non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:14 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
अजय सिंह की इस बात से कोई कुछ न बोला। कुछ देर की ख़ामोशी के बाद सहसा अजय सिंह ने मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुरा कर कहा___"तो आख़िर तुम मेरी पकड़ में आ ही गए भतीजे? बहुत सताया तुमने और बहुत ज्यादा तड़पाया भी मुझे। मगर कोई बात नहीं, मैं उस सबका ब्याज सहित हिसाब ले ही लूॅगा। मगर उससे पहले मैं ज़रा अपनी बेटियों से तो मिल लूॅ।"

कहने के साथ ही अजय सिंह ने एक हाॅथ बढ़ा कर नीलम को उसके सिर के बालों से पकड़ कर ज़ोर से अपनी तरफ खींचा। नीलम के हलक से दर्द में डूबी चीख़ निकल गई। हलाॅकि उसकी व सोनम दीदी दोनो की ही हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी। उनके चेहरों पर मौत जैसा ख़ौफ़ मानो ताण्डव सा कर रहा था।

"क्यों बिटिया रानी।" अजय सिंह ने दाॅत पीसते हुए नीलम के चेहरे के पास अपना चेहरा लाते हुए कहा___"तुम्हारे इस बाप के लौड़े में ऐसी क्या कमी नज़र आ गई थी जो तुम दोनो बहनों ने अपने इस भाई के लौड़े को थाम लिया?"

"अजय सिंह।" मैं पूरी शक्ति से चिल्लाया___"ज़ुबान सम्हाल कर बात कर। ये मत भूल कि जिससे तू इस घिनौने तरीके से बात कर रहा है वो खुद तेरी ही बेटी है। मेरे दिलो दिमाग़ में तेरे लिए जो इज्ज़त बाॅकी थी उसे भी आज तूने ये घिनौनी बात बोल कर खत्म कर ली है। यकीनन तू इस संसार का सबसे गंदा और सबसे पापी इंसान है, बल्कि इंसान ही नहीं है तू, राक्षस है राक्षस।"

"मैं चाहूॅ तो इसी वक्त तेरी इस कड़वी ज़ुबान को तेरे हलक से निकाल कर चील कौवों को खिला दूॅ।" मेरी बातों से तिलमिलाया हुआ अजय सिंह गुर्राया___"मगर जैसा कि मैने कहा न कि पहले मैं अपनी बिटियों से मिल लूॅ, उसके बाद तुझसे भी अच्छे से मिलूॅगा।"

"आप सच में बहुत गंदे हैं डैड।" नीलम ने बुरी तरह रोते हुए कहा___"काश ये सब सच न होता। अच्छा होता कि इस सबके बारे में मुझे पता ही न चलता। रितू दीदी ने बहुत अच्छा किया था जो उन्होंने आप जैसे गंदे व पापी माॅ बाप को ठुकरा दिया है और अभी जिस तरीके से आपने मुझे वो शब्द कहे हैं उससे आपने बता दिया कि आपके मन में अपनी ही बहू बेटियों के प्रति क्या है?"

"इन सब बातों का अब कोई मतलब नहीं रह गया है बिटिया रानी।" अजय सिंह ने अजीब भाव से कहा___"ये सच है कि मैंने हमेशा अपने ही घर की औरतों व बेटियों को अपने नीचे सुलाने की ख्वाहिश की है। मगर इसमें बुरा क्या किया है मैने ? हर इंसान को अपनी इच्छा पूरी करने का हक़ होता है। मैने भी अपनी इच्छाओं को पूरा ही तो करना चाहा है। ख़ैर छोंड़, ये बता कि तुझे यहीं पर नंगा करूॅ या हवेली ले जाकर आराम से तुझे लड़की से औरत बनाऊॅ?"

