non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:15 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
रितू दीदी की इस बात पर अजय सिंह कुछ बोल न सका। किन्तु हाॅ कठोर भाव से देख ज़रूर रहा था। जबकि उसकी इस कठोरता से देखने की ज़रा भी परवाह न करते हुए कहा दीदी ने कहा___"तुम वो इंसान हो अजय सिंह जिसने एक हॅसते खेलते, भरे पूरे व खुशहाल परिवार का बेड़ा गर्क कर दिया। इतना तो मैने भी अपनी ऑखों से देखा था कि विजय चाचा कभी भी तुमसे ऑखें मिला कर बात नहीं करते थे। हम इतने भी अबोध व अज्ञानी नहीं थे कि हमें कुछ समझ न आए। सच्चाई का पता चलने के बाद ही सही मगर मुझे पिछली वो सब बातें याद आईं जो मेरे सामने होती थीं। तब उनके बारे में नहीं सोचती थी क्योंकि तब तुम्हारी सिखाई हुई बातें मुझे उनके बारे में सोचने की भी ज़रूरत महसूस नहीं कराती थी। मगर अब सब कुछ खुली किताब की तरह हो गया है। तुमने धन दौलत के लालच में तथा गौरी चाची को हाॅसिल करने के जुनून में अपने देवता जैसे भाई को ज़हरीले सर्प से डसवा कर मौत के घाट उतार दिया। उसके बाद झूठ मूठ कर आरोप लगा कर मेरी देवी समान चाची को चरित्रहीन बना दिया। इतना ही नहीं एक रात तुम दोनों की बातों को जब दादा जी ने सुन लिया और वो जब गुस्से से तुम्हारे कमरे में आ धमके और तुम्हें खरी खोटी सुनाने लगे तो तुमने उन्हें भी जान से मार देने की धमकी दी। ये भी कहा कि अगर उन्होंने किसी के सामने ज्यादा गला फाड़ने की कोशिश की तो तुम उनकी छोटी बेटी यानी कि नैना बुआ को उठवा लोगे। दादा जी उस वक्त ये सोच कर डर गए कि तुम वाकई में ऐसा कर सकते हो। जो अपने भाई का न हुआ वो भला किसका हो जाएगा? दादी जी रोते हुए अपने कमरे में चले गए। उन्होंने दादी से तुम्हारा सारा काला चिट्ठा बताया जिसे सुन कर बेचारी दादी का भी बुरा हाल हो गया। दूसरे दिन अभय चाचा स्कूल पढ़ाने गए हुए थे, उस समय दादा दादी तैयार होकर विजय चाचा की दी हुई कार से जब कहीं जाने लगे तो तुमने पूछा कि वो कहाॅ जा रहे हैं तब उन्होंने एक बार फिर से गुस्सा होते हुए साफ साफ तुमसे कहा कि वो पुलिस स्टेशन जा रहे हैं। ताकि तुम्हारी रिपोर्ट कर सकें। दादा जी की बात सुन कर तुम्हारी हवा निकल गई। तुम फौरन ही माॅम के पास गए और माॅम को सारी बात बताई तब माॅम ने कहा कि इससे बचने का एक ही तरीका है कि दादा दादी को खत्म कर दिया जाए। तुम्हारे पास इसके अलावा कोई दूसरा चारा भी नहीं था। इस लिए फौरन ही अपनी कार लेकर निकल लिये। रास्ते में ही तुमने अपने इसी फिरोज़ खान नाम के साथी को फोन लगाया और इसे दादा दादी को जान से मार देने की सुपारी दी। इसने फौरन ही तुम्हारी बात मान कर रास्ते में ही ट्रक द्वारा दादा जी की कार को टक्कर मार दी। ट्रक की ज़ोरदार टक्कर से दादा जी की कार सड़क पर ही दो तीन पलटियाॅ खाईं। ये देख कर ये खान फौरन ही वहाॅ से ट्रक लेकर फरार हो गया। सुनसान सड़क पर उलटी पड़ी कार के अंदर दादा दादी खून से लथपथ बेहोश पड़े थे। तभी कोई वाहन वाला उसी रास्ते से आया और उसने जब वो सब देखा तो उसने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस वहाॅ पहुॅची और कार के अंदर खून से लथपथ पड़े दादा दादी को चेक किया तो वो दोनो ही ज़िंदा थे उस वक्त। अतः फौरन ही उन्हें बेहतर इलाज़ के लिए गुनगुन ले गए। तहकीक़ात में ही पता चला कि जिनका एक्सीडेंट हुआ था वो दरअसल हल्दीपुर के ठाकुर गजेन्द्र सिंह बघेल तथा उनकी धर्मपत्नी इन्द्राणी सिंह बघेल हैं। इस बात का पता चलते ही तुम्हें सूचित किया पुलिस ने। तुम ये जान कर बुरी तरह घबरा गए कि दादा दादी तो ज़िंदा हैं अभी और वो पुलिस को सब कुछ बता भी देंगे। अतः तुम फौरन ही गुनगुन के लिए हवेली से रवाना हो गए। ख़ैर दादा दादी के सिर पर बड़ी गंभीर चोंटें आई थी जिसकी वजह से वो दोनो ही कोमा में चले गए। डाक्टर अब भला क्या कर सकता था। उसने साफ कह दिया था कि अब तो बस समय का ही इन्तज़ार करें कि कब वो दोनो कोमा से बाहर आते हैं। डाक्टर की बात सुन कर तुमने फिलहाल के लिए तो राहत महसूस की मगर तुम भी जानते थे कि कोमा एक ऐसी चीज़ होती है जिसमें गया इंसान कभी भी होश में आ सकता है। यानी तुम्हें डर था कि दादा दादी अगर कोमा से बाहर आ गए तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा। अतः तुमने फिर से माॅम के परामर्श किया और फिर दादा दादी को बेहतर इलाज़ का कह कर एक ऐसी जगह ले गए जहाॅ के बारे में ज्यादा किसी को पता ही नहीं था। ख़ैर छोंड़ो ये सब, तुम्हारे जुर्म की दास्तान तो बहुत लम्बी है मगर मैंने तुमसे ये सब इस लिए कहा है कि तुम जान सको कि मुझे सब कुछ पता है। तुमने इतने अपराध व पाप किये हैं कि इसके लिए शायद भगवान भी माफ़ नहीं करेगा और करना भी नहीं चाहिए।"

