non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:03 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
सुबह हुई और एक नये जीवन के नये सफ़ की शुरुआत हुई। ट्रेन की शीट पर सोते हुए मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे ऊपर कोई झुका हुआ है। मुजे मेरे चेहरे पर गरम गरम हवा लगती हुई प्रतीत हो रही थी साथ ही किसी औरत के बदन पर लगे परफ्यूम की खुशबू भीमेरे नथुनों में समा रही थी। मेरी नींद टूटने की यही वजह थी। मैने पट से अपनी ऑखें खोल दी और अगले ही पल मैं ये देख कर बुरी तरह चौंका कि नीलम मेरे चेहरे के पास झुकी हुई थी।

उधर यही हाल नीलम का भी हुआ था। उसे कदाचित उम्मीद नहीं थी कि मैं इस तरह झटके से ऑखें खोल दूॅगा और फिर जैसे ही मैने पट से अपनी ऑखें खोली तो वो एकदम से हड़बड़ा गई थी। मगर हैरत की बात ये हुई कि उसने पलक झपकते ही खुद को सम्हाल भी लिया था।

"गुड माॅर्निंग राज।" फिर उसने मुस्कुराते हुए बड़ी नज़ाक़त से कहा___"सोते हुए कितने मासूम लगते हो तुम। मैं काफी देर से यही देख रही थी कि मेरा भाई सोते वक्त किसी छोटे से बच्चे की तरह मासम व क्यूट सा दिखता है। पहले मैने सोचा कि तुम्हें जगाऊॅ मगर फिर जब मैने देखा कि तुम गहरी नीद में हो और एकदम से मासूम दिख रहे हो तो मैने तुम्हें जगाना उचित नहीं समझा। बल्कि एकटक तुम्हें देखने लगी थी।"

"अच्छा तो मैं तुम्हें।" मैने उठते हुए किन्तु शरारत से कहा___"छोटा सा बच्चा नज़र आ रहा था सोते वक्त?"
"हाॅ बिलकुल।" नीलम ने मुस्कुराई___"तभी तो उस छोटे से बच्चे की मासूमियत को एकटक निहारे जा रही थी मैं।"
"पर मैने जब तुम्हें देखा रात में।" मैने पुनः शरारत से ही कहा___"तो तुम सोते वक्त ऐसी दिख रही थी जैसे कोई अस्सी साल की बुढ़िया सो रही हो। मैं तो टोटली कन्फ्यूज हो गया था उस वक्त।"

"क्या कहा???" नीलम एकदम से राशन पानी लेकर चढ़ दौड़ी___"मैं तुम्हें बुढ़िया नज़र आ रही थी। रुको अभी बताती हूॅ तुम्हें?"
"अरे नहीं यार।" मैंने एकदम से हड़बड़ाते हुए कहा__"मैं तो मज़ाक कर रहा था। तुम बुढ़िया तो किसी एंगिल से नहीं लगती हो मगर...।"

"मगर क्या???" नीलम ने ऑखें दिखाई।
"मगर दादी माॅ ज़रूर लगती हो।" मैने हॅसते हुए कह दिया।
"क्या बोला???" नीलम एकदम से मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे पेट पर बैठ गई, और फिर मेरे सीने में मुक्के मारते हुए बोली___"मैं दादी माॅ लगती हूॅ। रुक बेटा बताती हूॅ अब तुझे मैं।"

नीलम मेरे सीने में मुक्के मारे जा रही थी। मैं भी उससे बचने का कोई खास प्रयास नहीं कर रहा था। मैने तो उसे छेंड़ा ही इस लिए था कि वो ये सब करे। दरअसल इन्हीं सब चीज़ों के लिए तो मैं तरसा था। अब तक तो रितू और नीलम ने कभी मुझे अपना भाई समझा ही नहीं था। भाई बहन के बीच कैसी कैसी शरारतें होती हैं उस सबका मैने कभी स्वाद ही नहीं चखा था। मगर आज और इस वक्त वही सब मेरे और नीलम के बीच हो रहा था। सच कहूॅ तो मुझे इस सबसे बेहद खुशी हो रही थी। दिल में भड़कते हुए जज़्बात जाने क्यों मुझे रुलाने पर उतारू हो रहे थे। मेरा दिल कर रहा था कि इस वक्त भावनाओं में बहते हुए मैं नीलम से लिपट कर खूब रोऊॅ मगर मैं ऐसा नहीं करना चाहता था। क्योंकि उससे माहौल दुखी सा हो जाता जबकि मैं इस पल को जी भर के जीना चाहता था।