"तू कुत्ते की मौत मरेगा अजय सिंह।" मैं पूरी शक्ति से दहाड़ते हुए बोला___"तेरे जिस्म में कीड़े पड़ेंगे। तू सड़ सड़ कर मरेगा। तू वासना और हवश में इतना अंधा हो चुका है कि तुझे रिश्ते नाते भी नज़र नहीं आ रहे हैं।"

"कुत्ते की मौत तो मैं तुझे मारूॅगा भतीजे।" अजय सिंह ने कहा___"लेकिन उससे पहले मैं तेरी माॅ गौरी, तेरी बहन निधी, व तेरी चाची करुणा इन तीनो को जी भर के तेरे ही सामने पेलूॅगा, वो भी आगे पीछे दोनो तरफ से। उसके बाद उन सबको रंडी बज़ार में बेंचूॅगा भी, तब तुझे मारूॅगा।"

"अपने जैसे ही हिजड़ों की फौज ले कर आया है।" मैने कहा___"और इन्हीं हिजड़ों की फौज के बलबूते पर तू इतना कुछ बोल पा रहा है। तुझमें अगर दम है तो मुझसे खुद मुकाबला कर।"

"इसे मारो रे।" अजय सिंह ज़ोर से चिल्लाया___"इस हराम के पिल्ले को इतना मारो कि हगने मूतने के भी काबिल न बचे। बहुत देर से ये हरामज़ादा बड़ बड़ किये जा रहा है। पहले इसकी ही हड्डियाॅ तोड़ो।"

अजय सिंह के कहने की देर थी। चारो तरफ से वही हट्टे कट्टे आदमी मेरी तरफ बढ़ते हुए आ गए। वो चार थे और मैं अकेला। मैं अजय सिंह की उन अश्लीलतापूर्ण बातों से बुरी तरह क्रोध व गुस्से से भन्ना उठा था। जैसे ही एक मेरी तरफ झपटा मैने बिजली की तरह फुर्ती दिखाई और उछल कर एक ज़बरदस्त फ्लाइंग किक उसकी गर्दन पर जड़ दी। उसके मुख से घुटी घुटी सी चीख निकली साथ ही कड़कड़ की आवाज़ भी हुई। ज़मीन पर औंधे मुह जब वह गिरा तो फिर उठ न सका।

ये देख कर नीलम को उसके बालों से पकड़े अजय सिंह हक्का बक्का रह गया। कदाचित उसे मुझसे ऐसे किसी चमत्कार की स्वप्न में भी उम्मीद नहीं थी। वो ऑखें फाड़े मुझे देखने लगा था। इधर उस आदमी के गिर कर शान्त पड़ते ही बाॅकी तीन थोड़ी देर के लिए ठिठके और फिर एक साथ मेरी तरफ झपटे। मैंने अपनी जगह से ऊॅची छलांग लगाई तथा हवा में ही कलाबाज़ी खाते हुए उन तीनों के बीच से बाहर उनके पीछे आ खड़ा हुआ। जबकि वो तीनों ही झोंक में आकर आपस में ही टकरा गए।

"रुक जा सुअर की औलाद।" तभी अजय सिंह चिल्लाया___"वरना मेरे एक ही इशारे पर मेरे साथ आए मेरे ये सब हथियारों से लैश आदमी तुझे पल भर में गोलियों से भून कर छलनी कर देंगे।"

"तू मुझे गोलियों से छलनी नहीं कर सकता कुत्ते।" मैने कहने के साथ ही अपनी टाॅग चला दी एक की पीठ पर। जिसकी पीठ पर लात का प्रहार पड़ा था वो अपने साथ दूसरे को साथ लिए ही ज़मीन पर गिर गया, जबकि तीसरा अभी पलटा ही था कि मैने पैर के घुटने का वार उसके पेट में किया तो वो बिलबिला उठा। साथ ही बोलता भी जा रहा था ज़ोर से____"तेरे लिए तो मैं एक तुरुप के इक्के की तरह हूॅ न। मुझे बंधक बना कर ही तो तू बाॅकी सबको मुम्बई से यहाॅ बुलाएगा। अगर मैं ही मर गया तो तू कैसे बुला सकेगा उन सबको?"

"ज्यादा बकवास न कर समझा।" अजय सिंह पहले तो सकपकाया, फिर चिल्लाया___"मैं कहता हूॅ ये उछलना कूदना बंद कर वरना मैं नीलम को यहीं पर नंगा कर दूॅगा।"
"नहींऽऽऽ।" अपने बाप की ये बात सुन कर नीलम तो बुरी तरह रोते हुए चीखी ही उसके साथ में सोनम भी चीख पड़ी थी। इधर अजय सिंह का वाक्य जैसे ही मेरे कानों से टकराया मैं एकदम से रुक गया। मैं जानता था कि अजय सिंह ये ज़रूर कर सकता था। उसे इस वक्त अपनी व अपनी बेटी की इज्ज़त की कोई परवाह नहीं थी।

