non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:06 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
उधर मंत्री दिवाकर चौधरी के यहाॅ से आने के बाद अजय सिंह सारे रास्ते सोचों में गुम रहा था। हवेली से जब वह चला था तो सबसे पहले गुनगुन में वो एयरटेल के सर्विस सेन्टर गया था। जहाॅ से उसने अपने पहले वाले नंबर के ही दो सिम कार्ड लिया था और उन्हें अपने मोबाइल फोन पर डाल लिया था। उसे पता था कि फोन बंद होने की वजह से उससे संबंध रखने वाले सभी उसके चाहने वाले परेशान होंगे। रास्ते में ही कई सारे लोगों के फोन आए थे उसे जिनसे उसने बात की और उन्हें बताया कि किस वजह हे उसका फोन बंद था।

अजय सिंह ने अपने उन बिजनेस दोस्तों से भी बात की जिन्होंने उसकी मदद के लिए अपने अपने आदमी भेजे थे। सबसे फारिग़ होकर ही वह अपने घर पहुॅचा था। हवेली पहुॅचते पहुॅचते उसे रात के साढ़े आठ से ऊपर हो गए थे। अंदर उसे ड्राइंगरूम में सब मिल गए। सब आपस में बात चीत कर हॅसे जा रहे थे। नीलम, सोनम, शिवा, तथा प्रतिमा आदि सब जगमोहन सिंह के पास ही बैठ थे।

अजय सिंह को आया देख कर नीलम व सोनम उससे मिली। अजय सिंह ने उन दोनो को प्यार दिया और फिर कपड़े चेन्ज करने का कह कर अपने कमरे की तरफ बढ़ गया। प्रतिमा के कहने पर बाॅकी सब भी फ्रेश होने चले गए। रात का डिनर सविता ने तैयार कर दिया था अतः फ्रेश होने के बाद सब एक साथ डायनिंग हाल में आ कर बैठ गए। डिनर के दौरान सबके बीच नार्मल ही बातें हुई। इस बीच जगमोहन सिंह ने कहा कि उसे कल वापस जाना होगा क्योंकि वो इस समय एक ज़रूरी केस के सिलसिले में लखहगा हुआ है। प्रतिमा की हार्दिक इच्छा थी कि उसके पापा अभी कुछ दिन यहाॅ रुकें मगर उसे भी पता था कि उसके पिता एक बहुत बड़े वकील हैं जिनके पास समय का बहुत ही ज्यादा अभाव है।

जगमोहन सिंह ने ये ज़रूर कहा कि अब वो आते रहेंगे यहाॅ। उनकी इस बात से सब खुश हो गए। ख़ैर डिनर के बाद सब सोने के लिए अपने अपने कमरों में चले गए।

"तो मिल आए तुम मंत्री जी से?" अपने कमरे में आते ही प्रतिमा ने बेड पर लेटे अजय सिंह की तरफ देखते हुए कहा___"वैसे किस सिलसिले में बुलाया था उसने तुम्हें? क्या कोई खास वजह थी?"

"इस बारे में कुछ न ही पूछो तो अच्छा है प्रतिमा।" अजय सिंह ने गहरी साॅस ली थी।
"अरे ये क्या बात हुई भला?" प्रतिमा बेड पर आते हुए बोली___"क्या कोई ऐसी बात है जिसे तुम मुझसे बताना नहीं चाहते हो?"

"नहीं यार ऐसी कोई बात नहीं है।" अजय सिंह ने बेचैनी से पहलू बदला___"भला ऐसी कोई बात हुई है अब तक जिसे मैने तुमसे शेयर न किया हो?"
"वही तो।" प्रतिमा ने अजय सिंह से सट कर लेटते हुए कहा___"वही तो डियर, मुझे भी तो पता चले कि मंत्री ने किस वजह से मेरे अजय को बुलाया था?"

"दरअसल बात ऐसी है प्रतिमा।" अजय सिंह ने कहा___"कि तुम सुनोगी तो हजम नहीं कर पाओगी।"
"अरे जाने भी दो।" प्रतिमा मुस्कुराई___"बड़ी से बड़ी बात तुम्हारी ये प्रतिमा हजम कर चुकी है फिर भला ये क्या चीज़ होगी।"

"मंत्री का जब फोन आया।" अजय सिंह ने कहा___"और जब उसने मुझे दोस्त कहा तो ये सच है कि मुझे उस वक्त बेहद खुशी हुई थी। किन्तु उससे मिल कर तथा उसकी बातें सुनकर मेरी सारी खुशी कपूर की तरह काफूर हो गई।"

"ये तुम क्या कह रहे हो अजय?" प्रतिमा के चेहरे पर हैरत के भाव उभरे___"ऐसी भला क्या बातें कही उसने जिसकी वजह से तुम्हारी उम्मीदों और खुशियों पर पानी फिर गया?"

