non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:55 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
"हे भगवान! इतना बड़ा खेल खेल गई रितू।" प्रतिमा ने हैरानी से कहा___"अगर ये बात सच है तो यकीनन हमारी बेटी ने हमें उल्लू बना दिया है। उसने बड़ी सफाई और चतुराई से आपके मुह से आपका मन पसंद निवाला छीन लिया है जिसका हमें एहसास तक नहीं हो सका।"

"जब हमारी बेटी ने ही हमें धोखा दे दिया तो कोई क्या कर सकता है?" अजय सिंह ने कहा___"लेकिन अब जो हम उसके साथ करेंगे उसकी उसने कल्पना भी न की होगी। हम उसके माॅ बाप हैं, हमने उसे बचपन से लेकर अब तक क्या कुछ नहीं दिया। उसने जिस चीज़ की आरज़ू की हमने पल भर में उस चीज़ को लाकर उसके क़दमों में डाल दिया। मगर उसने हमारे लाड प्यार का ये सिला दिया हमें। इतने सालों का लाड प्यार उसके लिए कोई मायने नहीं रखता। देख लो प्रतिमा, ये है तुम्हारी बेटी का अपने माॅ बाप के प्रति प्रेम और लगाव। जो अपने बाप के दुश्मन के साथ मिल कर खुद अपने ही पैरेंट्स के लिए मौत का सामान जुटाने पर तुली हुई है। इस हाल में अगर तुम मुझसे ये कहो कि मैं उसकी इस धृष्टता को माफ़ कर दूॅ तो ऐसा हर्गिज़ नहीं हो सकता अब। तुम्हारी बेटी ने अपने ही बाप के हाथों अब ऐसी मौत को चुन लिया है जिसके दर्द का किसी को एहसास नहीं हो सकता।"

"पहले मुझे भी लगता था अजय कि वो आख़िर हमारी बेटी है।" प्रतिमा ने कठोरता से कहा___"मगर उसके इस कृत्य से मुझे भी उस पर अब बेहद गुस्सा आया हुआ है। मैं जानती हूॅ कि वो अब दूध पीती बच्ची नहीं रही है जिसके कारण उसे हर चीज़ का पाठ पढ़ाना पड़ेगा। बल्कि अब वो बड़ी हो गई है। जिसे अपने और अपनों के अच्छे बुरे का बखूबी ख़याल है। इसके बाद भी वो अपने ही पैरेंट्स का बुरा चाहने वाला काम किया है तो अब मैं भी यही कहूॅगी कि उसे उसके इस अपराध की शख्त से शख्त सज़ा मिले। दैट्स आल।"

कुछ देर और तीनो के बीच बातें होती रहीं उसके बाद तीनों ने रात का खाना खाया और सोने के लिए कमरों में चले गए। इस बात से अंजान कि आने वाली सुबह उनके लिए क्या धमाका करने वाली है????
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रितू की जिप्सी फार्महाउस पहुॅची।
लोहे वाले गेट के पास ही शंकर और हरिया काका बंदूख लिए खड़े थे। रितू की जिप्सी को देखते ही दोनो ने गेट खोल दिया। गेट खुलते ही रितू ने जिप्सी की गेट के अंदर बढ़ा दिया। कुछ ही पल में रितू की जिप्सी पोर्च में जाकर रुकी। जिप्सी से उतर कर रितू ने हरिया काका को आवाज़ देकर बुलाया। हरिया के आते ही रितू ने उससे जिप्सी के पीछे बड़ी सी प्वालीथिन के नीचे ढॅकी मंत्री की बेटी को उठा कर तहखाने में ले जाने को कहा। उससे ये भी कहा कि तहखाने में उसे अच्छी तरह बाॅध कर ही रखे।

रितू के कहने पर हरिया ने वैसा ही किया। आज एक लड़की को इस तरह तहखाने में ले आते देख हरिया काका अंदर ही अंदर बेहद खुश हो गया था। लड़की को देख कर उसके मन में ढेर सारे लड्डू फूट रहे थे। काफी दिन से लड़की गाॅड मार मार कर वो अब उकता सा गया था। अब उसे एक फ्रेश माल की ज़रूरत महसूस हो रही थी। बिंदिया को ज्यादा सेक्स करना पसंद नहीं था इस लिए हरिया को वह रोज रोज अपने पास नहीं आने देती थी। जिसकी वजह से हरिया उससे खूब नाराज़ हो जाया करता था। मगर कर भी क्या सकता था??

