non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:06 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
"अरे ये क्या बात हुई दीदी?" फिर सहसा मुझे वस्तुस्थित का बोध हुआ तो मैं उनके क़रीब जाते ही उनके कंधे पर हाॅथ रख कर बोला था मगर....।
"दूर रहो मुझसे।" रितू दीदी ने अपने कंधे से मेरे हाॅथ को झटकते हुए उसी रूठे हुए भाव से कहा___"और हाॅ मुझसे बात मत करो अब। मैं तुम्हारी कोई दीदी वीदी नहीं हूॅ। जाओ उस नीलम के पास।"

"ये आप कैसी बातें कर रही हैं दीदी?" मैं हैरान परेशान सा हो कर कह उठा___"आप तो मेरी सबसे अच्छी व सबसे प्यारी दीदी हैं। भला मैं आपसे कैसे दूर हो सकता हूॅ और आपसे बात न करूॅ ऐसा तो हो ही नहीं सकता।"

"बस बस खूब समझती हूॅ मैं।" रितू दीदी ने उसी अंदाज़ से मगर इस बार ज़रा तीखे भाव से कहा___"मस्का लगाना कोई तुमसे सीखे।"
"मैं मस्का नहीं लगा रहा दीदी।" मैं एक बार से उनके पास खिसक कर गया और फिर बोला___"मैं किसी की भी कसम खा कर कह सकता हूॅ कि आप मेरी सबसे अच्छी दीदी हैं और मेरे दिल में जो स्थान आपका है वो किसी और का नहीं हो सकता।"

मेरी इस बात का मानो तुरंत असर हुआ। रितू दीदी एकदम से मेरी तरफ इस तरह देखने लगीं थी जैसे उन्हें मेरी इस बात से कितनी ज्यादा खुशी हुई हो। फिर सहसा जैसे उन्हें याद आया कि वो तो मुझसे रूठी हुई थीं। इस लिए उनके चेहरे के भाव पलक झपकते ही पहले जैसे हो गए और वो फिर से मुह फुला कर एक तरफ को अपना चेहरा कर लिया। मुझे उनके इस तरह रंग बदल लेने से मन ही मन हॅसी तो आई मगर मैं हॅसा नहीं। वरना मुझे पता था कि उसके बाद कैसे हालात हो जाने थे।

"ठीक है दीदी आप मुझसे मत बात कीजिए।" मैने इमोशनल ब्लैकमेल का नाटक किया___"शायद मेरा नसीब ही ऐसा है कि जिसे भी अपना समझता हूॅ वो मेरा अपना नहीं रहता। एक आप ही तो थी जिन्हें सबसे ज्यादा अपना समझता था और अपनी दुख तक़लीफ़ें दिखाता था मगर....।"

मेरा वाक्य पूरा भी न हो पाया था कि अचानक ही रितू दीदी की एक हॅथेली कुकर के ढक्कन की तरह मेरे मुह पर आकर फिट हो गई। उनकी ऑखों में ऑसू थे। वो मुझे इस तरह देखे जा रही थी जैसे कह रही हों कि आइंदा ऐसी बातें कभी मत करना।

"क्यों ऐसी बातें करता है राज?" फिर दीदी ने सहसा दुखी भाव से कहा___"क्या मैं तुझसे रूठ भी नहीं सकती? मुझे भी नीलम की तरह तुझसे लड़ना झगड़ना है भाई। मुझे भी अपने इस प्यारे भाई के साथ जी भर के मस्ती करनी है। तुझे तो पता है कि मुझे इसके पहले ये सब पसंद ही नहीं था मगर अब मुझे भी लगता है कि मैं तुझसे तेरी बड़ी बहन बन कर नहीं बल्कि तेरी छोटी बहन बन कर रूठूॅ लड़ूॅ और तुझे परेशान करूॅ। मगर तू ही नहीं चाहता कि मुझे भी वैसी खुशी मिले जैसे तुझे और नीलम को वो सब करके मिली थी।"

