non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:15 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
अपडेट........《 59 》

अब तक,,,,,,,,
"ये तो बहुत ही अच्छा किया है आपने।" अजय सिंह के चेहरे पर एकाएक ही रौनक आ गई___"इसका मतलब ये हुआ कि हम पूरी तरह से हारे नहीं हैं। बल्कि बाज़ी अभी भी हमारे हाॅथ में हैं।"

"बिलकुल।" चौधरी ने मुस्कुरा कर कहा___"बस जासूस के फोन आने की देर है। जैसे ही उसका फोन आया और उसने हमें बताया वैसे ही हम यहाॅ से चल पड़ेंगे।"
"वाह चौधरी साहब।" अजय सिंह के चेहरे पर खुशी की चमक आ गई___"मानना पड़ेगा आपको। आपने भी ऐसा कारनामा कर रखा है जिसके बारे में वो लोग सोच भी नहीं सकते हैं।"

अजय सिंह की बात पर चौधरी बस मुस्कुरा कर रह गया। कुछ देर उन दोनो के बीच और भी कुछ बातें हुईं उसके बाद अजय सिंह चौधरी से इजाज़त लेकर उसके आवास से अपने गाॅव हल्दीपुर के लिए निकल लिया। चौधरी ने उसे जाने के लिए अपनी एक जीप दे दी थी।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

अब आगे,,,,,,,

आदित्य के साथ जब मैं नीचे आया तो देखा ड्राइंग रूम में केशव जी बैठे थे। हम दोनो को देखते ही उनके होठों पर मुस्कान उभर आई। उसके बाद उन्होंने मुझसे नीलम के बारे में पूछा तथा ये भी कहा कि वो खुद उसे देखना चाहते हैं। अतः मैं उन्हें अपने साथ ऊपर नीलम के कमरे में ले गया। कमरे में पहुॅच कर उन्होंने सबके सामने ही नीलम को देखा और फिर बड़े प्यार से उससे उसकी तबीयत का पूछा। उनके पूछने पर नीलम ने भी बड़ी शालीनता से अपनी तबीयत के बारे में उन्हें बता दिया। उसके बाद वो कमरे से बाहर आ गए और मेरे साथ ही नीचे आ गए। नीचे आकर मैं आदित्य के साथ बैठा ही था कि रितू दीदी भी आ गईं।

"उस जासूस का क्या हुआ मौसा जी?" नीचे आते ही रितू दीदी ने केशव जी की तरफ देखते हुए भावहीन स्वर में पूछा___"क्या आप उसे पकड़ने में कामयाब हुए?"
"हमारी किस्मत बहुत अच्छी थी रितू बेटा।" केशव जी ने कहा___"जिसके तहत वो हमारे हाॅथ लग गया। मेरा वो आदमी जिसने हमें उसके बारे में फोन पर बताया था उसका नाम निरंजन वर्मा है। उसने बड़ी बहादुरी का काम किया है। उसने मुझे बताया कि अगर उस जासूस की बाइक के अगले पहिये की हवा न निकली होती तो वो हमारे हाथ न लगता।"

"ये आप क्या कह रहे हैं मौसा जी?" रितू दीदी के साथ साथ हम सब भी हैरान हो गए, फिर दीदी ने कहा___"उस जासूस की बाइक की वजह से वो हमारे हाॅथ लगा है?"

रितू की इस बात पर केशव जी ने निरंजन और उस जासूस की सारी राम कहानी बताई। सारी बात सुनने के बाद हम तीनों ही चकित रह गए थे। कुछ देर तक कोई कुछ न बोला।

"ये तो बड़े ही आश्चर्य की बात है मौसा जी।" मैने सोचने वाले भाव से कहा___"उस जासूस की बाइक के अगले पहिए में हवा नहीं थी इस लिए वो उतने समय तक वहाॅ रुका रहा। आपका वो आदमी भी वाकई में बड़ा काम का साबित हुआ। उसने उस जासूस को पकड़ने में अपनी जान तक दाॅव पर लगा दी। वरना अगर वो जासूस हाॅथ से निकल जाता तो यकीनन हमारे लिए बहुत बड़ा संकट हो सकता था।"

