टुकड़े को खींचा ही था कि दूसरे साए ने धीरे से कहा कि जल्दी से किन्तु सम्हल कर बैठ जाओ, क्योंकि नीचे वो दोनो गन मैन इस तरफ वापस आ गए हैं। अगर हम दोनो बालकनी में खड़े रहेंगे तो संभव है कि वो ऊपर देखें और फिर उनकी नज़र हम दोनो पर पड़ जाए। साये की बात सुन कर दोनो ही वहीं पर दुबक कर बैठ गए थे। ख़ैर कुछ ही देर बाद जब वो दोनो गन मैन वापस चले गए तो ये दोनो साए भी उठ कर खड़े हो गए।

पहले वाले साए ने काॅच का वो टुकड़ा बैठे समय ही बालकनी में एक तरफ रख दिया था। अतः अब उसने खिड़की के कटे हुए हिस्से में अपना दाहिना हाॅथ सावधानी से डाला और फिर अंदर से ही नीचे की तरफ लाकर उसने खिड़की की कुण्डी को तलाशा और उसे ऊपर उठा कर खोल दिया। उसके बाद उसने अंदर से ही दूसरे पल्ले की कुण्डी को भी खोल दिया। साये को अंदर की तरफ पर्दा लगा होने का भी पता चला। ख़ैर, अपना हाॅथ सावधानी से बाहर निकाल कर उसने खिड़की के दोनो पल्लों को अंदर की तरफ पुश किया तो हल्की सी आवाज़ हुई किन्तु दोनो ही पल्ले अंदर की तरफ खुले न। पहले साये को समझते देर न लगी कि पल्लों के अंदर की तरफ ऊपर भी कुण्डियाॅ हैं जो कि बंद हैं। अतः साए ने फिर से उसी कटे हुए भाग से अंदर हाथ डाला और फिर ऊपर हाॅथ करके ऊपर की कुण्डी को नीचे की तरफ हल्के से खिसका दिया। ऐसा ही उसने दूसरे पल्ले पर भी किया।

थोड़ी ही देर में खिड़की के दोनो पल्ले अंदर की तरफ पुश किये जाने से खुलते चले गए। ये देख कर दोनो सायों के होठों पर मुस्कान उभर आई। जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि खिड़की के अंदर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि अॅधेरा था। हलाॅकि खिड़की में अंदर की तरफ पर्दे लगे होने की वजह से भी अॅधेरे का आभास हो सकता था। अतः पहले साए ने पल्ले खोलने के बाद अॅधेरे में डूबे पड़े कमरे की तरफ अपने कान लगा दिया। कदाचित इस लिए कि वो अंदर की किसी भी चीज़ की आहट को सुन सकें। किन्तु अंदर से कोई भी बारीक से बारीक आवाज़ नहीं आ रही थी। मतलब साफ था कि कमरा पूरी तरह खाली था। उसमें किसी भी आदमी का कोई वजूद नहीं था।

पहले साए ने एक छोटी सी पेंसिल टार्च अपने लबादे से निकाली और कमरे के अंदर की तरफ एक हाॅथ से पर्दे को हटा कर उसे रौशन किया। पेंसिल टार्च के प्रकाश का हल्का सा फोकस कमरे के अंदर की हर चीज़ पर साए के द्वारा हाॅथ से घुमाने पर घूमने लगा। कमरे के बाएॅ तरफ ही एक आलीशान बेड नज़र आया। उसके कुछ ही फाॅसले पर दो सोफे रखे नज़र आए। खिड़की के नीचे लगभग तीन फुट की दूरी पर कमरे का फर्स था जिसमें बेहतरीन टाइल्स लगी हुई नज़र आई। सारी चीज़ों को देखने के बाद पहला साया आराम से पर्दा हटा कर खिड़की के रास्ते कमरे में आ गया। उसके बाद दूसरा साया भी आ गया।

कमरे में आते ही दूसरे साए ने खिड़की के दोनो पल्ले बंद किये और फिर सावधानी से पर्दा खींच दिया। उसके बाद पेंसिल टार्च की मदद से ही हर जगह को बारीकी से देखने लगे। दीवार पर लगी पेंटिंग्स से ही पता चला कि ये कमरा मंत्री के बेटे सूरज चौधरी का है। दीवार पर कई जगह उसकी खुद की भी फोटो लगी हुई थी साथ ही कई जगह ऐसी पेंटिंग्स भी लगी हुई थी जो कि लड़कियों व औरतों की नग्नता को उजागर कर रही थी।

"ज़रा चेक करो कि कमरे का दरवाजा अनलाॅक है या नहीं।" दूसरे साए ने धीरे से कहा___"और अगर अनलाॅक है तो तुम यहाॅ से उस कमरे में जाने की कोशिश करो जो कमरा खुद मंत्री का हो। वहाॅ जा कर बारीकी से हर चीज़ को देखो। इस वक्त मंत्री अपने इस आवास पर नहीं है। किसी ज़रूरी काम से बाहर गया हुआ है। फिर भी ज़रा सावधानी से काम लेना। अब जाओ।"

