non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:00 PM, (This post was last modified: 11-24-2019, 01:01 PM by sexstories.)
RE: non veg kahani एक नया संसार
"ज़ुबान को लगाम दे बापू।" मैने बापू के कालर को पकड़ कर उसे झकझोरते हुए कहा___"वरना यहीं पर ज़िंदा गाड़ दूॅगा तुझे। तुझे पता था न कि मैं चंदा को पसंद करता हूॅ और उसी से शादी करना चाहता हूॅ इसके बावजूद तूने मेरी चंदा से ब्याह कर लिया। ऐसा क्यों किया बापू? चंदा तो तेरी अपनी बेटी के समान ही थी फिर क्यों उससे ब्याह किया तूने? तुझे अपने इस बेटे की खुशियों का ज़रा भी ख़याल नहीं आया?"

"बकवास ना कर हरामखोर।" बापू मुझसे छूटने की कोशिश करते हुए चीखा___"वो तेरी अम्मा है समझे। बार बार मेरी चंदा मेरी चंदा की रट क्यों लगा रहा है तू?"
"क्योंकि चंदा मेरी ही थी बापू।" मैने चीखा___"मैं उससे प्रेम करता था और करता रहूॅगा। तू भी तो जानता था ये सब। फिर क्यों उससे ब्याह रचाया तूने? क्यों अपने बेटे का गर बसने से पहले ही उजाड़ दिया तूने? अरे तुझे अपना ब्याह ही करना था तो किसी दूसरी लड़की से कर लेता बापू। चंदा से ब्याह करके तूने मेरी खुशियों का गला क्यों घोंट दिया?"

"अरे मुझे कुछ नहीं पता था इस बारे में।" बापू ने कहा__"और फिर अगर तू चंदा को पसंद ही करता था और उससे ब्याह ही करना चाहता था तो तुझे बताना चाहिये था न। पर तूने तो कभी बताया ही नहीं। अब अगर मैने उससे ब्याह कर लिया तो इसमे मेरी क्या ग़लती है?"

"सारी ग़लती है तेरी।" मैं पूरी शक्ति से चीखा___"तूने चंदा से उसकी मर्ज़ी के बिना ब्याह किया है। ये बात मैं अच्छी तरह जानता हूॅ। तूने चंदा के बाप को पैसों का लालच दिया होगा। तभी चंदा के बाप ने अपनी बेटी का ब्याह तुझसे किया होगा। उस कसाई को भी अपनी बेटी की खुशियों से कोई लेना देना नहीं था। तभी तो ऑख बंद करके उसने एक बूढ़े से अपनी कम उमर बेटी का ब्याह कर दिया। मुझे पता है कि चंदा इस ब्याह हे खुश नहीं है। अगर खुश होती तो वो इस तरह चीखती नहीं।"

"अरे शुरू शरु में हर औरत थोड़ा बहुत चीखती है उर घबराती है।" बापू ने कहा___"मगर जब एक बार लौड़ा अंदर गया तो सारी घबराहट और सारा चीखना बंद हो जाता है। वही तो करने जा रहा था मैं। मगर ससुरी ज्यादा ही उछल रही थी। लेकिन कोई बात नहीं, सुहागरात तो मैं मना के ही रहूॅगा।"

मैं बापू की इस बात से बुरी तरह तिलमिला गया। मेरे अंदर गुस्से की ज्वाला धधक उठी। मैं बापू को खींच कर कमरे से बाहर लाया और बरामदे में लाकर ज़ोर का झटका दे कर ज़मीन पर पटक दिया। बापू के मुख से दर्द में डूबी चीख निकल गई। वो मुझे गंदी गंदी गालियाॅ बकने लगा। मेरा गुस्सा और बढ़ गया। मैंने उसे उठा कर दीवार से सटा दिया और उसकी गर्दन पर अपने दोनों हाॅथ ताकत से जमा दिये। नतीजा ये हुआ कि बापू बुरी तरह छटपटाने लगा। उसकी ऑखें बाहर को निकलने के लिए आतुर हो उठीं। मुझे गुस्से में अब कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। मैं मजबूती से बापू का गला दबाए जा रहा। तभी पीछे से किसी ने मेरे सिर पर किसी ठोस चीज़ का वार किया। मेरे हलक से चीख़ निकल गई। ऑखों के सामने पहले तो रंग बिरंगे तारे नाचे उसके बाद ऑखों के सामने अॅधेरा सा छाता चला गया। मैं दोनो हाॅथों से अपना सिर थामे लहरा कर वही बरामदे की ज़मीन पर धड़ाम से गिर पड़ा। उसके बाद मुझे याद नहीं कि आगे क्या हुआ?

जब मुझे होश आया और मेरी ऑखें खुलीं तो एकाएक ही तेज़ प्रकाश से मेरी ऑखें चुॅधिया गईं। मैने धीरे धीरे करके अपनी ऑखें खोलीं तो ऑखों के सामने खुला आसमान नज़र आया। पहले तो मुझे कुछ समझ न आया इसके बाद जब मैने ग़ौर से हर चीज़ को देखा तो थोड़ा थोड़ा समझ आया। मैने झटके से उठने की कोशिश की तो मेरे मुख से दर्द भरी कराह निकल गई। सिर के पिछले भाग में तेज़ पीड़ा हुई थी। मेरा एक हाॅथ स्वतः ही उस चोंट वाले हिस्से पर चला गया। मुझे मेरे हाॅथ में कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ। मैं धीरे धीरे करके उठा और वहीं पर बैठ गया।

