non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:01 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
♡ एक नया संसार ♡

अपडेट........ 《 51 》

अब तक,,,,,,,,

"कुछ तो करना ही पड़ेगा चौधरी साहब?" अशोक ने कहा___"साला नुकसान तो दोनो तरफ से होना ही है। इस लिए कुछ करके ही नुकसान झेलते हैं। शायद ऐसा भी हो जाए कि सारा खेल हमारे हक़ में हो जाए।"
"बात तो सच कही तुमने।" चौधरी ने कहा___"मगर सवाल ये है कि हम करेंगे क्या?"

"वही जो करने का सजेशन थोड़ी देर पहले अवधेश भाई ने दिया था।" अशोक ने कहा___"मगर उसमें थोड़ा चेंज करना पड़ेगा। वो ये कि लड़की के घरवालों को पहले हम दिलेरी से धरने जा रहे थे जबकि अब वही काम हम इस तरीके से करने की कोशिश करेंगे कि उस कम्बख्त को इसकी भनक तक न लग सके।"

"ओह आई सी।" अवधेश श्रीवास्तव बोला__"मगर मुझे लगता है कि हमें एक बार ये सब करने से पहले फिर से इस बारे में सोच लेना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि हम खुद ही धर लिए जाएॅ।"
"कायर व डरपोंक जैसी बातें मत करो अवधेश।" चौधरी ने कठोरता से कहा___"अब हम चुप भी नहीं बैटना चाहते हैं। साला हिंजड़ा बना कर रख दिया है उसने हमें। मगर अब और नहीं। अब जो होगा देखा जाएगा।"

बस चौधरी की इस बात ने जैसे फैंसला सुना दिया था। किसी में भी इस फैंसले के खिलाफ़ जाने की हिम्मत न थी। इस लिए अब इस काम को अंजाम देने की समय सीमा पर विचार विमर्ष किया गया और उसके बाद अशोक और अवधेश अपने अपने घर चले गए। मगर आगे किसके साथ क्या होने वाला है ये किसी को कुछ पता न था।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

अब आगे,,,,,,,

उधर तहखाने में रितू जब पहुॅची तो वहाॅ की साफ सफाई देख कर खुश हो गई। अब यहाॅ पर पहले जैसी गंद नहीं थी। एक तरफ सूरज और उसके तीनो दोस्त हाथ ऊपर किये रस्सी से बॅधे खड़े थे। रितू को तहखाने में आया देख कर उन चारों की निगाह स्वयमेव ही उस तरफ उठती चली गई थी। चेहरों पर घबराहट के भाव एकाएक ही उजागर हो गए थे। चारों की हालत काफी ख़राब हो चुकी थी। ठीक से भोजन न मिलने की वजह से उनके जिस्म कमज़ोर से दिखाई दे रहे थे। दाढ़ी मूॅछें बढ़ गई थी जिससे पहचान में नहीं आ रहे थे वो। वहीं दूसरी तरफ दीवार के पास ही लकड़ी की एक कुर्सी पर मंत्री की बेटी रचना बैठी हुई थी। उसके दोनो हाॅ तथा दोनो पैर कुर्सी से इस तरह बॅधे हुए थे कि वह हिल डुल भी नहीं सकती थी।

"वाह काका।" तहखाने के फर्श पर चलते हुए रितू ने हरिया की तरफ देख कर कहा___"आपने तो कमाल ही कर दिया है। यहाॅ की साफ सफाई देख कर लगता ही नहीं है कि अभी थोड़ी देर पहले यहाॅ गंदगी का कितना बड़ा साम्राज्य कायम था।"

"ई सुसरे लोगन ने इहाॅ बड़का वाला गंदगी फेरे रहे बिटिया।" हरिया काका ने कहा___"यसे साफ तो करइन का परत ना। बस थोड़ी दिक्कत ता हुई पर हम सब बहुत अच्छे से कर लिया हूॅ।"
"हाॅ वो तो दिख ही रहा है काका।" रितू ने सहसा पहलू बदलते हुए कहा___"ख़ैर, इन लोगों की ख़ातिरदारी अच्छी चल रही है न?"