प्रतिमा के पूछने पर अजय सिंह ने मंत्री का सारा किस्सा उसे सुना दिया। ये भी बताया कि मंत्री उससे खुद मदद की उम्मीद किये बैठा है। सारी बातें सुनने के बाद प्रतिमा का मारे आश्चर्य के बुरा हाल हो गया। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि अजय सिंह जो किस्सा सुना रहा है उसमें कहीं कोई सच्चाई है। मगर उसे पता था कि अजय सिंह झूठ मूठ का कोई किस्सा उसे हर्गिज़ भी नहीं सुनाएगा। यानी उसके द्वारा कहा हर लफ्ज़ सही था।

"ये तो बड़ी ही हैरतअंगेज बात है अजय।" प्रतिमा के चेहरे पर मौजूद हैरत कम नहीं हो रही थी, बोली___"उस गौरी का वो पिल्ला इस प्रदेश के मंत्री को भी अपने शिकंजे में लिया हुआ है। यकीन नहीं होता कि कल का छोकरा इतने बड़े बड़े काण्ड कर रहा है।"

"गए थे मंत्री के पास उससे मदद की उम्मीद लेकर।" अजय सिंह ने अजीब भाव से कहा___"मगर खुद उसकी उम्मीद बन कर आ गए।"
"तुम्हें मंत्री से साफ साफ कह देना चाहिए था अजय कि तुम इस मामले में उसकी कोई मदद नहीं कर सकते।" प्रतिमा ने कहा___"क्योंकि तुम खुद भी कुछ कर सकने की स्थित में नहीं हो।"

"उसे अपने बारे में सारी सच्चाई नहीं बता सकता था डियर।" अजय सिंह ने कहा___"तुम खुद सोचो कि मैं वो सब उससे कैसे बता देता? इससे तो उसके सामने मेरी इज्ज़त का कचरा हो जाता न। वो क्या सोचता मेरे बारे में कि मैंने अपनी वासना और हवश के चलते अपने ही घर की बहू बेटियों की इज्ज़त पर अपनी नीयत ख़राब ही नहीं की बल्कि उनके साथ वो सब करने के लिए क़दम भी बढ़ाया। नहीं प्रतिमा नहीं, इससे तो उसकी नज़र में कोई वैल्यू ही न रह जाती। वो साला मुझे गंदी नाली का कीड़ा समझने लगता।"

"बात तो तुम्हारी ठीक ही है अजय।" प्रतिमा ने सोचने वाले अंदाज़ से कहा___"मगर अब क्या करोगे तुम? तुमने तो उससे वादा कर लिया है कि तुम इस मामले में उसकी मदद करोगे। जबकि तुम खुद अच्छी तरह जानते हो कि तुम खुद अपनी ही मदद नहीं कर पा रहे हो, फिर उसकी मदद कैसे कर सकोगे? मंत्री से मदद का वादा करके तुमने एक नई मुसीबत को दावत दे दी है अजय। वो मंत्री अब हर समय तुम्हें फोन करेगा अथवा बुलाएगा ये जानने के लिए कि तुमने उसकी मदद के रूप में अब तक क्या किया है? उस सूरत में तुम उसे क्या जवाब दोगे?"

"मैने उससे मदद का वादा नहीं किया है प्रतिमा।" अजय सिंह ने कहा___"सिर्फ ये कहा है कि मैं इस मामले में उसकी मदद के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूॅगा बस। इसमे मुसीबत की बात भला कहाॅ से आ गई? मैने कोई एग्रीमेंट तो किया नहीं है जिसके चलते वो मुझ पर कोई ऐक्शन लेगा। सीधी सी बात है मैने उसकी मदद के लिए अपनी तरफ से कोशिश की मगर उसका काम नहीं हो सका इसमें मैं और ज्यादा क्या कर सकता था?"

"चलो ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि इस मामले में क्या होता है?" प्रतिमा ने गहरी साॅस ली___"किन्तु हाॅ ये ज़रूर सोचने वाली बात है कि विराज ने मंत्री को इस ढंग से पंगु बनाया हुआ है। हम तो ये सोच सोच कर परेशान थे कि वो यहाॅ आया किस लिए था, पर अब पता चला कि वो अपनी उस प्रेमिका की वजह से यहाॅ आया था।"

"हाॅ प्रतिमा।" अजय सिंह के चेहरे पर सोचने वाले भाव उभरे___"मंत्री से मिल कर तथा उसकी बातों से ही इस सच्चाई का पता चला वरना तो हमें पता भी न चलता कि वो साला यहाॅ आया किस वजह से था? इतना ही नहीं उसने मेरे अलावा और किसे अपने मक्कड़ जाल में फॅसा रखा था? मंत्री के जिन लड़कों ने उस विधी नाम की लड़की का रेप किया था वो विराज की प्रेमिका थी और वो गंभीर हालत में हल्दीपुर थाना क्षेत्र में हमारी बेटी रितू के द्वारा पाई गई थी।"

