non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:14 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
अपडेट........《 57 》

अब तक,,,,,,,,

"अपने भगवान को याद कर ले बच्चे।" फिर उसने मेरी तरफ खतरनाक भाव से बढ़ते हुए कहा___"उनसे दुवा कर कि तेरे जिस्म की हड्डियाॅ सलामत रहें।"
"ये डाॅयालग मैं भी बोल सकता हूॅ तुम्हारे लिए।" मैने मुस्कुरा कर कहा___"पर ये सोच कर नहीं बोला कि फालतू की डींगें मारना मेरी फितरत नहीं है।"

मेरी ये बात सुन कर वो जैसे बुरी तरह तिलमिला गया था। मुझे पता था कि उसके सामने मैं कुछ भी नहीं हूॅ। अगर मैं एक बार भी उसके फौलादी शिकंजे में फॅस गया तो फिर शायद भगवान ही मालिक होगा मेरा। मगर मुझे खुद पर और अपने गुरू की सिखाई हुई कला पर पूर्ण विश्वास था।

वो पूरे वेग से मेरी तरफ बढ़ा और अपने दाहिने हाॅथ को भी उसी वेग से मुझ पर चलाया था। मैं फुर्ती से नीचे झुका मगर झुकते ही मेरे हलक से चीख निकल गई। कारण उसने हाॅथ चलाने के बाद ही अपने दाहिने पैर को उठाकर उसका घुटना भी चला दिया था जो सीधा मेरे झुके हुए चेहरे से टकराया था। मैं उछलते हुए सीधा हुआ ही था कि उसने बिजली की सी फुर्ती से घूम कर मेरे सीने पर फ्लाइंग किक जमा दी। नतीजा ये हुआ कि मेरे हलक से ज़ोर की हिचकी निकली और मैं पीछे की तरफ हवा में लहराते हुए ही नीचे कच्ची ज़मीन पर चारो खाने चित्त जा गिरा। गिरते ही मेरी ऑखों के सामने अनगिनत तारे नाॅच गए। कुछ पल के लिए तो ऑखों के सामने अॅधेरा भी छा गया। प्रहार इतना ज़बरदस्त था कि मुझसे तुरंत उठा न गया। सीने में बड़ी असहनीय पीड़ा महसूस हुई मुझे। मेरे कानो में नीलम व सोनम की चीखें भी टकराई। कदाचित मुझे इस तरह गिरते देख वो बेहर डर गई थी और मुझे कुछ हो जाने की आशंका से वो बुरी तरह चीखी थीं।

सहसा मेरी नज़र मेरे नज़दीक ही पहुॅच चुके उस आदमी पर पड़ी। मेरे क़रीब पहुॅचते ही उसने अपने पैर को उठाया और ज़मीन पर चित्त गिरे मेरे पेट की तरफ तीब्र वेग से चलाया। मैं बिजली की सी फुर्ती से कई पलटा खाते हुए दूसरी तरफ हो गया तथा साथ ही उछल कर खड़ा भी हो गया। ये अलग बात है इस तरह उछल कर खड़े होने से अचानक ही मुझे अपने सीने पर पीड़ा का एहसास हुआ। मैं समझ चुका था कि अगर ये आदमी इसी तरह मुझ पर और दो चार प्रहार करने में सफल हो गया तो यकीनन मेरा काम तमाम हो जाना है। अतः अब मैं उससे पूरी तरह सतर्कता से मुकाबला करने के लिए तैयार हो गया।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आगे,,,,,,,

मंत्री दिवाकर चौधरी इस वक्त गुनगुन में ही एक ऐसी जगह पर था जहाॅ पर उसके ही किसी खास जान पहचान वाले के माल का उद्घाटन समारोह था। माल का मालिक या यूॅ कहिए कि मंत्री के उस जान पहचान वाले खास आदमी का नाम शैलेन्द्र बंसल था। जो मुख्य रूप से आगरा का रहने वाला था। बहुत पहले ही उसकी मुलाक़ात मंत्री से हुई थी। कहते हैं कि जो जैसा होता है उसे वैसा मिल ही जाता है फिर चाहे वो दुनियाॅ के किसी भी कोने में चला जाए।