"अरे बिटिया।" हरिया ने अजीब भाव से कहा___"ई कइसन सवाल हा? ई बात ता ई ससुरा लोगन का देख के ही समझ मा आ जई कि हम कितना अच्छे से ई लोगन केर खातिरदारी किया हूॅ। बस ई ससुरी छोकरिया बहुतै उछलत रही।"

"ऐसा क्यों काका?" रितू चौंकी।
"अरे ऊ का है ना बिटिया।" हरिया ने ज़रा नज़रें झुकाते हुए कहा___"ई चारो लोगन के जइसन एखरौ टट्टी पेशाब छूट गइल रहे। एसे हमका एखर नीचे का कपड़ा उतारैं का परा। पर हम सच कहत हूॅ बिटिया। हम एखे बदनवा का कछू नाहीं देखेन। एखे बावजूदव ई ससुरी चिल्लात रही यसे हम भी गुस्सा मा एक लाफा दै दिये इसको। ससुरी बहुतै गंदा गरियावत रही हमका। पर हमहू तबहिनै माने जब एखर सब कुछ साफ कर के चकाचक कर दिहे।"

"ओह तो ये बात है।" रितू मन ही मन मुस्कुराते हुए बोली___"कोई बात नहीं काका। आपने अपना काम बहुत अच्छे से किया है। वरना तो ये सब गंद फैलाते ही रहते न?"
"एक बार मेरे हाॅथ पैर को इस रस्सी से आज़ाद कर के देख कुतिया।" सहसा रचना ने एकाएक बिफरे हुए अंदाज़ से चीखते हुए कहा___"तेरे हाथ पैर तोड़ कर तेरे हाॅथ में न दे दूॅ तो कहना।"

रचना की इस बात से जहाॅ हरिया का पारा गरम हो गया था वहीं रितू उसे देख कर बस मुस्कुरा कर रह गई। फिर उसने सूरज और उसके दोस्तों की तरफ इशारा करते हुए रचना से कहा___"इन चारों को ग़ौर से देखो और पहचानो कि ये चारो कौन हैं?"

"मुझे नहीं पहचानना किसी को।" रचना ने पूर्व की भाॅति ही तीखे भाव से कहा___"ये सब तेरे यार हैं तू ही पहचान इन्हें।"
"मैं चाहूॅ तो इसी वक्त तेरी इस गंदी ज़ुबान को काट कर तेरे पिछवाड़े में डाल दूॅ।" रितू के मुख से शेरनी की भाॅति गुर्राहट निकली___"मगर उससे पहले तुझे ये दिखाना चाहती हूॅ और बताना चाहती हूॅ कि तू जिनके दम पर इतना उछल रही है न उनकी औकात मेरे सामने कीड़े मकोड़ों से भी बदतर है। ग़ौर से देख इन चारों को। इनमें तेरा ही कोई अपना नज़र आएगा।"


रितू की ये भात सुन कर रचना ने पहले तो उसे आग्नेय नेत्रों से घूरा उसके बाद उसने उन चारों की तरफ अपनी निगाह डाली। सूरज अपनी बहन को ग़ौर से अपनी तरफ देखते देख बुरी तरह घबरा गया। वो नहीं चाहता था कि उसकी बहन उसे पहचाने। क्योंकि उसे पता था कि उस सूरत में उसकी बहन भयभीत हो जाएगी। उसने जब पहली बार ऑखें खोल कर रचना को देखा था तो बुरी तरह चौंका था साथ ही डर भी गया था। उसे रितू से इस सबकी उम्मीद नहीं थी। हलाॅकि रितू ने उससे कहा ज्ररूर था कि वो उसकी बहन को भी यहाॅ ले आएगी और वो सब उसके साथ बलात्कार करेंगे। मगर उसे लगा था कि ये सब रितू महज गुस्से में कह रही थी। जबकि ऐसा वो करेगी नहीं। मगर अब उसे समझ आ गया था कि रितू ने उस समय कोई कोरी धमकी नहीं दी थी बल्कि सच ही कहा था। जिसका प्रमाण इस वक्त रचना के रूप में उसके सामने कुर्सी पर बॅधा हुआ मौजूद था। ख़ैर उधर,

रितू की ये बातें सुन कर रचना ने जब ग़ौर से उन चारों की तरफ देखा तो एकाएक ही उसके चेहरे पर चौंकने के भाव आए और फिर जैसे एकाएक ही जैसे उसके दिलो दिमाग़ में विष्फोट हुआ। उसने पलट कर रितू की तरफ देखा।

"तेरे चेहरे के ये भाव चीख़ चीख़ कर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि तूने इन चारों को पहचान लिया है।" रचना के देखते ही रितू ने अजीब भाव से कहा___"और अब जब तूने पहचान ही लिया है तो पूछ इन चारों से कि ये सब यहाॅ कैसे और क्यों मौजूद हैं?"