"तुम मेरी इज्ज़त की परवाह मत करो राज।" सहसा नीलम रोते हुए चिल्लाई___"वैसे भी मुझे इस नीच आदमी की ऐसी बेहूदा बातें अपने लिए सुन कर जीने की इच्छा मर गई है। इस लिए तुम मेरी चिन्ता मत करो और इन सारे राक्षसों का वध कर दो।"

"ओहो क्या बात है।" अजय सिंह चमका___"देखो तो क्या इज्ज़त दी है मेरी बिटिया रानी ने मुझे। ख़ैर कोई बात नहीं, पर हाॅ मरना तो है ही तुझे और तुझे ही बस क्यों बल्कि तेरी बड़ी बहन को भी मरना होगा। मुझे ऐसी औलाद के जीने मरने से अब कोई फर्क़ नहीं पड़ेगा जो अपने ही माॅ बाप के मौत का सामान करती फिरे। बचपन से अब तक मैंने तुम दोनो को हर चीज़ दी है। जिस चीज़ पर तुम दोनो ने हाॅथ रखा उस चीज़ को मैने तुम दोनो के नाम कर दी। मगर बदले में दिया क्या तुम दोनो ने?? अरे देने की तो बात दूर बल्कि मेरे दुश्मन का साथ देकर मेरी मौत चाही तुम दोनो ने। अरे माॅ बाप जैसे भी हों माॅ बाप ही होते हैं। ख़ैर जाने दो, मुझे इस बात का दुख नहीं है कि इस लड़के ने मेरा इतना ज्यादा नुकसान करके मेरा जीना हराम किया है बल्कि इस बात का दुख है कि मेरी अपनी बेटियाॅ मुझे और अपनी माॅ तथा भाई को त्याग कर इसका साथ दिया। इस लिए इसकी सज़ा तो मिलेगी तुम दोनो को। मगर उससे पहले तुम दोनो के साथ मैं वो करूॅगा जो दुनियाॅ में किसी भी बाप ने न किया होगा।"

"तुझ जैसे इंसान से और किसी बात की उम्मीद भी क्या की जा सकती है।" नीलम ने सहसा ज़हरीले भाव से कहा___"जो अपनी ही औलाद को अपने नीचे सुलाना चाहता हो उसके जैसा नीच व पापी दूसरा कौन होगा? उस दिन सोचते सोचते मेरा बुरा हाल हो गया था कि आख़िर ऐसा क्या हो गया है जिसकी वजह से दीदी ने अपने ही माॅ बाप को त्याग दिया है, मगर उस रात जब मैने अपने कानों से सब कुछ सुना तो मेरे पैरों तले से ज़मीन खिसक गई। इतना बड़ा धोखा, इतना बड़ा कुकर्म किया तूने जिसके बारे में अगर किसी को पता चल जाए तो तुझ पर थूॅकना तक पसंद न करे।"

"हरामज़ादी कुतिया।" अजय सिंह बुरी तरह तमतमा गया, और फिर दो तीन थप्पड़ जल्दी जल्दी नीलम के गालों पर जड़ दिया उसने। ये देख कर सोनम उसे पकड़ने के लिए आगे बढ़ी तो सहसा वहीं पर आ गए फिरोज़ खान ने उसे गन प्वाइंट पर रख लिया। इधर नीलम के गालों पर थप्पड़ पड़ते ही मेरा खून भी खौल गया।

"लड़की पर क्या हाॅथ उठाता है नीच इंसान?" मैने दहाड़ते हुए कहा___"असली मर्द है तो इधर आ और मुझसे दो दो हाॅथ कर। कसम पैदा करने वाले की तेरे जिस्म की एक एक हड्डियों को न तोड़ा तो अपने बाप ठाकुर विजय सिंह की औलाद नहीं।"

"तेरी गर्मी का इलाज अब करना ही पड़ेगा।" अजय सिंह पलट कर गुर्राया, फिर उन्हीं हट्टे कट्टे आदमियों की तरफ देखते हुए कहा___"खड़े क्या हो तुम लोग? इस साले को इतना मारो कि इसकी सारी हेकड़ी निकल जाए।"

