non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:52 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
[size=large]रितू जैसे ही अपनी जिप्सी में बैठ कर हवेली से बाहर गई वैसे ही इधर प्रतिमा के कमरे की खिड़की से बाहर देखते हुए शिवा ने होठों पर मुस्कान सजाते हुए अपनी जेब से मोबाइल निकाला और किसी को फोन लगाया। एक मिनट से भी कम समय तक उसने किसी से फोन पर बात की उसने बाद उसने काल कट कर दी।

इधर हवेली से बाहर निकलते ही रितू ने भी किसी को फोन लगाया और उससे कुछ देर बात की। उसकी जिप्सी गाॅव से बाहर की तरफ जा रही थी। गाव से बाहर जाने वाले रास्ते से कुछ दूर जाने पर ही रितू को अपनी जिप्सी के पीछे एकाएक ही एक ब्लैक जीप आती बैक मिरर में दिखी। ये देख कर रितू के होठों पर मुस्कान फैल गई।

सौ मीटर के फाॅसले पर पीछे से आ रही कार रितू को बराबर बैक मिरर में दिख रही थी। हलाॅकि रितू समझ गई थी कि पीछे आ रही जीप में यकीनन उसके बाप का ही कोई आदमी है, लेकिन फिर भी पक्के तौर पर जाॅचने के लिए रितू ने मन बनाया। नहर पर बने पुल के पास पहुॅचते ही रितू ने बाॅए साइड वाले रास्ते की तरफ अपनी जिप्सी की मोड़ लिया। जबकि दाएॅ साइड के रास्ते में आगे उसका फार्महाउस पड़ता था।

सौ मीटर आगे जाने पर ही रितू को मिरर में वो जीप उसी रास्ते की तरफ मुड़ती दिखी। आगे लगभग पाॅच किलो मीटर की दूरी पर मोड़ था और वहीं से दूसरे गाॅव की आबादी शुरू होती थी। जिसकी वजह से मोड़ पर मुड़ने के बाद पीछे वाले को आगे वाला वाहन दिखाई नहीं देता था। आगे कुछ दूरी पर एक चौराहा पड़ता था। रितू ने जिप्सी को चौराहे पर एक साइड रोंका और उतर कर बगल में एक दुकान थी। वो दौकान तरफ बढ़ गई। दुकान से उसने एक पेप्सी की बाट ली और वहीं पर खड़े खड़े पीने लगी।

कुछ ही देर में उसे चौराहे की तरफ आती हुई वो जीप दिखी जिसमें उसके बाप का एक आदमी ड्राइविंग शीट पर बैठा था। चौराहे पर रितू की जिप्सी को देख उसके चेहरे पर चौंकने के भाव उभरे और फिर वो एकदम से जीप को तेज़ रफ्तार से दौड़ाते हुए चौराहे के पार निकल गया। उसकी इस हड़बड़ाहट को देख कर रितू के होठों पर मुस्कान उभर आई।

पेप्सी को पीकर रितू ने दुकान वाले को पैसे दिये और फिर सामने चौराहे के उस तरफ एक बार सरसरी तौर पर अपनी नज़र दौड़ाई जिस तरफ उसके बाप के आदमी की वो जीप गई थी। उसके बाद वो अपनी जिप्सी की तरफ बढ़ी तथा उसमें बैठ कर जिप्सी को यू टर्न दिया और फिर वापस उसी रास्ते की तरफ बढ़ चली जिस तरफ से वो आई थी। इस बार रितू की जिप्सी की रफ्तार ज्यादा थी।

पुल के बगल से सीधा जो रस्ता था उसी तरफ उसकी जिप्सी ऑधी तूफान बनी जा रही थी। बैक मिरर में उसकी नज़र बराबर थी। उसके पीछे लगी वो जीप उसे कहीं नज़र न आई। पुल से काफी दूर आकर रितू ने जिप्सी को एक ऐसी जगह पर सड़क से अलग करके खड़ी किया जिस जगह पर दाएॅ साइड काफी सारे पेड़ पौधे व झाड़ियाॅ थी। यहाॅ से सड़क पर से चल रहा कीई वाहन देखा तो जा सकता था किन्तु सड़क से इस तरफ का आसानी से देखा नहीं जा सकता था।

जिप्सी से उतर कर रितू ने सबसे पहले होलेस्टर में दबे अपने सर्विस रिवाल्वर को निकाला। रिवाल्वर का चेम्बर खोल कर उसने चेम्बर के सभी खानों को देखा। सभी खानों में गोलियाॅ मौजूद थीं। ये देख कर उसने चेम्बर को वापस बंद कर रिवाल्वर को होलेस्टर के हवाले किया और एक आगे बढ़ कर सड़क के कुछ पास ही एक पेड़ की ओट में खड़ी हो गई। इस वक्त उसके चहरे पर बेहद कठोरता के भाव थे। बहुत ही धीमी आवाज़ में उसके मुख से निकला____"साॅरी डैड, अब आपका कोई भी आदमी मेरी ख़बर आप तक नहीं पहुॅचा पाएगा। इतना ही नहीं आप वो सब हर्गिज़ भी नहीं कर पाएॅगे जिस किही भी चीज़ के करने का आपने मंसूबा बनाया हुआ है। मेरे भाई के पास पहुॅचने वाले हर शख्स को सबसे पहले मुझसे टकराना होगा।"

