non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:08 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
उधर मुम्बई में।
सबके आ जाने से पूरे बॅगले में एक अलग ही रौनक तथा चहल पहल सी हो गई थी। किन्तु खिले खिले चेहरों पर भी एक उदासी थी जो इस बात का सबूत थी कि विराज के यहाॅ न होने से सब कितने उदास थे। सबको पता था कि विराज किस काम के लिए इस बार गाॅव गया हुआ था। सबके साथ तो गौरी घुली मिली रहती किन्तु अकेले में अपने बेटे के लिए बहुत दुखी हो जाती थी। उसे इस बात की तक़लीफ भी थी कि विराज जब से गया था तब से एक दिन भी फोन नहीं लगाया था और ना ही जगदीश ओबराय की वजह से उसने अपने बेटे को फोन लगाया था।

जगदीश ओबराय ने गौरी से कहा था कि वो फोन करके विराज को कमज़ोर न बनाए। माॅ बेटे के बीच का रिश्ता भावनाओं के बहुत ही नाज़ुक बंधन से जुड़ा होता है जिससे दोनो ही ऐसे हालातों में कमज़ोर पड़ जाते हैं। किन्तु जगदीश ओबराय ने ये भी कहा था वो ईश्वर से अपने बेटे की सलामती की दुवा करे। ये उसकी जंग है उसे स्वतंत्रता पूर्वक इस जंग को इसके अंजाम तक पहुॅचाने दो। सब अपनी अपनी जगह विराज के लिए चिंतित थे तथा परेशान थे मगर सबके दिलों में उसके लिए प्यार था। सबके होठों पर उसकी सलामती के लिए दुवाएॅ थी।

गौरी, करुणा तथा पवन की माॅ। पवन की माॅ का नाम रुक्मणी था। ये तीनो ही आपस में खूब सारी बातें करती रहती थी। किन्तु अकेले में तीनों ही विराज के लिए चिंतित हो जाती थी। एक दूसरे को अपनी चिंता व परेशानी नहीं दिखाती थी। क्योंकि कोई नहीं चाहता था कि सबके बीच एक तनाव या दुख भरा माहौल क्रियेट हो जाए। जगदीश ओबराय व अभय सिंह खुद भी अपनी जगह विराज के लिए चिंतित थे मगर सबको तसल्ली देते रहते थे और यही कहते कि सच्चाई की हमेशा विजय होती है। इस लिए इसके लिए इतना चिंतित व परेशान न हों कोई।

पवन को जगदीश ओबराय ने अपनी कंपनी में ही एक अच्छी पोस्ट पर काम में लगा दिया था। अतः पवन अब ज्यादातर कंपनी में ही रहता था। किन्तु हर वक्त उसका मन अपने दोस्त के लिए अशान्त रहता था। उसे विराज से शिकायत भी थी कि वो उसे यहाॅ सुरक्षित छोंड़ कर खुद मौत के मुह में चला गया था।

पवन की बहन आशा ज्यादातर निधी के साथ ही रहती थी। निधी सुबह स्कूल जाती और फिर शाम को वापस आ जाती थी। हर समय अपनी शरारतों से सबको परेशान करने वाली ये गुड़िया अचानक से इस तरह ख़ामोश हो गई थी जैसे ये शदियों से ऐसी ही रही थी। उसकी इस ख़ामोशी को सब यही समझते कि वो अपने प्यारे से बड़े भइया के लिए सबकी तरह ही दुखी है। कोई ये नहीं जानता था कि उसने अपनी छोटी सी इस ऊम्र अपने ही भइया से प्रेम का कितना बड़ा रोग लगा लिया था। जिसके चलते उसका हर समय शरारतें करना जाने कहाॅ गुम होकर रह गया था।