रितू की इस बात का असर रचना पर तुरंत ही हुआ। उसके चेहरे पर एकाएक ही ऐसे भाव उभरे जैसे उसे उन चारों को इस हालत में देख कर बेहद दुख हुआ हो। ऑखों में पानी तैरता हुआ नज़र आने लगा था उसके।

"भ भाई।" फिर उसके मुख से लरज़ता हुआ स्वर निकला___"ये सब क्या है? आप चारो यहाॅ कैसे??"

रचना के इस सवाल पर सूरज चुप न रह सका। बल्कि ये कहना चाहिए कि अब उसके सामने कोई चारा ही नहीं रह गया था। इस लिए उसे अब अपनी बहन के सामने अपनी यहाॅ पर मौजूदगी का कारण बताना ही था। इस लिए चेहरे पर दुख के भाव लिए वह रचना को अपनी राम कहानी शुरू से लेकर अंत तक बताता चला गया। सारी बातें जानने के बाद रचना भौचक्की सी रह गई थी।

"और हम सब ये समझ रहे थे कि आप लोग उस घटना के चलते कहीं ऐसी जगह छुप गए हैं जहाॅ पर आप पुलिस व कानून की पहुॅच से दूर होंगे।" सारी बातें सुनने के बाद रचना ने आहत भाव से कहा___"मगर आप तो यहाॅ हैं भाई। ख़ैर, देख लिया न भाई बुरे का काम का बुरा अंजाम। कितना कहती थी आप लोगों को कि इस तरह किसी की ज़िंदगियों से मत खेलो। मगर आप लोग कभी मेरी बात नहीं सुनते थे। बल्कि हमेशा यही कहते थे कि लाइफ को एंज्वाय करो और मस्त रहो। मुझे भी ऐसा ही करने की नसीहत देते थे। मगर इससे हुआ क्या भाई? आज आप चारो यहाॅ इस हालत में मौजूद हैं। डैड को तो ख़्वाब में भी ये उम्मीद नहीं है कि उनके साहबज़ादे किस जगह किस हाल में हैं इस वक्त?"

"तूने सच कहा मेरी बहन।" सूरज ने रुॅधे हुए गले के साथ बोला___"ये सब मेरे पापों का ही प्रतिफल है। मैने कभी इस बारे में नहीं सोचा था कि जो कुछ मैं कर रहा था उसका अंजाम ऐसा भी होगा। हमेशा वही करता था जिसे करने में कदाचित मुझे दुनियाॅ का सबसे बड़ा और ज्यादा आनंद आता था। ख़ैर, मुझे अपने इस अंजाम का दुख नहीं है रचना क्योंकि ये मैने खुद ही कमाया है। दुख तो इस बात का है कि मेरी वजह से आज तू भी यहाॅ आ गई है और मैं ये सोच कर ही अंदर से बुरी तरह भयभीत हुआ जा रहा हूॅ कि जाने तेरे साथ ये इंस्पेक्टरनी क्या करेगी?"


"ये कुछ नहीं करेगी भाई।" रचना ने सहसा पुनः तीखे भाव अख़्तियार कर लिए___"इसे पता नहीं है कि इसने किसके बच्चों पर हाॅथ डाला है? इसने अब तक जो कुछ भी आपके और मेरे साथ किया है उसका अंजाम इसे ज़रूर भुगतना पड़ेगा। इसे इस बात का ज़रा सा भी एहसास नहीं है कि इसके साथ क्या क्या होगा?"

"रस्सी जल गई पर बल नहीं गया अब तक।" रितू ने रचना के सिर के बालों को पकड़ कर झटका दिया__"मुझे पता है कि तू ये सब किसके दम पर बोल रही है। मगर तुझे पता ही नहीं है कि तू जिसके दम पर ये राग अलापे जा रही है वो खुद बहुत जल्द यहाॅ तेरे सामने हाज़िर होने वाला है। मैने तेरे बाप दिवाकर चौधरी और उसके उन सभी दोगले दोस्तों को वो वीडियोज़ भेज दिये हैं जिन वीडियोज़ पर उनकी काली करतूतों का सामान मौजूद है। कितनी मज़े की बात है कि एक बेटा अपने ही बाप की ऐसी अश्लील वीडियो बना कर रखे हुए था जो अगर किसी के हाॅथ लग जाएॅ तो वो बड़ी आसानी से इसके बाप को बीच चौराहे पर नंगा दौड़ा दे।"