रितू दीदी की बात सुन कर अजय सिंह का मुह लटक गया इस बार। उसके चेहरे पर शर्म व अपमान के भाव एकाएक ही उभर आए थे। तभी इस बीच नीलम आई और रितू के गले लग कर सिसक सिसक कर रोने लगी। सोनम दीदी भी सिसक रही थी। उधर आदित्य ने फिरोज़ खान को मार मार कर अधमरा कर दिया था। उसमें अब हिलने तक की शक्ति नहीं बची थी। तभी दो पुलिस वाले आए और फिरोज़ खान को उठा कर ले गए।

फिरोज़ खान के जितने भी आदमी थे तथा प्रतिमा ने जो आदमी भेजे थे उन सबको पुलिस ने पकड़ लिया था। ये सारी पुलिस फोर्स गुनगुन में नये नये आए एसीपी रमाकान्त शुक्ला के द्वारा लाई गई थी। सबको पकड़ने के बाद एसीपी रमाकान्त शुक्ला चल कर अजय सिंह के पास आया।

"अब आपके भी ससुराल चलने का वक्त हो चुका है ठाकुर साहब।" एसीपी ने मुस्कुराते हुए कहा___"उम्मीद करता हूॅ कि ससुराल में आप खुद को बेहतर महसूस करेंगे।"
"नये नये आए लगते हो ऑफिसर।" अजय सिंह ने उसकी तरफ तिरछी नज़र से देखते हुए कहा___"इस लिए इतना अकड़ रहे हो। मगर ज्यादा खुशफहमी में मत रहना कि तुम मुझे सुसराल में ज्यादा देर तक रख पाओगे।"