आशा को पता था कि निधी शुरू से ही ऐसी नहीं थी। शुरू शुरू में उसकी इस ख़ामोशी को वो खुद भी यही समझती थी कि वो सबकी तरह विराज के लिए दुखी है। इस लिए अब वो शरारतें नहीं करती है। मगर जल्द ही उसे इस कारण के अलावा भी दूसरा कारण समझ में आ गया था। दरअसल निधी भी अब अपने भाई की तरह डायरी लिखने लगी थी। जिसमें वो अपने और अपने प्रियतम भाई के बीच जन्में इस प्रेम के हर पहलुओं के बारें में लिखती थी। अपने दिल के जज़्बातों को वो डायरी के कागज़ों पर लिखती थी। उसे पता था कि डायरी में उसके द्वारा लिखा गया हर लफ़्फ किसी डायनामाइट से कम नहीं है। कहने का मतलब ये कि अगर किसी को ये पता चल जाए कि सबके दिलों में राज करने वाली उनकी ये नटखट गुड़िया अपने ही सगे भाई से प्रेम करती है तो यकीनन इस बात से डायनामाइट की तरह विस्फोट हो जाना था।
डायरी में अपने दिल का हाल बयां करने के बाद निधी उस डायरी को अपने कमरे में ही रखी आलमारी के अंदर वाले लाॅकर में रख कर लाॅक लगा देती थी। मगर एक दिन कदाचित उसका भेद खुल जाना था इस लिए उससे ग़लती हो गई। दरअसल पिछले दिन सुहब सुबह की ही बात है। आशा चाय लेकर निधी के कमरे में पहुॅच गई। उसने देखा कि बेड पर चित्त अवस्था में लेटी निधी के सीने पर एक मोटी सी डायरी थी जिसे वो दोनो हाॅथों से पकड़े सोई हुई थी। आशा जो कि निधी के साथ ही रहती थी। पिछली रात उसे आधी रात के क़रीब शूशू लगी तो उसकी नींद खुल गई। उसने देखा कि रात के उस वक्त टेबल लैम्प जला कर निधी कुछ लिख रही थी। उस वक्त उसने सोचा था कि वो अपनी पढ़ाई ही कर रही है। बाथरूम से आने के बाद उसने कहा भी था उससे कि अब उसे सो जाना चाहिए।

आशा ने प्लेट सहित चाय के कप को बेड के पास ही दीवार से सटे एक छोटे से टेबल पर रखा और फिर वो निधी के पास गई। उसकी नज़र डायरी पर पड़ी। आशा ने ग्रेजुएशन तो नहीं किया था किन्तु दस बारह तक पढ़ी लिखी थी वो। हल्दीपुर गाॅव में बारवीं तक स्कूल था। आगे काॅलेज की पढ़ाई पढ़ने के लिए चिमनी जाना पड़ता था, जो कि पास के ही गाॅव में था। ख़ैर, डायरी देख कर उसे ये तो समझ आ गया कि ऐसी डायरी निधी की पढ़ाई में तो उपयोग होती नहीं होगी तो फिर ऐसा क्या है इसमें जिसे वो सोते समय भी लिए हुए है।

आशा ने बहुत ही आहिस्ता से निधी के हाॅथों से उस डायरी को निकाला और फिर बेड से दो कदम पीछे हट कर उसने डायरी को खोला। डायरी के शुरू के काफी पेज अलग अलग चीज़ों से भरे थे। जैसे कि हर देश के कोड्स वगैरा। अपने देश भारत के अलग अलग राज्यों के मानचित्र। उसके बाद मुख्य पेज शुरू होते थे।

मुख्य पेज पर ही मोटे मोटे अच्छरों में आशा को लिखा नज़र आया____"जियें तो जियें कैसे....बिन आपके??" इस टाइटल के नीचे ही एक मध्यम साइज़ के दो दिल बने हुए थे, जो कि साथ में ही मिले हुए थे। जिसमे एक तरफ वाले में राज और दूसरे वाले में निधी लिखा था। उसके नीचे मोटे अच्छरों में ही लिखा था____"MY LOVE"
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