non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:02 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
तहखाने से बाहर आकर रितू तेज़ तेज़ क़दमों के साथ अपने कमरे की तरफ बढ़ गई थी। कमरे में आते ही उसने आलमारी से अपना वो मोबाइल निकाला जिसे उसने अपने एक मुखबिर से खरिदवाया था। उस फोन को अपनी पाॅकेट में डाल कर उसने अपने आईफोन को स्विच ऑफ किया और उसे भी अपनी जेब में डाल लिया। उसके बाद उसने आलमारी से अपना सर्विस रिवाल्वर निकाल कर उसे चेक किया तत्पश्चात उसे भी अपनी जीन्स की बेल्ट में खोंस लिया। टाप के ऊपर उसने एक लेदर की जाकेट पहना और टेबल से जिप्सी की चाभी लेकर वह कमरे से बाहर निकल गई।

बाहर लान में एक तरफ खड़ी जिप्सी में बैठ कर उसने जिप्सी को स्टार्ट किया और मेन गेट से बाहर आ गई। इस बार उसकी जिप्सी का रुख पुल की तरफ न होकर उस तरफ था जिस तरफ फार्महाउस के बगल से एक अन्य रास्ता किसी दूसरी जगह की तरफ जाता था। रितू ने इस रास्ते को जानबूझ कर चुना था क्योंकि उसे पता था कि नहर पर बने पुल की तरफ वाले रास्ते पर आगे ख़तरा था। उसके बाप के आदमी कहीं भी उसे मिल सकते थे। हलाॅकि रितू को पता था कि उसके बाप को सीबीआई वाले ले गए थे। किन्तु फिर भी उसे ये तो एहसाह था ही कि उसके बाप के आदमी खुले घूम रहे हैं।

लगभग दस मिनट बाद रितू ने जिप्सी को एक ऐसी जग। पर रोंका जहाॅ पर एक पवन चक्की लगी थी। दाहिने तरफ दूर एक पहाड़ था जो कि गेरुए रंग का था। बाॅकी दूर दूर तक सुनसान इलाका पड़ा हुआ था। पवन चक्की से लगभग पचास गज की दूरी पर ही रितू ने मेन सड़क हे उतार कर जिप्सी को रोंका हुआ था। कुछ देर आस पास का जायजा लेने के बाद उसने अपने जीन्स की पाॅकेट से नये मोबाइल को निकाला और उसे स्विच ऑन किया। स्विच ऑन होते ही उसने उस पर कोई नंबर डायल कर उसने मोबाइल को कान से लगा लिया।

"क्या हाल चाल हैं तेरे मंत्री?" उधर से फोन उठाते ही रितू ने मर्दाना आवाज़ में कहा था।
"मेरे हाल की छोंड़।" उधर से मंत्री का लगभग तीखा स्वर उभरा__"तू अपने हाल की चिन्ता कर।"
"ओहो ऐसा क्या?" रितू ने नाटकीय अंदाज़ से कहा___"मेरे हाल का क्या होने वाला है भला?"

"चिंता मत कर।" उधर से मंत्री ने कहा___"बहुत जल्द तेरा हाल बेहाल करने वाला हूॅ मैं। मुझे पता चल गया है कि मेरे साथ ऐसा दुस्साहस करने वाला तू कौन है। इस लिए अब मैं तेरा वो अंजाम करूॅगा जो आज तक किसी ने ना तो सोचा होगा और ना ही सुना होगा।"

मंत्री दिवाकर चौधरी की इस बात से रितू बुरी तरह चौंकी। उसके मन में सवाल उभरा कि मंत्री को भला उसके बारे में कैसे पता चल गया? क्या कमिश्नर साहब ने उसे उसके बारे में बताया? नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता। कमिश्नर साहब उसके बारे में उसको तो क्या बल्कि किसी को भी कुछ नहीं बता सकते। उन्हें पता है कि मंत्री इस प्रदेश के लिए कितना हानिहारक है। उन्होंने मंत्री के खिलाफ़ इस जंग को अंजाम तक पहुॅचाने का खुद हुक्म दिया था। फिर भला वो कैसे उसके बारे में उसे बता देंगे? नहीं नहीं ऐसा संभव नहीं है। तो फिर मंत्री को उसके बारे में कैसे पता चल गया? रितू का दिमाग़ तेज़ी से इधर उधर भाग दौड़ कर रहा था। मगर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। सहसा उसके मन में ख़याल आया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि उसके ही पुलिस डिपार्टमेन्ट का कोई पुलिस वाला मंत्री को सब कुछ बताया हो। मगर ऐसा कैसे हो सकता है? क्योंकि ये केस बहुत ही गोपनीय था। इसके बारे में कमिश्नर के सिवा किसी को कुछ पता नहीं था। सहसा रितू को उन पुलिस वालों की याद आई जिन्हें उसने सूरज के फार्महाउस में सूरज से लड़ाई करने के बाद सस्पेण्ड किया था। रितू की लगा कि यकीनन उन्हीं ने मंत्री को सब कुछ बताया होगा। क्योंकि उन्हें तो पता ही था कि उसने सूरज और उसके दोस्तों से फार्महाउस पर लड़ाई की थी और उन चारों को अधमरा कर दिया था। रितू को यकीन हो गया कि उन पुलिस वालों ने ही मंत्री को सब कुछ बताया है और अब मंत्री उसके लिए काल बन कर अपना क़हर बरसाने वाला है।