"ऐसा नहीं है दीदी।" मैने उनको उनके कंधों से पकड़ते हुए कहा___"हमारे पारिवारिक रिश्तों में मेरी और भी कई दीदी होंगी मगर मेरी जो सबसे ज्यादा फेवरेट दीदी है वो सिर्फ आप हो। आपके लिए हॅसते हॅसते अपनी जान भी दे सकता हूॅ मैं। ख़ैर अगर आपकी भी यही इच्छा है तो ठीक है दीदी अब से आप भी मुझसे नीलम की तरह रूठ सकती हैं और लड़ाई झगड़ा कर सकती हैं। मुझे खुशी होगी कि आप भी खुद को इस रूप में खुशी देना चाहती हैं।"

"हाॅ मगर ये तभी होगा न भाई जब तू मुझे भी तुम या तू कह कर संबोधित करे।" रितू दीदी ने कहा___"जैसे तू नीलम से करता है। तभी तो वो सब करने में मज़ा आएगा।"
"ऐसा कैसे हो सकता है दीदी?" मैं दीदी की बात सुन कर बुरी तरह हैरान रह गया था, बोला___"आप मुझसे बड़ी हैं इस लिए मैं उस सबके लिए आपके मान सम्मान को ताक पर नहीं रख सकता।"

"ठीक है मगर उस वक्त तो बोल सकता है न जब हम आपस में वैसी मस्ती करेंगे।" दीदी ने कहा___"बाॅकी आम सिचुएशन में तू वही बोलना जो अब तक बोलता आया है। और हाॅ अब यही फाइनल है। इससे आगे मुझे कुछ नहीं सुनना है, समझ गया न?"

मेरी हालत मरता क्या न करता वाली हो गई थी। मैं अब कुछ नहीं कह सकता था। अगर कहता या कोई ऑब्जेक्शन करता तो निश्चिय ही दीदी नाराज़ हो जाती जो कि मैं कभी नहीं चाह सकता था।

"ठीक है दीदी।" फिर मैने गहरी साॅस ली___"जैसा आपको अच्छा लगे।"
"गुड।" दीदी के चेहरे पर रौनक आ गई___"तो शुरू करें?"
"क्या मतलब??" मैं उनकी इस बात से एकदम से चकरा गया।

"अरे वही भाई।" दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा___"जो तू नीलम के साथ कर रहा था। मैं चाहती हूॅ कि श्रीगणेश हो ही जाए मस्ती का।"
"पर दीदी इस वक्त ये सब??" मैं बुरी तरह घबरा सा गया था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करूॅ?

"इस वक्त क्या??" रितू दीदी ने ऑखें दिखाई।
"आप भी कमाल करती हैं।" मैने कहा___"भला ये भी कोई वक्त है इन सब चीज़ों का? हमारी वजह से बेकार में ही सब लोगों की नींद का कबाड़ा हो जाएगा। वैसे भी आज सब बहुत थके हुए हैं। इस लिए इस वक्त नहीं दीदी हम दिन में किसी वक्त धमाल कर लेंगे।"

"हाॅ ये तो सच कहा तूने।" रितू दीदी ने कहा___"सचमुच सबकी नींद का सत्यानाश हो जाएगा। चल कोई बात नहीं। इस वक्त तो तुझे बक्श दिया मगर याद रख कल छोंड़ूॅगी नहीं तुझे।"

"क्या???" मैं दीदी की इस बात से चौंका। फिर सहसा ऊपर की तरफ देखते हुए बोला___"हे भगवान मुझे शैतान की इस बच्ची से बचा लेना।"
"क्या कहा तूने?" रितू दीदी की ऑखें फैल गईं। वो एकदम से मेरी तरफ पलटीं फिर बोली___"मैं शैतान की बच्ची? रुक बताती हूॅ तुझे।"

इससे पहले कि मैं अपने बचाव के लिए कुछ कर पाता रितू दीदी मुझ पर झपट पड़ीं। उन्होंने मुझे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया और खुद भी बेड के बीचो बीच आकर मेरे जिस्म के हर हिस्सों पर गुदगुदी करने लगीं। मुझे उनकी गुदगुदी से हॅसी तो नहीं आ रही थी मगर मैं जानबूझ कर हॅसने लगा था और उनसे अपने कहे की माफ़ियाॅ माॅगने लगा था। मगर रितू दीदी मेरे माफ़ी माॅगने पर भी मुझे गुदगुदी करना बंद नहीं कर रही थीं।