मन में ढेर सारे खुशी के लड्डू फोड़े वह लड़की को तहखाने में ले जाकर उसे वहीं तहखाने के फर्स पर लेटा दिया। लड़की अभी भी बेहोश ही थी। तहखाने में रस्सियों से बॅधे वो चारो असहाय अवस्था में लगभग झूल से रहे थे। उन चारों की हालत ऐसी हो गई थी कि पहचान में नहीं आ रहे थे। जिस्म पर एक एक कच्छा था उन चारों के और कुछ नहीं। इस वक्त चारो के सिर नीचे की तरफ झुके हुए थे। उनमें इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि सिर उठा कर सामने की तरफ देख भी सकें कि कौन किसे लेकर आया है? हरिया काका ने एक नज़र उन चारों पर डाली उसके बाद वो लड़की की तरफ एक बार देखने के बाद तहखाने से बाहर की तरफ चला गया। कुछ देर में जब वो आया तो उसके दोनो हाॅथ में एक लकड़ी की कुर्सी थी।

लकड़ी की कुर्सी को तहखाने में एक तरफ रख कर वो पलटा और फिर लड़की उठा कर उस कुर्सी पर बैठा दिया। उसने लड़की के दोनो हाथों को कुर्सी के दोनो साइड एक एक करके रस्सी से बाॅध दिया। उसके बाद उसके पैरों को भी नीचे कुर्सी के दोनो पावों पर एक एक कर बाॅध दिया। लड़की के झुके हुए सिर को ऊपर उठा कर उसने कुर्सी की पिछली पुश्त से टिका दिया। कुछ देर तक हरिया काका उस लड़की को ललचाई नज़रों से देखता रहा उसके बाद वो तहखाने से बाहर आ गया। तहखाने का गेट बंद कर वो बाहर गेट के पास खड़े शंकर के करीब आ गया।

उधर, मंत्री की बेटी को हरिया के हवाले करने के बाद रितू अंदर अपने कमरे की तरफ बढ़ गई। कमरे में आकर उसने अपनी वर्दी को उतारा और बाथरूम में घुस गई। जब वह फ्रेश होकर बाहर आई तो कमरे में नैना बुआ को देख कर वह चौंकी। दरअसल इस वक्त वह सिर्फ एक हल्के पिंक कलर के टाॅवेल में थी।

बाॅथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ से बेड पर बैठी नैना का ध्यान उस तरफ गया तो रितू को मात्र टाॅवेल में देख कर वह हौले से मुस्कुराई। उसके यूॅ मुस्कुराने से रितू के चेहरे पर अनायास ही लाज और हया की सुर्खी फैल गई। होठों पर हल्की मुस्कान के साथ ही उसकी नज़रें झुकती चली गईं। रितू का इस तरह शरमाना नैना को काफी अच्छा लगा। उसे पता था कि उसकी ये भतीजी भले ही ऊपर से कितनी ही कठोर हो किन्तु अंदर से वह एक शुद्ध भारतीय लड़की है जो ऐसी परिस्थिति में शरमाना भी जानती है।

"चल मुझसे शरमाने की ज़रूरत नहीं है रितू।" नैना ने मुस्कुराते हुए कहा___"तू आराम से अपने कपड़े पहन ले। फिर हम बातें करेंगे।"
"शर्म तो आएगी ही बुआ।" रितू ने इजी फील करने के बाद ही हौले से मुस्कुराते हुए कहा___"मैं इस तरह पहले कभी भी किसी के सामने नहीं आई। भले ही वो मेरे घर का ही कोई सदस्य हो।"