"बेशक।" केशव जी ने कहा___"अगर उसके बारे में हमें पता न चलता तो वो हमारा पीछा करता ही रहता और फिर जब उसे तुम लोगों के इस ठिकाने का पता चल जाता तो वह तुरंत ही मंत्री को सब कुछ बता देता। उसके बाद मंत्री क्या करता इसका तुम बखूबी अंदाज़ा लगा सकते हो।"

"अब इस मंत्री का खेल खत्म करना ही पड़ेगा।" सहसा रितू दीदी ने कठोर भाव से कहा___"मेरी चेतावनी के बावजूद इसने इतना बड़ा दुस्साहस किया और हमारे पीछे किसी जासूस को भी लगाया। अब तो इसका किस्सा खत्म करना ही पड़ेगा। बहुत हो गया अब।"

"मेरा भी यही ख़याल है दीदी।" मैने कहा___"कम से कम इससे इसकी तरफ से तो हम बेफिक्र हो जाएॅगे और फिर खुल कर तथा बेझिझक बड़े पापा से मुकाबला कर सकेंगे।"

"सही कहा तूने।" रितू दीदी ने कहा___"किन्तु उससे पहले हमें उस जासूस से मिलना भी होगा। उसे हम ऐसे ही नहीं छोंड़ सकते हैं। उसका भी कोई न कोई इंतजाम करना पड़ेगा हमें।"

"मेरे ख़याल से उसे हम तब तक अपने पास रखते हैं जब तक कि मंत्री का किस्सा खत्म नहीं हो जाता।" सहसा आदित्य कह उठा___"उसके बाद हम उसे छोंड़ सकते हैं। जब मंत्री ही नहीं रहेगा तो वो किसके लिए हमारे पीछे लग कर जासूसी करेगा?"

"आदी की बात एकदम करेक्ट है दीदी।" मैने कहा__"ऐसा ही करना चाहिए हमें।"
"आपका क्या कहना है मौसा जी?" रितू दीदी ने सहसा केशव की तरफ देखते हुए कहा___"ये तो सच है कि हम उस जासूस को मौजूदा हालात में छोंड़ नहीं सकते हैं और ना ही उसे जान से मारने का सोच सकते हैं। क्योंकि वो निर्दोष है। उसने वही किया है जो एक जासूस को करना चाहिए था। ये उसका पेशा ही है, अतः आप भी अपनी राय दीजिए कि क्या किया जाए?"

"देखो मैं तो एक ही बात जानता हूॅ बेटा।" केशव जी ने कहा___"कि ऐसे हर उस आदमी को खत्म कर दो जिससे हमें किसी प्रकार के ख़तरे का अंदेशा हो। किन्तु मामला चूॅकि एक जासूस का है इस लिए उसे खत्म करना ग़लत होगा। अतः मैं भी आदित्य की बात से सहमत हूॅ। यानी कि उसे तब तक यहाॅ कैद करके रखा जाय जब तक कि मंत्री का कल्याण नहीं हो जाता। मगर,

"मगर क्या मौसा जी?" रितू दीदी के माथे पर शिकन उभरी।
"मगर मुझे एक बात समझ नहीं आई।" केशव जी ने सोचने वाले अंदाज़ में कहा___"और वो ये कि जब मंत्री के खिलाफ़ तुम्हारे पास ऐसा डायनामाइट जैसा सबूत है तो उसे अब तक छोंड़ क्यों रखा था तुमने? जबकि होना तो यही चाहिए था कि उसे तुरंत ही कानून की चपेट में ले लिया जाता।"