शैलेन्द्र बंसल और मंत्री के बीच क्या मंत्रणा हुई थी इस बारे में तो ख़ैर वो दोनो ही बता सकते थे किन्तु मंत्री के कैरेक्टर के हिसाब से सोचने पर पता चलता था कि शैलेन्द्र बंसल भी मंत्री के ही जैसे कैरेक्टर का आदमी था। इसका खुलासा तब हुआ जब मंत्री ने शैलेन्द्र को अपने यहाॅ कारोबार के रूप में एक बड़ा सा माॅल स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था। मंत्री के ही सहयोग से तथा उसके ही निर्देशन पर गुनगुन में अच्छी खासी ज़मीन पर ग़ैर कानूनी रूप से कब्जा कर उस स्थान पर बहुत ही कम समय में एक बड़ा सा माॅल बन कर तैयार हो गया था जिसका उद्घाटन आज खुद मंत्री के द्वारा हुआ था।

मंत्री के निर्देशन में बना ये माॅल सबकी नज़र में माॅल ही था जहाॅ पर हर तरह का उपयोगी सामान लोगों को ख़रीदने पर मिल जाता मगर कोई नहीं जानता था इसी माॅल के बेसमेन्ट में दरअसल मंत्री व शैलेन्द्र बंसल ग़ैर कानूनी धंधे को अंजाम देने की बुनियाद भी रख चुके थे।

माॅल का उद्घाटन तथा वहाॅ पर कुछ ज़रूरी मीटिंग करने के बाद मंत्री माॅल से बाहर आकर अपने सुरक्षा कर्मियों से घिरा अपनी कार के पास पहुॅचा ही था कि सहसा उसकी कोट की जेब में मौजूद मोबाइल बज उठा। एक हाॅथ से मोबाइल को निकालने के साथ ही मंत्री अपनी कार की पिछली सीट पर बैठ गया। उसके बाद उसने बज रहे मोबाइल की स्क्रीन की तरफ देखा। उसके बैठते ही उसके साथ आगे पीछे उसके सुरक्षा गार्ड भी बैठ गए। इसके बाद कार आगे बढ़ चली।

"हाॅ कहो राणे।" मोबाइल की स्क्रीन पर डिटेक्टिव राणे का नाम देख कर मंत्री ने फौरन ही काल को रिसीव कर मोबाइल को कान से लगाने के साथ ही कहा___"क्या बात है? कहीं ऐसा तो नहीं कि तुमने उस सारे काम को कर लिया है जिस काम को करने के लिए हमने तुम्हें लगाया था? अगर ऐसा है तो भाई मान गए तुम्हें। इतने कम समय में तो दुनियाॅ का कोई भी जासूस काम को अंजाम नहीं दे सकता। अभी कल ही तो लगे थे तुम काम में।"

"आप ग़लत समझ रहे हैं चौधरी साहब।" उधर से राणे का स्वर उभरा___"जिस काम के लिए आपने मुझे लगाया है वो काम भला इतना जल्दी कैसे हो जाएगा?"
"ओह ऐसा क्या।" मंत्री ने बुरा सा मुह बनाया___"हम तो मियाॅ खांमखां ही तुम्हें जेम्स बाण्ड का बाप नहीं बल्कि दादा समझ बैठे थे। ख़ैर, ये बताओ कि अगर काम नहीं हुआ है तो तुमने हमें फोन किस बात के लिए किया है?"

"दरअसल मैने।" उधर से राणे ने कहा___"बहुत ही ज़रूरी बात बताने के लिए आपको फोन किया है।"
"अरे तो मियाॅ।" मंत्री तपाक से बोला___"बात क्यों बढ़ा रहे हो? ज़रूरी बात तो तुमें अतिसीघ्र बताना चाहिए न। ख़ैर जल्दी बताओ कौन सी ज़रूरी बात है?"

"कल आपके यहाॅ से जाने के बाद।" उधर से राणे कह रहा था___"मैने अजय सिंह का पता किया और उसके पीछे लग गया। मैं देखना चाहता था कि उसने जो कुछ आपसे कहा था उसमें कितनी सच्चाई थी तथा वो आपके प्रति कितना वफ़ादार है?"