"हाॅ जानती हूॅ मैं।" नैना ने कहा___"पर इतना तो आजकल आम बात है मेरी बच्ची। सो फील इजी एण्ड कम्फर्टेबल।"
नैना की इस बात से रितू बस मुस्कुराई और फिर पास ही एक साइड रखी आलमारी से उसने अपने कपड़े निकाले और फिर वापस बाथरूम में घुस गई। ये देख कर नैना एक बार पुनः मुस्कुरा उठी।

थोड़ी देर बाद रितू जब बाथरूम से बाहर आई तो इस बार उसके खूबसूरत से बदन पर भारतीय लड़कियों का शुद्ध सलवार सूट था और सीने पर दुपट्टा। वो इन कपड़ों में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। नैना ने उसे गहरी नज़र से एक बार ऊपर से नीचे तक देखा फिर बेड से उठ कर रितू के पास आई और रितू का सिर पकड़ कर अपनी तरफ किया और उसके माथे पर हल्के चूम लिया।

"बहुत खूबसूरत लग रही है मेरी बच्ची।" फिर नैना ने मुस्कुरा कर कहा___"किसी की नज़र न लगे। ईश्वर हर बला से दूर रखे तुझे।"
"आप भी न बुआ।" रितू ने हॅसते हुए कहा___"ख़ैर छोड़िये ये बताइये आपको यहाॅ अच्छा तो लगता है न? कहीं ऐसा तो नहीं कि आप यहाॅ पर इजी फील नहीं करती हैं और खुद को यहाॅ मजबूरीवश रहने का सोचती हैं?"

"अरे नहीं रितू।" नैना ने रितू का हाॅथ पकड़ कर उसे बेड पर बैठाने के बाद खुद भी बैठते हुए कहा___"यहाॅ मुझे बहुत अच्छा लगता है। हर मुसीबत हर परेशानी से दूर हूॅ यहाॅ। यहाॅ शान्त व साफ वातावरण मन को बेहद सुकून देता है। यहाॅ बिंदिया भौजी हैं और तू है बस इससे ज्यादा और क्या चाहिए? पिछले कुछ दिनों में अपने कुछ अज़ीज़ों से भी मिल लिया, ऐसा लगा जैसे फिर से इस घर में वही पुराना वाला दौर लौट आया है।"

"चिन्ता मत कीजिए बुआ।" रितू ने कहा___"पुराना वाला समय फिर से आएगा। फिर से पहले जैसी ही खुशियाॅ हमारे बीच रक्श करेंगी। बस इन खुशियों को बरबाद करने वालों का एक बार किस्सा खत्म हो जाए। उसके बाद फिर से वही हमारा वही संसार होगा मगर एक नये संसार के रूप में। जिसमें सबके बीच सिर्फ बेपनाह प्यार होगा। जहाॅ किसी घृणा अथवा किसी प्रकार की नफ़रत के लिए कोई स्थान हीं नहीं होगा।"

"क्या सच में तूने अपने माता पिता के लिए उनका अंजाम बुरा ही सोचा हुआ है?" नैना ने पूछा___"क्या ऐसा नहीं हो सकता कि उन्हें उनके कर्मों की सज़ा भी मिल जाए और वो हमारे साथ भी रहें एक अच्छे इंसानों की तरह?"

