non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:03 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार

"ओह बड़ी अजीब बात है ये तो।" चौधरी ने सोचने वाले भाव से कहा___"फिर तो वो लड़का दर दर का भिखारी ही है। ऐसी हालत में वो ये सब हमारे साथ कैसे रहा पा रहा है? ये तो हैरत की बात है।"

"हैरत वैरत की कोई बात नहीं है चौधरी साहब।" अशोक मेहरा ने कहा___"ताऊ के द्वारा हवेली से बेदखल होने के बाद वो लड़का आजकल मुम्बई में रहता है अपनी विधवा माॅ और बहन के साथ।"
"अच्छा।" चौधरी ने कहा___"तो क्या वो मुम्बई में रहते हुए ये सब कर रहा है?"

"इस बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता मगर।" अशोक मेहरा ने कहा___"मगर संभव है कि उसे अपनी प्रेमिका के साथ हुए काण्ड का पता चला हो और वो मुम्बई से यहाॅ आया हो। उसके बाद उसने ये सब शुरू किया हो।"

"ओह।" चौधरी को जैसे बात समझ आ गई___"संभव है ऐसा ही हो। ख़ैर उस लड़के के परिवार में और कौन कौन लोग हैं?"
"लड़के का बाप तीन भाई थे।" अशोक ने कहा___"सबसे बड़ा अजय सिंह, फिर लड़के का बाप विजय सिंह और उसके बाद अभय सिंह। अजय सिंह के दो बेटियाॅ और एक लड़का है। उसकी बड़ी बेटी हल्दीपुर थाने में थानेदार है।"

"क क्या????" चौधरी ही नहीं बल्कि सभी बुरी तरह चौंके थे, फिर चौधरी ने ही कहा___"उस ठाकुर की बेटी थानेदार है। मतलब की पुलिस वाली है वो?"
"हाॅ मगर आप ये हर्गिज़ भी न सोचें कि।" अशोक मेहरा ने कहा____"कि उसका इस मामले में कोई हाथ है।"

"अरे, क्यों नहीं हो सकता ऐसा?" चौधरी से पहले अवधेश बोल पड़ा था___"वो अपने चचेरे भाई की मदद तो यकीनन कर सकती है भाई।"
"ऐसा नहीं है अवधेश भाई।" अशोक ने कहा___"क्योंकि अजय सिंह ही नहीं बल्कि उसकी औलादें भी उस लड़के और उसकी माॅ बहन से नफ़रत करती हैं।"

"एक मिनट अशोक भाई।" सहसा अवधेश श्रीवास्तव ने कुछ सोचते हुए कहा___"एक मिनट। हमारे बच्चों ने उस लड़की के साथ रेप सीन को अंजाम दिया उसके बाद वो चिमनी में बने अपने फार्महाउस पर चले गए। जहाॅ से उन्हें किडनैप कर लिया गया। चिमनी हल्दीपुर के बाद ही पड़ता है। ख़ैर रेप की वारदात हल्दीपुर के आस पास के ही क्षेत्र में हुई या फिर ऐसा होगा कि हमारे बच्चों ने अपने फार्महाउस पर ही उस लड़की से सामूहिक रेप किया और उसके बाद उसे हल्दीपुर की सीमा के अंदर ले जा कर छोंड़ आए होंगे। ये सब मैं इस लिए कह रहा हूॅ कि वो रेप सीन उस समय काफी फैल गया था उस क्षेत्र में। ख़ैर अब सोचने वाली बात ये है कि अगर रेप पीड़िता लड़की हल्दीपुर की सीमा में पाई गई तो क्या हल्दीपुर के थाने में मौजूद वो थानेदारनी चुप बैठी रही होगी? उसने शुरुआती ऐक्शन तो लिया ही होगा।"

"तुम आख़िर कहना क्या चाहते हो?" अशोक मेहरा ने पूछा___"इस मामले में अचानक तुम इस एंगिल से क्यों सोचने लगे?"
"दरअसल मैं भी तुम्हारी तरह संभावनाएॅ ही ब्यक्त कर रहा हूॅ भाई।" अवधेश ने कहा___"मामला काफी पेचीदा है। मगर मैं इधर उधर की कड़ियाॅ समेटने की कोशिश कर रहा हूॅ।"

"साफ साफ बोलो क्या कहना चाहते हो तुम?" सहसा चौधरी कर उठा___"यूॅ बातों को घुमाने का क्या मतलब है?"
"जैसा कि अशोक भाई ने कहा।" अवधेश श्रीवास्तव ने कहा___"कि थानेदारनी अपने भाई की मदद नहीं कर सकती क्योंकि वो भी अपने माॅ बाप की तरह ही उससे नफ़रत करती है। मगर सवाल ये है कि थानेदारनी के क्षेत्र में रिप पीड़िता पाई गई तो क्या थानेदारनी ने इस पर कोई ऐक्शन नहीं लिया होगा?"