"प्लीज बस कीजिए न दीदी।" मैने हॅसते हुए कहा__"सब लोगों की नींद टूट जाएगी।"
"टूट जाने दे अब।" रितू दीदी ने कहा___"मुझे किसी की कोई परवाह नहीं है समझे? तूने मुझे शैतान की बच्ची बोला है न तो तुझे अब शैतान की ये बच्ची छोंड़ेगी नहीं।"

"अच्छा जी।" मैने कहा___"ऐसी बात है क्या? लगता है इस बच्ची का इलाज करना ही पड़ेगा।"
"तू कुछ नहीं कर पाएगा भोंदूराम।" रितू दीदी ने कहा___"जबकि मैं तेरी हालत ख़राब कर दूॅगी आज।"
"ओ हैलो।" मैने सहसा दीदी के दोनों हाथ पकड़ लिए फिर बोला___"कहीं ऐसा न हो कि मेरी हालत ख़राब करने के चक्कर में खुद तुम्हारी ही हालत ख़राब हो जाए।"

"अच्छा बच्चू।" दीदी अपने हाॅथों को मेरी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा___"इतनी बड़ी ग़लतफहमी भी है तुझको। शायद तुझे पता नहीं है कि मैं जूड़ो कराटे में ब्लैक बेल्ट होल्डर हूॅ।"

"फाॅर काइण्ड योर इन्फाॅरमेशन।" मैने कहा___"मैं भी मार्शल आर्ट्स में ब्लैक बेल्ट हूॅ। इतना ही नहीं कुंग फूॅ का भी एक्सपर्ट हूॅ मैं। इस लिए तुम मुझे कम समझने की ग़लती मत करना।"

"चल चल हवा आने दे तू।" रितू दीदी ने बुरा सा मुह बनाते हुए कहा___"बड़ा आया कुंग फू एक्सपर्ट। मेरे सामने तेरा कोई भी आर्ट्स नहीं चलने वाला।"
"और अगर चल गया तो??" मैने मुस्कुराते हुए कहा।
"चल ही नहीं सकता।" रितू दीदी कहने के साथ ही मेरे ऊपर आ गई___"अब बोल बच्चू। बड़ा कुंग फू एक्सपर्ट बनता है न।"

मैने एकदम से पलटी मारी, रितू दीदी को मुझसे इतनी जल्दी इसकी उम्मीद नहीं थी। परिणाम ये हुआ कि जहाॅ पहले मैं पड़ा हुआ था वहाॅ रितू दीदी पड़ी थी और मैं उनके ऊपर। मेरी इस हरकत से पहले तो रितू दीदी घबरा ही गईं फिर मुझे देखते ही बोली___"ओये ये क्या है? तूने ये कैसे किया?"

"हाहाहाहा क्या हुआ बहना?" मैने उनके दोनो हाॅथ दोनो साइड से बेड पर रख दिया___"हवा निकल गई क्या तुम्हारी? बड़ा जूड़ो कराटे बता रही थी न। अब बोलो क्या करूॅ तुम्हारे साथ?"
"तूने चीटिंग की है।" रितू दीदी मेरी पकड़ से अपने हाॅथ छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा___"तूने धोखे से मुझे नीचे कर दिया है।"

"अच्छा जब हारने लगी तो चीटिंग का नाम दे दिया।" मैने कहा___"चलो यही सही, लेकिन तुम तो जानती हो न प्यार और जंग में सब जायज है। अब बताओ शैतान की बच्ची कि क्या करूॅ तुम्हारे साथ?"