"एक मिनट अजय।" प्रतिमा के चेहरे पर एकाएक ही चौंकने के भाव उभरे थे, फिर उसने कहा___"मुझे अब सारा मामला समझ आ गया है। ये भी समझ आ गया है कि हमारी बेटी हमारे खिलाफ़ हो कर क्यों उस विराज का साथ देने लगी है जिस विराज की वो अब तक शक्ल भी नहीं देखना चाहती थी।"

"क्या समझ आ गया है तुम्हें?" अजय सिंह के माथे पर सहसा शिकन उभरी।
"ये मामला विधी के रेप से ही शुरू हुआ है।" प्रतिमा ने कहना शुरू किया___"हाॅ अजय ये सारी कहानी विधी के रेप केस से ही शुरू हुई है। मंत्री के द्वारा बताई गई सारी बातों पर ग़ौर करने के बाद इसकी कड़ियाॅ कुछ इस प्रकार से मेरे दिमाग़ में जुड़ी हैं, ग़ौर से सुनो। विधी नाम की जिस लड़की का रेप हुआ वो गंभीर हालत में हमारी बेटी को मिली। रितू चूॅकि पुलिस वाली थी इस लिए ये उसकी ड्यूटी थी कि वो इस मामले में रेप की गई लड़की के रेपिस्टों की तलाश करे और उन्हें कानूनन सज़ा दिलवाए। किन्तु उससे पहले उसने ये किया होगा कि गंभीर हालत में पाई गई उस लड़की को उसने हास्पिटल में भर्ती कराया तथा लड़की के विषय में जानकारी भी हासिल की होगी। रितू ने विधी से तहकीक़ात के रूप में उस लड़की से उसके साथ हुए उस हादसे की सच्चाई प्राप्त की होगी। इसी सच्चाई के दौरान उसे पता चला होगा कि विधी वो लड़की है जो उसके चचेरे भाई विराज से प्यार भी करती थी और विराज भी उससे प्यार करता था। किन्तु उसे ये समझ में न आया होगा कि दो प्यार करने वाले एक दूसरे से दूर कैसे हैं? क्योंकि अगर दूर न होते तो विधी के साथ वो हादसा होता ही नहीं। इस लिए रितू ने विधी से उसके और विराज के बीच की दूरियों के बारे में पूछा होगा तब विधी ने उसे बताया होगा कि सच्चाई क्या है। वो सच्चाई ज़रूर ऐसी रही होगी जिसने रितू के दिल में चोंट की होगी। विधी के द्वारा ही उसे पता चला होगा कि विराज असल में कितना अच्छा लड़का है तथा ये भी कि उसके साथ उसके बड़े पापा ने कितना अत्याचार किया है। विधी की बातों ने रितू को सोचने पर मजबूर कर दिया होगा। किन्तु उसे इतना जल्दी इस बात पर यकीन नहीं आया होगा कि हमने विराज व विराज की माॅ बहन के साथ ग़लत किया हो सकता है। अतः उसने अपने तरीके से इस सबका पता लगाने का सोचा होगा। याद करो अजय ये उसी समय की बात है जब नैना यहीं थी और एक रात मैं तुम और शिवा साथ में ही वो मौज मस्ती कर रहे थे। मुझे पूरा यकीन है कि सच्चाई का पता लगाने की राह पर चलते हुए रितू उस रात हमारी वो रास लीला देख ली होगी। मैं ऐसा इस लिए कह रही हूॅ क्योंकि उस रात के बाद से ही रितू का बिहैवियर हमारे प्रति बदला था। याद करो दूसरे दिन कैसे उसने शिवा को खरी खोटी सुना दी थी। उस वक्त हमें पता नहीं था किन्तु अब समझ आ रहा है कि उसने शिवा को इतने गुस्से से क्यों झिड़का था? ख़ैर, उसके बाद वो बड़ी सफाई से नैना को भी यहाॅ से निकाल ले गई। उसको पता चल गया होगा कि तुम अपनी ही बहन को अपने नीचे लेटाने का मंसूबा बनाए बैठे हो। इस लिए वो नैना को बड़ी सफाई से यहाॅ ले गई। इस सबसे उसे और कुछ जानने की ज़रूरत ही नहीं रह गई थी। उसने उस रात हम तीनों की सारी बातें सुन ली होगी और जान गई होगी कि विराज की माॅ के साथ असल में हुआ क्या था? अथवा हमने उसके साथ किया क्या था? इतना सब कुछ काफी था उसका हमारे खिलाफ होने के लिए और विराज के साथ मिल जाने के लिए। इन्हीं सब के दौरान उसने विराज को मुम्बई से बुलाया होगा। किन्तु उसके पास विराज का कोई काॅटेक्ट नहीं था इस लिए उसने विराज के क़रीबी दोस्तों के बारे में पता लगाया होगा। विराज के दोस्त के रूप में उसे पवन मिला, पवन को उसने विधी का वास्ता देकर कहा होगा कि वो विराज को यहाॅ बुला ले। बस उसके बाद क्या क्या हुआ इसका तो पता ही है तुम्हें।"
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