"आपका सोचना बिलकुल सही है मौसा जी।" रितू दीदी ने कहा___"किन्तु मंत्री को अब तक छोंड़े रखने के दो कारण थे। पहला ये कि उसे एहसास कराना था कि जब उसके खुद के बच्चों के साथ बहुत बुरा होता है तब कैसा महसूस होता है? दूसरा कारण ये कि उसके संबंध ऐसे ऐसे लोगों से हैं जिनकी पूर्ण जानकारी हमारे पास अभी भी नहीं है। ये तो लगभग सब जानते हैं कि वो कैसे कैसे ग़ैर कानूनी धंधा करता है किन्तु पुलिस के पास उसके खिलाफ़ ऐसे कोई सबूत नहीं हैं जिसकी वजह से उसे गिरफ्तार किया जा सके। मेरे पास भी उन वीडियोज के अलावा और कुछ नहीं है। मैं चाहती थी कि ये वाला मामला निपट जाने के बाद मंत्री के खिलाफ मौजूद उन सबूतों का पता करूॅगी। यही वजह थी कि मंत्री के मैटर को इतना लम्बा खींचना पड़ा। किन्तु अब ऐसा लगता है कि मंत्री को सबक सिखाना ही पड़ेगा। उसके सामने खुल कर जाना ही पड़ेगा और फिर उसकी ऑखों में ऑखें डाल कर उसे बताना पड़ेगा कि वो हमारा कुछ नहीं कर सकता है जबकि हम चाहें तो उसका कुछ भी कर सकते हैं।"

"ओह आई सी।" केशव जी ने कहा___"तो ये बात है। ठीक है फिर, जैसा तुम्हें बेहतर लगे वैसा करो। किन्तु हाॅ उससे पहले चलो उस जासूस से भी तो मिल लो तुम लोग। संभव है कि उससे भी कोई महत्वपूर्ण जानकारी मिल जाए।"

केशव जी की इस बात से हम सब सोफों से उठ कर खड़े हो गए और फिर केशव जी के साथ ही बाहर की तरफ चले गए। बाहर आकर हम सब केशव जी की कार में बैठ गए। आदित्य केशव जी के बगल में आगे की सीट पर बैठ गया था जबकि मैं और रितू दीदी पिछली सीट पर बैठ गए थे। हम सबके बैठते ही केशव जी ने कार को आगे बढ़ा दिया।

लगभग पाॅच मिनट बाद ही केशव जी ने कार को एक मकान के पास ले जाकर रोंका। कार के रुकते ही हम सब कार से बाहर आ गए। हम सबकी नज़र उस मकान पर पड़ी जिसके सामने के पोर्च पर एक लकड़ी का तखत रखा हुआ था और उसमे चार साॅवले रंग के आदमी बैठ कर ताश खेल रहे थे। कार की आवाज़ से ही उनका ध्यान हमारी तरफ गया था। जिससे उन चारों ने ताश खेलना बंद करके तखत से उतर गए थे।

हम तीनों केशव जी के पीछे पीछे मकान के पोर्च में आ गए। पोर्च में रुक कर केशव जी ने अपने एक आदमी से कहा सब ठीक है न? जवाब में आदमी ने बड़े अदब से हाॅ में सिर हिलाया। उस आदमी की हाॅ देख कर केशव जी मकान के अंदर की तरफ बढ़ चले। उनके साथ हम तीनों भी बढ़ चले थे।

ये मकान यूॅ तो पक्का ही था किन्तु इसकी हालत देख कर तथा केशव जी की छवि देख कर यही लगता था कि इस मकान पर केशव जी अपने आदमियों को रखते थे। या फिर उनके रहने की जगह ही यही थी। हलाॅकि सोचने वाली बात तो ये भी थी कि केशव जी का कैरेक्टर ऐसा क्यों था कि उनके अंडर में ऐसे ऐसे लोग थे और उनका हर कहा भी मानते थे? इस बारे में हम सबके दिमाग़ में सवाल तो उभरा था किन्तु केशव जी से इस बारे में पूछने का या तो समय ही नहीं मिला था हमें या फिर हम उनकी निजी ज़िंदगी में कोई हस्ताक्षेप ही नहीं करना चाहते थे। हमारे लिए यही बहुत था कि वो हमारी मदद कर रहे थे।

मकान के अंदर भी कुछ लोग नज़र आए हमें जो कि अलग अलग जगहों पर इस वक्त खड़े दिख रहे थे। बाहर से अंदर आते ही सबसे पहले एक छोटा सा हाल था उसके बाद दोनो तरफ तीन तीन कमरे बने हुए थे। सामने की तरफ ऊपर के फ्लोर में जाने के लिए चौड़ी सीढ़ी थी। उस सीढ़ी के अगल बगल भी एक एक कमरा था। केशव जी के साथ हम तीनो सीढ़ी के दाहिने साइड वाले कमरे की तरफ बढ़ गए।