"ये असंभव है बुआ।" रितू ने कठोरता से कहा__"जो इंसान इतना ज्यादा अपने सोच और विचार से गिर जाए कि वो अपनी ही औलाद के बारे में इतना गंदा करने का सोच डाले उससे भविष्य में अच्छाई की उम्मीद हर्गिज़ नहीं करनी चाहिए। दूसरी बात, भले ही ईश्वर उनके अपराधों के लिए उन्हें माफ़ कर दे मगर मैं किसी सूरत पर उन्हें माफ़ नहीं कर सकती। उन्होंने माफ़ी के लिए कहीं पर भी कोई रास्ता नहीं छोंड़ा है। उन्होंने हर रिश्ते के लिए सिर्फ गंदा सोचा है और गंदा किया है। उन्होने अपने स्वार्थ के लिए अपने देवता जैसे भाई की हत्या की। अपनी बहन सामान छोटे भाई की पत्नी पर बुरी नज़र डाली। सबसे बड़ी बात तो उन्होंने ये की कि अपने ही बेटे के साथ अपनी पत्नी को उस काम में शामिल किया जिस काम को किसी भी जाति धर्म में उचित नहीं माना जाता बल्कि सबसे ऊॅचे दर्ज़े का पाप माना जाता है। ऐसे इंसानों को माफ़ी कैसे मिल सकती है बुआ? नहीं हर्गिज़ नहीं। ना तो मैं माफ़ करने वाली हूॅ और ना ही मेरा भाई राज उन घटिया लोगों को माफ़ करेगा। एक पल के लिए अगर ऐसा हो जाए कि राज उन्हें माफ़ भी कर दे मगर मैं....मैं नहीं माफ़ कर सकती। हाॅ बुआ....मेरे अंदर उनके प्रति इतना ज़हर और इतनी नफ़रत भर चुकी है कि अब ये उनकी मौ से ही दूर होगी। मुझे दुख इस बात का नहीं होगा कि मेरे माॅ बाप दुनियाॅ से चले गए बल्कि मरते दम तक इस बात का मलाल रहेगा कि ऐसे गंदे इंसानों की औलाद बना कर ईश्वर ने मुझे इस धरती पर भेज दिया था।"

रितू की इन बातों से नैना चकित भाव से देखती रह गई उसे। उसे एहसास था कि रितू के अंदर इस वक्त किस तरह की भावनाओं का चक्रवात चालू था जिसके तहत वो इस तरह अपने ही माॅ बाप के लिए ऐसा बोल रही थी। नैना खुद भी यही समझती थी कि रितू अपनी जगह परी तरह सही है। ऐसे इंसान के मर जाने का कोई दुख या संताप नहीं हो सकता।

"माॅ बाप तो वो होते हैं बुआ जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देते हैं।" रितू दुखी भाव से कहे जा रही थी__"बाल्य अवस्था से ही अपने बच्चों के अंदर अच्छे संस्कार डालते हैं। सबके प्रति आदर व सम्मान करने की भावना के बीज बोते हैं। सबके लिए अच्छा सोचने की सीख देते हैं। कभी किसी के बारे में बुरा न सोचने का ज्ञान देते हैं। मगर मेरे माॅ बाप ने तो अपने तीनों बच्चों को बचपन से सिर्फ यही पाठ पढ़ाया था कि हवेली के अंदर रहने वाला हर ब्यक्ति बुरा है। इनसे ज्यादा बात मत करना और ना ही इन्हें अपने पास आने देना। कहते हैं इंसान वही देता है जो उसके पास होता है। सच ही तो है बुआ, मेरे माॅ बाप के पास यही सब तो था अपने बच्चों को देने के लिए। वो खुद ऊॅचे दर्ज़े के बुरे इंसान थे, उनके अंदर पाप और बुराईयों का भण्डार था। वही सब उन्होंने अपने बच्चों को भी दिया। ये तो समय की बात है बुआ कि वो हमेशा एक जैसा नहीं रहता। हर चीज़ की हकीक़त कैसी होती है ये बताने के लिए समय ज़रूर आपको ऐसे मोड़ पर ले आता है जहाॅ आपको हर चीज़ की असलियत का पता चल जाता है। इस लिए ये अच्छा ही हुआ कि समय मुझे ऐसे मोड़ पर ले आया। वरना मैं जीवन भर इस बात से बेख़बर रहती कि जिन लोगों के बारे में मुझे बचपन से ये पाठ पढ़ाया गया था कि ये सब बुरे लोग हैं वो वास्तव में कितने अच्छे थे और गंगा की तरह पवित्र थे।"