"जानता हूॅ।" एसीपी पुनः मुस्कुराया___"मगर फिलहाल तो मेरे साथ चलना ही पड़ेगा आपको। बाद का बाद में देखा जाएगा। वैसे भी हम तो यहाॅ फिरोज़ खान जैसे वान्टेड मुजरिम को ही पकड़ने आए थे। हमें सूचना मिली थी कि यहाॅ पर वो मुज़रिम अपने पूरे दलबल के साथ मौजूद है। इस लिए आ धमके यहाॅ। मगर हमें क्या पता था कि उसके साथ साथ मुझे आप जैसी कमीनी शख्सियत को भी धर लेना पड़ेगा।"

"तमीज़ से बात करो ऑफिसर।" अजय सिंह बुरी तरह तिलमिलाते हुए तीखे भाव से बोला___"वरना ऐसा न हो कि इस बददमीजी के लिए तुम्हें बाद में पछताना पड़े।"

"रस्सी जल गई मगर कसबल बाॅकी हैं अभी।" एसीपी ने कठोर भाव से कहा___"वैसे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूॅ कि मैं किसी के बाप से भी नहीं डरता। इस लिए मुझ पर धौंस जमाने की सोचना भी मत। वरना मेरे हाॅथ में आया हुआ मुजरिम मुख से कम बल्कि पिछवाड़े से ज्यादा चिल्लाता है। अब इज्ज़त से चलो मेरे साथ वरना ले जाने के तरीके तो हम पुलिस वालों को बड़े शानदार भी आते हैं।"

एसीपी के गरम होते मिजाज़ को देख कर अजय सिंह अंदर ही अंदर अपमान का कड़वा घूॅट पी कर रह गया। फिर उसने आग उगलती ऑखों से पहले मुझे देखा फिर रितू दीदी को उसके बाद एसीपी रमाकान्त शुक्ला के साथ चल दिया। कुछ दूर जाने के बाद सहसा अजय सिंह रुका और फिर पलट कर बोला___"अभी तो मैं जा रहा हूॅ मगर जल्द ही लौटूॅगा और इस बार जब लौटूॅगा न तो तुम में से किसी को भी ज़िंदा नहीं छोंड़ूॅगा।"

अजय सिंह की ये बात सुन कर मैं, आदित्य, रितू दीदी व सोनम दीदी ने तो कुछ न कहा किन्तु नीलम को जाने क्या हुआ कि वो तेज़ी से अपने बाप के पास गई और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता "चटाऽऽक"। अजय सिंह का दाहिना गाल झन्ना गया।

"ये तमाचा मामूली भले ही है।" फिर नीलम ने गुर्राते हुए कहा___"मगर ये तुम्हें इस बात की याद ज़रूर दिलाएगा कि तूने क्या पाप किया है जिसके तहत ये इनाम के रूप में मिला है तुझे तेरी ही बेटी से। अब जा यहाॅ से, मुझे तेरी शक्ल भी देखना अब गवाॅरा नहीं है।"

अजय सिंह से इतना कहने के बाद रोती हुई नीलम हमारे पास आ गई जबकि अपनी ही बेटी से ऐसा इनाम पा कर अजय सिंह मानो गर्त में डूबता चला गया। वह फिर रुका नहीं बल्कि एसीपी के साथ दूर होता चला गया। उसके जाते ही हम सब भी एक तरफ चल पड़े। मगर तभी गज़ब हो गया।

वातारण में धांय से गोली चलने की आवाज़ हुई और फिर फिज़ा में नीलम की चीख भी गूॅज गई। दरअसल नीलम के थप्पड़ मारने पर अजय सिंह अपमान में जल उठा था। वो एसीपी के साथ ही बगल से चल रहा था। तभी उसकी नज़र एसीपी के होलेस्टर में फॅसी उसकी रिवाल्वर पर पड़ी थी। अजय सिंह ने पलक झपकते ही जैसे निर्णय ले लिया था और फिर बेहद फुर्ती से उसने एसीपी के होलेस्टर से रिवाल्वर निकाला और पलट कर उसने नीलम पर गोली चला दी थी। हम में से किसी को भी इसकी उम्मीद नहीं थी। उधर गोली चलने की आवाज़ से एसीपी भी बौखला गया था। उसने जैसे ही पलट कर अजय सिंह की तरफ देखा तो चौंक पड़ा। कारण अजय सिंह ने मुस्कुराते हुए खुद ही उसका रिवाल्वर उसे दे दिया। एसीपी उसके इस बिहैवियर से दंग रह गया था।