बैठ कर मैने इधर उधर देखा तो पता चला कि मैं किसी खेत के बीच पर बैठा हुआ हूॅ। एक तरफ लगभग दो सौ गज की दूरी पर गाॅव की आबादी दिख रही थी। किनारे पर बने अपने घर को पहचानने में मुझ ज़रा भी देर न लगी। इसका मतलब मैं अपने घर के पिछवाड़े ही दो सौ गज की दूरी पर था। मेरे दिमाग़ ने काम करना शुरू किया तो मेरी ऑखों के सामने पिछली रात की सारी घटना किसी चलचित्र की भाॅति घूमने लगी।

सब कुछ याद आते ही मुझे सबसे पहले चंदा का ख़याल आया। मेरे मन में विचार उठा कि चंदा कैसी होगी अब? पिछली रात बापू ने क्या किया होगा उसके साथ? कहीं बापू ने चंदा की इज्ज़त तो तार तार तो नहीं कर दिया? हे भगवान, अब क्या होगा? मेरी चंदा लुट गई होगी और मैं अपनी चंदा की सुरक्षा भी न कर सका। ये सब विचार मन में आते ही मैं एकदम से दुखी हो गया और मेरी ऑखों से ऑसू बह चले। मुझे चंदा की बेहद फिक्र होने लगी। इस लिए अपने दर्द की परवाह किये बिना मैं उठा और अपने घर की तरफ तेज़ी से बढ़ चला। मैने महसूस किया कि ये सुबह का वक्त था। आसमान में सूर्य का प्रकाश अभी ज्यादा तेज़ न हुआ था।

मैं अपने घर की तरफ तेज़ी से बढ़ता चला जा रहा था। मेरे मन में बस एक ही बात चल रही थी कि चंदा कैसी होगी अब? मैं भगवान से प्रार्थना भी करता जा रहा था कि चंदा को कुछ न हुआ हो। कुछ ही समय में मैं घर के पिछवाड़े की तरफ पहुॅच गया। एक तरफ वही कुआॅ था जिसमें गिर कर मेरी अम्मा मर गई थी। कुएॅ वाली जगह से कुछ ही दूरी के फाॅसले से चलते हुए मैं घर के पिछवाड़े पर आ गया। पीछे की दीवार से चलते हुए मैं उस हिस्से पर आया जहाॅ पर घर की दीवार खत्म हो जाती थी और फिर लकड़ी की बाउंड्री चारो तरफ से बनाई गई थी। मैं लकड़ी की उस बाउंड्री के शुरूआती हिस्से पर आया ही था कि मेरे कानों में मेरे मॅझले भाई जगन की आवाज़ पड़ी तो मैं रुक गया।

"रीना ने सही वक्त पर शंकर के सिर पर लट्ठ मारी थी बापू।" जगन की आवाज़___"वरना तुम्हारा तो कल्याण ही कर दिया था शंकर ने।"
"हाॅ ये तो सही कहा तूने।" बापू की आवाज़___"सब कुछ वैसा ही करना था जैसा कि हमने तरकीब बनाई थी। मगर तूने अपना काम सही से नहीं किया जगन। वरना शंकर को इतना गुस्सा नहीं आता और ना ही तुझे उससे मार खानी पड़ती।"

"ये दरवाजे से तुम्हारी और चंदा की फिल्म देख रहा था बापू।" मदन कह उठा___"जबकि मैने और रीना ने इसे मना भी किया था कि तरकीब के अनुसार हमें चुपचाप यहीं पर लेटे रहना है। मगर ये नहीं माना और अंदर की फिल्म देखने लगा। उधर जैसे ही चंदा की चीख़ शंकर के कानों में वैसी ही वो दौड़ते हुए यहाॅ आ गया और दरवाजे पर जगन को इस तरह अंदर की तरफ झाॅकते देख उसे क्रोध आ गया। बस फिर तो इसको पिटना ही था बापू।"

"हाॅथ तो मैं भी उठा सकता मदन।" जगन ने तीखे भाव से कहा___"मगर मैने सोचा कि उससे काम न बिगड़ जाए। इस लिए मैने उस कमीने शंकर पर हाॅथ नहीं उठाया। वरना गुस्सा तो मुझे भी भयंकर आ गया था उस पर।"
"अच्छा हुआ कि तुमने हाॅथ नहीं उठाया उस पर।" रीना ने कहा___"वरना कुछ और ही होने लगता और हमारा खेल बिगड़ जाता।"

"ये सब तो ठीक है बापू।" मीना की आवाज़___"मगर मुझे अब तक ये समझ नहीं आया कि ये सब चक्कर क्या है? मतलब ये कि अम्मा के रहने पर भी और उसके मरने के बाद भी तुम्हारी जिस्मानी ज़रूरत तो हम दोनो बहनें मिल कर पूरी कर ही देती थीं। फिर तुम्हें चंदा से ब्याह करने की क्या ज़रूरत पड़ गई? क्या इस लिए कि अब तुम्हारा हमसे दिल भर गया है? दूसरी बात शंकर भाई को इसमें लपेटने का क्या मतलब है?"