"ओह।" मंत्री के कान खड़े हो गए___"तो क्या देखा और क्या जाना तुमने?"
"कल तो उसने कुछ खास नहीं किया था।" हरीश राणे ने कहा___"किन्तु आज सुबह नौ या दस बजे के क़रीब वह अपनी कार में किसी आदमी को लिए गुनगुन के रेलवे स्टेशन आया था। स्टेशन से बाहर वो अकेला निकला था। मतलब कि उसके साथ जो दूसरा आदमी था उसे वो शायद रेलवे स्टेशन छोंड़ने आया था। स्टेशन के बाहर जब वह आया तो उसी समय उसके मोबाइल पर किसी का काल आया तथा उसने किसी से कुछ देर तक बातें की। बात करने के बाद ही एकदम से उसके हाव भाव बदले से नज़र आए जिसके तहत वो अपनी कार में बैठ कर फौरन स्टेशन से बंदूख से छूटी गोली की तरह हवा हो गया। मैं उसके पीछे ही था कि अचानक कुछ देर बाद उसके पास तीन अलग अलग जीपों में ढेर सारे आदमी हथियारों से लैश आए। उनमें से एक आदमी अजय सिंह की कार में बैठ गया। उसके बाद अजय सिंह की कार के चलते ही बाॅकी तीनों जीपों में सवार आदमी भी अजय सिंह के पीछे पीछे चल पड़े।"

"अब बस भी करो मियाॅ।" सहसा मंत्री राणे की बात बीच में ही काटते हुए किन्तु परेशान भाव से कह उठा___"तुम तो इस तरह शुरू हो गए जैसे कोई टेप रिकार्डर शुरू हो जाता है। मुख्य बात बताओ कि मामला क्या हुआ है बस।"

"मुख्य बात ये है कि।" उधर से राणे ने कहा___"इस वक्त जहाॅ पर मैं हूॅ वहाॅ पर एक से बढ़ कर एक धुरंधर लोगों की पूरी फौज आई हुई है। इतना ही नहीं यहाॅ पर एक मंदिर है जिसके सामने कई सारे हट्टे कट्टे लोग खड़े हैं। एक हट्टा कट्टा आदमी एक मामूली से लड़के से ज़बरदस्त लड़ाई कर रहा है। अजय सिंह तथा उसके साथ आए सब लोग लड़ाई देख रहे हैं। मैने तो अजय सिंह को ये भी कहते सुना है कि इस हराम के पिल्ले को इतना मारो कि हगने मूतने के भी काबिल न बचे। मंदिर के पास ही दो लड़कियाॅ दो आदमियों से घिरी खड़ी हैं तथा बुरी तरह रोये जा रही हैं। उनके मुख से बार बार एक ही बात निकल रही है कि प्लीज उसे कुछ मत करो। इसका मतलब ये हुआ चौधरी साहब कि ये वही लड़का है जिसका नाम विराज है। अजय सिंह ने कदाचित उसे घेर लिया है और अब वह उसके आदमियों के रहमो करम पर है।"

"ओह तो ये बात है।" मंत्री के जिस्म में जाने क्या सोच कर झुरझुरी सी हुई, बोला___"चलो अच्छा ही हुआ कि वो साला ठाकुर की पकड़ में आ गया है। अब सब कुछ सही हो जाएगा राणे।"

"यकीनन।" उधर से राणे ने कहा___"आपका दुश्मन अजय सिंह की पकड़ में आ चुका है। अब आप अगर चाहें तो इस मौके का फायदा उठा सकते हैं। यानी आप भी यहाॅ आ जाइये और बहती गंगा में डुबकी लगा कर अपना काम भी कर लीजिए।"

"अब हमें वहाॅ आने की ज़रूरत नहीं है राणे।" मंत्री ने कहा___"वो लड़का तो अब अजय सिंह की पकड़ में आ ही गया है। अतः अजय सिंह अपने वादे के अनुसार उसे हमारे हवाले भी कर देगा। उसके बाद तो उसे हमारी हर चीज़ लौटानी ही पड़ेगी। फिर हम उसका क्या हस्र करेंगे इसके बारे में उसने सोचा भी न होगा।"