"क्या हुआ चौहान के बच्चे?" रितू को इतनी देर से ख़ामोश जान कर उधर से मंत्री ने चहकते हुए कहा___"हवा निकल गई क्या तेरी?"

मंत्री का ये वाक्य सुन कर रितू के ज़हन में जैसे विष्फोट सा हुआ। सारा मामला पल भर में उसकी समझ में आ गया। उसे समझ में आ गया कि मंत्री ने उस रेप पीड़िता लड़की यानी विधी के चलते ये पता लगाया है। उसने पता किया होगा कि उसके बच्चों ने जिस लड़की के साथ रेप को अंजाम दिया था वो लड़की विधी थी जो उसके ही बच्चों के काॅलेज में पढ़ती थी। मंत्री ने अपनी तरफ से छानबीन की होगी कि इस मामले में पुलिस ने तो अपना हाॅथ नहीं डाला और ना ही कोई केस वगैरह हुआ। मगर लड़की के साथ जो कुछ हुआ उसे उसके घर वाले सहन नहीं कर सके। इस लिए संभव है कि लड़की के बाप ने अपनी बेटी के साथ हुए इस अत्याचार का बदला लेने के लिए ये सब किया है। रितू ने स्वीकार किया कि मंत्री का सोचना एकदम जायज़ है।क्योंकि उसके साथ ये सब करने की वजह सिर्फ और सिर्फ विधी के बाप के पास ही थी और अब वह इस मामले को जान कर विधी के घर वालों के ऊपर क़हर बन कर टूटने वाला है।

रितू ने राहत की साॅस तो ली किन्तु उसे अब विधी के माॅ बाप की चिंता सताने लगी थी। वो जानती थी कि इस केस से विधी के घर वालों का कोई लेना देना नहीं है। वो बेचारे तो बेक़सूर हैं। रितू विधी के पैरेन्ट्स के लिए फिक्रमंद हो उठी थी। मगर फिर जैसे उसे ख़याल आया कि उसे इतना चिंता करने की क्या ज़रूरत है? उसके पास तो मंत्री और उसके साथियों के खिलाफ़ सबूत के रूप में ऐसा डायनामाइट है जो अगर पब्लिक के सामने आ जाए तो मंत्री और उसके साथी एक ही पल में उस डायनामाइट के विष्फोट से तहस नहस हो जाएॅगे। इस ख़याल के आते ही रितू के खूबसूरत होठों पर मुस्कान फैल गई। जबकि,

"लगता है तेरे सभी देवता कूच कर गए हैं चौहान।" उधर से मंत्री का ठहाका गूॅजा___"तुझे समझ आ गया होगा कि अब तेरे साथ क्या होने वाला है। मगर चिंता मत कर। मैं तुझे एक सुनहरा मौका देता हूॅ। सुना है कि तेरी बीवी बहुत सुंदर है, बिलकुल वैसी ही जैसी तेरी वो बेटी थी जिसे हमारे बच्चों ने रगड़ रगड़ कर पेला था। हो भी क्यों न, आख़िर खूबसूरत माॅ की कार्बन काॅपी जो थी। ख़ैर, मैं ये कह रहा हूॅ कि अगर तुझे अपनी और अपने परिवार की ज़रा सी भी फिक्र है तो तू अपनी उस खूबसूरत बीवी को हमारे हरम में ले आ। अगर तेरी बीवी ने मुझे और मेरे सभी साथियों को खुश कर दिया तो सोचूॅगा कि तुझे तेरी इस हिमाक़त के लिए माफ़ कर दूॅ।"

"ज्यादा उड़ मत रंडी की औलाद।" रितू ने मर्दाना आवाज़ में गरजते हुए कहा___"तूने अगर मेरे बारे में ऐसा वैसा सोचने की कोशिश की तो सोच लेना कि तेरी बेटी मेरे कब्जे में ही है। उसके साथ मैं क्या क्या करूॅगा ये तू सोच भी नहीं सकता। मुझे अपनी ज़रा सी भी परवाह नहीं है क्योंकि मैं छोटा आदमी हूॅ और बेटी के मरने के बाद वैसे भी अब मुझमें जीने की कोई ख्वाहिश नहीं है। मगर तेरा क्या होगा नाली के कीड़े? तू तो इस प्रदेश की नाॅक और कान है न। तेरे वो रंगीन वीडियो अभी भी मेरे पास हैं। मैं चाहूॅ तो इसी वक्त उन्हें सोसल मीडिया पर डाल कर तेरी और तेरी इज्ज़त की धज्जियाॅ उड़ा दूॅ। उसके बाद तेरे पीछे प्रदेश की जनता और पुलिस इस तरह कुत्तों की तरह दौड़ पड़ेगी कि साले तुझे कहीं पर छुपने की जगह भी न मिलेगी।"