दूसरे साए की बात सुन कर पहला साया कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ा। दरवाजे के पास पहुॅच कर उसने दरवाजे के हैण्डल को पकड़ कर घुमाया मगर वह घूमा नहीं। इसका मतलब कमरा बाहर से लाॅक था। बात भी जायज़ थी, मंत्री का बेटा तो यहाॅ था नहीं इस लिए मंत्री ने या फिर उसके किसी कर्मचारी ने इस कमरे को बाहर से लाॅक कर दिया होगा। ख़ैर, दरवाजे को लाॅक जान कर वो साया पलट कर दूसरे साए के पास आया और उसे बताया कि दरवाजा बाहर से लाॅक है। उसकी बात सुन कर दूसरे साए ने अपने लबादे से निकाल उसके हाॅथ में कोई चीज़ दी।

पहले साए ने पेंसिल टार्च की रोशनी में उस चीज़ को देखा तो अनायास ही उसके होठों पर मुस्कान उभर आई। दरअसल वो चीज़ "मास्टर की" थी। फिर क्या था, मास्टर की लेकर पहला साया तुरंत दरवाजे के पास गया और दरवाजे पर लगे हैण्डिल के कीहोल में उस मास्टर की को डाला और विपरीत दिशा में घुमा दिया। नतीजा ये हुआ कि दरवाजा अनलाॅक हो गया। ये देख कर वो साया एक बार फिर मुस्कुराया और फिर दरवाजे को अपनी तरफ सावधानी से खींचा। दरवाज़े के बाहर गैलरी थी जो कि एलईडी ट्यूब लाइट तथा बल्बों के प्रकाश से रौशन थी।

बाहर बल्बों का प्रकाश देख कर साया अपनी जगह रुक गया। कदाचित वो सोचने लगा था कि रोशनी में वो आगे कैसे बढ़े? किन्तु शायद बढ़ना ज़रूरी था। अतः उसने दरवाजे से अपना सिर बाहर निकाल कर गैलरी के दोनों तरफ देखा। गैलरी पूरी तरह सुनसान पड़ी थी। हलाॅकि गैलरी बहुत लम्बी नहीं थी, बल्कि कुछ ही दूरी पर वो विपरीत दिशा में मुड़ गई थी। साये ने कुछ देर सोचने में लगाया और फिर बड़ी सावधानी से दरवाजे से बाहर गैलरी में आ गया। सनसान गैलरी पर सावधानी से चलते हुए वो मोड़ तक आ गया। मोड़ पर ठिठक कर उसने दूसरी तरफ की किसी भी आहट को सुनने के लिए दीवार के किनारे की तरफ अपना कान सटा दिया।

थोड़ी ही देर में वह अपनी जगह से हिला और गैलरी के मोड़ पर मुड़ गया। किन्तु थोड़ी ही दूर जाने के बाद उसे वापस लौटना पड़ा क्योंकि आगे गैलरी समाप्त थी। आगे कोई रास्ता नहीं था। साये को समझ आ गया कि वह दूसरी तरफ आ गया है। तभी तो उसे यहाॅ पर कहीं कोई दूसरे कमरे का दरवाजा नहीं दिखा था। ख़ैर, वापस उसी जगह आकर वह दूसरी साइड वाली गैलरी की तरफ बढ़ चला। आठ दस कदम चलने के बाद ही उसे अंदर की तरफ वाली बालकनी की रेलिंग नज़र आई। रेलिंग के पास पहुॅच कर उसने देखा कि बालकनी दोनो तरफ थी लगभग बीस कदम की दूरी पर उसे नीचे जाने के लिए सीढ़ियाॅ नज़र आई। रेलिंग के दूसरी तरफ नीचे काफी बड़ा ड्राइंगरूम नज़र आया। अपने स्थान पर खड़ा साया कुछ देर तक कुछ सोचता रहा फिर वह बाएॅ साइड की तरफ बढ़ चला। कुछ ही दूरी पर उसे एक और गैलरी नज़र आई। उसने गैलरी की तरफ देखा तो उसे एक कमरे का दरवाजा नज़र आया। दरवाज़ा देख कर वह तेज़ी से उसकी तरफ बढ़ा। थोड़ी ही देर में वो दरवाजे के पास पहुॅच गया। दरवाजे के हैण्डिल को पकड़ कर उसने उसे घुमाया तो पता चला कि वो लाॅक है। ये देख कर उसने फौरन ही अपने लबादे से वो मास्टर की निकाली और की होल में चाभी डाल कर घुमा दिया। दरवाजा हल्की सी आवाज़ के साथ खुल गया।

उसने बहुत ही आहिस्ता से दरवाजे को अंदर की तरफ पुश किया तो पता चला अंदर अॅधेरा है। साया कुछ देर तक किसी तरह की आवाज़ को सुनने की कोशिश करता रहा मगर कोई आवाज़ उसे अंदर की तरफ से सुनाई नहीं दी। ये महसूस कर उसने लबादे से पैंसिल टार्च निकाली और उसके प्रकाश को कमरे के अंदर की तरफ फोकस किया। फोकस जिस चीज़ पर पड़ा वो बेड था। किन्तु बेड पर कोई इंसान सोया हुआ नज़र न आया। साया बेख़ौफ अंदर दाखिल हो गया। कमरे के अंदर हर चीज़ को उसने पैंसिल टार्च की रोशनी में देखा। मगर उसे ऐसा कुछ नज़र न आया जिसे शायद उसे तलाश थी।