"तो फिर मेरे लिए क्या आदेश है चौधरी साहब?" उधर से हरीश राणे ने कहा___"मुझे नहीं लगता कि अब इसके बाद भी मेरा कोई काम है यहाॅ। यानी आपका दुश्मन ठाकुर अजय सिंह से देर सवेर आपको मिल ही जाएगा और फिर आप उससे जैसे चाहेंगे वैसे अपने वो वीडियोज तथा अपने बच्चे वापस ले सकेंगे।"

"ठीक कह रहे हो तुम राणे।" मंत्री ने कहा___"अगर यही आलम है वहाॅ का तो फिर अब रह ही क्या गया है तुम्हारे कुछ करने के लिए? इस लिए अगर तुम चाहो तो वापस आ सकते हो या फिर ऐसा करो कि अभी फिलहाल तुम वहीं पर रहो और देखते रहो कि नतीजा क्या निकलता है? जैसा कि इस सबके बारे में ठाकुर ने हमें सूचना तक नहीं दी है इस लिए संभव है कि उसके मन में हमारे प्रति कोई खोट हो। इस लिए तुम ठाकुर की कार्यवाही के बारे में अंत तक देखते रहो। अगर ठाकुर इसके बाद भी हमें उस सबके बारे में नहीं बताता है तो हम उसे भी देख लेंगे। तुम ये ज़रूर देखना कि ठाकुर उस लड़के को तथा अपनी बेटी को कहाॅ कैद करके रखता है?"

"ठीक है चौधरी साहब।" उधर से हरीश राणे के ऐसा कहने के साथ ही मंत्री ने काल कट कर दी। हरीश राणे से बात करने के बाद मंत्री इस सबके बारे में सोचने लगा। उसे उम्मीद तो थी कि ठाकुर उससे गद्दारी नहीं करेगा किन्तु उसे इस बात का भी एहसास था कि ठाकुर साला जब अपनों का ही नहीं हुआ तो भला उसका क्या होगा?

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रितू और आदित्य इस वक्त दो अलग अलग पेड़ों पर चढ़े हुए थे। जहाॅ से उन दोनों को मंदिर के सामने का नज़ारा स्पष्ट दिख रहा था। विराज के साथ क्या क्या हुआ था ये उन दोनो ने अपनी ऑखों से देखा था। दोनो ही विराज के लिए बेहद चिंतित व परेशान थे। उन दोनो को उम्मीद नहीं थी कि अचानक ही ऐसा कुछ हो सकता है।

विराज को इस तरह मार खाते देख आदित्य तुरंत पेड़ की शाखा से नीचे कूदने ही वाला था कि रितू ने उसे रुकने का इशारा किया था। उसे उसने समझाया था कि उसके जाने से भी इस वक्त कुछ नहीं हो सकता था। उल्टा वो खुद भी विराज की तरह पकड़ में आ सकता है। आदित्य को रितू से ये उम्मीद नहीं थी किन्तु फिर उसे भी लगा कि रितू सही कह रही है। इस वक्त वहाॅ पर जाना खतरे से खाली नहीं था। संभव था विराज उसकी वजह से कमज़ोर ही पड़ जाता।

दोनो के पास अब कोई दूसरा चारा नहीं था। हलाॅकि रितू के मन में कुछ और ही चल रहा था। उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि वो इस सिचुएशन पर ज्यादा गंभीर नहीं हुई है। कदाचित उसे बस समय का इंतज़ार था।