गोली नीलम की पीठ के दाहिने भाग के थोड़ा सा नीचे लगी थी। नीलम की पीठ से खून की तेज़ धार बहने लगी थी। वो लहरा कर गिर ही जाती अगर मैने फुर्ती से उसे पकड़ न लिया होता। सिचुएशन एकदम से ही बदल गई थी। नीलम को गोली लगने से हम सब बुरी तरह घबरा गए थे। उसकी प्रतिपल बिगड़ती हालत से हम सब रो पड़े। मैने उसे अपनी गोंद में उठा लिया और तेज़ी से मंदिर के पीछे खड़ी अपनी कार की तरफ भाग चला। मेरे पीछे ही बाॅकी सब दौड़ने लगे थे।

पुलिस और एसीपी ने सबको पकड़ा था किन्तु केशव जी तथा उनके साथ आए लोगों को नहीं पकड़ा था। ये मेरे लिए हैरानी की बात थी। किन्तु इस वक्त उनसे इसके बारे में पूछने का किसी को होश न था। रितू व सोनम दीदी बुरी तरह रोये जा रही थी। सीघ्र ही मैं नीलम को लिए कार के पास पहुॅचा। आदित्य ने जल्दी से कार का पिछला गेट खोला तो मैने नीलम को पिछली सीट पर किसी तरह लेटाया और जगह बनाते हुए खुद भी सीट पर बैठ गया। सीट पर बैठने के बाद मैने नीलम को खुद से छुपका लिया तथा उसकी ठीठ पर हाॅथ रख कर दबा दिया ताकि खून ज्यादा बहने न पाए। मेरे बैठते ही आदित्य ने कार की ड्राइंविंग सीट सम्हाली।

केशव जी ने रितू दीदी से कहा कि वो सोनम दीदी को अपनी कार में बैठा लेंगे। क्योंकि मेरी कार में आगे की सीट पर रितू दीदी बैठ गई थी और पीछे अब जगह ही नहीं थी। किन्तु सोनम दीदी न मानी। वो बुरी तरह रोये जा रही थी और कह रही थी कि वो नीलम के पास ही रहेंगी। मैने भी ज्यादा समय बरबाद न करते हुए गेट की तरफ खिसक लिया। सोनम दीदी दूसरी तरफ से आकर नीलम के पैरों की तरफ सीट पर ही बैठ गईं। ख़ैर सबके बैठते ही आदित्य ने कार को तेज़ी से दौड़ा दिया। हमारे पीछे पीछे ही केशव जी तथा उनके आदमी जीपों में आ रहे थे।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
"ये तुम क्या कह रहे हो राणे?" अपने आवास के ड्राइंग रूम में लैण्डलाइन फोन के रिसीवर को कान से लगाए मंत्री ने बुरी तरह चौंकते हुए कहा था____"ठाकुर और उसके आदमियों को पुलिस पकड़ कर ले गई?"

"..............।" उधर से हरीश राणे ने कुछ कहा।
"क्या कह रहे हो तुम।" चौधरी हैरान___"वहाॅ पर भारी मात्रा में पुलिस आई हुई थी?? मगर पुलिस वहाॅ आई कैसे? हमारा मतलब है कि पुलिस को वहाॅ पर किसने बुलाया होगा? एक मिनट राणे....एक मिनट, हम सब समझ गए। ये ज़रूर उस थानेदारनी का काम होगा। उसी ने पुलिस को बुलवाया होगा। ठाकुर के इतने सारे आदमियों को पंगु बना देने का यही तो सबसे ज़बरदस्त तरीका था राणे। साली तगड़ा गेम खेल गई। एक ही झटके में सारा खेल ही खत्म कर दिया उसने।"