"ये सारा चक्कर तो इस जगन की वजह से ही चलाना पड़ा मेरी राॅड बेटी।" बापू की आवाज़___"असल बात ये थी कि इसे भी पता चल गया था कि शंकर चंदा से प्रेम करता है और उससे ब्याह करना चाहता है। अब भला जगन ये कैसे बरदास्त कर लेता कि उसका बड़ा भाई जिसे वो बचपन से ही पसंद नहीं करता है वो किसी वजह से खुश हो जाए? इस लिए शंकर और चंदा के विषय में पता चलते ही ये मेरे पास आया और मुझसे बोला कि शंकर का ब्याह चंदा से किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए। इसने एक दो बार चंदा को देखा था इस वजह से ये भी उसे पसंद करने लगा था। मगर इसे ये बात अच्छी तरह पता थी कि चंदा इसके प्रेम को स्वीकार नहीं करेगी। इस लिए इसने सोचा कि अगर चंदा इसकी नहीं तो शंकर की भी नहीं होगी। मैने इससे पूछा कि फिर ये चाहता क्या है तो इसने कहा कि कुछ ऐसा करो बापू कि चंदा इस घर में हमेशा के लिए आ जाए और हम सब मिल कर जीवन भर उसे भोगें। बात क्योंकि सबके भले की थी इस लिए मुझे भी इसकी बात पसंद आई। मगर सवाल ये था कि ऐसा होगा कैसे? क्योंकि चंदा तो शंकर से प्रेम करती थी और शंकर उससे ब्याह भी करना चाहता था। मैं भले ही उसे ब्याह से इंकार कर देता मगर उसकी वो सती सावित्री अम्मा उसकी खुशी ही देखती और नतीजा ये होता कि वो शंकर का ब्याह उस चंदा से ज़रूर करा देती। जबकि ऐसा हम चाहते ही नहीं थे। इस लिए हमने सोचा कि सबसे पहले हमें अपने रास्ते से शंकर की उस ससुरी अम्मा को ही हटाना पड़ेगा। वैसे भी वो साली किसी काम की तो थी नहीं। खुद तो मुझे कभी देती नहीं थी ऊपर से उसके डर से हम आपस में भी मज़ा नहीं कर पाते थे। इस लिए उसे अपने रास्ते से हटाने का सोच लिया हमने। ये बात तो तुम सबको पता ही है कि कैसे हम लोगों ने मिल शंकर की अम्मा को अपने रास्ते से हटाया था। वो शंकर साला आज भी यही समजता है कि उसके अम्मा की मौत महज एक हादसा था जो भगवान के विधान के हिसाब से हो गया था। मगर उसे क्या पता कि उसकी अम्मा को हमने कैसे सोच समझ कर अपने रास्ते से हटाया है? हर दिन की तरह उस दिन भी मैं शंकर को लेकर काम पर चला गया था और तुम सबको समझा दिया था कि कब क्या करना है। बस तुम लगों ने वैसा ही किया था। यानी कि जैसे ही शंकर की अम्मा नहाने के लिए कुएॅ में गई तो जगन और मदन भी छुप कर उस तरफ चल दिये। शंकर की अम्मा ने जब बाल्टी को रस्सी से बाॅध कर कुएॅ में डाला और पानी से भरी बाल्टी को खींचना शुरू किया तो तभी जगन और मदन दोनो ने मिल कर अम्मा को पीछे से धक्का दे दिया। जिससे अम्मा रस्सी बाल्टी सहित कुएॅ में जा गिरी। उसको तैरना तो आता नहीं था इस लिए थोड़ी ही देर में साली पानी में डूब गई। कुछ घंटे बाद जब वो वापस पानी की सतह पर आ गई तो जगन और मदन दोनो ही समझ गए कि अम्मा का राम नाम सत्य हो चुका है। इस लिए तुरंत ही अंदर आकर रीना को कह दिया कि अब वो आगे का काम करे। रीना भागती हुई हमारे पास आई और अम्मा के मरने की सूचना हमें दी। बस उसके बाद का तो सबको पता ही है कि क्या कैसे हुआ?"

