non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:08 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
आशा को ये सब देख कर ज़बरदस्त झटका लगा। इतना कुछ देख कर कोई भी समझ सकता था कि माज़रा क्या है? आशा ये जान कर हैरान रह गई कि निधी अपने ही बड़े भाई से प्यार करती है। आशा ने झटके से बेड पर सो रही निधी के चेहरे की तरफ देखा। निधी के चेहरे पर इस वक्त सारे संसार की मासूमियत विद्यमान थी। उस चेहरे को देख कर उसे यकीन ही नहीं हुआ कि ये ऐसा कर सकती है। मगर उसके ही द्वारा लिखा गया ये हर लफ्ज़ क्या झूॅठा हो सकता था?

आशा के पूरे जिस्म में एक अजीब सी झुरझुरी तेज़ रफ्तार से दौड़ गई। अंदर ही अंदर जैसे एकाएक ही कोई तेज़ जज़्बातों का भयंकर तूफान उठा जिसने उसके समूचे अस्तित्व को हिला कर रख दिया। उसी जज़्बातों के तूफान का असर था कि उसकी ऑखों में एकाएक ही ऑसू भर आए थे। फिर जैसे उसने खुद के जज़्बातों को सम्हाला और डायरी के उस पेज को पलटा। दूसरे पेज पर कोई ग़ज़ल लिखी हुई थी जिसे आशा ने पढ़ना शुरू किया।

अजब हाल है दिल का बताना भी नहीं मुमकिन।
लब ख़ामोश हैं ऑखों से जताना भी नहीं मुमकिन।।

सबके सामने मुस्कुराने का हुनर भी सीख लेंगे,
मगर तन्हाई में वो हुनर आजमाना भी नहीं मुमकिन।।

तौबा तो की है हमने के तुमसे रूबरू न होंगे मगर,
एक पल फाॅसलों में रह पाना भी नहीं मुमकिन।।

बहुत दिल को समझाया मगर ये एहसास हुआ,
किसी तरह दिल को बहलाना भी नहीं मुमकिन।।

ज़हर दे दो हमको और ये किस्सा तमाम कर दो,
यूॅ तड़प तड़प कर जी पाना भी नहीं मुमकिन।।

माफ़ करना के हमने बेरुख़ी अख़्तियार कर ली,
क्या करें के कोई और बहाना भी नहीं मुमकिन।।

पूरी ग़ज़ल पढ़ने के बाद आशा का दिलो दिमाग़ सुन्न सा पड़ता चला गया। अभी वो ये सब सोच ही रही थी कि सहसा वो बुरी तरह चौंकी। बेड पर पड़ी निधी के जिस्म में हलचल सी हुई प्रतीत हुई उसे। ये देख कर आशा ने जल्दी से डायरी को आगे बढ़ कर निधी के बगल से ही ऐसी पोजीशन में रख दिया कि अगर निधी की नज़र उस पर पड़े भी तो उसे यही लगे कि वो डायरी उसके हाॅथों से सोते वक्त ही छूट कर एक तरफ गिर गई थी। डायरी रखने के बाद आशा जल्दी से टेबल पर से चाय का कब प्लेट सहित उठाया और फिर अपने चेहरे पर खुशी तथा प्यार के भाव लाते हुए निधी के चेहरे के क़रीब झुकते हुए कहा____"गुड मार्निंग गुड़िया। चलो चलो सुबह हो गई है। देखो तो गरमा गरम चाय तुम्हारे पेट में जाने के लिए कैसे उतावली हो रही है।"

आशा के इस प्रकार कहने पर निधी ने कुछ ही पलों में अपनी ऑखें खोल दी और फिर आशा की तरफ देख कर वो बस ज़रा सा ही मुस्कुराई। आशा के हाॅथ में चाय का कप देख कर वो बेड से उठी और बेड की पिछली पुश्त की तरफ खिसक कर उसने अपनी पीठ उस पर टिकाई और फिर उसने आशा के हाथ से चाय का कप ले लिया। जबकि चाय का कप पकड़ाते ही आशा सीधी खड़ी हो गई। वो देखना चाहती थी कि निधी की नज़र जब अपनी डायरी पर पड़ेगी तो उसका कैसा रिएक्शन होता है?