केशव जी के कहने पर ही एक आदमी ने उस कमरे का ताला खोला और फिर उसके बाद दरवाजा भी खोला। ये देख कर हमें समझते देर न लगी कि केशव जी इस मामले में काफी होशियारी से काम ले रहे थे। ख़ैर कमरे के अंदर हम सब दाखिल हुए तो बाॅए साइड ही दीवार से सट कर खड़े उस जासूस पर हमारी नज़र पड़ी। उसके दोनो हाॅथ ऊपर की तरफ एक साथ मोटी रस्सी से बॅधे थे। इतना ही नहीं उसके मुख पर एक टेप भी चिपका हुआ था ताकि वह चीखे चिल्लाए न। उसके दोनो हाॅथ तो ऊपर की तरफ रस्सी से बॅधे हुए थे ही साथ ही उसके दोनो पैर भी अलग अलग दिशा में फैले हुए रस्सी से बॅधे थे।

ये कमरा अंदर से एकदम खाली था। जासूस की स्थित देख कर ये समझना ज़रा भी मुश्किल नहीं था कि केशव जी ने उसका तगड़ा इंतजाम किया था। उसे इस हालत में देख कर मैं केशव जी की समझदारी का कायल हो गया।

"आपने तो मेहमान का बहुत अच्छे तरीके से स्वागत कर रखा है मौसा जी।" मैंने जासूस की तरफ एक नज़र डालने के बाद केशव जी से कहा___"ख़ैर कोई बात नहीं। इनके मुह से ज़रा ये टेप तो हटाइए। इन महानुभाव की मनमोहक आवाज़ सुनने का बहुत दिल कर रहा है।"

मेरी बात पर केशव जी मुस्कुराए और फिर राणे के मुख से टेप निकाल दिया। टेप के हटते ही राणे गहरी गहरी साॅसें लेने लगा। यद्यपि टेप तो सिर्फ उसके मुख पर ही चिपकाया गया था, साॅस लेने के लिए उसकी नाॅक तो खुली ही थी।

"हाॅ तो मिस्टर डिटेक्टिव।" मैने उस जासूस के बिलकुल पास आते हुए कहा___"आप इज्ज़त से खुद ही सब कुछ बताएॅगे या फिर मुझे आपके मुख से कुछ भी उगलवाने के लिए कोई दूसरा हथकंडा इस्तेमाल करना पड़ेगा? हलाॅकि मुझे उम्मीद है कि आप खुद ही सब कुछ बता देंगे। क्योंकि आप जासूस हैं और आपको पता है कि ऐसी परिस्थितियों में क्या होता है? ख़ैर, मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूॅ कि जिस मंत्री के लिए आप जासूसी कर रहे थे वो इस प्रदेश का निहायत ही घटिया ब्यक्ति है। ऐसा कोई कुकर्म तथा ऐसा कोई जुर्म नहीं है जो वो करता न हो। यहाॅ तक कि दूसरों की बहू बेटियों के साथ ग़लत तो करता ही है साथ ही उनका सौदा भी करता है। मैं ये सब बातें आपसे इस लिए बता रहा हूॅ ताकि आपको भी पता होना चाहिए कि आप जिसके लिए हमारा बेड़ा गर्क करने चले हैं वो कैसा इंसान है? अपने ज़मीर को जगाइये जासूस महोदय। जीवन में रुपया पैसा कमाने के लिए और भी कई अच्छे रास्ते हैं। जासूस का मतलब ये नहीं होता कि आप किसी के लिए भी काम करना शुरू कर दें। बल्कि उस ब्यक्ति के लिए काम करें जिसे आप समझते हों कि ये अच्छा ब्यक्ति है तथा इसे किसी बुरे इंसान ने सताया है।"

मेरी ये बातें सुन कर वो जासूस कुछ न बोला। बस मेरी तरफ देखता रहा। उसके चेहरे पर ऐसे भाव उभर आए थे जैसे एकाएक ही वह किन्हीं विचारों के आधीन हो गया हो। मैं कुछ देर तक उसे देखता रहा।