"अम्मा के मरने का तो पता है बापू।" मीना ने कहा___"मैं चंदा वाले चक्कर का पूछ रही हूॅ। उसके बारे में बताओ।"
"अम्मा के मर जाने से हमारा रास्ता साफ हो गया था।" बापू ने कहा___"मगर शंकर बेचारा ज़रूर अपनी अम्मा के मर जाने से ग़मज़दा हो गया था। जब कुछ दिन उसकी अम्मा को मरे हो गए तो हमने आगे का काम शुरू किया। मैं हर दिन शंकर को काम पर लगा कर चार चार घंटे के लिए गायब हो जाता और सीधा चंदा के गाॅव उसके घर पहुॅच जाता। चंदा का बाप मंगा साकेत थोड़ा लालची किस्म का था और गॅजेड़ी भी था। काम धाम करके जो भी कमाता उसे वह गाॅजा पीकर और देसी चढ़ा कर उड़ा देता था। मैने उसकी इसी आदत का फायदा उठाया और रोज़ उसे देसी दारू पिलाता और खुद भी पीता। कुछ ही दिन में मेरी उससे खूब बनने लगी। एक तरह से मैं उसका पक्का यार बन गया था। ख़ैर, इसी तरह कुछ दिन गुज़र गए। जब मुझे लगने लगा कि अब मुख्य बात आगे बढ़ाने से नुकसान नहीं है तो मैने उससे मुद्दे की बात छेंड़ दी। सबसे पहले तो मैने बस उसके मन और विचार का ही पता लिया। चंदा के ब्याह के बारे में पूछा उससे तो कहने लगा कि उसे चंदा के ब्याह की ही चिंता है। मगर आर्थिक हालत बहुत ज्यादा खराब होने की वजह से वो चंदा का ब्याह कर नहीं पा रहा है। मैंने उसे एक सुझाव दिया कि किसी ऐसे शख्स से वह चंदा का ब्याह कर दे जो उमर में चंदा से थोड़ा बहुत बड़ा हो। इससे उसे ज्यादा दहेज भी नहीं देना पड़ेगा। मेरी बात उसे जॅच गई। आख़िर उसे अपने हालात का तो पता ही था इस लिए बेबसी मे ही सही किन्तु उसे इस बारे में सोचना ही पड़ा। उसने मुझसे पूछा कि ऐसा कौन ब्यक्ति है जो चंदा से उमर में थोड़ा बहुत बड़ा हो और उसे दहेज न देना पड़े तो मैने यूॅ ही मज़ाक में उससे कह दिया कि मेरे साथ ही कर दे अपनी चंदा का ब्याह। मैं दहेज में उससे कुछ नहीं मागूॅगा बल्कि उल्टा उसे ही थोड़ा बहुत रुपया पैसा दे दूॅगा। मैने ये बात उससे बस उसका मन देखने के उद्देष्य से कही थी वो भी हॅसते हुए। वो मेरी ये बात सुन कर हैरान तो हुआ मगर फिर बोला कि यार अगर सच में तुम मेरी चंद से ब्याह कर लो तो मुझे कोई ऐतराज़ न होगा। हाॅ उमर ज़रूर तुम्हारी थोड़ी क्या बहुत ज्यादा है मगर कोई बात नहीं। लड़के बच्चे तो पहले से ही हैं तुम्हारे तो बच्चे के लिए कोई झंझट ही नहीं रहेगी। कहने का मतलब ये कि मज़ाक में कही हुई मेरी बात चल गई। बस फिर क्या था? मैने ज़रा भी देर नहीं की और फटाफट चंदा से ब्याह कर लिया मैने। इस ब्याह में मैने चंदा के बाप को पूरे पचास हज़ार रुपये दिये थे। कुछ ब्याह के खर्च के लिए और कुछ खुशी से। इतने सारे पैसे एक साथ पाकर चंदा का बाप भी खुश हो गया था। इस ब्याह में कोई ताम झाम करने का मैने पहले ही मना कर दिया था। इस लिए किसी को ज्यादा कुछ पता भी नहीं चला। उस दिन भी मैं चंदा के बाप को देसी दारू पिलाकर और पीकर आया था जिस दिन मैने चंदा से ब्याह रचा कर उसे घर लाया था। मुझे पता था कि शंकर को जब ये सब पता चलेगा तो वो पागल सा हो जाएगा। मगर कुछ कर नहीं पाएगा। क्योंकि सबसे बड़ी सच्चाई तो यही बन जाएगी न कि चंदा अब उसकी प्रेमिका नहीं बल्कि अम्मा है। अगर उसमें ज़रा सी भी ग़ैरत होगी तो वो खुद ही इस गर की छोंड़ कर कहीं चला जाएगा या फिर जीवन भर अपनी चंदा को अम्मा के रूप में देख कर अंदर ही अंदर तड़पता रहेगा। जबकि हम सब हर दिन हर रात उसकी चंदा का भोग लगाएॅगे।"

बाहर दीवार की ओट में खड़ा मैं बापू की ये सब बातें सुन रहा था। मेरा चेहरा ऑसुओं से तर था। अपनी जगह पर मैं इस तरह खड़ा रह गया था जैसे किसी ऋषी ने मुझे पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया हो। इतना बड़ा छल, इतना बड़ा अपराध किया था इन लोगों ने मिल कर जिसकी कोई सीमा नहीं थी। एक बाप के अपनी ही बेटी के साथ नाजायज़ संबंध थे और मेरे दोनो भाइयों के अपनी बहनों के साथ। ये एक ऐसी सच्चाई थी जिसे मैं सब कुछ सुन लेने के बावजूद हजम नहीं कर पा रहा था। मेरे अंदर जज़्बातों का भयंकर तूफान चालू था। ऐसा लग रहा था जैसे सारी कायनात को एक झटके में शोलों के हवाले कर दूॅ। मगर ऐसा करना मुझसे संभव न था। जबकि उधर,,,,

"ये सब छोंड़ो बापू।" तभी जगन की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी___"अब तो जो होना था वो तो हो ही गया। हमने कल रात जी भर के चंदा के मज़े लिए। कसम से बापू बड़ा ही कड़क माल थी चंदा। साली ने ग़जब का मज़ा दिया।"
"मज़ा तो हमने ज़बरदस्ती लिया भाई।" मदन ने कहा___"वो तो हमें हाॅथ भी नहीं लगाने दे रही थी। बार बार हमसे रहम की भीख माॅग रही थी और अपनी इज्ज़त की दुहाई दे रही थी। मगर हमने तो मज़ा करना था सो किसी तरह कर ही लिया। बाद में तो उसके भी कस बल ढीले पड़ गए थे। साली ऐसे लेटी रह गई थी जैसे कह रही हो कि आओ और कर लो जो करना हो। हाहाहाहा।"

"नया माल मिल गया तो कल रात हम बहनों की तरफ देखा भी तुम लोगों ने।" रीना की आवाज़ में शिकायत थी, बोली___"सच कहती हैं औरतें कि सब मर्द एक जैसे ही होते हैं। नया और ताज़ा बिल मिल गया तो भोसड़े की तरफ फिर देखते भी नहीं मर्द।"

"अरे ऐसी कोई बात नहीं है मेरी रंडी बेटी।" बापू की आवाज़___"बस कल रात की ज़रा बात ही अलग थी न इस लिए। बाॅकी ये तो तू भी जानती है न कि नया नौ दिन तो पुराना सब दिन। इस लिए चिंता मत कर तुम दोनो हमारी असली माल ही हो।"

"बापू बड़ा दिल कर रहा है।" जगन की आवाज़___"ऐसा लगता है कि फिर से चंदा रानी के पास जाऊॅ और तबीयत से उसकी बजा कर आऊॅ।"
"भाई तूने तो मेरे मुह की बात कह दी।" मदन की आवाज़ सुनाई दी___"मेरा भी बहुत दिल कर रहा है चंदा को पेलने का। चल दोनो एक एक बार तबीयत से पेल कर आते हैं उसे। क्यों बापू तुम्हें भी चलना है???"