"अगर उसने कोई ऐक्शन लिया होता तो उसका पता हमें ज़रूर चलता।" दिवाकर चौधरी ने कहा___"ये तो सच है कि वो रेप स्कैण्डल एक पुलिस केस ही था मगर उस स्कैण्डल का कोई पुलिस केस नहीं बना। इस बात खुलासा कमिश्नर खुद कर चुका है।"

"या फिर ऐसा हुआ होगा कि उस थानेदारनी ने केस बनाने की कोशिश की होगी।" अशोक ने कहा___"मगर कमिश्नर ने उसे केस बनाने या उस वारदात पर कोई ऐक्शन लेने से मना कर दिया होगा। थानेदारनी भला अपने आला अफसर के खिलाफ़ कैसे कोई क़दम उठाती? "

"हाॅ ऐसा भी हो सकता है।" चौधरी ने कहा___"और आम जनता ने इस पर हो हल्ला इस लिए नहीं किया क्योंकि उसे भी पता है कि मामला सीधा मंत्री के बेटे और उसके बेटे के दोस्तों का था। यानी कि हमारे डर की वजह से जनता ख़ामोश रह गई।"

"तो इन बातों का निष्कर्स ये निकला।" सहसा सुनीता ने गहरी साॅस लेने के बाद कहा___"कि वो लड़का जिसे कि उसके ताऊ ने उसकी माॅ बहन के साथ घर से दर बदर किया वही इस सबके पीछे है। यानी वो अपनी प्रेमिका के साथ हुए उस रेप का बदला ले रहा है।"

"बिलकुल।" अशोक ने पुरज़ोर लहजे में कहा__"विधी के माॅ बाप के अलावा वही एक ऐसा है जो ये सब कर सकता है। यानी ये सब करने की वजह उसके पास भी है।"
"अगर ये वाकई सच है।" अवधेश ने कहा___"तो अब हमें उस लड़के का पता लगाना होगा। मगर इस बार पहले जैसी ग़लती हर्गिज़ भी नहीं होनी चाहिए। वरना इस बार इसका खामियाजा हमें भारी कीमत पर चुकाना पड़ सकता है।"

"बड़ी हैरत की बात है।" दिवाकर चौधरी के लहजे में कठोरता थी, बोला___"एक पिद्दी से इंसान ने हमें इस तरह अपने शिकंजे में कसा हुआ है कि हम आज़ाद होते हुए भी आज़ाद व बेफिक्र नहीं हैं। वो जब चाहे हम सबको बीच चौराहे पर नंगा दौड़ा सकता है और हम कुछ कर नहीं सकते। सारे प्रदेश में हमारी एकछत्र हुकूमत है। हमारी इजाज़त के बिना इस प्रदेश में कहीं का कोई पत्ता भी नहीं हिल सकता। मगर कमाल देखो कि हम सब जो खुद को सबसे बड़ा सूरमा समझ रहे हैं आज उस हरामज़ादे की मुट्ठी में कैद हो कर रह गए हैं। लानत है हम पर और हमारे सूरमा होने पर।"

"आप चिंता मत कीजिए चौधरी साहब।" अशोक मेहरा ने कहा___"बकरे की अम्मा कब तक ख़ैर मनाएगी? आज भले ही उस कमीने का पलड़ा हम पर भारी है मगर किसी दिन तो उससे भी कोई चूक होगी जिसके तहत वो हमारे हत्थे चढ़ेगा। उसके बाद हम बताएॅगे कि हमारे साथ इतना बड़ा दुस्साहस करने का कितना खूबसूरत अंजाम होता है।"

"बकवास मत करो अशोक।" चौधरी ने बिफरे हुए से लहजे में लगभग चीखते हुए कहा___"तुम्हारा ये डायलाग हम इसके पहले भी जाने कितनी बार सुन चुके हैं मगर अब तक ऐसा कोई पल नहीं आया जिससे हमें लगे कि हाॅ अब हालात हमारे हक़ में हैं। मादरचोद ने अपाहिज बना के रख दिया है हमे। किसी से ठीक से मिल नहीं सकते। किसी समारोह में नहीं जा सकते। साला हर पल डर लगा रहता है कि ऐसी किसी जगह पर वो हरामज़ादा कोई ऐसी वैसी हरकत न कर दे कि सबके सामने हमारी इज्ज़त का कचरा हो जाए।"

"बुरा मत मानिएगा चौधरी साहब।" अशोक ने कहा___"मगर हमें इतना बेबस बना देने में सबसे बड़ा हाॅथ आपके बेटे सूरज का है।"
"क्या मतलब है तुम्हारा?" चौधरी एक झटके से अशोक की तरफ घूमते हुए कहा था।

"आप खुद सोचिए।" अशोक ने कहा___"हमारे सभी बच्चों का लीडर कौन है___आपका बेटा ही न?"
"हाॅ तो।" चौधरी चकराया।
"आप ये बताइये कि फार्महाउस पर हमारे ऐसे संबंधों की वीडियो क्लिप बनाने की क्या ज़रूरत थी उसे?" अशोक ने कहा___"क्या उसे इतना भी एहसास नहीं था कि ऐसे वीडियो किसी डायनामाइट से कम नहीं होते। हम जैसे लोगों के हज़ारो प्रतिद्वंदी होते हैं जिन्हें हमारी ऐसी ही किसी कमज़ोरी की तलाश रहती है। आज उन्हीं वीडियोज की वजह से हम इतना बेबस व लाचार बने बैठे हैं। अगर वो वीडियोज बने ही न होते तो आज किसी की हिम्मत ही न होती हमें इतना मजबूर करने की।"

"हाॅ हम जानते हैं कि हमारे बेटे ने ऐसे वीडियोज बना कर बहुत बड़ी ग़लती की है।" चौधरी ने खेद भरे भाव से कहा___"मगर अब जो हो गया उसका कोई कर भी क्या सकता है? हमें तो सारे बच्चों की फिक्र है। जाने उनके साथ कैसा सुलूक कर रहा होगा वो हरामज़ादा?"