रितू की ये बात सुन कर रचना तो चौंकी ही साथ ही साथ सूरज और उसके दोस्त भी बुरी तरह चौंक पड़े थे। पलक झपकते ही उनके चेहरों पर से रहा सहा रंग भी उड़ गया।

"कुछ समझ आया तुझे?" इधर रितू ने रचना के बालों को ज़ोर से खींचा___"सारे शहर को अपनी मुट्ठी में रखने वाला तेरा बाप और उसके दोस्त अब मेरी गुलामी करने पर मजबूर हैं। मैं अगर उसे कहूॅ कि टट्टी खा तो उसे खाना पड़ेगा। अब बता किसके दम पर इतना उछल रही है तू? जबकि मैने तो यहाॅ तक सोचा हुआ कि जिस दिन तेरा बाप और दोस्त यहाॅ आएॅगे तो उनके स्वागत में तुझे ही नंगी करके उनके सामने डाल दूॅगी। फिर देखूॅगी कि नंगी और गोरी चमड़ी को उस हालत में देख कर कैसे उनके खून में उबाल आता है?"

"नहींऽऽ।" रितू की बात को समझते ही तहखाने में रचना के साथ साथ सूरज और उसके दोस्तों का आर्तनाद गूॅज उठा, जबकि सूरज गिड़गिड़ाया___"प्लीज ऐसा मत करना इंस्पेक्टर। मैं तुम्हारे आगे हाॅथ जोड़ता हूॅ। हर चीज़ के अपराधी मैं और मेरा बाप है ये सच है मगर मेरो बहन बेकसूर है। उसे इस सबमें मत घसीटो प्लीज।"

"हाहाहाहाहा ई का?" सहसा वहीं पर खड़ा हरिया ज़ोर से हॅस पड़ा___"ई का बिटिया। ई सरवा ता एतने मा ही गला फाड़ै लाग। कउनव सच ही कहे रहा कि जब बात ससुरी अपने मा आवथै तबहिन समझ मा आवथै कि ओसे का मज़ा मिलथै? ई ससुरन के साथ ता इहै होय का चाही बिटिया। हम भी देखूॅगा कि ऊ सबसे ई लोगन केर का हाल होथै?"

"बिलकुल काका।" रितू ने कहा___"ये काम भी आपको ही करना है और कैसे करना है ये आप जानो।"
"अरे चिंता न करा बिटिया।" हरिया अंदर ही अंदर खुशी से झूमता हुआ बोल पड़ा___"ई काम ता हम बहुतै अच्छे से करूॅगा। कउनव शिकायत ना होई तोहरा के, ई तोहरे हरिया काका के वादा बा। ऊ ससुरे मंत्रीवा केर ओखे ई छोकरिया के साथ बहुतै अच्छे से ख़ातिरदारी करूॅगा हम।"

"शाबाश काका।" रितू मुस्कुराई___"मुझे आपसे यही उम्मीद है। मुझे पता है आप अपना काम बहुत अच्छे से करते हैं।"
"हाॅ ई ता हा बिटिया।" हरिया काका गर्व से अकड़ते हुए बोला___"हम आपन काम बहुतै अच्छे से करता हूॅ। कउनव परकार केर शिकायत का मौका नाहीं देता हूॅ। समय आवैं ता पहिले फेर तू देख लीहा। हम ई ससुरन के नानी केर नानी ना याद दिलाई ता कहना।"

"नहीं नहीं।" रचना तो भयभीत होकर चीखी ही किन्तु सूरज बुरी तरह भयभीत होकर रो पड़ा था___"ये सब मत करो इंस्पेक्टर। ये आदमी बहुत ज़ालिम है। प्लीज मेरी बहन के साथ कुछ भी ऐसा वैसा मत करो। जो कुछ करना है हमारे साथ करो।"

"और चीखो।" रितू बिजली की तरह सूरज के पास पहुॅची थी, गरजते हुए बोली___"और तड़पो। मगर कोई फायदा नहीं होगा। मैं तुम सबका वो हाल करूॅगी कि किसी भी जन्म में ये सब करने के बारे में सोचोगे भी नहीं और अगर सोचोगे भी तो कर नहीं पाओगे। क्योंकि नामर्द कुछ कर नहीं सकते और तुम सब हर जन्म में नामर्द ही पैदा होगे।"