उधर हम दोनो बहन भाई की इस धमा चौकड़ी से आस पास बैठे ट्रेन के सब लोग आश्चर्य से ऑख व मुह फाड़े एकटक देखे जा रहे थे। हम दोनो को भी जैसे उन सबसे कोई मतलब नहीं था और ना ही कोई परवाह थी। नीलम ज़ोर ज़ोर से जाने क्या क्या बोले जा रही थी और मेरे ऊपर चढ़ी हुई मुझ पर मुक्कों की बरसात किये जा रही थी। उसकी इस आवाज़ और मेरे तेज़ हॅसी को सुन कर पीछे साइड ऊपर नीचे बर्थ पर सो रहे सोनम और आदित्य को भी जगा दिया। वो दोनो फौरन ही भाग कर हमारे पास आ गए और इधर का नज़ारा देख कर हैरान रह गए।

"ये तुम दोनो क्या ऊधम मचा रखे हो?" सहसा सोनम ने लगभग ऊॅची आवाज़ में कहा___"तुम दोनो को कुछ होश भी है कि इस वक्त कहाॅ हो तुम दोनो और तुम दोनो की इस हरकत से आस पास वाले कितना डिस्टर्ब हो रहे हैं।"

"दीदी इसने मुझे दादी माॅ बोला।" नीलम ने मुक्के मारना बंद करके शिकायत भरे लहजे मे कहा___"पहले कह रहा था कि मैं बुढ़िया लगती हूॅ फिर बात बदल कर बोला कि मैं दादी माॅ लगती हूॅ।"
"हाॅ तो क्या हो गया?" सोनम दीदी ने हाॅथ नचाते हुए कहा___"उसके ऐसा कहने से क्या तुम सच में दादी माॅ लगने लगी? देखो तो अभी उसके ऊपर बैठी हुई है बेशरम। चल उतर राज के ऊपर से वरना दो चार लगाऊॅगी अभी।"


"नहीं उतरूॅगी।" नीलम ने दो टूक भाव से कहा___"इसने मुझे दादी माॅ क्यों कहा? इससे पहले बोलिए कि ये मुझे बोले कि मैं हूर की परी लगती हूॅ। वरना आप भी देखिये कि कैसे मैं इसे मार मार के इसका भुर्ता बनाती हूॅ?"

"हूर की परी और तू???" मैंने सहसा नीलम की खिल्ली उड़ाने वाले अंदाज़ से कहा___"कभी आईने में अपनी शक्ल देखी है तूने? दादी माॅ तो मैने ऐसे ही कह दिया था तुझे, वरना तो तू बिलकुल बंदरिया लगती है। यकीन न हो तो पूछ ले सोनम दीदी से।"

मेरी इस बात से जहाॅ सोनम दीदी ने अपना सिर पीट लिया वहीं नीलम की त्यौरियाॅ चढ़ गईं। वह एकदम से तमतमाए हुए बोली___"क्या कहा बंदरिया लगती हूॅ? रुक अब तो तुझे सच में नहीं छोंड़ूॅगी। दीदी आप हमारे बीच में मत पड़ना। इसे तो मैं आज छोंडूॅगी नहीं।"

सोनम दीदी चिल्लाती रह गईं जबकि नीलम ने फिर से मुझ पर मुक्कों की बरसात कर दी। मैं महसूस कर रहा था कि वो मुझे मार ज़रूर रही थी मगर बस हल्के हल्के। कदाचित उसे भी इस सबमें मज़ा आ रहा था। किन्तु वो यही ज़ाहिर कर रही थी कि वो मेरी बातों से बेहद गुस्सा हो गई है।

"सोनम दीदी इससे कहिए कि ज्यादा झाॅसी की रानी न बने।" मैने हॅसते हुए कहा___"वरना अगर मैं महाराणा प्रताप बन गया तो फिर ये रोने के सिवा कुछ न कर पाएगी, बंदरिया कहीं की।"
"ओये तू महाराणा प्रताप बन के तो दिखा।" नीलम ने ऑखें निकाली___"मैं भी झाॅसी की रानी से माॅ दुर्गा न बन जाऊॅ तो कहना। बड़ा आया महाराणा प्रताप बनने, बंदर कहीं का।"