आशा को इसके लिए ज्यादा देर तक इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। निधी ने कप से चाय का पहला ही शिप लिया था कि उसकी नज़र बाएॅ साइड उल्टी पड़ी अपनी डायरी पर पड़ी और फिर उसके चेहरे पर एकदम से डर और घबराहट के मिले जुले भाव उभर आए। उसके पीछे खिसकने से डायरी उलट कर थोड़ी और दूर हो गई थी तथा उलट सी गई थी। निधी ने फौरन ही अपना एक हाॅथ बढ़ा कर डायरी को अपने कब्जे में ले लिया और वहीं अपने हिप्स के पास ही लगभग छुपा सा लिया उसे। उसकी इस नादानी पूर्ण हरकत से आशा के होठों पर फीकी सी मुस्कान उभर आई। उसके मन में पहले तो आया कि वह उससे उस डायरी तथा डायरी में लिखे मजमून के संबंध में कोई बात करे मगर उसने ये सोच कर अपने मन से इस ख़याल को झटक दिया कि उसके पूछने पर कहीं निधी बुरी तरह डर न जाए।

"अच्छा मैं जा रही हूॅ गुड़िया।" फिर आशा ने सामान्य भाव से कहा___"पवन को भी उठा दूॅ। उसे भी ड्यूटी जाना होगा न और हाॅ तू भी जल्दी से फ्रेश होकर नीचे आ जाना। ब्रेकफास्ट रेडी होने ही वाला है।"
"ठीक है दीदी।" निधी ने भी खुद को सामान्य दर्शाते हुए कहा___"आप जाइये मैं आती हूॅ थोड़ी देर में।"

निधी की बात सुन कर आशा कमरे से बाहर चली गई। जबकि उसके जाने के बाद निधी एकाएक ही गहन विचारों में कहीं खो सी गई। अभी वो विचारों में खोई ही थी कि तभी उसका मोबाइल फोन बज उठा। उसने सिरहाने पर ही एक तरफ रखे मोबाइल को उठाया और स्क्रीन पर फ्लैश कर रहे अनजान नंबर को देखा। उसके चेहरे पर सोचने वाले भाव उभरे। उसे समझ न आया कि उसके मोबाइल पर ये अनजान नंबर से आने वाली काल किसकी हो सकती है?

"हैलो।" फिर जाने क्या सोच कर उसने काल रिसीव किया और उसे कानों से लगाते ही कहा था।
"हैलो गुड़िया।" उधर से रितू की जानी पहचानी आवाज़ सुन कर निधी बुरी तरह चौंक पड़ी थी। उसे आशा, रुक्मणी, पवन और करुणा आदि के द्वारा पता चल गया था कि रितू विराज का पूरी तरह से साथ दे रही है। रितू के इस तरह अपने ही माॅ बाप के खिलाफ़ हो जाने से हर कोई हैरान था। मगर सब ये भी जानते थे कि रितू एक अच्छी लड़की है। वो ग़लत का साथ कभी नहीं दे सकती। उसके माॅ बाप ने अब तक उससे सच छुपाया हुआ था इसी लिए उसका बर्ताव इन लोगों के प्रति ऐसा था।

"गुड़िया तू सुन रही है न?" निधी के चुप रह जाने पर उधर से रितू की पुनः आवाज़ उभरी___"देख, तुझे पूरा हक़ है मुझसे नाराज़ होने का और तुझे नाराज़ होना भी चाहिए। मैं चाहती हूॅ कि तेरा जो मन करे तू मुझे वो सज़ा दे मेरी गुड़िया। तेरी हर सज़ा मैं हॅसते हॅसते कुबूल कर लूॅगी। बस एक बार अपने मुख से मुझे दीदी कह दे। कसम से उसके बाद अगर मुझे मौत भी आ जाएगी तो उसका मुझे कोई दुख नहीं होगा।"