"अरे नहीं भई।" बापू की हॅसी की आवाज़___"तुम दोनो ही जाओ। मुझमें अभी इतनी शक्ति नहीं है कि तुम लोगों का साथ दे सकूॅ। साला कल रात दारू के नशे में समझ में ही नहीं आया कितनी मेहनत हो गई मुझसे। अब जब दारू उतरी तो समझ आ रहा है कि टाॅगों में जान ही नहीं है।"

"हाहाहाहाहा ले भाई।" मदन के ठहाकों की आवाज़ गूॅजी___"बापू तो गया काम से। चल हम दोनो ही किला फतह करके आते हैं।"
"हाॅ हाॅ जाओ जाओ।" मीना की आवाज़___"कर लो किला फतह। मगर याद रखना लौट कर हमारे पास ही आओगे।"

"जाने दे मेरी राॅड बिटिया।" बापू बोला___"नया माल है न इस लिए उसकी चुलुक कुछ ज्यादा ही होती है। याद कर जब इन लोगों तुम दोनो के साथ जब किया था तो कैसे सारा दिन तुम दोनो के पीचे पीछे घूमते रहते थे?"
"अच्छी तरह याद है बापू।" मीना के हॅसने की आवाज़ आई___"ये दोनो हम दोनो बहनों के पीछे पीछे लगे ही रहते थे। इन लोगों को तो ये भी होश नहीं रहता था कि अम्मा को अगर पता चल गया तो क्या ग़जब हो जाएगा?"

बाहर खड़ा मैं ये सब सुन रहा था और अंदर ही अंदर गुस्से की आग में जला जा रहा था। मुझे लग रहा था कि अभी जाऊॅ और सबको एक साथ खत्म कर दूॅ। मेरे हाॅथों की दोनों मुट्ठियाॅ कस गईं थी। जबड़े शख्ती से भिंच गए थे। नथुने फूल कर गुब्बारा हुए जा रहे थे। तभी,,,,

"ओएऽऽ बाऽऽऽपू ग़जब हो गया रे।" जगन की लगभग बदहवाशी से भरी आवाज़ सुनाई दी___"सब गड़बड़ हो गया। अब क्या होगा बापू???"
"अरे क्या हुआ?" बापू ने घुड़की सी दी___"क्यों चिल्ला रहा है? क्या गड़बड़ हो गया???"

"बापू वो वो चंदा।" मदन की लड़खड़ाती हुआ आवाज़ सुनाई दी___"अंदर वो चंदा ऐसे पड़ी है जैसे मर गई है।"
"क्या बकता है मादरचोद??" बापू की जैसे चीख ही निकल गई थी, बोला___"बहनचोद साले शुभ शुभ बोल।"

"मदन सच कह रहा है बापू।" जगन की आवाज़__"हम दोनों जब अंदर गए तो देखा चंदा चारपाई पर आधी लटकी हुई पड़ी थी एकदम वैसी ही नंगी हालत में जैसे कल रात हम छोंड़ कर आए थे उसे। मैने उसकी नाॅक के पास उॅगली रखी और उसकी कलाई की नब्ज भी देखी। मगर ना ही उसके नाॅक से साॅस आ जा रही है और ना ही नब्ज चलती हुई महसूस हो रही है। इसी लिए हमें लग रहा है कि चंदा का राम नाम सत्य हो गया है। अब क्या होगा बापू? चंदा अगर सच में मर गई और ये बात गाॅव वालों को पता लग गई तो हम कहीं के न रह जाएॅगे बापू।"

जगन की इन बातों के बाद कुछ देर तक कोई आवाज़ न आई। जैसे उधर सबको साॅप सूॅघ गया हो। बाहर खड़ा मैं भी ये सुन कर जैसे बेजान लाश में तब्दील हो गया था। जिसका डर था वो तो हो ही चुका था किन्तु इस सबका परिणाम ये निकलेगा ये मैने स्वप्न में भी नहीं सोचा था। मुझे लगा कि मैं दहाड़ें मार कर रो पड़ूॅ मगर मैने अपने अंदर के मचलते हुए जज़्बातों को बड़ी मुश्किल से दबाया हुआ था। जबकि उधर,

"ये तो सच में बहुत ही बुरा हुआ।" बापू की आवाज़ में डर व भय झलक रहा था___"ये सब हमारी वजह से ही हुआ है। हमने अपने मज़े के चक्कर में ये भी नहीं सोचा कि कच्ची उमर की उस चंदा के साथ इतना कुछ एक ही बार में नहीं करना चाहिए था। वरना उसका परिणाम यकीनन यही निकलेगा। दूसरी बात हमने शंकर को रात में खेतों पर फेंक आए थे। वो उस वक्त बेहोशी हालत में था। संभव है कि उसे अब तक होश भी गया होगा। अब अगर इस परिस्थिति में वो यहाॅ आ गया तो हम सोच भी नहीं सकते हैं कि वो क्या कर डालेगा? चंदा को इस हाल में देखेगा तो वो यकीनन हम सबके लिए काल बन जाएगा।"