रितू की इन खतरनाक बातों से उधर सन्नाटा सा छा गया। ऐसा लगा जैसे मंत्री को साॅप सूॅघ गया हो। सच ही तो था। उसे कदाचित इस बात का ध्यान ही नहीं रह गया था कि उसके सबसे बड़े रक़ीब के पास उसके खिलाफ़ कितना बड़ा डायनामाइट मौजूद है।

"अब बोलता क्यों नहीं हरामज़ादे?" रितू ने पुनः दहाड़ते हुए कहा___"तेरी अम्मा मर गई क्या? एक बात कान खोल कर सुन ले। तू ये मत समझना कि मैं यहाॅ पर अकेला हूॅ और तेरे आदमी मुझे पल भर में हजम कर जाएॅगे। इतना कमज़ोर भी नहीं हूॅ मैं। मुझे तेरे क्रिया कलाप की पल पल की ख़बर है और मैने अपने चारो तरफ गुप्त रूप से ऐसे आदमी लगा रखे हैं जो मुझे सुरक्षा भी प्रदान करते हैं और ये भी बताते हैं कि तेरा अगला क़दम क्या होने वाला है। इस लिए तू कुछ भी करने या सोचने से पहले ये ज़रूर सोच लेना कि तेरी कोई भी छोटी बड़ी हरकत तेरा वो अंजाम कर देगी जिसके बारे में अभी मैने तुझे बताया था। तेरी बेटी और वो चारो लड़के मेरे कब्जे में हैं और मैं चाहूॅ तो तेरी बेटी के साथ तेरे ही बच्चों की वैसी वीडियो क्लिप बना कर तुझे भेज दूॅ जैसी वीडियो तेरे पास मैं पहले भी भेज चुका हूॅ। यकीन न हो तो बोल, मुझे तेरी बेटी की हाॅट वीडियो बनाने में ज़रा भी वक्त नहीं लगेगा।"

"नहीं नहीं प्लीज ऐसा ग़ज़ब मत करना।" उधर से मंत्री का गिड़गिड़ाहट से भरा स्वर उभरा___"मैं तुम्हारे आगे हाॅथ जोड़ता हूॅ। मुझसे ग़लती हो गई जो मैने तुम्हें वो सब कहा। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूॅगा जिससे मुझे खुद ही गर्त में डूब जाना पड़े। मगर,,,,

"अटक क्यों गया हिजड़े?" रितू गुर्राई___"बोल न, मगर क्या?"
"मगर मैं ये जानना चाहता हूॅ।" मंत्री ने कहा___"कि ये सब कब तक चलेगा? मेरा मतलब है कि तुम्हें जो चाहिए वो मैं बिना सोचे समझे देने को तैयार हूॅ। मगर तुम मेरे बच्चों को कुछ भी नहीं करोगे।"

"तू मेरे सामने कोई कंडीशन रखने की पोजीशन में कहाॅ है कुत्ते?" रितू ने कहा___"और तू भला मुझे देगा क्या? तेरी औकात क्या है मुझे कुछ देने की? तू तो साले खुद ही भिखारी है। हर पाॅच साल में भिखारी की तरह जनता के सामने हाॅथ फैलाए पहुॅच जाता है। ये अलग बात है कि जनता की भीख का तू गंदे तरीके से फल देता है। उसी का अंजाम तो भुगतना है तुझे। इस प्रदेश से तेरे जैसे लोगों की सल्तनत ही नहीं बल्कि नामो निशान तक मिटाने का सोच लिया है मैने।

और हाॅ, किसी भी तरह की रियायत की उम्मीद मत करना। क्योंकि वो तेरे जैसों के लिए मेरी अदालत में है ही नहीं।"

"मैं मानता हूॅ कि मेरे बच्चों ने तुम्हारी बेटी के साथ बहुत बुरा सुलूक किया था।" उधर से मंत्री का धीर गंभीर स्वर उभरा___"और ये भी मानता हूॅ कि मैने अपने कार्यकाल में प्रदेश की जनता के साथ बहुत बुरा किया है। मगर जो गुज़र गया उसे तो लौटाया नहीं जा सकता न? हाॅ इतना वचन ज़रूर देता हूॅ कि आइंदा से प्रदेश की जनता के साथ कुछ भी बुरा नहीं करूॅगा बल्कि हर दम हर पल अच्छा करने की कोशिश करेगा। मैने जिसका जो भी बुरा किया है उसका नुकसान मैं दोगुने भाव से भरूॅगा।"
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