"न..नहींऽऽऽ।" रितू की बातों से निधी की ऑखों से पलक झपकते ही ऑसू बह चले, बुरी तरह तड़प कर बोली___"ये आप कैसी बातें कर रही हैं दीदी? मुझे आपसे कोई शिकायत कोई नाराज़गी नहीं है। मुझे पता है कि इस सबमें आपका कभी कोई दोष था ही नहीं। इस लिए प्लीज आप ये सब मत कहिए। मुझे तो बहुत खुशी हो रही है कि मेरी सबसे अच्छी वाली दीदी ने मुझे फोन किया।"

"हाॅ पर मुझे खुशी नहीं हुई।" उधर से रितू ने अजीब भाव से कहा___"और वो इस लिए कि मेरी सबसे प्यारी गुड़िया ने अपनी इस गंदी दीदी को कोई सज़ा नहीं सुनाई।"
"प्लीज दीदी।" निधी ने आहत भाव से कहा___"ऐसा मत कहिए न खुद को और अगर आपने दुबारा फिर से अपने लिए ऐसा कहा तो मैं आपसे बात नहीं करूॅगी, हाॅ नहीं तो।"

इस बार निधी के ऐसा कहने पर उधर से रितू की रुलाई फूट गई। यही यो सुनना चाहती थी वो निधी के मुख से। निधी के मुख से उसका ये तकिया कलाम कितना मीठा लगता था इसका एहसास वहीं कर सकती थी। मोबाइल पर रितू के सिसकने की आवाज़ सुन कर निधी भी दुखी हो गई। वह फोन पर ही रितू को अपने तरीके से मनाने लगी कि वो न रोएॅ। आख़िर कुछ देर बाद सब ठीक हो ही गया।

"और बताइये दीदी।" फिर निधी ने सामान्य भाव से कहा___"आज आपको मेरी याद कैसे आ गई?"
"तेरी याद तो रोज़ ही आती है गुड़िया।" उधर से रितू ने सहसा गंभीरता से कहा___"किन्तु अपराध बोझ के चलते तुझसे बात करने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी।"

"आप फिर से ऐसी बातें करने लगीं।" निधी ने कहा___"इन बातों को अब जाने दीजिए न दीदी। ख़ैर ये बताइये कि कैसी हैं आप?"
"मैं तो अच्छी ही हूॅ गुड़िया।" रितू ने कहा___"पर मेरा दिल करता है कि तुझे कितना जल्दी अपनी ऑखों के सामने देखूॅ और तुझसे ढेर सारी अच्छी अच्छी बातें करूॅ भी और तुझसे सीखूॅ भी।"

"मेरा भी ऐसा ही दिल करता है दीदी।" निधी ने कहा___"मगर शायद अभी ये मुमकिन नहीं है।"
"हाॅ ये तो है गुड़िया।" रितू ने कहा___"अच्छा एक बात पूछूॅ तुझसे?"
"हाॅ जी दीदी।" निधी के चेहरे पर सोचने वाले भाव उभरे___"पूॅछिए न।"

"क्या राज ने तुझे कुछ कहा है?" उधर से रितू ने कहा___"या फिर किसी बात पर उसने तुझे डाॅटा है। तू मुझसे बता गुड़िया मैं यहाॅ इसके काॅन खींचूॅगी। इसकी हिम्मत कैसी हुई मेरी गुड़िया को कुछ कहने की।"
"नहीं नहीं दीदी।" निधी बुरी तरह हड़बड़ा गई थी, बोली___"ऐसा कुछ भी नहीं है। मुझे किसी ने कुछ नहीं कहा। आपको ऐसा क्यों लगा दीदी?"