"बापू शंकर की इस बात से मेरे दिमाग़ में एक ज़बरदस्त तरकीब आई है।" जगन की आवाज़___"अगर कहो तो उगलूॅ मुख से??"
"अरे तो उगल ना मादरचोद।" बापू चीखा__"क्या तब उगलेगा जब तेरी अम्मा चुद जाएगी साले??"
"मेरी दोनो अम्मा को तो तुमने ही चोद डाला है बापू।" जगन के हॅहने की आवाज़___"ये अलग बात है कि तुमने हमें हमारी पहली अम्मा को पेलने का मौका नहीं दिया जबकि उसको पेलने की हमारी हसरत साली धरी की धरी रह गई।"

"बकवास ना कर बहनचोद।" बापू गुर्राया___"पहले तरकीब उगल मुख से। साला सत्यानाश हो गया हमारा।"
"बापू तरकीब ये है" जगन की आवाज़___"कि चंदा की इस मौत में हम उस मादरचोद शंकर को फॅसा देते हैं।"
"वो कैसे?" बापू का चौंका हुआ स्वर उभरा__"मेरा मतलब कि हम शंकर को चंदा की मौत में कैसे फॅसा सकते हैं?"

"बड़ी सीधी सी बात है बापू।" जगन ने कहा___"हम सबको बताएॅगे कि ये सब शंकर ने ही किया है। हम गाॅव वालों को बताएॅगे कि तुमने जिस चंदा से ब्याह किया उसे शंकर पहले से ही पसंद करता था और उससे ब्याह भी करना चाहता था। जबकि चंदा तो शंकर को जानती भी नहीं थी। शंकर ने जब देखा कि वो जिसे पसंद करता था और जिससे ब्याह करना चाहता था वो तो खुद उसके ही बाप की जोरू बन गई तो शंकर ये सहन न कर सका। उससे ये सहन न हुआ कि जिसे वो खुद अपनी जोरू बनाना चाहता था वो खुद उसके बाप की ही जोरू बन कर उसकी अम्मा बन गई। इस लिए वो रात को देशी दारू पी कर आया और ज़बरदस्ती बापू के कमरे में घुस गया। कमरे में उसने जबरदस्ती चंदा की इज्जत को लूटा और फिर उसकी जान भी ले ली।"

"तरकीब तो अच्छी है बेटवा।" बापू की आवाज़___"पर गाॅव वाले यकीन कैसे करेंगे? वो तो पूछेंगे न कि शंकर ने ये सब हम सबकी मौजूदगी में कैसे कर लिया? तब क्या जवाब देगा तू?"
"हम उनसे कहेंगे कि शंकर ने कमरे के दरवाजे पर इस तरह मोटी सी लकड़ी से टेक लगा दिया था कि उस दरवाजे को लाख कोशिशों के बाद भी हम सब खोल नहीं पाए।" जगह कह रहा था___"कमरे का वो दरवाजा तभी खुला जब शंकर ने चंदा का काम तमाम कर दिया था। उसके बाद वो खुद ही बाहर आ गया था। उसके हाथ में मोटी सी वही लकड़ी थी जिससे उसने दरवाजे पर टेक लगाया हुआ था। हम सब ये डर से कुछ न बोल सके थे कि कहीं वो गुस्से में हम लोगों को मारना न शुरू कर दे। बस इतनी बात काफी है गाॅव के लोगों को यकीन दिलाने के लिए।"

"ऐसा तुझे लग रहा है।" बापू की आवाज़___"जबकि कुछ लोग ये भी पूछ सकते हैं कि जब हमारे घर में ये सब हो रहा था तो हमने शोर शराबा करके गाॅव वालों को क्यों नहीं बुला लिया? तब क्या कहेंगे हम?"
"हम कह देंगे बापू कि हमें उस वक्त कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि क्या करें और क्या न करें?" जगन ने कहा__"बस गाॅव वालों को हमारी बात पर यकीन करना ही पड़ेगा। वैसे भी गाॅव के लोगों को ये उम्मीद भला कहाॅ होगी इस सबकी जो हम लोगों ने किया है। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये भी हमारी बात को साबित करेगी जब शंकर यहाॅ पर मौजूद नहीं रहेगा। शंकर की ग़ैर मौजूदगी भी गाॅव वालों को यकीन दिलाने में पुख्ता वजह रहेगी।"

"लेकिन शंकर यहाॅ मौजूद क्यों नहीं होगा भला?" बापू की आवाज़___"वो भला कहाॅ चला जाएगा?"
"ग़ौर करने वाली बात है बापू।" जगन ने कहा__"शंकर की जानकारी में और उसके सामने इतना कुछ हो गया है उसकी प्रेमिका के साथ। तो भला वो अब यहाॅ किस वजह से लौट कर आएगा? दिल का मामला बड़ा विचित्र होता है बापू। उसका इस संसार में उसके प्रेमी के अलावा दूसरा कोई नहीं रह जाता और जब उसके रहते उसकी प्रेमिका का ये हाल हो जाए तो भला वो अपना मुह दिखाने के लिए यहाॅ क्यों रहेगा? बल्कि वो तो कहीं पर चुल्लू भर पानी की तलाश करेगा ताकि उसमें डूब कर वो मर सके।"

