non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:07 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
उधर हवेली में।
सबने एक साथ ही बैठ कर ब्रेकफास्ट किया था। उसके बाद प्रतिमा के पिता जगमोहन सिंह सबसे विदा लेकर हवेली से निकल लिए थे। उनको गुनगुन तक छोंड़ने के लिए खुद अजय सिंह अपनी कार से गया था। प्रतिमा को अपने पिता के चले जाने से काफी दुख हुआ था। वर्षों बाद उसे अपने पिता इस रूप में मिले थे। उसका दिल कर रहा था कि वो भी अपने पिता के साथ ही चली जाए। जगमोहन सिंह ने चलने के लिए कहा भी था मगर ज़रूरी कामों का हवाला देकर अजय सिंह ने यही कहा कि हम सब फिर कभी ज़रूर आएॅगे। अजय सिंह जानता था कि हालात अभी ऐसे नहीं हैं कि उसके बीवी बच्चे कहीं आ जा सकें।

इस वक्त ड्राइंग रूम में प्रतिमा और शिवा ही थे। जो आमने सामने सोफों पर बैठे हुए थे। प्रतिमा जहाॅ अपने पिता के बारे में सोच सोच कर दुखी हो रही थी वहीं शिवा नीलम व सोनम के बारे में सोच सोच कर ख़याली पुलाव बना रहा था। उसके चेहरे पर गर्दिश कर रहे भावों में प्रतिपल बदलाव आता नज़र रहा था। सोनम उसे पहली नज़र में ही बेहद पसंद आ गई थी और उसने इस बात का ज़िक्र अपनी माॅ प्रतिमा से भी किया था। उसने प्रतिमा से कहा था कि उसे सोनम बहुत अच्छी लगती है। काश उससे उसकी शादी हो जाए। मगर प्रतिमा ने इस बात के लिए शिवा को शख्ती से समझा दिया था कि ऐसा कभी नहीं हो सकता। वो उसकी बड़ी बहन है और बहन से भाई की शादी कभी नहीं हो सकती है। प्रतिमा की ये बात सुन कर शिवा का दिल बुरी तरह से टूट गया था।

गाॅव की हर लड़की या औरत को सिर्फ भोगने की चीज़ समझने वाला शिवा आजकल सोनम के प्यार में देवदास सा नज़र आने लगा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि ये अचानक उसे क्या हो गया है? सोनम के प्रति उसके दिल में मीठा मीठा सा दर्द क्यों होने लगा है? हर लड़की की भाॅति वो उसे भी हाॅसिल करके भोगने की बात क्यों नहीं सोच रहा? पिछली सारी रात वो इन्हीं सब बातों की वजह से सो नहीं पाया था। उसे सोनम से खुल कर बात करने में अब झिझक होने लगी थी। हलाॅकि वो उसकी मौसी की लड़की थी और उसकी बड़ी बहन लगती थी। मगर पहली नज़र में उसे देखने के बाद ही उसके प्रति उसकी सोच और उसके अंदर का हाल बड़ा अजीब सा गया था। ब्रेकफास्ट करते वक्त भी वह सबकी नज़रें बचा कर सोनम को चोरी से देख ही लेता था। यद्दपि सोनम उससे खुल कर बातें कर रही थी, किन्तु एक भाई बहन के रिश्ते से। सोनम की बातों का वो हाॅ या नहीं में थोड़ा बहुत जवाब दे देता था। उसके इस बिहैवियर से अजय सिंह भी अंदर ही अंदर चौंक पड़ा था। अनुभवी अजय सिंह को समझते देर न लगी कि उसका अय्याश बेटा सोनम के हुश्नो शबाब को देख कर चारो खाने चित्त हो चुका है। हलाॅकि सोनम और नीलम को देख कर उसका खुद का हाल भी शिवा से जुदा न था मगर उसके अंदर उनके प्रति प्रेमी वाला प्यार का अंकुर न फूटा था।