आदित्य की नज़र सहसा शेखर के मौसा यानी केशव की तरफ पड़ी। केशव जी के साथ तीन जीपों में आदमी थे जिनके हाॅथों में बंदूख, लट्ठ तथा हाॅकी जैसे हथियार नज़र आ रहे थे। जिन पेड़ों पर ये दोनो चढ़े हुए थे उन्हीं पेड़ों के बीच से होते हुए केशव और उसके आदमियों की जीपें गुज़री थीं। ये देख कर आदित्य ने रितू की तरफ देखा। रितू ने भी आदित्य की तरफ देखा मगर उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया। पता नहीं क्या चल रहा था उसके मन में??
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इधर मेरी तरफ।
मैं समझ गया था कि मेरा प्रतिद्वंदी ताकत के मामले में मुझसे कहीं ज्यादा है। अतः अब ताकत के साथ साथ दिमाग़ से भी काम लेना ज़रूरी था। उधर वो आदमी मेरी तरफ इस तरह देख देख कर मुस्कुरा रहा था जैसे वो मुझे सचमुच में चींटी ही समझ रहा हो और जब चाहे मुझे मसल कर रख दे किन्तु अभी वो मुझे जैसे खिला रहा था।

"क्यों बच्चे दर्द तो नहीं हो रहा न?" उस आदमी ने ब्यंगात्मक लहजे में मुस्कुरा कर कहा___"वैसे अभी तो मैने तुम पर ताकत से कोई वार ही नहीं किया है। वरना तुम इस तरह सही सलामत खड़े न रहते बल्कि अपने हाॅथ पैर की हड्डियाॅ तुड़वाए ज़मीन पर पड़े रहते।"

"मैं भी अभी तक सिर्फ देख ही रहा था कि।" मैने कहा___"भाड़े के कुत्तों में कितना दम होता है?"
"अच्छा।" वह तिलमिलाया तो ज़रूर मगर फिर भी मुस्कुरा कर ही बोला___"तो क्या देखा और क्या समझ आया तुझे?"

"यही कि।" मैने मुस्कुरा कर कहा___"कुत्ते तो कुत्ते ही होते हैं वो कभी शेर का शिकार नहीं कर सकते।"
"यू बास्टर्ड।" वो बुरी तरह क्रोध में आते हुए मेरी तरफ बढ़ा और गुस्से में आग बबूला होते हुए मुझ पर हमला कर दिया।

मैं तो अब पूरी तरह से सतर्क हो चुका था और उसके किसी भी हमले के लिए पूरी तरह से तैयार था। जैसे ही उसने मेरी नाॅक में अपने दाहिने हाॅथ का पंच मारा मैं फुर्ती से एक तरफ हुआ और बिजली की सी स्पीड से पलट कर उसकी तरफ पीठ करते हुए उसके उस हाॅथ को दोनो हाॅथों से पकड़ कर अपने दाहिने कंधे पर रखा और फिर पूरी ताकत से नीचे की तरफ ज़ोर का झटका दिया। परिणामस्वरूप कड़कड़ की आवाज़ के साथ ही उसका हाॅथ बीच से टूट गया। हाॅथ के टूटते ही वह हलाल होते बकरे की तरह चिल्लाया। जबकि मैंने इतने पर ही बस नहीं किया बल्कि फुर्ती से घूम कर उसके पीछे आया और इससे पहले कि वो कुछ समझ पाता मैने फुर्ती से उसके सिर को दोनो हाथों से पकड़ा और ज़ोर से बाॅई तरफ को झटक दिया। नतीजा ये हुआ कि एक बार पुनः फिज़ा में कड़कड़ की आवाज़ हुई और उसकी गर्दन एक तरफ को झूल गई, साथ ही वह लहराते हुए ज़मीन पर गिरा और शान्त पड़ गया। उसे देख कर अब कोई भी कह सकता था कि वो मर चुका है।

आस पास खड़े उसके सभी हट्टे कट्टे आदमी ये नज़ारा देख कर आश्चर्यचकित रह गए। किसी को भी इस सब पर यकीन न आया कि ये दो पल में अचानक क्या हो गया है? अपनी अपनी जगह पर खड़े सबके सब बुत से बन गए थे। ऊपर मंदिर के दरवाजे के जस्ट सामने ही दोनो तरफ से एक एक आदमी से घिरी नीलम व सोनम दीदी भी ये सब देख कर हक्का बक्का रह गई थी।