"ओये बंदर कौन??" मैने सहसा उसके दोनो हाॅथ पकड़ते हुए कहा___"ठीक से देख आई एम विराज दि ग्रेट।"
"विराज दि ग्रेट माई फुट।" नीलम ने मेरे हाॅथ से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा___"छोंड़ मेरे हाथ वरना नीलम परी को गुस्सा आ जाएगा और फिर विराज दि ग्रेट को मुर्गा बना देगी समझा?"

"मैं क्यों तेरे हाथ छोंड़ूॅ??" मैने कहा___"तू खुद ही छुड़ा ले न। मैं भी तो देखूॅ कि इस बंदरिया में कितना दम है।"
"ओये तू न दम की बात न कर।" नीलम ने कहा___"मैं चाहूॅ तो दो पल में अपने हाथ छुड़ा लूॅ समझा।"
"अच्छा छुड़ा के तो दिखा।" मैने ताव दिया उसे।

"रहने दे रहने दे।" नीलम ने कहा___"वरना बाद में सब तुझ पर ही हॅसेंगे कि खुद को महाराणा प्रताप कहने वाला एक मासूम सी लड़की से हार गया।"
"कोई बात नहीं।" मैने कहा___"तुझसे हारना मंजूर है। आख़िर तू मेरी प्यारी सी बहन है न।"

"अब ये मस्का क्यों लगा रहा है?" नीलम ने चौंकते हुए कहा___"क्या नीलम परी से डर गया है?"
"डरता तो मैं उस परवर दिगार से भी नहीं।" मैने नीलम का हाथ छोंड़ कर अपने हाथ की उॅगली को ऊपर की तरफ करते हुए कहा___"मगर मुझे लगता है कि अब बाॅकी सबको बक्श देना चाहिए जो बेचारे हमारी वजह से शायद डिस्टर्ब हो रहे हैं। दूसरी बात सोनम दीदी ने डंडा उठा लिया तो फिर हम दोनो की ख़ैर नहीं रहेगी। कुछ समझ में आया नीलम परी जी?"

"अगर ऐसी बात है।" नीलम ने इस तरह कहा जैसे अहसान कर रही हो___"तो चल बक्श ही देती हूॅ तुझे भी और बाॅकी सबको भी। मगर आइंदा नीलम परी से टकराने की सोचना भी मत वरना खांमाखां बेइज्जती हो जाएगी तेरी।"

"ओये अब ज्यादा उड़ मत समझी।" मैने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने ऊपर से उठाते हुए कहा___"चल अब उतर नीचे।"

मेरे ऐसा कहने पर नीलम मुस्कुराते हुए मेरे ऊपर से उतर गई मगर अंदाज़ ऐसा था उसका जैसे अभी भी जता रही हो कि आइंदा याद रखना। मुझे उसके इस अंदाज़ पर बड़ी ज़ोर की हॅसी आई मगर मैने खुद को रोंक लिया। उधर सोनम दीदी और आदित्य भी ये सब देख कर मुस्कुरा रहे थे। ख़ैर कुछ ही पलों में मैं और नीलम शीट पर आराम से बैठ गए। आदित्य और सोनम भी हमारी ही शीट पर बैठ गए। आस पास बैठे सब लोग अभी भी हमें हैरानी से देख रहे थे। मैने देखा कि नीलम का चेहरा अब एकदम से खिला खिला लग रहा था। उसके होठों पर बहुत ही हल्की सी मुस्कान थी। वो बार बार मेरी तरफ देखने लगती थी। पता नहीं क्या चल रहा था उसके मन में?

"चलो सुबह तो हो गई है।" सोनम दीदी ने मानो बातों का सिलसिला शुरू किया___"इस वक्त अगर गरमा गरम चाय या काॅफी मिल जाती तो कितना अच्छा होता।"
"हाॅ दीदी।" नीलम ने कहा___"मगर यहाॅ पर अभी ये सब कैसे मिल सकता है भला?"