"राज बता रहा था।" रितू ने निधी की धड़कनों को बढ़ाते हुए कहा___"कि तू कुछ समय से उससे बात ही नहीं कर रही है और ना ही तू उसके सामने आती है। उसका कहना है कि उसने तो ऐसा तुझे कुछ भी नहीं कहा जिससे तू उससे बात ही करना बंद कर दे। मुझे पता है कि वो तुझे अपनी जान से भी ज्यादा चाहता है। अगर तुझे ज़रा सी भी किसी चीज़ से तक़लीफ हो जाए तो उसकी जैसे जान पर बन आती है। फिर क्या बात है गुड़िया, आख़िर ऐसी कौन सी बात हो गई है जिससे तू उससे बात नहीं करती है। यहाॅ तक कि उसके सामने भी नहीं आना चाहती?"
निधी को समझ न आया कि वो रितू को इसका क्या जवाब दे? सच्चाई वो बता नहीं सकती थी और झूॅठ तो ऐसा होता है जो ज्यादा दिनों तक छुपा नहीं रह सकता था। हलाॅकि उसे ये उम्मीद नहीं थी कि विराज ये सब समझता न होगा। उसे तो ये भी उम्मीद नहीं थी कि वो ये बात सीधे तौर पर रितू दीदी से बोल देगा।

"क्या हुआ गुड़िया?" निधी को ख़ामोश जान कर उधर से रितू ने फिर कहा___"तू चुप क्यों हो गई? बता न क्या बात हो गई है ऐसी?"
"ऐसी कोई बात नहीं है दीदी।" निधी अब बोले भी तो क्या___"मैं तो बस ऐसे ही नाराज़ हूॅ उनसे। आप तो जानती ही हैं कि मैं कैसी हूॅ।"

"एक बात हमेशा याद रखना गुड़िया।" उधर से रितू ने कहा___"तू हम सबकी जान है, खास कर राज की। तुझे नहीं पता कि तेरे बात न करने से वो यहाॅ कितना दुखी रहता है। मुझे तो पता ही न चलता अगर मैं कल रात उसके कमरे में अचानक पहुॅच न गई होती तो। मेरे पूछने पर ही उसने ये सब बताया। ख़ैर, एक बात और कहना चाहती हूॅ गुड़िया और वो ये कि मैने तो अपने माॅ बाप और भाई से हर रिश्ता तोड़ लिया है। क्योंकि वो सब बुरे ही नहीं बल्कि पापी लोग हैं। इस दुनिया में अब अगर मेरा कोई सच्चा भाई है तो वो है राज। मुझे पता है कि हमारा भाई राज कोहिनूर हीरा है। उसके दिल में सबके लिए बेपनाह प्यार और सम्मान है। इस लिए ये हम सबका भी फर्ज़ बनता है कि हम उसे वैसा ही प्यार व सम्मान दें।"

"मुझे पता है दीदी।" निधी ने कहा___"और यकीन मानिए कि उनके लिए मेरे दिल में बेपनाह प्यार व सम्मान है और ये मरते दम तक कम न होगा बल्कि बढ़ता ही जाएगा।"

"मुझे तुमसे यही उम्मीद है गुड़िया।" रितू ने निधी की बातों को सामान्य ही समझते हुए कहा___"और देखना जिस दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा न उस दिन से हम सब एक साथ ही रहेंगे और हम सभी बहनें अपने भाई को जी भर के प्यार करेंगे।"

"जी बिलकुल दीदी।" निधी के होठों पर सहसा फीकी सी मुस्कान उभर आई___"अच्छा दीदी अब हम बाद में बात करेंगे। वो क्या है न कि मुझे बाथरूम जाना है। फिर स्कूल भी जाना है।"
"ओह हाॅ।" रितू ने कहा___"चल ठीक है गुड़िया। अच्छे से पढ़ाई करना और हाॅ अपना ख़याल भी रखना।"

इसके साथ ही फोन काल कट गई। निधी ने गहरी साॅस ली और फिर कुछ देर तक इन सारी बातों के बारे में सोचती रही। फिर वो उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ गई।
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