"वाह भाई वाह क्या लच्छेदार बात कही है मेरे मादरचोद बेटे ने।" बापू की प्रशंशा में डूबी हुई आवाज़__"ये तो कमाल ही हो गया। इतनी बड़ी और इतनी गहरी बात मेरे दिमाग़ में नहीं आई। जबकि तूने साबित कर दिया कि तू इस संसार का सबसे बड़ा वाला कमीना इंसान है।"

"बापू तारीफ़ करने का भला ये कौन सा तरीका है?" मदन ने हॅसते हुए कहा___"जगन ने ग़लत क्या कहा भला? सारी बातों को सोच कर उसने इस सबसे बचने की जो तरकीब बताई है वो यकीनन लाजवाब है। इस लिए अब हमें बिलकुल भी देर नहीं करना चाहिए। बल्कि तुरंत ही जगन की इस तरकीब पर अमल करना चाहिए।"

"सही कह रहा है तू।" बापू की आवाज़___"इसके सिवा दूसरा कोई चारा भी तो नहीं है हमारे पास। अतः अब हम जगन की इस तरकीब के अनुसार ही काम शुरू करते हैं। अब जो होगा देखा जाएगा।"

उधर वो सब तरकीब पर अमल करने की बातें कर रहे थे जबकि इधर मेरे गुस्से की जैसे इंतहां हो गई थी। इतनी घटिया सोच और ऐसे पापी लोगों का इस समाज में जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं रह गया था। मेरे दिलो दिमाग़ उन सबके लिए घृणा और नफ़रत में निरंतर इज़ाफा होता चला गया था। मैं तुरंत ही अपनी जगह से हिला और लकड़ी की उस बाउंड्री के इस पार से चलते हुए घर के सामने की तरफ आया और सामने से अंदर की तरफ बढ़ चला।

बरामदे के बाहरी तरफ दीवार पर टेक लगा कर रखी हुई कुल्हाड़ी पर मेरी नज़र पड़ी। मेरे जिस्म में दौड़ते हुए लहूॅ में जैसे एकदम से उबाल आ गया। मैं तेज़ी से उस कुल्हाड़ी की तरफ बढ़ा और उसे दाहिने हाॅथ से उठा कर बरामदे की तरफ बढ़ा। अंदर दाखिल होते ही मुझे जगन और मदन मेरी तरफ पीठ किये खड़े नज़र आए। इससे पहले कि कोई कुछ महसूस कर पाता मेरा कुल्हाड़ी वाला हाॅथ बिजली की तरह चला और खचाऽऽक से जगन की गर्दन पर पड़ा। कुल्हाड़ी वार लगते ही जगन की गर्दन आगे की तरफ झूल गई। उसके कटे हुए धड़ से खून का मानो फब्बारा सा उठ गया। इधर मैं इतने पर ही नहीं रुका। बल्कि किसी के होश में आने से पहले ही एक बार पुनः मेरा कुल्हाड़ी वाला हाॅथ बिजली की सी तेज़ी से चला और इस बार मदन के सीने में गड़ता चला गया। सीने में इस लिए कि वो ऐन वक्त पर मेरी तरफ घूम गया था।

पल भर में इस सबको देखते ही मेरी दोनो बहनों के हलक से चींखें निकल गई। बापू के सामने ही उसके पैरों के पास जगन मृत अवस्था में खून से लथ पथ पड़ा था। ये देख कर बापू को जैसे लकवा सा मार गया था। उसकी घिग्घी बॅध गई थी। इधर मेरी एक बहन मीना बाहर की तरफ तेजी से भागी। मैने पलट कर तेज़ी से कुल्हाड़ी चला दी। कुल्हाड़ी उड़ते हुए मीना की पीठ पर गड़ती चली गई और वो प्रहार के वेग में मुह के बल ज़मीन पर गिरी। वो मछली की तरह कुछ देर तड़पी और फिर शान्त पड़ गई। मैने आगे बढ़ कर उसकी पीठ से एक ही झटके में कुल्हाड़ी को खींच लिया।

उधर रीना के चिल्लाने से जैहे बापू को होश आया। अतः वो तुरंत उठा और कमरे के अंदर की तरफ शोर मचाते हुए भागा। उसके पीछे ही रीना भी भागी। कमरे के अंदर जा कर दोनो ने दरवाजे को बंद कर अपने अपने हाॅथों से दरवाजे पर ताकत से दबाव बढ़ा दिया।

"दरवाजा खोल बापू।" मैं कुल्हाड़ी लिए शेर की तरह गरज उठा था___"आज मेरे हाॅथों तुम सबकी मौत निश्चित है।"
"ये तूने किया शंकर?" अंदर से बापू की भय से काॅपती हुई आवाज़ आई___"तूने अपने हाॅथों अपने ही भाई और बहन को काट कर मार डाला। आख़िर ऐसा क्या हो गया है तुझे कि तूने ये नरसंघार कर दिया?"

