non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:55 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
"मिस्टर सिंह।" सहसा इस बीच एक विदेशी ने कहा___"पिछली डील अभी तक कम्प्लीट नहीं हुआ। क्या हम जान सकता हाय कि इतना डिले करने का तुम्हारा क्या मतलब हाय? बात थोड़ी बहुत की होती तो हम उसको भूल भी सकता था बट एज यू नो वो सारी चीज़ें लाखों करोड़ों में हाय। सो हाउ कैन आई फारगेट?"

"हम जानते हैं मिस्टर लाॅरेन।" अजय सिंह ने बेचैनी से पहलू बदला___"कि वो सब करोड़ों का सामान है। लेकिन मौजूदा वक्त में हम ऐसी स्थित में नहीं हैं कि आपका पैसा आपको दे सकें। इसके लिए आपको तब तक रुकना पड़ेगा जब तक कि हमारे सिर पर से ये मुसीबत और ये परेशानी न हट जाए। प्लीज़ ट्राई टू अण्डरस्टैण्ड मिस्टर लाॅरेन।"

"ओखे।" लाॅरेन ने कहा___"नो प्राब्लेम हम तुम्हारी हर तरह से मदद करेगा। बट सारी प्राब्लेम फिनिश होने के बाद तुम हमारा पूरा पैसा देगा। इस बात का प्रामिस करना पड़ेगा तुमको।"
"मिस्टर लाॅरेन।" सहसा कमलनाथ ने कहा___"ये आप कैसी बात कर रहे हैं? आप जानते हैं कि ठाकुर साहब के पास इस समय कितनी गंभीर समस्याएॅ हैं इसके बाद भी आप सिर्फ अपने मतलब की बात कर रहे हैं। जबकि आपको करना तो ये चाहिए था कि आप सब कुछ भूल कर सिर्फ ठाकुर साहब को उनकी समस्याओं से बाहर निकालें।"

"तो हमने कब मना किया इस बात से मिस्टर कमलनाथ?" लाॅरेन ने कहा___"हम कह ओ रहा है कि हम हर तरह से इनकी मदद करेगा।"
"हाॅ लेकिन यहाॅ पर आपको अपने पैसों की बात करना उचित नहीं है न।" कमलनाथ ने कहा___"आपको ये भी तो सोचना चाहिए कि पैसा सिर्फ आपका ही बस बकाया नहीं है ठाकुर साहब के पास, हम सबका भी है। लेकिन हमने तो इनसे पैसों के बारे में कोई बात नहीं की।"

"ओखे आयम साॅरी।" लाॅरेन ने बेचैनी से पहलू बदलते हुए कहा___"सो अब बताइये क्या करना है हम लोगो को?"
"ये तो ठाकुर साहब ही बताएॅगे।" कमलनाथ ने कहा__"कि हम सबको क्या करना होगा?"
"हमने आप सबको पहले ही बता दिया है कि आप सब अपने कुछ ऐसे आदमी हमें दीजिए जो हर तरह के काम में माहिर हों।" अजय सिंह ने कहा___"उसके बाद हम खुद ही तय करेंगे कि हमें उन आदमियों से क्या और कैसे काम लेना है?"

"ठीक है ठाकुर साहब।" पाटिल ने कहा___"हमारे पास जो भी ऐसे आदमी हैं। उन सबको आपके पास भेज देंगे।"
"ओह थैक्यू सो मच टू आल ऑफ यू डियर फ्रैण्ड्स।" अजय सिंह ने खुश होकर कहा___"और हाॅ, हम आप सबसे वादा करते हैं कि इस सबसे निपट लेने के बाद हम बहुत जल्द आप सबके पैसों का हिसाब किताब कर देंगे।"

अजय सिंह की इस बात के साथ ही मीटिंग खत्म हो गई। सबने अजय सिंह को अपने आदमी भेजने का कहा और फिर सब एक एक करके मीटिंग हाल से बाहर की तरफ चले गए। सबके जाने के बाद अजय सिंह भी बाहर की तरफ निकल गया। बाहर पार्किंग में खड़ी अपनी कार में बैठ कर अजय सिंह घर की तरफ निकल गया।

कुछ ही समय में अजय सिंह हवेली पहुॅच गया। अंदर ड्राइंगरूम में रखे सोफों पर प्रतिमा और शिवा बैठे थे। अजय सिंह भी वहीं रखे एक सोफे पर बैठ गया। उसने प्रतिमा को चाय बनाने का कहा तो प्रतिमा रसोई की तरफ बढ़ गई। जबकि अजय सिंह ने गले पर कसी टाई को ढीला कर आराम से सोफे की पिछली पुश्त से पीठ टिका कर लगभग लेट सा गया।

शिवा को समझ न आया कि अपने बाप से बातों का सिलसिला कैसे और कहाॅ से शुरू करे? ऐसा कदाचित इस लिए था क्योंकि आज सारा दिन उसने अपनी माॅ के साथ मौज मस्ती की थी। इस बात के कारण कहीं न कहीं हल्की सी झिझक उसके अंदर मौजूद थी।

"आप इतना लेट कैसे हो गए डैड?" आख़िर शिवा ने बात शुरू कर ही दी, बोला___"आपने तो कहा था कि जल्दी आ रहा हूॅ?"
"एक ज़रूरी मीटिंग में ब्यस्त हो गया था बेटे।" अजय सिंह ने उसी हालत में कहा___"कल से हमारे पास कुछ ऐसे आदमी होंगे जो हर तरह के काम में माहिर होंगे। अब मैं भी देखूॅगा कि वो हरामज़ादा विराज और रितू कैसे उन आदमियों को ठिकाने लगाते हैं?"