लगभग दस मिनट बाद वह कमरे से वापस बाहर आ गया। अभी वह दरवाजे से बाहर निकला ही था किसी से टकरा गया। किसी दूसरे ब्यक्ति के होने की आशंका से ही वह बुरी तरह हड़बड़ा गया। किन्तु जैसे ही टकराने वाले पर उसकी नज़र पड़ी तो सामान्य हो गया। टकराने वाला वो दूसरा साया था जो उसके साथ ही यहाॅ इस तरह आया था।

"क्या हुआ?" उस दूसरे साये ने धीमी आवाज़ से पूछा___"कुछ मिला क्या??"
"नहीं।" पहले वाले ने कहा___"अभी तो यही नहीं पता चल रहा कि मंत्री का निजी कमरा कौन सा है? वो यहाॅ ऊपर है या फिर नीचे है।"

"पता तो करना ही पड़ेगा।" दूसरे साए ने कहा___"मंत्री के परिवार में उसके दो बच्चे ही हैं। बीवी कुछ साल पहले ही ईश्वर को प्यारी हो चुकी है। ख़ैर, इस वक्त क्योंकि मंत्री अपने आवास पर नहीं है इस लिए ये बॅगला अंदर से खाली ही है। बाहर गनमैन तैनात हैं। हमें जल्द से जल्द मंत्री के कमरे को ढूॅढ़ना होगा।"

"ठीक है।" पहले वाले ने कहा___"मैं नीचे की तरफ चेक करता हूॅ।"
"ओके।" दूसरे वाले ने कहा___"अगर तुम्हें या मुझे मंत्री का कमरा मिलता है तो तुरंत फोन पर मिस काल देना है। फोन बाइब्रेशन पर है अतः बाइब्रेशन से ही पता चल जाएगा। अब जाओ तुम।"

दूसरे साए की बात सुन कर पहला साया सीढ़ियों की तरफ तेज़ी से बढ़ गया। आख़िर काफी मसक्कत के बाद मंत्री का कमरा मिल ही गया। मंत्री का कमरा नीचे ही था। पहले साये ने दूसरे साये को फोन पर मिस काल देकर सूचित कर दिया। थोड़ी ही देर में वो दोनो मंत्री के कमरे में थे।

मंत्री चूॅकि बॅगले में नहीं था इस लिए बॅगले के अंदर कोई था ही नहीं। बॅगले के बाहर गनमैन ज़रूर तैनात थे किन्तु उनमें से किसी को भी इस बात का अंदेशा नहीं था कि बॅगले के अंदर दो चोर बड़ी सफाई से उनकी ऑखों में धूल झोंक कर घुस चुके हैं। ख़ैर, दोनो सायों ने मंत्री के कमरे में जाकर सबसे पहले तो दरवाजे को अंदर से बंद किया उसके बाद जिस काम के लिए आए थे उस काम में लग गए। कमरे में पहले से ही नाइट बल्ब जल रहा था। किन्तु पहले वाले साए ने तेज़ रोशनी के लिए मेन बल्ब भी जला दिया। अब कमरे में तेज़ प्रकाश था तथा कमरे में रखी हर चीज़ स्पष्ट नज़र आने लगी थी।

दोनो ने बहुत ही बारीकी से हर चीज़ को देखना शुरू कर दिया। दोनो के हाव भाव से ऐसा लग रहा था जैसे वो इस काम में काफी माहिर हों। लगभग बीस मिनट की मेहनत के बाद वो दोनो ही इस तरह एक दूसरे के पास खड़े हो गए जैसे किसी चीज़ के न मिलने से बेहद चिंतित व परेशान हो गए हों।

"लगता है यहाॅ कुछ नहीं है।" पहले साए ने धीमी आवाज़ से कहा___"मंत्री ने उन चीज़ों को ज़रूर किसी ऐसी जगह छुपाया होगा जहाॅ पर वो चीज़ें किसी बाहरी आदमी को किसी सूरत में न मिल सकें।"

"वो चीज़ें ऐसी हैं भी नहीं जो इतनी आसानी से हमें मिल जाएॅगी।" दूसरे साये ने कहा___"ऐसी चीज़ों को तो हर इंसान सात तिज़ोरियों के अंदर ही छुपा कर रखता है। इस लिए हमें ऐसी ही किसी जगह को तलाश करना होगा जहाॅ पर हमारी नज़रें पड़ी तो हों किन्तु हमने उस जगह को अंजाने में नज़रअंदाज़ कर दिया हो।"

"हाॅ ये भी सही कहा।" पहले साए ने इधर उधर नज़रें घुमाते हुए कहा___"तो ठीक है एक बार फिर से हम हर जगह बारीकी से चेक करते हैं। संभव है कि इस बार हमारे हाॅथ कुछ लग ही जाए।"
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