नाना और अजय सिंह के जाने के कुछ देर बाद ही नीलम व सोनम ऊपर अपने कमरे में चली गई थी। जबकि प्रतिमा व शिवा ड्राइंगरूम में ही बैठे रहे थे। इस ड्राइंग रूम में छाई गहन ख़ामोशी से सहसा प्रतिमा की तंद्रा टूटी। उसने अपने बेटे शिवा की तरफ देखा तो उसे गहन सोचों में गुम हुआ पाया। ये देख कर वह हौले से चौंकी।

"कहाॅ गुम है मेरा बेटा?" फिर प्रतिमा ने ज़रा खुद को सम्हालते हुए कहा___"क्या अभी तक भूत नहीं उतरा?"
"अ..आपने कुछ कहा क्या?" शिवा ने सहसा चौंकते हुए कहा।
"हाॅ पूछ रही हूॅ कि क्या अभी भी भूत नहीं उतरा है दिलो दिमाग़ से?" प्रतिमा कहने के साथ ही मुस्कुराई थी।

"भ..भूत???" शिवा चकरा सा गया___"कौन सा भूत माॅम?"
"प्यार वाला भूत।" प्रतिमा ने कहा___"बेटा ये प्यार वाला भूत बहुत ही खतरनाॅक होता है। जिसके सिर चढ़ता है न फिर कभी उतरता ही नहीं है।"

"ये आप क्या कह रही हैं माॅम?" शिवा ने झेंपते हुए कहा।
"हाय रे।" प्रतिमा मुस्कुराई___"देखो तो कैसे शरमा रहा है आज मेरा बेटा। बेटा ये इश्क़ न बहुत बुरी बला है। ये इश्क़ कम्बख्त उसी से होता है जो हमें कभी नसीब ही नहीं हो सकता।"

"ये तो ग़लत बात है माॅम।" शिवा ने कहा___"आपने भी तो डैड से इश्क़ ही किया था और फिर वो आपको नसीब भी तो हो गए।"
"हाॅ मगर तेरे डैड और मैं आपस में भाई बहन तो नहीं थे न।" प्रतिमा ने कहा___"उन रिश्तों में अगर इश्क़ हो तो कुछ भी करके हम एक हो सकते हैं मगर इस रिश्ते में ऐसा नहीं होता। क्योंकि इस रिश्ते वाले इश्क़ को ये समाज ये दुनियाॅ कभी स्वीकार नहीं करती बल्कि इन रिश्तों के बीच हो गए इश्क़ को पाप का नाम देती है ये दुनिया। इससे परिवार की मान मर्यादा और इज्ज़त का हनन हो जाता है।"

"मैं ये सब समझता हूॅ माॅम।" शिवा ने कहा___"मुझे पता है कि भाई बहन के बीच ये रिश्ता ग़लत है। मगर ये उनके लिए ग़लत होता है न माॅम जो पाक़ साफ होते हैं। हम तो ऐसे हैं जो इन्हीं रिश्तों को भोगने की खूबसूरत इच्छा रखते ही नहीं हैं बल्कि भोगते भी हैं।"

"हाॅ लेकिन ये बात देश समाज को पता तो नहीं है न।" प्रतिमा ने कहा___"ये सब तो घर के अंदर होता है और बिना किसी की जानकारी के होता है। इस लिए जब तक इन रिश्तों के बीच की सच्चाई दुनिया से छुपी है तब तक हम भी पाक़ साफ ही हैं बेटा।"

"कुछ भी कहिये माॅम।" शिवा ने जैसे दृढ़ता से कहा___"मैं सोनम को हद से ज्यादा पसंद करने लगा हूॅ। मेरे दिल में उसके प्रति प्रेम का अंकुर फूट चुका है। कल सारी रात मैं इस बारे में सोचता रहा और फिर इस नतीजे पर पहुॅचा हूॅ कि मैं अगर किसी लड़की से शादी करूॅगा तो वो सोनम से ही करूॅगा। हाॅ माॅम, पता नहीं क्यों पर मुझे अब ऐसा लगने लगा है कि अगर सोनम मेरी जाने हयात न बनी तो मैं एक भी पल जी न सकूॅगा।"