"ओये मारो रे इस हरामज़ादे को।" सहसा फिज़ा में छा चुके सन्नाटे को एक आदमी ने ज़ोर से चिल्लाते हुए भंग किया, बोला___"इसने अब्दुल को जान से मार दिया। इस साले की हड्डी पसली तोड़ डालो सब।"

उस आदमी की इस बात से सब जैसे होशो हवाश में आए और फिर चारो तरफ से मेरी तरफ दौड़ पड़े। मैं जानता था कि सबके सब साले साॅड हैं। इस वक्त गुस्से में ये सब सचमुच मेरी हड्डियाॅ तोड़ सकते थे। अभी वो सब मेरे नज़दीक पहुॅचे भी नहीं थे कि तभी बहुत सारे आदमी हाॅथों में बंदूख, लट्ठ व हाॅकी जैसे हथियार लिए चारो तरफ से उन सब आदमियों पर टूट पड़े। मैं समझ गया कि ये सब केशव जी के आदमी हैं। ये देख कर मैने राहत की साॅस ली।

केशव जी के वो आदमी बिना कुछ सोचे समझे तथा बिना कुछ बोले एकदम से टूट पड़े थे उन हट्टे कट्टे आदमियों पर। नतीजा ये हुआ कि वो सब जिन जिन के निशाने पर आए वो सब देखते ही देखते लहू लुहान नज़र आने लगे। मंदिर के बाहर इतने सारे आदमी और उनके शोर से वातावरण गूॅज उठा। अभी ये सब हंगामा मचा ही हुआ था कि तभी अलग अलग दिशाओं से एक बार पुनः वैसे ही हट्टे कट्टे आदमी निकल कर आए और केशव जी के उन आदमियों पर पिल पड़े। हलाॅकि उन सबके हाॅथ खाली थे किन्तु जल्द ही उनके हाॅथों में भी हथियार नज़र आने लगे। उन लोगों ने केशव जी के आदमियों से उनके ही हथियार छीन कर उन पर प्रहार करना शुरू कर दिया था।

केशव जी के जिन आदमियों के पास बंदूखें थी वो गोलियाॅ बरसाए जा रहे थे। जिसका नतीजा ये हो रहा था कि जिन पर भी गोली लगती वो सीधा यमलोक ही पहुॅच रहा था। इधर मैं आस पास देख रहा था कि आदित्य व रितू दीदी कहाॅ हैं? मैं हैरान था कि वो दोनो अभी तक आए क्यों नहीं? मैं खुद भी इस मुठभेड़ में किसी न किसी से लड़े जा रहा था।

"सबके सब अपनी अपनी जगह रुक जाओ।" सहसा इस आवाज़ की गर्जना को सुन कर मैं चौंक गया। पलट कर देखा तो ऊपर जहाॅ पर नीलम व सोनम दीदी खड़ी थी उनके पास ही बड़े पापा यानी अजय सिंह खड़े थे। उनके हाॅथ में रिवाल्वर थी जिसे वो सोनम की कनपटी पर लगाए खड़े थे। उन आदमियों का पता ही नहीं था जो इसके पहले नीलम व सोनम दीदी को कवर किये खड़े थे। शायद सबके आते ही वो भी लड़ाई में शामिल हो गए थे।

अजय सिंह की ज़ोरदार आवाज़ को सुन कर सबके सब जहाॅ के तहाॅ रुक गए। उन सब के रुकते ही अजय सिंह के साथ आए फिरोज़ खान के सभी आदमियों ने केशव तथा उनके आदमियों को गन प्वाइंट पर ले लिया। सब कुछ एकदम से बदल गया। अभी कुछ ही देर पहले तो हालात हमारे हक़ नज़र आए थे किन्तु अब बाज़ी फिर से पलट गई थी।

"तुम लोगों ने बहुत तमाशा कर लिया है।" शान्त पड़ गए माहौल में अजय सिंह की आवाज़ गूॅजी___"अब ज़रा मेरी बात कान खोल कर सुनो सबके सब। अगर मेरे आदमियों के अलावा कोई दूसरा आदमी अपनी जगह से हिला तो समझ लो वो अपनी मौत का जिम्मेदार खुद होगा।"
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