"मुझसे क्या पूछता है हरामज़ादे?" मैने दहाड़ते हुए कहा___"इस सबका कारण तो तू ही है। मैने तेरी और तेरे इन पिल्लों की सारी बातें सुन ली हैं। तूने अपने मतलब के लिए मेरी अम्मा को कुएॅ में गिरा कर मार डाला। उसके बाद तूने मेरी मासूम चंदा के भोले भाले बाप को फॅसा कर उसकी बेटी से ब्याह किया। सिर्फ इस लिए कि तू उस मासूम और निर्दोष के साथ मज़े कर सके और ये सब तूने उस मादरचोद जगन के कहने पर किया। ये बता कि तुझे एक बार भी नहीं लगा कि जो ते कहने जा रहा है वो सबसे बड़ा पाप है? अपनी ही बेटियों के साथ तू मुह काला करता है। तेरे दोनो बेटे अपनी ही बहन के साथ नाजायज़ संबंध बनाते हैं। इतना ही नहीं तू खुद भी उन के साथ ये सब करता है। अरे तुझसे बड़ा इस संसार में कौन होगा बापू? तूने दो पल के मज़े के लिए रिश्तों को भी नहीं बक्शा। मेरी देवी जैही माॅ को मार डाला तूने और तेरे इन पिल्लों ने।"

"ये सब झूॅठ है शंकर भाई।" रीना रोते बिलखते हुए चिल्ला पड़ी___"तुम जो समझ रहे हो वैसे कुछ भी नहीं है।"
"तू चुप कर बदजात लड़की।" मैं पूरी शक्ति से चिल्लाया था, बोला___"तुझे तो अपनी बहन कहते हुए भी मुझे शर्म आती है ऐ बेहया। तुझमें इतनी ही हवश की आग भरी हुई थी तो कहीं भाग जाती किसी के साथ। कम से कम रिश्तों पर कलंक तो न लगता। मगर नहीं, तू अपने बाप और भाई की राॅड बन गई न। नहीं छोंड़ूॅगा, किसी को भी ज़िंदा नहीं छोंड़ूॅगा। दरवाजा खोल वरना इसी कुल्हाड़ी से इस दरवाजे को काट काट कर टुकड़े टुकड़े कर दूॅगा और फिर वैसे ही टुकड़े तुम दोनो नाली के कीड़ों के करूॅगा।"

"हमें माफ़ कर दे शंकर।" बापू ने रोते गिड़गिड़ाते हुए कहा___"हमसे सच में बहुत बड़ा पाप हो गया है। लेकिन आख़िरी बार माफ़ कर दे हमें। अब दुबारा ऐसा कभी नहीं करेंगे हम। देख तूने अपने ही दो भाई और एक बहन को मार डाला। अब कम से कम हमें तो छोंड़ दे।"

"तू बाहर निकल बेटीचोद।" मैने चिल्लाया___"उसके बाद बताता हूॅ कि कैसे माफ़ करता हूॅ मैं?"
"भगवान के लिए भाई।" रीना बुरी तरह रो रही थी__"बस एक बार माफ़ कर दे। सच कहती हूॅ जीवन भर तेरी टट्टी खाऊॅगी मैं।"

"मैं आख़िरी बार कह रहा हूॅ कि दरवाजा खोल।" मैं गुस्से में चीखा___"वरना दरवाजे को काटने में मुझे ज्यादा समय नहीं लगेगा। उसके बाद मैं तुम दोनो का क्या हस्र करूॅगा तुम सोच भी नहीं सकते।"
"बेटा माफ़ कर दे न।" बापू गिड़गिड़ाया___"अरे मैं तेरा बाप हूॅ रे। तुझे बचपन से पाल पोष कर बड़ा किया है।"

"तो कौन सा बड़ा काम किया है तूने?" मैने कहा__"तू मुजे बचपन में ही मार देता तो अच्छा होता। कम से कम आज ये सब देखने सुनने को तो न मिलता। मेरी मासूम सी चंदा को तुम लोगों ने रौंद रौंद कर मार डाला। मेरी देवी जैसी अम्मा को मार डाला तुम लोगों ने। अगर तुम लोग मेरी अम्मा और चंदा को वापस मुझे लाकर दे दो तो माफ़ कर दूॅगा। वरना भूल जाओ कि मैं माफ़ कर दूॅगा तुम दोनो को।"

अंदर से कोई वाक्य न फूटा उन दोनों के मुख से। बस दोनो के रोने की आवाज़ें गूॅजती रही। मेरा गुस्सा प्रतिपल बढ़ता ही जा रहा था। मुझसे बरदास्त न हुआ तो मैं कुल्हाड़ी का वार दरवाजे पर करने लगा। मेरे ऐसा करते ही रीना और बापू ज़ोर ज़ोर से चीखने लगे और रहम की भीख माॅगने लगे। मगर मैं न रुका बल्कि लगातार कुल्हाड़ी का वार दरवाजे पर करता चला गया। नतीजा ये हुआ कि कुछ ही देर में लकड़ी का वो दरवाजा कट कट कर टुकड़ों में निकलने लगा। थोड़ी ही देर में मुझे रीना का हाॅथ नज़र आया जो दरवाजे पर टिका हुआ था। मैने गुस्से में आव देखा न ताव, कुल्हाड़ी का वार सीधा उसके हाॅथ पर किया। खचाऽऽऽच की आवाज़ के साथ ही रीना का हाॅथ उसकी कलाई से कट गया। खून का तेज़ फब्बारा उछल कर फैल गया। कलाई से हाॅथ कटते ही रीना की हृदय विदारक चीख गूॅज गई। वो दरवाजे से हट कर अपने दूसरे हाॅथ से कटे हुए हाॅथ को पकड़े पीछे हटती चली गई। उसका ये हाल देख कर बापू भी मारे डर के पीछे की तरफ भागा। दोनो के जाते ही दरवाजे पर से उन दोनो का दबाव हट गया।

[size=large]मैने दरवाजे पर ज़ोर से एक लात मारी तो दरवाजा खुलता चला गया और इसके साथ ही उन दोनो की चीखना चिल्लाना भी बढ़ गया। मैं दरवाजे के अंदर दाखिल हुआ और उन दोनो की तरफ बढ़ने ही वाला था कि मेरी न
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RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 01:00 PM

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