"हम खुद तो कुछ कर नहीं सकते हैं।" अवधेश ने कहा___"मगर किसी और को इस काम में ज़रूर लगा सकते हैं।"
"क्या मतलब??" अशोक के माथे पर शिकन उभरी।

"मुझे लगता है कि हमें इस काम के लिए किसी क़ाबिल व बहादुर डिटेक्टिव को हायर करना चाहिए।" अवधेश ने कहा___"जासूस लोग गुप्त तरीके से काम करने में काफी माहिर होते हैं। वो अपने और अपनी गतिविधियों के बारे में किसी को तब तक पता नहीं चलने देते जब तक कि वो खुद न चाहें। अगर यही काम हम अपने आदमियों से कराएॅगे तो हमारी किसी गतिविधी का उस लड़के को पता चलने में देर नहीं लगेगी। अब तक के उसके क्रिया कलाप से ये ज़ाहिर हो चुका है कि वो अपने हर काम में बेहद होशियारी और सतर्कता रखता है और हमारी पल पल की ख़बर रखता है। इस लिए हमें किसी डिटेक्टिव को हायर करना चाहिए।"

"आइडिया बुरा नहीं है।" अशोक ने कहा___"मैं तुम्हारी इस सलाह से सहमत हूॅ। यकीनन इस काम में एक डिटेक्टिव ही कुछ कर सकता है। वो उस लड़के की सारी जन्मकुण्डली भी निकाल लेगा और हमारे बच्चों का पता भी लगा लेगा।"

"तो फिर देर किस बात की है?" चौधरी ने कहा___"अगर तुम दोनों को लगता है कि कोई डिटेक्टिव इस काम को बखूबी सफलतापूर्वक कर सकता है तो फिर ऐसे किसी डिटेक्टिव को फौरन हायर करो।"

"मेरी जानकारी में ऐसा एक डिटेक्टिव है।" अवधेश ने कहा___"मैं आज ही उससे फोन पर बात करता हूॅ और उसे जल्द से जल्द यहाॅ बुलाता हूॅ।"
"अच्छी बात है।" चौधरी ने कहा___"उसे बोलो फौरन हमारे सामने हाज़िर हो जाए। उसको उसके काम की मुहमाॅगी फीस के रूप में रकम मिलेगी।"

अवधेश ने चौधरी की बात सुनकर अपने कोट की पाॅकेट से मोबाइल निकाला और उसमें से किसी को फोन लगाया। थोड़ी देर बात करने के बाद उसने मोबाइल वापस अपनी पाॅकेट में डाल लिया।

"चौधरी साहब।" फिर उसने मंत्री की तरफ देखते हुए कहा___"मैने डिटेक्टिव से बात कर ली है। वो कल तक हमारे पास पहुॅच जाएगा। अब आप किसी बात की फिक्र मत करें। बहुत जल्द हमारा दुश्मन हमारे कब्जे में होगा और हमारे बच्चे हमारे पास होंगे।"

"अच्छी बात है अवधेश।" चौधरी ने कहा___"अब तो हमें तुम्हारे उस डिटेक्टिव पर ही भरोसा करना है। इसके सिवा दूसरा कोई चारा भी नहीं है।"
"आप निश्चिंत हो जाइये चौधरी साहब।" अवधेश ने कहा___"डिटेक्टिव बहुत ही क़ाबिल ब्यक्ति है। मुझे यकीन है कि बिना कोई नुकसान हुए हमारा हर काम हो जाएगा।"

"इससे ज्यादा हमें और चाहिए भी क्या?" चौधरी ने कहने के साथ ही सहसा सुनीता की तरफ देखा___"इतने दिनों में आज पहली बार एक नई उम्मीद पैदा हुई है। इस लिए हम चाहते हैं कि आज तबीयत खुश कर दो तुम।"
"हाय।" सुनीता ने दाॅतों तले अपने होंठ दबा कर आह सी भरते हुए कहा___"कितनी सुंदर बात कही है मेरे बलम ने। मैं तो कब से इसके लिए तड़प रही हूॅ। अब जब मूड बन ही गया है तो चलिए कमरे में और तबीयत हरी कर लीजिए।"

सुनीता की इस बात से चौधरी तो मुस्कुराया ही उसके साथ अशोक व अवधेश भी मुस्कुरा पड़े। इसके बाद चारो ही सोफों से उठ कर कमरे की तरफ बढ़ गए।
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RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 01:03 PM

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