"............।" उधर से राणे ने फिर कुछ कहा।
"ओह तो ठाकुर ने जाते जाते अपनी ही बेटी को गोली मार कर लहूलुहान कर दिया।" चौधरी के चेहरे पर मौजूद भावों में परिवर्तन हुआ___"और अब विराज एण्ड पार्टी ठाकुर की उस लड़की को मरने से बचाने के लिए फौरन ही हास्पिटल लेकर आ रहे हैं। उन्हें आने दो राणे, वो ज़रूर यहीं आएॅगे। ताकि गुनगुन के ही किसी अच्छे से हास्पिटल में उसे भर्ती करा सकें और उसका बेहतर से बेहतर इलाज़ करा सकें। उन्हें आने दो यहाॅ हम उन सबका बहुत अच्छे से स्वागत करेंगे। तुम बस उनके पीछे ही रहना और हमें हालातों की ख़बर देते रहना।"

"..............।" राणे ने उधर से फिर कुछ कहा।
"वो सब हम देख लेंगे राणे।" चौधरी ने कहा___"हम कमिश्नर से इस बारे में पता करेंगे तथा ठाकुर से भी मिलेंगे। अगर उसने हमसे ये कहा कि वो ये सब करने के बाद ही इस सबके बारे में बताने वाला था तो ज़रूर उसकी ज़मानत करवाएॅगे हम। वरना भला हमें क्या पड़ी है उसे जेल से छुड़ाने की? जिस काम के लिए हमने उससे संपर्क बनाया था वो काम तो तुमने बखूबी कर ही दिया है और अब हमें पल पल की ख़बर भी दे रहे हो कि हमारे दुश्मन कहाॅ आ रहे हैं। इस लिए अब ज्यादा फिक्र की बात ही नहीं है।"

"..............।" उधर से हरीश राणे ने कुछ कहा।
"हाॅ ये भी सही कहा तुमने।" चौधरी ने कहा___"यानी हमें इस वक्त अभी उन पर हाॅथ नहीं डालना चाहिए। बल्कि उनके असल ठिकानों के बारे में पता करना चाहिए। उसके बाद ही हमें उन पर कार्यवाही करनी चाहिए। ये तुमने सही सलाह दी है राणे। बात भी सही है, अभी अगर हमने उन पर हाॅथ डाला तो संभव है कि इससे हम पर या हमारे बच्चों पर ही कोई संकट आ जाए। क्या पता उसका कोई आदमी हमारी गतिविधियों पर नज़र रखे हुए हो, उस सूरत में वो हमें ही नुकसान पहुॅचा सकता है। अतः ये ज़रूरी है कि हम अभी चुप ही रहें और उसके असल ठिकाने का तुम्हारे द्वारा पता करने की कोशिश करें।"

"..................।" उधर से राणे ने फिर कुछ कहा।
"ठीक है राणे।" फिर चौधरी ने कहा___"अब ऐसा ही करेंगे। तुम बस उनके पीछे ही लगे रहना और हाॅ ये बताने की आवश्यकता नहीं है कि उनसे ज़रा सावधान रहना।"

इसके साथ ही चौधरी ने रिसीवर वापस केड्रिल पर रख दिया। इस वक्त उसके चेहरे पर राहत के भाव थे। खुशी की एक अलग ही चमक उसके चेहरे पर दिखाई देने लगी थी। रिसीवर रखने के बाद वह आया और फिर से सोफे पर बैठ गया। उसके सामने ही अगल बगल के सोफों पर अवधेश, अशोक व सुनीता आदि बैठे हुए थे।

"हमारे इस काम में उस जासूस के लिए ये सब करना कोई मुश्किल काम नहीं था।" फिर मंत्री ने शिगार सुलगाने के बाद कहा___"और ना ही ये ऐसा केस था जिसमें उसे अपना माथा पच्ची करना पड़ता। ये सब तो हम भी कर सकते थे किन्तु तब जब करने की स्थित में होते। ख़ैर, जो भी हो, अच्छी बात ये है कि हालात अब हमारे हक़ में बहुत हद तक आ चुके हैं।"

"क्या कहा राणे ने?" अशोक के पूछने पर चौधरी ने सबको सब कुछ बता दिया। सारी बातें जानने के बाद उन तीनों के भी चेहरों पर राहत व खुशी के भाव उभर आए।