बस फिर क्या था? उन तीनों ने मुझे धोना शुरू कर दिया। मैं कुछ करने की हालत में नहीं था। अगर कुछ करता तो अजय सिंह फिर से नीलम के साथ कुछ उल्टा सीधा करने लगता। अभी मैं मार खा ही रहा था कि सहसा मेरे अलावा किसी और की भी चीख गूॅजी वहाॅ। मैने सिर उठा कर देखा तो चौंक गया। आदित्य एक आदमी को बुरी तरह मारे जा रहा था। आदित्य के अचानक ही इस तरह आ जाने से बाॅकी खड़े सब भौचक्के से रह गए।

"तुम यहाॅ क्यों आ गए आदी?" मैंने सहसा हतास भाव से कहा___"तुम्हें यहाॅ नहीं आना चाहिए था।"
"ज्यादा बकवास मत करो समझे।" आदित्य ने तीखे भाव से कहा___"मैं कायर नहीं हूॅ जो इतनी देर से चुपचाप तुम्हें इस तरह मार खाते देखता रहता। बहुत देर से रितू के कहने पर रुका हुआ था मगर अब और नहीं रुक सकता था मेरे यार। तेरा साथ भी न दिया तो साला धिक्कार है मुझ पर।"

मैं अब क्या कहता उसे। उधर आदित्य के आ जाने से अजय सिंह भी चौंका था। उसे नहीं पता था कि आदित्य कौन है, किन्तु इतना तो वो समझ ही गया था कि आदित्य कदाचित मेरा ही साथी है। अतः उसने सीघ्र ही ऊॅची आवाज़ में मुझसे कहा___"अपने साथी को बोल भतीजे कि ज्यादा उछल कूद न करे। अगर यहाॅ पर ये तेरी तरह मार खाने ही आया है तो चुपचाप अब ये भी मार खाए।"

"तुझे तो मैं कुत्ते की तरह मारूॅगा हरामज़ादे।" आदित्य चीखा___"इतनी देर से देख रहा हूॅ कि तू भाड़े के इन टट्टुओं की वजह से ही शेर बना हुआ है, जबकि खुद तुझमें कितनी मर्दानगी है वो तो तू भी जानता ही होगा साले। कितनी बार मेरे दोस्त ने तुझे लड़ने के लिए ललकारा मगर तू इससे लड़ने नहीं आया। मतलब साफ है कि तू इससे डरता है और खुद भी जानता है कि तू अपने भतीजे से टक्कर नहीं ले सकता। हाहाहाहा राज यार, तेरा ये ताऊ तो कायर और डरपोंक निकला।"

"ठाकुर साहब।" सहसा फिरोज़ खान बोल पड़ा___"आप कहें तो एक ही झटके में इस आदमी का काम तमाम कर दूॅ। इसकी हिम्मत कैसे हुई आपसे ऐसे बात करने की?"

"कोई बात नहीं खान।" अजय सिंह बोला___"इसे भी खुजली हो रखी है। इस लिए इसकी भी धुनाई शुरू करवा दो। कुछ देर में ही हमसे रहम की भीख माॅगने लगेगा।"
"ठीक है ठाकुर साहब।" फिरोज़ खान ने कहा और फिर अपने आदमियों को हुक्म दिया।

कुछ ही देर में हम दोनो की धुनाई शुरू हो गई। ये देख कर नीलम व सोनम दीदी बुरी तरह रोये जा रही थी और साथ ही अजय सिंह से हमें ना मारने के लिए कहे भी जा रही थी। मगर उनके कहने का अजय सिंह पर कोई असर न हुआ।

अभी ये सब हो ही रहा था कि एकाएक ही संपूर्ण वातावरण में पुलिस सायरन की आवाज़ें आने लगी। इन आवाज़ों को सुन कर अजय सिंह व फिरोज़ खान बुरी तरह चौंक पड़े। उन्हें समझ न आया कि यहाॅ पुलिस कैसे आ गई? देखते ही देखते मंदिर के चारो तरफ से ढेर सारे पुलिस वालों का हुजूम उमड़ पड़ा।

"तुम सबको पुलिस ने चारो तरफ से घेर लिया है।" सहसा तभी माइक पर किसी की आवाज़ गूॅजी___"इस लिए सब अपने अपने हथियार नीचे रख कर अपने आपको पुलिस के हवाले कर दो। वरना हमें तुम सब पर गोलियाॅ चलाने में भी कोई हिचकिचाहट नहीं होगी।"