"आपको पता है ये कौन हैं?" मैने रितू दीदी की तरफ इशारा करके उस जासूस से कहा___"ये मेरी बड़ी बहन हैं और पुलिस में इंस्पेक्टर हैं। इन्होंने जब ये जाना कि कानूनन ये मंत्री के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर सकती हैं तो इन्होंने कानून को अपने हाॅथ में ले लिया।इन्होंने इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं की कि इसके लिए इन्हें कानून खुद कठोर सज़ा दे सकता है तथा अगर ये मंत्री जैसे राक्षस इंसान के पकड़ में आ गईं तो मंत्री इनका क्या हस्र कर सकता है। कहने का मतलब ये कि अपनी जान को जोखिम में डाल कर इन्होंने मंत्री के खिलाफ बिगुल बजाया हुआ है। सिर्फ इस लिए कि इस प्रदेश से मंत्री दिवाकर चौधरी जैसे लोगों की गंदगी दूर हो सके तथा ऐसे लोगों से मासूम व निर्दोष जनता को निजात मिल सके। रुपया पैसा सबकी ज़रूरत है जासूस महोदय किन्तु उससे बढ़ कर अपनी जान भी प्यारी होती है। हम सब सच्चाई की राह पर चलने वाले वो इंसान हैं जिनके सिर पर क़फन बॅधा हुआ है।"

"ये सब तुम क्या बातें सुना रहे हो दोस्त।" सहसा आदित्य ने कहा___"क्या तुम समझते हो कि तुम्हारी इन बातों से इस जासूस के विचार बदल जाएॅगे। नहीं भाई, इन्हें तो सिर्फ पैसों से मतलब हैं। इन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि प्रदेश में आम इंसानों के साथ क्या अत्याचार हो रहा है? मैं तो कहता हूॅ कि इससे कुछ पूछना ही बेकार है। हमारे पास जो भी सबूत मंत्री के खिलाफ है उसी के आधार पर हम उसे धर लेंगे।"

"आप लोग क्या जानना चाहते हैं मुझसे?" सहसा जासूस गंभीर भाव से बोल पड़ा___"पूछो, मैं सब कुछ बताने को तैयार हूॅ। मुझे भी इस बात का अंदेशा है कि मंत्री के खिलाफ़ खुद पुलिस विभाग गुप्त रूप से लगा हुआ है। मुझे पता है कि मंत्री तथा उसके साथी बहुत ही अपराधी किस्म के इंसान हैं। तुमने मुझे एहसास करा दिया है कि वाकई मैं ग़लत ब्यक्तियों का साथ दे रहा था। तुमने बिलकुल सही कहा भाई कि जीवन में पैसा ही सब कुछ नहीं होता है।"

"तो फिर बताइये।" मैने मन ही मन हैरान होते हुए कहा___"कि मंत्री ने आपको किस किस काम के लिए हमारे पीछे लगाया था?"
"आप लोगों ने मंत्री को तथा उसके साथियों को इस लायक छोंड़ा ही नहीं है कि वो खुद इस मामले में कोई ऐक्शन ले सके।" जासूस ने कहा___"इस लिए उसने इस काम के लिए मुझे हायर किया। एक और महत्वपूर्ण बात है जो कि तुम्हारे लिए जानना बेहद ज़रूरी है। वो बात ये है कि मंत्री आपके ताऊ अजय सिंह के साथ भी मिला हुआ है। मैं अजय सिंह के ही पीछे लगा था और उसी का पीछा करते हुए मैं आज उस जगह पहुॅचा था जहाॅ तुम्हारा और अजय सिंह का आमना सामना हो रहा था। मैने उस सबकी सूचना फोन द्वारा मंत्री को दी थी। मंत्री को मैने कहा भी था कि वो अगर चाहें तो इस मौके पर खुद भी आकर तुम लोगों के साथ कुछ भी कर सकते हैं। मगर मंत्री ने शायद ये सोच कर इसके लिए बाद में मना कर दिया कि संभव है कि उस सूरत में तुम्हारे द्वारा उसके बच्चों का कुछ अहित हो जाता। इस लिए उसने मुझसे बस यही कहा कि मैं तुम लोगों के पीछे लग कर तुम्हारे ठिकाने का पता करूॅ। जैसे ही मेरे द्वारा उसे तुम लोगों के ठिकाने का पता चल जाता वैसे ही वो अपने दलबल के साथ तुम लोगों के ठिकाने पर धावा बोल देता।"