"अगर ये बात है।" सहसा सूरज ने अजीब भाव से कहा___"तो मुझमें और तुममें क्या फर्क़ रह गया इंस्पेक्टर? हर अपराध की तो यकीनन सज़ा होती है मगर उस सज़ा में वो सब तो नहीं होता न जिस सज़ा को पाप कहा जाए या उसे अनैतिक करार दिया जाए? तुमने जो कुछ करने का सोचा हुआ है वो तो हर तरह से अनैतिक है, पाप है।"


"तुम्हारे मुख से अनैतिक व पाप पुन्य की ये बातें अच्छी नहीं लगती मिस्टर।" रितू ने कहा___"मुझे तुमसे ज्यादा इन चीज़ों का ज्ञान है। मुझे पता है कि मैं क्या करने जा रही हूॅ। तुम्हें इस बात से कोई फर्क़ नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि तुम तो अनैतिक व पाप कर्म करने के आदी हो। इस लिए बस खुली ऑखों से उस सबको देखने के लिए तैयार हो जाओ जो बहुत जल्द यहाॅ दिखने वाला है।"

"इस कुतिया के सामने मत गिड़गिड़ाओ भाई।" सहसा रचना बोल पड़ी___"ये खुद भी वैसा ही कर्म करने वाली लगती है, वरना ऐसी बातें इसके दिमाग़ आती ही नहीं। पुलिस वाली है न, इस लिए हर किसी के नीचे लेट जाती होगी। ऐसी नौकरी में होता ही यही है आहहहहह।"

"तोहरी माॅ को चोदूॅ छिनाल।" रचना की बात सुनते ही हरिया आग बबूला होकर उसको धर दबोचा था___"तोहरी ई हिम्मत की हमरी बिटिया के बारे मा अइसन कहथो। रुक अबहिन हम तोहरा का बताथैं कि कउन केखर सामने लेटत है?" हरिया ने सहसा रितू की तरफ देखा__"बिटिया तू जा इहाॅ से। हम एखर ई ज़बान बोलैं का अंजाम दिखावथैं।"

"नहीं प्लीज उसे छोंड़ दो।" रितू के कुछ कहने से पहले ही सूरज चीख पड़ा था___"उसकी तरफ से मैं माफ़ी माॅगता हूॅ। प्लीज इंस्पेक्टर इस आदमी को कहो कि मेरी बहन को कुछ न करे।"
"काका इसे बस थोड़ा सा डोज देना।" रितू ने सूरज की बात की तरफ ध्यान दिये बिना हरिया से कहा___"बाॅकी इसके साथ आग़ाज़ तो इसका बाप करेगा। आप समझ रहे हैं न मेरी बात?"

"हम सब समझ गया हूॅ बिटिया।" हरिया ने कहा__"अब तू जा इहाॅ से। हम ई ससुरी का बतावथैं कि तोहसे अइसन बोलैं का अंजाम का होथै?"
"मेरे साथ अगर कोई बद्दतमीजी की तो अंजाम अच्छा नहीं होगा तुम्हारे लिए।" रचना चीखी___"छोंड़ दो मुझे। वरना बहुत पछताओगे तुम सब।"

रितू ने उसकी तरफ हिकारत भरी दृष्टि से देखा और तहखाने के बाहर की तरफ चली गई। उसके इस तरह जाते ही सूरज गला फाड़ कर चिल्लाने लगा था। बार बार कह रहा था कि उसकी बहन को छोंड़ दो। मगर रितू न रुकी। जबकि रितू के जाते ही हरिया ने लपक कर तहखाने का दरवाजा अंदर से बंद किया और फिर वापस पलट कर सूरज की तरफ बढ़ा।

"का रे मादरचोद।" हरिया ने सूरज के पेट में एक लात जमाते हुए कहा___"काहे अइसन गला फाड़ रहा है? अब बता तोहरी ई राॅड बहन केर का खातिरदारी करूॅ हम? हमरा ता बहुतै मन करथै कि तोरी ई बहनिया केर मदमस्त जलानी केर मजा लूॅ मगर हमरी बिटिया ने ऊ सब केर इजाजत ना दिये रही। एसे अब हम तोरे साथै आपन ऊ पसंद वाला काम करूॅगा।"
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