"ऐसे वो कौन से आदमी हैं डैड?" शिवा ने ना समझने वाले भाव से कहा___"क्या आप अभी भी ऐसे किन्हीं आदमियों पर ही भरोसा करेंगे? जबकि पालतू आदमियों का क्या हस्र हुआ है ये आपको बताने की ज़रूरत नहीं है।"

"हमारे आदमी दिमाग़ से पूरी तरह पैदल थे बेटे।" अजय सिंह ने कहा___"वो सब अपने शारीरिक बल को महत्व देते थे तभी तो मात खा गए। उन्होंने ये कभी सोचा ही नहीं कि शरीरिक बल से कहीं ज्यादा दिमाग़ी बल कारगर होता है। ख़ैर, अब जो आदमी यहाॅ आएॅगे वो सब खलीफ़ा लोग होंगे। जो हर वक्त हर तरह के ख़तरे वाले कामों को ही अंजाम देते हैं। दूसरी बात ये है कि रितू एक आम लड़की नहीं है जिसे कोई भी ऐरा गैरा ब्यक्ति आसानी से पकड़ लेगा, बल्कि वो एक पुलिस वाली भी है। जिसके पास सारा पुलिस डिपार्टमेन्ट भी है। ऐसे में अगर हम खुद उस पर हाॅथ डालेंगे तो वो हमें कानून की चपेट में डाल सकती है। इस लिए हमने सोचा है कि हम पहले ऐसे आदमियों के द्वारा उसे पकड़ लें कि जिनसे वो आसानी से मुकाबला भी न कर सके। मुकाबले से मेरा मतलब ये है कि मेरे वो आदमी उसे ऐसा घेरा बना कर पकड़ेंगे जिसके बारे में उसे अंदेशा तक न हो पाएगा।"

"ओह आई सी।" शिवा को सारी बात जैसे समझ आ गई थी, बोला___"ये सही रणनीत है डैड। अगर वो सब आदमी वैसे ही हर काम में माहिर हैं जैसा कि आप बता रहे हैं तो फिर यकीनन ये सही क़दम है।"

अभी अजय सिंह कुछ बोलने ही वाला था कि तभी किचेन से आती हुई प्रतिमा हाॅथ में चाय का ट्रे लिए वहाॅ पर आ गई। उसने दोनो बाप बेटे को एक एक कप चाय पकड़ाई और एक कप खुद लेकर वहीं एक सोफे पर बैठ गई।

"कौन से आदमियों की बात चल रही है अजय?" प्रतिमा ने सोफे पर बैठने के साथ ही पूछा था। उसके पूछने पर अजय सिंह ने उसे भी वही सब बता दिया जो अभी उसने शिवा को बताया था। सारी बात सुनने के बाद प्रतिमा कुछ देर गंभीरता से सोचती रही।

"तो अब तुमने बाहर से आदमी मॅगवाए हैं।" फिर प्रतिमा ने तिरछी नज़र से देखते हुए कहा___"और उन पर भरोसा भी है तुम्हें कि वो तुम्हें इस बार नाकामी का नहीं बल्कि फतह का स्वाद चखाएॅगे?"
"बिलकुल।" अजय सिंह ने स्पष्ट भाव से कहा___"ये सब ऐसे आदमी हैं जिनका वास्ता अपराध की हक़ीक़त दुनियाॅ से है और ये सब उस अपराध की दुनियाॅ के सफल खिलाड़ी हैं।"

"चलो इनका कारनामा भी देख लेते हैं।" प्रतिमा ने सहसा गहरी साॅस ली___"वैसे इस बात पर भी ध्यान देना कि समय हर वक्त इसी बस के लिए नहीं रहता।"
"क्य मतलब??" अजय सिंह चकराया।
"मतलब ये कि हर बार एक जैसी ही चाल चलना एक सफल खिलाड़ी की पहचान नहीं होती।" प्रतिमा ने समझाने वाले भाव से कहा__"ऐसे में सामने वाले खिलाड़ी के दिमाग़ में ये मैसेज जाता है कि उसका प्रतिद्वंदी कमज़ोर है जो सिर्फ एक ही तरह की चाल चलना जानता है और उसकी ये बेवकूफी भी कि उसी एक तरह की चाल से वह खेल को जीत लेने की उम्मीद भी करता है। इस लिए एक अच्छे खिलाड़ी को चाहिए कि बीच बीच में अपनी चाल को बदल भी लेना चाहिए।"