प्रतिमा अपने बेटे की इस बात से आश्चर्यचकित रह गई। अभी तक तो उसे यही लग रहा था कि शिवा ये सब उससे सोनम को भोगने के उद्देश्य से ही कह रहा था मगर इस वक्त उसके चेहरे के भाव चीख चीख कर उसे बता रहे थे कि वो सोनम के लिए कितना सीरियस हो चुका है। प्रतिमा का दिलो दिमाग़ सुन्न सा पड़ गया। उसे समझ न आया कि इस विषम परिस्थिति में वो अपने बेटे को आख़िर कैसे समझाए? वो समझ सकती थी कि प्यार मोहब्बत कैसी चीज़ होती है और फिर इंसान की क्या हालत हो जाती है।

"देखो बेटा।" फिर प्रतिमा ने बहुत ही सीरियस भाव से किन्तु समझाते हुए कहा___"ये सब ठीक नहीं है। सोनम के प्रति ऐसी फीलिंग्स रखना अच्छी बात नहीं है। हो सकता है कि तुम्हारा सोनम के प्रति ये सिर्फ एक आकर्षण हो, जिसे तुम प्यार समझ रहे हो। ख़ैर, मैं ये कह रही हूॅ कि ये अभी पहली स्टेज है। अभी तुम इस सबके लिए खुद को समझा भी सकते हो और खुद को इसके प्रभाव से बचा भी सकते हो। इस लिए बेहतर होगा कि तुम इस पर विचार करके अमल करो। दूसरी बात, सोनम तुम्हारी बड़ी बहन है। उसके मन में तुम्हारे प्रति ऐसा कुछ भी नहीं होगा मुझे अच्छी तरह पता है। किन्तु अगर उसे पता चल गया कि तुम उसके बारे में ऐसा सोचते हो तो वो तुम्हारे दिल का हाल नहीं समझेगी बल्कि तुम्हें ग़लत नेचर का मानते हुए तुमसे नफ़रत करने लगेगी।"

"ऐसा नहीं होगा माॅम।" शिवा की आवाज़ सहसा भर्रा सी गई, बोला___"मैं उसे खुद समझाऊॅगा कि मैं उससे कितना प्यार करने लगा हूॅ। उसे बताऊॅगा कि मेरे दिल में उसके लिए सिर्फ और सिर्फ प्यार है और हाॅ ये भी कहूॅगा माॅम कि अगर उसे लगता है कि मेरे प्यार में कोई खोट या गंदगी है तो उसे मुझे ठुकरा देने का और मुझसे नफ़रत करने का पूरा हक़ है। मैं सारी ज़िंदगी उसके खूबसूरत चेहरे को अपनी ऑखों में बसा कर तथा उसकी यादों के सहारे जी लूॅगा। उसके अलावा मेरी ज़िंदगी में दूसरी कोई लड़की कभी नहीं आएगी।"

प्रतिमा को ज़बरदस्त झटका लगा। ऐसा लगा जैसे सारा आसमान एकाएक ही भरभरा कर उसके सिर पर गिर पड़ा हो। उसे अपने काॅनों पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसने शिवा के मुख से जो सुना वो सच है या ग़लत। कितनी ही देर तक वो किंकर्तब्यविमूढ़ सी स्थिति में बैठी उसे अपलक देखती रही।