हरीश राणे की बात सुन कर हम सब बुरी तरह हैरान रह गए थे। हम सब ये जान कर चौंके थे कि अजय सिंह मंत्री से मिला हुआ है। इस तरफ तो हमने सोचा ही नहीं था और यकीनन ये हमारी सबसे बड़ी ग़लती भी थी। ख़ैर अब तो जासूस द्वारा हमें इस बात का पता चल ही चुका था।

"एक और बात।" तभी राणे ने फिर कहा___"जब मैने मंत्री से फोन पर बात की थी तो ये सवाल भी उभरा था कि संभव है कि अजय सिंह उसे धोखा दे रहा हो। क्योंकि उसने मंत्री को बताए बिना ही तुम सबको पकड़ने के लिए वो सब किया था। जबकि मंत्री से हुई दोस्ती के अनुसार उसे उस सबके बारे में मंत्री से बताना चाहिए था। इस बात पर मंत्री ने कहा था कि अगर अजय सिंह सचमुच उसे धोखा दे रहा है तो वो उसे इसके लिए सज़ा ज़रूर देगा। किन्तु अगर उसने ये सब ये सोच कर किया है कि बाद में वो हमें अपने भतीजे को तथा अपनी बेटी को हमारे सामने ले आएगा और अपनी दोस्ती का प्रमाण देगा तो यकीनन हम उसे जेल से भी छुड़ाएॅगे। मंत्री की इस बात से तुम लोग समझ सकते हो कि अजय सिंह जेल से उसके द्वारा छूट भी सकता है। अगर ये कहूॅ तो भी ग़लत न होगा कि वो अब तक छूट ही गया होगा।"

"ऐसा कैसे कह सकते हो तुम?" केशव जी ने पूछा।
"सीधी सी बात है।" राणे ने कहा___"बात चाहे जो भी हो किन्तु मंत्री एक बार अजय सिंह से मिलना ज़रूर चाहेगा और मिल कर ये भी जानना चाहेगा कि उसने वो सब कारनामा उसको बिना बताए कैसे अंजाम दिया था? क्या इसके पीछे उसकी गद्दारी थी या फिर कुछ और? मंत्री की इस बात पर अजय सिंह ज़रूर यही कहेगा कि वो ये सब करके अपने भतीजे और अपनी बेटी को उसके सामने ले आकर उसे सरप्राइज के रूप में तोहफा देना चाहता था। किन्तु ऐसा हो न सका। अजय सिंह की ये बात सुन कर मंत्री को भी लगेगा कि अजय सिंह वास्तव में उसके लिए ये सब पाक़ भावना से करना चाहता था। अतः ये सोच कर मंत्री उसे जेल से ज़रूर छुड़ाएगा। जिस समय मैने उसे फोन पर अजय सिंह को पुलिस द्वारा ले जाने के बारे में बताया था। उस समय और अब के समय के बीच कई घंटों का फर्क़ हो चुका है। इस लिए ये संभव है कि अब तक मंत्री ने अजय सिंह को जेल से छुड़ा ही लिया होगा।"

"हम भी तो यही चाहते हैं जासूस महोदय।" मैने मुस्कुराते हुए कहा___"कि वो जेल से छूट कर फिर से बाहर आ जाए और इसी लिए रितू दीदी ने उसके छूट जाने का इंतजाम भी किया हुआ था।"

"क्या मतलब।" हरीश राणे बुरी तरह चौंका___"भला तुम लोग ऐसा क्यों चाहते हो? बात कुछ समझ में नहीं आई। ये सब क्या चक्कर है?"