"ठाकुर साहब।" सहसा बुरी तरह घबराया हुआ फिरोज खान कह उठा___"ये पुलिस वाले यहाॅ कैसे आ गए? अब हम सब पुलिस के द्वारा पकड़ लिए जाएॅगे। कुछ कीजिए ठाकुर साहब। आप तो जानते हैं कि पुलिस को मेरी और मेरे आदमियों को बड़ी शिद्दत से तलाश है। मैं और मेरे साथी पुलिस के हाॅथ नहीं लगना चाहते। खुदा के लिए कुछ कीजिए।"

"मुझे पता है कि।" अजय सिंह ने सोचने वाले भाव से कहा___"इन पुलिस वालों को यहाॅ किसने बुलाया है? हाॅ खान, ये सब रितू का किया धरा है। उसी कुतिया ने इन पुलिस वालों को बुलाया है। इतनी देर से देख रहा हूॅ वो हरामज़ादी कहीं दिखाई नहीं दे रही है। ज़रूर पुलिस वालों के साथ ही होगी।"

"किसी का भी किया धरा हो ठाकुर साहब।" फिरोज़ खान ने कहा___"मामला तो बिगड़ ही गया है अब। मगर समझदार आदमी वही है जो ऐसे समय पर भी खुद को बचा ले और अपने दुश्मन को मात दे दे।"

"सही कहा तुमने खान।" अजय सिंह ने कहा____"मुझे ऐसा ही कुछ करना होगा। अरे हाॅ एक काम करता हूॅ। इन दोनो को यहाॅ से अपने साथ ले चलते हैं। वो साला इन्हीं दोनो को लेने आया था न। अब जब इन्हें नहीं ले जा पाएगा तो यकीनन ये उसकी ज़बरदस्त हार होगी। अब वो इन दोनो के लिए मेरे पास सिर के बल आएगा।"

"बिलकुल सही कहा आपने।" फिरोज़ खान ने कहा__"किन्तु अब हमें देर नहीं करनी चाहिए। यहाॅ से इन दोनो को लेकर बड़ी होशियारी से खिसक लेना चाहिए।"
"ठीक है।" अजय सिंह ने कहा___"चलो इन दोनो को एक एक करके उठा कर ले चलते हैं। इससे पहले कि पुलिस हम तक पहुॅचे हम पीछे के इस वाले हिस्से से निकल लेते हैं। मुख्य रास्ते की तरफ जाना यकीनन खतरे से खाली नहीं होगा। मेरी कार इसी वाले हिस्से की तरफ है। अच्छा हुआ कि कार ज्यादा पीछे की तरफ उस मुख्य रास्ते की तरफ नहीं खड़ी की थी मैने।"

अजय सिंह की बातें सुन कर नीलम व सोनम दीदी बुरी तरह घबरा गई और उनके चंगुल से छूटने के लिए छटपटाने लगी थी। मगर कदाचित अजय सिंह को उनसे इसी बात की उम्मीद थी। यही वजह थी कि उसने मजबूती से उन्हें पकड़ा हुआ था। किन्तु अब उसकी बात से फिरोज़ ने भी सोनम दीदी को पकड़ लिया। यानी एक एक को ले कर मंदिर के बगल से सीढ़ियाॅ उतरने लगे वो दोनो।

नीलम व सोनम जब खुद को उनके चंगुल से न छुड़ा पाई तो पूरी शक्ति से चिल्लाने लगीं। इधर पुलिस के आ जाने से मैं और आदित्य पहले तो हैरान हुए उसके बाद तुरंत ही बात समझ में आ गई कि ये सब रितू दीदी का लास्ट बैकअप प्लान था जिसके बारे में उन्होंने सस्पेंस बनाया हुआ था उस समय। ख़ैर पुलिस वालों ने सबको घेर लिया। इधर नीलम व सोनम दीदी के चिल्लाने से मेरा और आदित्य का ध्यान उस तरफ गया तो देखा अजय सिंह व फिरोज़ खान ज़बरदस्ती उन दोनो को अपने साथ लिए सीढ़ियाॅ उतरते चले जा रहे थे।