"हालात तो वाकई हमारे पक्ष में हैं चौधरी साहब।" अशोक ने कहा___"और ये हमारे लिए खुशी की बात भी है। किन्तु ठाकुर के साथ आज जो कुछ भी हुआ वो अगर न होता तो यकीनन आज उसकी गिरफ्त में उसका भतीजा तथा उसकी बेटी होती। उसके बाद वो हमें इस बात की जानकारी देता। कहने का मतलब ये कि इतना कुछ हो जाने के बाद हम अतिसीघ्र ही अपने दुश्मन से मिलते और उसके कब्जे से अपनी हर चीज़ ले भी लेते। लेकिन ऐसा हो नहीं सका, पुलिस ने ऐन मौके पर आकर सारा खेल ही ख़राब कर दिया।"

"इस मामले में पहली बार पुलिस का हाॅथ भी दिखाई दिया है चौधरी साहब।" अवधेश ने कहा____"और जिस तरह से इतनी सारी पुलिस फोर्स को लेकर वो एसीपी वहाॅ पहुॅचा था इससे ज़ाहिर होता है कि कहीं न कहीं पुलिस का भी इस मामले में दखल है। बल्कि ये कहना चाहिए कि शुरू से ही दखल था। ये अलग बात है कि इसके पहले पुलिस ने खुले तौर पर इस बात को ज़ाहिर नहीं किया था।"

"ये बात तो मैने उसी दिन कही थी।" सहसा अशोक ने तपाक से कहा___"कि संभव है कि पुलिस इस सारे मामले में गुप्त रूप से शामिल हो और आज इस बात का सबूत के रूप में पता भी चल गया हमें।"

"हम कमिश्नर से इस बारे में अभी बात करेंगे।" मंत्री ने कहने के साथ ही अपना मोबाइल निकाला____"उसे अब साफ साफ बताना ही पड़ेगा कि माज़रा क्या है तथा उसने हमें धोखे में रखने की हिम्मत कैसे की?"

कहने के साथ ही मंत्री ने पुलिस कमिश्नर को काल लगा कर मोबाइल अपने कान से लगा लिया। दूसरी तरफ काफी देर तक रिंग जाने के बाद काल रिसीव की गई।

"जी कहिए मंत्री जी।" उधर से कमिश्नर की आवाज़ उभरी___"आज इस नाचीज़ को कैसे याद किया आपने?"
"ये ड्रामेबाज़ी छोंड़ो कमिश्नर।" चौधरी ने सपाट लहजे में कहा___"और ये बताओ कि ये सब क्या चक्कर चला रहे हो तुम?"

"च..चक्कर???" उधर से कमिश्नर का चौंका हुआ स्वर उभरा____"ये आप क्या कह रहे हैं मंत्री जी?"
"देखो कमिश्नर।" चौधरी ने तीखे भाव से कहा___"हमें फालतू की बकवास बिलकुल भी पसंद नहीं है। तुम अच्छी तरह जानते हो और समझते भी हो कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं?"

"बड़ी अजीब बात कर रहे हैं आप मंत्री जी।" उधर से कमिश्नर ने कहा___"भला जिस बात को आप बताएॅगे ही नहीं उस बात के बारे में मैं कैसे कुछ जान पाऊॅगा? आप तो जानते हैं कि इंसान अंतर्यामी तो होता ही नहीं है।"

"हम हल्दीपुर में आधा घंटा पहले घटी घटना के बारे में बात कर रहे हैं।" चौधरी ने मन ही मन दाॅत पीसते हुए कहा___"अब ये मत कहना कि तुम इस घटना के बारे में भी नहीं जानते।"

"ओह तो आप उस घटना की बात कर रहे हैं?" उधर जैसे कमिश्नर की अब बात समझ में आई थी, बोला___"उस घटना के बारे में तो मुझे अच्छी तरह पता है मंत्री जी। लेकिन आपका उस घटना से क्या लेना देना है? जबकि हमारे डिपार्टमेंट के एसीपी ने तो वहाॅ पर एक मोस्ट वान्टेड अपराधी को पकड़ने के लिए घेराबंदी की थी और फिर अपराधी को पकड़ कर अपने साथ ले भी आए।"
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RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 01:15 PM

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