"मंत्री को और अजय सिंह को अगर जेल में सड़ाना ही होता।" मैने कहा___"तो ये काम तो हम बहुत पहले ही कर चुके होते। मगर ऐसा किया नहीं क्योंकि इनके गुनाहों की सज़ा हम अपने तरीके से ही देना चाहते हैं। रितू दीदी ने पुलिस कमिश्नर से जब पुलिस प्रोटेक्शन की बात की तभी ये तय हो गया था कि अजय सिंह को सबके साथ पकड़ कर ले तो जाएॅगे मगर उस पर कोई केस नहीं बनाया जाएगा। केस न बनने से अजय सिंह का जेल से छूट जाना आसान ही हो जाना था। वरना आप खुद सोचिए जासूस महोदय कि उसने तो अपनी ही बेटी को जान से मारने की कोशिश की थी वो भी एसीपी के रिवाल्वर से। उस सूरत में तो वो लम्बे से नप सकता था। एसीपी रमाकान्त शुक्ला तो गुस्से में आकर अजय सिंह पर केस बनाने के लिए तैयार भी हो गया था किन्तु कमिश्नर साहब ने इसके लिए उसे मना कर दिया। वरना अगर केस बन जाता तो मंत्री इतनी सहजता से अजय सिंह को छुड़ा न पाता। उसकी पहुॅच का भी कोई असर न होता। क्योंकि एसीपी कोई मामूली ब्यक्ति नहीं था। उसे केन्द्र से भेजा गया है, इस लिए उसके काम में किसी की भी दखलअंदाज़ी नहीं चलती।"

"अगर ऐसी बात है।" राणे ने कहा___"तो फिर वो इस सबके लिए राज़ी कैसे हो गया? मेरे कहने का मतलब ये है कि जैसा कि तुमने कहा कि एसीपी को केन्द्र सरकार ने भेजा है तथा उसके काम में कोई हस्ताक्षेप भी नहीं कर सकता तो फिर ये कैसे हो गया कि उसने अजय सिंह पर कमिश्नर के मना कर देने पर केस ही नहीं बनाया? जबकि उसे तो इस मामले में शख्त से शख्त कार्यवाही ही करनी चाहिए थी।"

"वो यहाॅ शख्त कार्यवाही के लिए ही आया था।" रितू दीदी ने हस्ताक्षेप किया___"किन्तु कमिश्नर साहब ने उसे यहाॅ के सारे हालातों के बारे में बताया, ये भी कि कैसे मैं अपने ही माॅ बाप के खिलाफ हूॅ और कैसे मंत्री का काम तमाम करने के काम पर लगी हुई हूॅ? सारे हालातों पर ग़ौर करने के बाद वो इसके लिए तैयार हो ही गया। दूसरी बात ये भी थी कि उसे यहाॅ भेजा ही इस लिए गया है कि वो मंत्री जैसे लोगों की गंदगी को इस प्रदेश से मिटा सके और ये काम तो मैं कर ही रही हूॅ। उसे तो इस प्रदेश की गंदगी मिटाने से मतलब है फिर चाहे वो किसी भी तरीके से मिटाई जाए।"

"ओह तो ये बात है।" राणे को जैसे सब कुछ समझ आ गया था, फिर बोला___"किन्तु शुरू में मैने महसूस किया था कि मैने जब मंत्री और अजय सिंह के एक होने की बात बताई तो तुम सब उस बात से हैरान हो गए थे। इसका मतलब ये हुआ कि तुम लोगों को इस बात का अंदेशा तक नहीं था कि अजय सिंह और मंत्री आपस में मिले भी हो सकते हैं?"

"कमिश्नर साहब ने फोन पर मुझे ये ज़रूर बताया था।" रितू दीदी ने कहा___"कि मंत्री ने उन्हें फोन किया था तथा फोन पर वो ऐसे सवाल जवाब कर रहा था जैसे ये जानना चाहता हो कि पुलिस गुप्त रूप से कहीं उसके पीछे तो नहीं लगी हुई है। उसने बातों बातों में इस बात को भी पूछा था कि हल्दीपुर के ठाकुर अजय सिंह को पुलिस पकड़ कर ले गई है तो ये सब क्या चक्कर है? उसने कमिश्नर से घुमा फिरा कर ये भी कहा कि सुना है कि अजय सिंह की बेटी पुलिस में है और अपने बाप के खिलाफ भी है। मंत्री के पूछने पर कमिश्नर साहब ने यही कहा कि ये सब पारिवारिक मामला है अतः उन्हें इस बारे में ज्यादा पता नहीं है। कहने का मतलब ये कि ये तो समझ में आया कि मंत्री ने कमिश्नर से अजय सिंह का ज़िक्र किया मगर उसकी बातें ऐसी थी कि उससे इस बात का अंदेशा उस वक्त मुझे न हो पाया था कि वो अजय सिंह से वास्तव में मिला हुआ ही हो सकता है। दूसरी बात ये कि मेरे मुखबिरों ने भी ऐसी किसी बात का ज़िक्र नहीं किया। जबकि मैने तो दोनो के ही पीछे मुखबिर लगाए हुए थे।"