"मैं जानता हूॅ माॅम कि आपको आज मेरी इन सब बातों पर बेहद आश्चर्य हो रहा होगा।" शिवा गंभीरता से कह रहा था___"बात भी सच है। किसी कौए से ये उम्मीद नहीं की जा सकती कि वो कोयल की तरह मीठा भी बोल सकता है। मगर सुना है कि जहाॅ किसी चीज़ की उम्मीद नहीं होती वहीं पर एक नया चमत्कार हुआ करता है। कदाचित मेरे साथ भी ऐसा ही हो गया है। कल सारी रात सोचता रहा मैं कि मैं क्यों सोनम की तरफ इस हद तक अट्रैक्ट होता जा रहा हूॅ? मेरे दिल में क्यों उसके लिए प्यार जाग रहा है? सवाल तो मुझे नहीं मिला मगर इतना एहसास ज़रूर हुआ कि सोनम के बिना मेरी ज़िंदगी का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। आज आपकी बातों ने मुझे अंदर से हिला तो दिया है माॅम मगर मेरे दृढ़ निश्चय में और भी ज्यादा इज़ाफा भी हो गया है।"

प्रतिमा को झटके पर झटके लग रहे थे। उसका दिलो दिमाग़ जाम सा हो चुका था। सुना तो था उसने भी कि प्रेम का रोग जब लगता है तो पत्थर से पत्थर दिल इंसान को भी पिघला देता है और उसका असर ये होता है कि इश्क़ के नशे में डूबा हुआ इंसान फिर बहुत ही खूबसूरत ख़यालों का बन जाता है। उसके मुख से कड़वी बातें नहीं निकला करती। इश्क़ हो जाने के बाद इंसान की सोच और उसके ख़यालात बदल जाते हैं। वो अपने प्रियतम की ही खुशियों के बारें में सोचता रहता है। हर पल यही सोचता है कि कभी ऐसा कोई पल न आने पाए जिसके तहत उसके प्रियतम को ज़रा सी भी तक़लीफ हो जाए। किसी के खूबसूरत चेहरे को अपनी पलकों तले बसा कर तथा उसकी याद के सहारेसारी ऊम्र काट लेने वाले डायलाॅग आज शिवा के मुख से खारिज़ हो रहे थे। जिसने किसी से इश्क़ किया होगा उसे ये बात ज़रूर समझ में आई होगी कि शिवा के ये डायलाॅग किस हद तक सच थे।

अभी प्रतिमा शिवा की इन सब बातों से बुत बनी बैठी ही थी कि सहसा तभी ड्राइंगरूम में नीलम व सोनम एक साथ आकर खड़ी हो गईं। प्रतिमा की नज़र जैसे ही उन दोनो पर पड़ी तो उसने जल्दी से अपने चेहरे के भावों को छुपा लिया और फिर एकाएक ही उसकी नज़र शिवा पर पड़ी तो मन ही मन चौंक पड़ी। शिवा की नज़र सोनम पर स्थिर थी। एकाएक ही उसकी ऑखों में सोनम के प्रति बेपनाह मोहब्बत का सागर भीषण हिलोरें लेता हुआ नज़र आया उसे। कहते हैं कि ऑखें सब कुछ बयां कर देती हैं। प्रतिमा को शिवा की ऑखों ने बता दिया कि वो सोनम के प्रति अपने वजूद के हर ज़र्रे पर सिर्फ और सिर्फ मोहब्बत छलकाए बैठी हैं।

"माॅम मैं और सोनम दीदी।" उधर ड्राइंगरूम में आते ही नीलम ने खुशी वाले लहजे में कहा___"घूमने जा रहे हैं। दीदी कह रही हैं कि उन्हें हमारा ये गाॅव देखना है औ हमारे खेत भी देखना है।"

"ओह चल ठीक है।" प्रतिमा ने सहसा नीलम की तरह ध्यान से देखते हुए कहा___"पर तुम दोनो अकेले कैसे जाओगी?"
"इनके साथ मैं चला जाता हूॅ माॅम।" शिवा भला ये सुनहरा अवसर अपने हाॅथ से कैसे जाने देता, अतः तपाक से बोल पड़ा था____"मैं इन्हें बहुत अच्छे से अपना ये गाॅव और अपने सारे खेत दिखा दूॅगा।"
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