मैंने आदित्य की तरफ देखा और फिर हम दोनो ही उनकी तरफ तेज़ी से दौड़ पड़े। अभी हम सीढ़ियों के पास भी न पहुॅचे थे कि सहसा वातावरण में गोली चलने की आवाज़ आई और साथ ही चीख़ की भी। हम दोनो ये देख कर चौंके कि सोनम दीदी को साथ लिए उतर रहा फिरोज़ खान का अचानक ही बैलेंस बिगड़ा और उसके हाॅथ से सोनम का हाॅथ छूट गया, साथ ही वह सीढ़ियों पर लुढ़कता हुआ नीचे चला गया। उसके हाॅथ से उसका रिवाल्वर छूट कर जाने कहाॅ गिर कर गुम सा हो गया था। उसके बाएॅ पैर की टाॅग से खून बहता हुआ नज़र आया।

गोली की आवाज़ और फिरोज़ खान को यूॅ लुढ़कते देख अजय सिंह बुरी तरह उछल पड़ा। भौचक्का सा पहले तो उसने फिरोज़ खान को लुढ़कते हुए देखता रहा उसके बाद जैसे उसे होश आया तो फौरन ही इधर उधर नज़र घुमाई उसने। किन्तु तब तक देर हो चुकी थी। उसी वक्त सीढ़ियों के बगल से ही रितू दीदी मानो प्रगट सी हुई और तेज़ी से अपने बाप के पैर को पकड़ कर झटक दिया। जिसका नतीजा ये हुआ कि बुरी तरह घबरा कर चीखते हुए अजय सिंह भरभरा कर सीढ़ियों पर पिछवाड़े के बल गिर पड़ा। किन्तु उसके साथ ही नीलम भी गिर पड़ी थी। क्योंकि अजय सिंह ने उसका हाॅथ उस वक्त तक छोंड़ा ही नहीं था। छोंड़ा भी तो तब जब उसके साथ ही साथ नीलम भी अनबैलेंस होकर गिर पड़ी थी। नीलम के मुख से दर्द में डूबी कराह निकल गई।

ये सब हो ही रहा था कि हम दोनो भी उनके पास पहुॅच गए। आदित्य ने तो आते ही फिरोज़ खान को धर लिया। जबकि मैने सीढ़ियों पर गिरने के बाद उठ रहे अजय सिंह को उसके कालर से पकड़ कर उठाया और बिना कुछ बोले पैर के घुटने का वार उसके पेट पर जड़ दिया। अजय सिंह दर्द से चीख पड़ा।

"रुक जाओ राज।" सहसा मेरे क़रीब पहुॅचते ही रितू दीदी ने कहा____"ये इंसान यकीनन सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा ही शिकार है मगर, उससे पहले मुझे इस नीच व पापी इंसान से दो चार बातें तो कर लेने दो।"

दीदी की बात सुन कर मैने अजय सिंह को छोंड़ दिया। अजय सिंह इस वक्त अजीब सी हालत में था। ऐसी हालत में कि उसका वर्णन करना भी कठिन था। इधर मेरे एक तरफ हटते ही रितू दीदी अपने बाप के सामने आ कर खड़ी हो गई।

"सुना है कि माॅ बाप से बढ़ कर।" फिर रितू दीदी ने बड़े ही गंभीर भाव से कहा___"संपूर्ण सृष्टि में कोई नहीं होता। यहाॅ तक कि भगवान भी नहीं। इसी लिए माॅ बाप को श्रेस्ठ व महान कहा जाता है। मगर माॅ बाप भी ऐसे ही महान नहीं बन जाते हैं बल्कि अच्छे कर्मों से महान बनते हैं। तुम नीलम से कह रहे थे कि तुमने हमें सब कुछ दिया है बदले में हमने क्या दिया? इसका जवाब ये है कि हर माॅ बाप अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ करते हैं, यहाॅ तक कि ज़रूरत पड़ने पर अपना बलिदान भी दे देते हैं। मगर बच्चे सच में उनके लिए कुछ नहीं कर पाते ऐसा। मगर हम ऐसे नहीं थे, हमने बचपन से लेकर अब तक आप दोनो को दुनिया का सबसे अच्छा माता पिता माना मगर जब सच का पता चला तो रूह काॅप गई हमारी। दुनियाॅ में ऐसे कौन माता पिता हैं जो अपनी ही बेटियों को अपने नीचे सुलाने के बारे में सोचते हैं? मुझे अपनी सिर्फ एक अच्छाई के बारे में बता दो अजय सिंह जो कि तुमने अपने आज तक के जीवन में की हो। अगर तुमने अपनी एक भी अच्छाई के बारे में बता दिया तो इसी वक्त तुम्हारी ये बेटी अपने माॅ बाप के पास वापस लौट आएगी।"
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