"कमाल की बात है।" राणे मुस्कराया___"कैसे मुखबिर थे जो ये भी न पता लगा सके कि अजय सिंह और मंत्री कब कहाॅ किससे मिलते हैं? जैसा कि तुमने बताया कि तुमने इन दोनो के पीछे मुखबिर लगाया हुआ था तो ये कैसे हो सकता है कि तुम्हारे मुखबिरों को इन दोनो की गतिविधियों का पता ही न चल सके? अजय सिंह के पीछे लगा हुआ मुखबिर बड़ी आसानी से पता लगा सकता था कि वह कब कहाॅ जाता है? यानी अगर वो मंत्री से मिलने उसके आवास पर जाता तो क्या ये सब उस मुखबिर ने अपनी ऑखों से नहीं देखा होता? इसका तो यही मतलब हुआ कि तुम्हारे मुखबिरों ने अपना काम इमानदारी से किया ही नहीं बल्कि तुम्हें धोखे में ही रखा।"

राणे की इस बात से रितू दीदी तुरंत कुछ बोल न सकीं थी। मैने भी हैरानी से उनकी तरफ देखा था। रितू दीदी के चेहरे पर कई तरह के भाव आए और चले भी गए। सहसा उनके चेहरे पर कठोर भाव उभर आए।

"यकीनन ऐसा ही है।" फिर उन्होंने गहरी साॅस लेकर कहा___"मेरे मुखबिरों ने अपना काम सही से नहीं किया। इसके लिए उन्हें कठोर दंड ज़रूर मिलेगा। दोनो तरफ की घटनाओं से इस बात की तरफ मेरा ध्यान भी नहीं गया। दूसरी बात मुझे अपने मुखबिरों से इस बात की उम्मीद भी नहीं थी कि वो कमीने ऐसी लापरवाही करेंगे।"

"चलो कोई बात नहीं रितू बेटा।" सहसा केशव जी ने कहा___"माना कि तुम्हारे मुखबिरों ने इस काम में थोड़ी नहीं बल्कि बहुत ही ज्यादा लापरवाही दिखाई किन्तु इससे हमें नुकसान तो नहीं हुआ न? अतः इस बात को छोंड़ो और अब ये सोचो की आगे क्या करना है?"

"मैं भी ये कहना चाहता हूॅ कि।" रितू दीदी के बोलने से पहले ही राणे बोल पड़ा____"अब आप लोगों को भी मुझे यहाॅ से जाने देना चाहिए। आप लोगों को मैने पूरी इमानदारी से सारी बातें सच सच बता दी हैं। अतः अब मुझे इस तरह यहाॅ कैद करके रखने का तो कोई मतलब नहीं बनता न।"

"ज्यादा होशियारी दिखाने की कोशिश मत करो जासूस महोदय।" मैने कहा___"माना कि आपने हमें सारी बातें सच सच बता दी हैं। मगर मौजूदा हालात में इसके बावजूद हम आपको यहाॅ से जाने नहीं दे सकते। क्योंकि इतना तो हम भी सोच सकते हैं कि आपने ये सब ये सोच कर बता दिया हमे कि सब कुछ सुनने के बाद हमें यही लगे कि अब आप हमारे ही हक़ में हैं और हमारा किसी भी तरह का नुकसान नहीं कर सकते हैं। इस लिए हम आपको छोंड़ देंगे। जबकि यहाॅ से छूटते ही आप पुनः अपना रंग बदल सकते हैं और हमारा काम तमाम करवा सकते हैं। इस लिए जासूस महोदय आपको छोंड़ देने का काम तो फिलहाल हम किसी भी सूरत में नहीं कर सकते। अतः आप अपने दिमाग़ से छूटने का ख़याल निकाल दें। किन्तु हाॅ हम ये वादा करते हैं कि यहाॅ आपको कोई तक़लीफ नहीं होने देंगे और जैसे ही मंत्री का काम तमाम हो जाएगा वैसे ही आपको भी यहाॅ से आज़ाद कर दिया जाएगा।"
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RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 01:15 PM

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