"ओये ज्यादा दिमाग़ न चला समझे।" रितू दीदी ने एकाएक ही मेरे पीछे से अपनी दोनो टाॅगों को दोनो साइड से ऊपर कर मेरी गर्दन में फॅसा लिया और फिर हल्का झटका दिया। परिणाम ये हुआ कि मैं उनके पैरों की तरफ उलटता चला गया। इधर दीदी पलक झपकते ही बेड से उठ कर फिर से मेरे ऊपर आ गईं।

"क्यों कुंग फू एक्सपर्ट अब क्या हाल हैं तेरे?" रितू दीदी मेरे पेट पर बैठी उछलने लगी थी, उन्होंने अपने दोनो हाथों से मेरे हाथ भी पकड़ रखे थे।
"हाल तो बहुत अच्छा है।" मैने कहा___"आपकी जीत में भी मेरी ही जीत है दीदी।"

मेरे ऐसा कहने पर रितू दीदी एकदम से शान्त पड़ गईं। मेरी ऑखों में एकटक देखने लगी थी वो। फिर जाने क्या उनके मन में आया वो उसी हालत में मेरे ऊपर ही मेरे सीने से लग कर छुपक गईं।

"तूने खेल क्यों बंद कर दिया राज।" फिर दीदी उसी हालत में उदास होकर कहा___"मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा था।"
"मुझे पता है दीदी।" मैने उनके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा___"मगर ऐसी चीज़ों की शुरूआत थोड़ी थोड़ी से ही होती है न। वैसे भी रात काफी हो गई है। इस सबसे कोई भी यहाॅ आ सकता है और हमें ये सब करते देख कर क्या सोचेगा। इस लिए मुझे लगता है इतना बहुत है आज के लिए। अब आपको भी अपने कमरे में जा कर सो जाना चाहिए।"

"क्यों, क्या मैं तेरे कमरे में तेरे साथ नहीं सो सकती?" रितू दीदी ने सहसा मेरे सीने से अपना सिर उठा कर मेरी तरफ देखते हुए कहा।
"बिलकुल सो सकती हैं दीदी।" मैंने मुस्कुरा कर कहा___"पर मैने ऐसा इस लिए कहा कि आपको शायद अपने कमरे में ही बेहतर तरीके से नींद आए और आप कंफर्टेबल महसूस करें।"

"ऐसा कुछ नहीं है मेरे भाई।" रितू दीदी ने मेरे गाल खींचते हुए किन्तु मुस्कुरा कर कहा___"मुझे तो तेरे साथ सोने में और भी अच्छी नींद आएगी और मुझे कंफर्टेबल भी महसूस होगा। ऐसा लगेगा जैसे मैं दुनियाॅ की सबसे सुरक्षित जगह पर हूॅ।"

"अगर ऐसी बात है तो ठीक है दीदी।" मैने भी मुस्कुराते हुए कहा___"जैसा आपको अच्छा लगे वैसा कीजिए। अब चलिए सो जाते हैं।"
"ओये क्या तुझे नींद आ रही है?" दीदी ने ऑखें फैलाते हुए कहा था।
"हाॅ लग तो रहा है ऐसा।" मैने कहा।

"ठीक है तू सो जा फिर।" दीदी ने कहने के साथ ही अपना सिर वापस मेरे सीने में रख लिया।
"पर आप तो मेरे ऊपर लेटी हुई हैं न दीदी।" मैने असहज भाव से कहा___"ऐसे में कैसे मैं सो सकूॅगा भला?"
"जिसको सोना होता है न वो कैसे भी सो जाता है।" रितू दीदी ने अजीब भाव से कहा___"मैं तो तेरे ऊपर ही सोऊॅगी। तुझे भी ऐसे ही सोना पड़ेगा आज।"

रितू दीदी की इस बात से मैं हैरान रह गया मगर करता भी क्या? कोई ज़ोर ज़बरदस्ती भी उनसे नहीं कर सकता था। इस लिए चुपचाप अपनी ऑखें बंद कर ली मैने और सोने की कोशिश करने लगा। जबकि मेरे चुप हो जाने पर रितू दीदी जो मेरे सीने पर अपना सिर रखे हुए थी वो मुस्कुराए जा रही थी। उनका पूरा बदन ही मेरे ऊपर था। मुझे बड़ा अजीब भी लग रहा था और असहज भी। असहज इस लिए क्योंकि दीदी के सीने के उभार मेरे सीने के बस थोड़ा ही नीचे धॅसे हुए महसूस हो रहे थे। हलाॅकि मेरे ज़हन में उनके प्रति कोई भी ग़लत भावना नहीं थी मगर सोचने वाली बात तो थी ही। ख़ैर, कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई और मैं सो गया। मुझे नहीं पता दीदी को कब नींद आई थी।
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