"चिंता मत करो।" मैने कहा___"अगले स्टाप पर जब ट्रेन रुकेगी तो चाय या काॅफी का बंदोबस्त करने की कोशिश करूॅगा मैं।"
"विराज भाई।" सहसा आदित्य ने कहा___"मैं ज़रा फ्रेश होकर आता हूॅ।"

"ओके भाई तुम जाओ।" मैने कहा___"उसके बाद मुजे भी फ्रेश होना है।"
"और हम भी तो फ्रेश होंगे।" नीलम बोल पड़ी___"इस लिए इनके बाद सबसे पहले मैं जाऊॅगी।"
"हर्गिज़ नहीं।" मैने कहा___"आदि के बाद मैं ही जाऊॅगा।"

"तू जा के दिखाना भला।"नीलम ने मानो धमकी सी दी मुझे।
"ऐ अब तुम दोनो फिर से न शुरू हो जाओ।" सोनम दीदी ने कहा था।
"पर दीदी सेकण्ड नंबर पर मैं ही जाऊॅगी।" नीलम ने बुरा सा मुह बनाया___"इसे कह दीजिए कि ये मेरे बाद चला जाएगा।"

आदित्य हम दोनो की इस बात से मुस्कुराता हुआ उठ कर फ्रेश होने चला गया। जबकि मैने सोनम दीदी के कुछ बोलने से पहले ही कहा___"हाॅ ठीक है तुम ही चली जाना। वैसे भी मुझे इतनी जल्दी नहीं है तेरे जैसे। पहले बता देती तो आदित्य को रोंक देता।"

"ओये अब तू बकवास न कर समझे।" नीलम ने ऑखे दिखाते हुए कहा___"मुझे भी इतनी जल्दी नहीं है।"
"उफ्फ।" सोनम दीदी कह उठी___"तुम दोनो फिर से शुरू हो गए। ओके फाइन अगर तुम दोनो को इतनी जल्दी नहीं है तो मैं चली जाऊॅगी एण्ड दिस इज क्लियर।"

"ये सही कहा दीदी आपने।" मैने हॅसते हुए कहा___"अब आप ही जाना फ्रेश होने। सबसे लास्ट में यही जाएगी।"
"नहींऽऽ।" नीलम एकदम से हड़बड़ा गई___"आदि भैया के बाद मैं ही जाऊॅगी।"
"क्यों अब क्या हुआ तुझे?" सोनम दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा___"अभी तो कह रही थी न कि तुझे कोई जल्दी नहीं है तो अब क्या हुआ?"

"मैं कुछ नहीं जानती।" नीलम ने मानो फैंसला सुना दिया___"आदि भैया के बाद मैं ही जाऊॅगी और अगर आपने दोनो ने मुझे नहीं जाने दिया तो मैं यहीं पर हड़ताल कर दूॅगी।"
"उसे हड़ताल नहीं।" मैने हॅसते हुए कहा___"पोट्टी कर देना कहते हैं पगली।"

"ओये चुप कर तू।" नीलम पहले तो सकपकाई फिर घुड़की सी दी मुझे___"ज्यादा चपड़ चपड़ मत कर वरना ट्रेन के नीचे फेंक दूॅगी तुझे।"
" वैसे बात तो राज ने सही कही है।" सोनम दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा___"उसे हड़ताल करना थोड़ी न कहते हैं।"

सोनम दीदी की इस बात से मेरी हॅसी छूट गई और मेरे साथ ही साथ सोनम दीदी भी हॅसने लगी थी। हम दोनो के हॅसने से नीलम का चेहरा देखने लायक हो गया। ऐसा लगा जैसे वो अभी रो देगी। सामने की शीट पर बैठे लोग भी मुस्कुरा उठे थे। मैने जब देखा कि नीलम कहीं सच में ही न रो दे तो मैने अपनी हॅसी रोंक कर झट से उसे खींच कर खुद से छुपका लिया।

"तुम दोनो बहुत गंदे हो।" नीलम मुझसे अलग होने की कोशिश करते हुए किन्तु रूठे हुए भाव से बोली___"जाओ मुझे तुम दोनो से अब कोई बात नहीं करनी।"
"अरे ऐसा मत करना तू।" मैने उसे मजबूती से छुपकाए हुए कहा___"हड़ताल भले ही यहीं पर कर देना।"
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RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 01:03 PM

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