"बात तो तुम्हारी ठीक है डियर।" अजय सिंह ने चाय का खाली कप सामने काॅच की टेबल पर रखते हुए बोला___"लेकिन इसको इस एंगल से भी तो सोच कर देखो ज़रा। मतलब ये कि सामने वाले खिलाड़ी के दिमाग़ में हम जानबूझ कर ये मैसेज डाल रहे हैं कि हमारे पास सिर्फ एक ही तरह की चाल है। उसे ऐसा समझने दो। जबकि हम सही समय आने पर अपनी चाल को बदल कर उसे ऐसे मात देंगे कि उसे इसकी उम्मीद भी न होगी हमसे। जिसे वो हमारी कमज़ोरी समझेगा वो दरअसल हमारी चाल का ही एक हिस्सा होगा।"

"ओहो क्या बात है डियर हस्बैण्ड।" प्रतिमा ने सहसा मुस्कुराते हुए कहा___"क्या तर्क निकाला है। ये भी ठीक है। चल जाएगा। मगर सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात ये है कि हमारे पास समय नहीं है समय बर्बाद करने के लिए भी। सोचने वाली बात है कि हम अब भी वहीं हैं जहाॅ पर थे जबकि हमारा दुश्मन बहुत कुछ करके यहाॅ निकल भी चुका है। हाॅ अजय, वो रंडी का जना विराज अब यहाॅ नहीं होगा। बल्कि जिस काम से वो यहाॅ आया था उस काम को करके वो वापस मुम्बई चला गया होगा। आख़िर इस बात का एहसास तो उसे भी है कि उसने हमारे इतने सारे आदमियों का क्रियाकर्म करके गायब किया है जिसका अंजाम किसी भी सूरत में उसके हित में नहीं होगा। इस लिए अपना काम पूरा करने के बाद वो यहाॅ पर एक पल भी रुकना गवाॅरा नहीं करेगा।"

"माॅम ठीक कह रही हैं डैड।" सहसा इस बीच शिवा ने भी अपना पक्ष रखा___"वो यकीनन यहाॅ से चला गया होगा। भला ऐसे ख़तरे के बीच रुकने की कहाॅ की समझदारी ।होगी? अब ये भी स्पष्ट हो गया है कि उसके बाद यहाॅ सिर्फ रितू दीदी ही रह गई हैं।"

"रितू ही बस नहीं है बेटे।" अजय सिंह ने कहा___"बल्कि उसके साथ तुम्हारी नैना बुआ भी है।"
"क्याऽऽ???" अजय सिंह की इस बात से शिवा और प्रतिमा दोनो ही बुरी तरह चौंके थे, जबकि प्रतिमा ने कहा___"तुम ये कैसे कह सकते हो अजय? नैना तो वापस अपने ससुराल चली गई थी न उस दिन?"

"वो ससुराल नहीं।" अजय सिंह ने कहा___"बल्कि रितू के साथ कहीं और गई थी। नैना ने तो ससुराल जाने का सिर्फ बहाना बनाया था जबकि हक़ीक़त ये थी कि रितू उसे खुद यहाॅ से निकाल कर ले गई थी। ये सब रितू का ही किया धरा था।"

"लेकिन ये सब तुम्हें कैसे पता अजय?" प्रतिमा ने चकित भाव से कहा___"और रितू ने भला ऐसा क्यों किया होगा?"
"उस दिन नैना जब रितू के साथ गई तो ये सच है कि एक भाई होने के नाते मुझे खुशी हुई थी कि चलो अच्छा हुआ कि नैना को उसके ससुराल वालों ने बुलाया है।" अजय सिंह कह रहा था___"मगर जब दो दिन बाद भी नैना का कोई फोन नहीं आया तो मैने सोचा कि मैं ही फोन करके पता कर लूॅ कि वहाॅ सब ठीक तो है न? इस लिए मैने नैना के ससुराल में नैना को फोन लगाया मगर नैना का फोन बंद बता रहा था। कई बार के लगाने पर भी जब नैना का फोन बंद ही बताता रहा तो मैने नैना के हस्बैण्ड को फोन लगाया और उनसे पूछा नैना के बारे में तो उसने साफ साफ कठोरता से मना कर दिया कि उसके यहाॅ नैना नहीं आई और ना ही उसका नैना से कोई लेना देना है अब। नैना के पति की ये बात सुन कर मेरा दिमाग़ घूम गया। मुझे समझते देर न लगी कि नैना को हवेली से निकाल कर रितू ही ले गई है। उसे शायद ये बात कहीं से पता चल गई होगी कि हम दोनो बाप बेटे की गंदी नज़र नैना पर है। इस लिए रितू ने उसे इस हवेली से बड़ी चालाकी से निकाल लिया और अपनी बुआ को किसी ऐसी जगह पर सुरक्षित रखने का सोचा होगा जहाॅ पर हम आसानी से पहुॅच भी न सकें।"
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RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 12:55 PM

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