"हर इंसान की सोच अलग होती है रितू।" नैना ने गहरी साॅस लेते हुए कहा___"और हर इंसान की इच्छाएॅ भी अलग होती हैं। कुछ लोग अपनी इच्छा और खुशी के लिए अनैतिकता की सीमा लाॅघ जाते हैं और कुछ लोग दूसरों की खुशी और भलाई के लिए अपनी हर खुशी और इच्छाओं का गला घोंट देते हैं। अनैतिकता की राह पर चलने वाले ये सोचना गवाॅरा नहीं करते कि जो कर्म वो कर रहे हैं उससे जाति समाज और खुद के घर परिवार पर कितना बुरा प्रभाव पड़ेगा? उन्हें तो बस अपनी खुशियों से मतलब होता है। जबकि इसके विपरीत अच्छे इंसान अपने अच्छे कर्मों से आदर्श के नये नये कीर्तिमान स्थापित करते हैं। ख़ैर छोंड़ इन बातों को और ये बता कि आगे का क्या सोचा है?"

"सोचना क्या है बुआ?" रितू ने कहा___"मेरा भाई मुझसे कह गया है कि मैं उसके वापस आने का इन्तज़ार करूॅ। उसके बाद हम दोनो बहन भाई इस किस्से का खात्मा करेंगे।"
"पर ये सब होगा कैसे?" नैना ने कहा___"तुम दोनो इस काम को अकेले कैसे अंजाम तक पहुॅचाओगे?"

"मुझे खुद पर और अपने भाई राज पर पूरा भरोसा है बुआ।" रितू ने गर्व से कहा___"आप देखना हम दोनो कैसे इस सबको फिनिश करते हैं? अब तो रितू राज स्पेशल गेम होगा बुआ। मैं बस राज के आने का बेसब्री से इन्तज़ार कर रही हूॅ।"

"तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे ये सब बहुत सहज है।" नैना ने हैरानी से कहा___"जबकि मेरा तो सोच सोच कर ही दिल बुरी तरह से घबराया जा रहा है।"
"इसमें घबराने वाली क्या बात है बुआ?" रितू ने स्पष्ट भाव से कहा___"सीधी और साफ बात है कि जो लोग सिर पर मौत का कफ़न बाॅध कर चलते हैं वो फिर किसी चीज़ से घबराते नहीं हैं। बल्कि मौत से भी डॅट कर मुकाबला करते हैं। जहाॅ तक मेरी बात है तो अब अगर मेरी जान भी मेरे भाई की सुरक्षा में चली जाए तो कोई ग़म नहीं है। बल्कि मुझे बेहद खुशी होगी कि मेरी जान मेरे ऐसे भाई की सलामती के लिए फना हो गई जिसने वास्तव में मुझे हमेशा अपनी दीदी माना और हमेशा मुझे इज्ज़त व सम्मान दिया।"

"ऐसा मत कह रितू।" नैना की ऑखों से ऑसू छलक पड़े, बोली____"तुझे कुछ नहीं होगा और ख़बरदार अगर दुबारा से ऐसी फालतू की बात की तो। तू मेरी जान है मेरी बच्ची। तुझे कुछ नहीं होगा क्योंकि तू सच्चाई की राह पर चल रही है, धर्म की राह पर मुकीम है तू। अगर किसी को कुछ होगा तो वो उन्हें होगा जो इस देश समाज और परिवार के लिए कलंक हैं।"

"ख़ैर जाने दीजिए बुआ।" रितू ने मानो पहलू बदला__"इन सब बातों में क्या रखा है? होना तो वही है जो हर किसी की नियति में लिखा हुआ है। आइये खाना खाने चलते हैं। बिंदिया काकी ने खाना तैयार कर दिया होगा।"

रितू की ये बात सुन कर नैना उसे कुछ देर अजीब भाव से देखती रही, फिर रितू के उठते ही वो भी बेड से उठ बैठी। कमरे से बाहर आकर दोनो डायनिंग हाल की तरफ बढ़ चलीं। जहाॅ पर करुणा का भाई और अभय सिंह का साला बैठा इन्हीं का इन्तज़ार कर रहा था। ये दोनो भी वहीं रखी एक एक कुर्सियों पर बैठ गई। कुछ ही देर में बिंदिया ने सबको खाना परोसा। खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरों की तरफ सोने के लिए चले गए।
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RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 12:55 PM

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