चेहरे पर कठोरता और ऑखों में आग लिए रितू चुपचाप पेड़ के ओट में खड़ी उस जीप के आने का इन्तज़ार करने लगी थी। इन्तज़ार करते करते लगभग पन्द्रह मिनट गुज़र गए मगर अभी तक वो जीप इस तरफ आती समझ न आई। रितू को लगा वो जीप में बैठा आदमी आएगा भी या नहीं। किन्तु ऐसा नहीं था, क्योंकि तभी रितू के कानों में किसी वाहन के आने की आवाज़ सुनाई देने लगी थी।

कुछ ही देर में मोड़ से इस तरफ मुड़ती हुई वो जीप दिखी। रितू ने महसूस किया कि जीप की रफ़्तार कम थी। शायद वो आदमी धीमी रफ़्तार से इधर उधर का मुआयना करते हुए आ रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि जिसका वो पीछा कर रहा था वो इतना जल्दी कहाॅ गायब हो गई? इस तरफ मुड़ने के बाद आगे का रास्ता काफी दूर तक सीधा ही था। उस सीधे रास्ते पर दूर दूर तक उसे रितू दिखाई नहीं दे रही है। ये देखते देखते ही उसने जीप की रफ़्तार कम कर दी। रितू को लगा कि कहीं वो यहीं पर ही न रुक जाए और वही हुआ भी। उस आदमी ने सामने की तरफ देखते हुए ही जीप को एकदम से खड़ी कर दिया।

जीप खड़ी करने के बाद उसने इधर उधर देखा और फिर सहसा उसने अपनी शर्ट की जेब से मोबाइल निकाला। रितू को समझते न लगी कि वो शायद इस बात की सूचना उसके बाप को देना चाहता है कि रितू एकाएक ही उसकी नज़रों से ओझल हो गई है। रितू के मन में ख़याल आया कि उस आदमी को इस बात की सूचना नहीं दे पाना चाहिए। इस ख़याल के आते ही उसने बिजली की सी तेज़ी से ऐक्शन लिया।

जिस जगह पर रितू पेड़ के पीछे खड़ी थी वहाॅ से वो आदमी आगे की तरफ बाएॅ साइड से जीप में बैठा था। जीप ऊपर से पूरी तरह बेपर्दा टाइप की थी। ड्राइविंग शीट पर बैठा वो आदमी दाहिने हाॅथ पर मोबाइल लिए कुछ कर रहा था। रितू समझ गई कि वो उसके बाप को फोन लगाने ही वाला है। ये देख कर रितू ने होलेस्टर से रिवाल्वर निकाल कर निशाना लगाया और फिर.....धाॅयऽऽ।"

अचूक निशाना, रिवाल्वर से निकली गोली सीधा उस आदमी के दाहिने हाॅथ में मौजूद उसके मोबाइल की स्क्रीन के चिथड़े उड़ाती हुई पार होकर सामने जीप के शीशे से टकराई थी। अचानक हुए इस हमले से वो आदमी मानो सकते में आ गया था। दाहिने हाॅथ को अपने बाएॅ हाॅथ से थामे वह उसे सहलाने लगा था। ड्राइविंग शीट पर बैठा वो इधर उधर देखे जा रहा था।

इधर रितू फायर करते ही तेज़ी से जीप की तरफ बढ़ी। कुछ ही देर में वो जीप के पास पहुॅच गई। अपने इतने क़रीब इस तरह अचानक रितू के आ जाने से वो आदमी एकदम से हक्का बक्का रह गया था। चेहरे पर डर और घबराहट के भाव कत्थक करते नज़र आने लगे थे

रितू ने देर नहीं की बल्कि बिना किसी भूमिका के उसने दोनो हाॅथो से उस आदमी की शर्ट के कालर को पकड़ा और फिर एक झटके मे ही खींच कर ड्राइविंग शीट से बाहर खींच लिया। उस हट्टे कट्टे आदमी को बाहर खींच कर रितू ने उसे वहीं सड़क पर लगभग फटक दिया। आदमी के हलक से चीख़ निकल गई। रितू जानती थी कि उस आदमी ने अगर रितू को अपनी मजबूत बाहों में पकड़ लिया तो फिर उससे छूट पाना आसान नहीं होगा। इस लिए रितू ने उसे सम्हलने का मौका ही नहीं दिया। बल्कि लात घूॅसों पर रख दिया उसे।

सड़क पर गिरे हुए उस आदमी की सिर्फ चीखें निकल रही थी। सहसा उसके हाॅथ में रितू का पाॅव आ गया और उसने झटके से रितू का वो पाॅव पकड़ कर उछाल दिया। नतीजा ये हुआ कि रितू लहराते हुए सड़क पर पीठ के बल गिरी। रितू के मुख दर्द में डूबी हल्की सी चीख निकली। उधर उस आदमी को जैसे मौका मिल गया था। इस लिए वो झट से उठा और सम्हल कर उठ रही रितू के सिर के बाल पकड़ कर उसे जीप की तरफ ही झटके से धकेल दिया। रितू का सिर जीप के किनारे पर लगे मोटे लोहे के पाइप से टकराया। रितू की ऑखों के सामने तारे नाचने लगे और सहसा उसे अपनी ऑखों के सामने अॅधेरा सा दिखने लगा।

लोहे का वो पाइप रितू के सिर पर ज़ोर से लगा था। जिसके कारण तुरंत ही रितू के सिर से खून रिसने लगा था। अभी रितू दर्द को सहते हुए खुद को सम्हाल ही रही थी कि उस आदमी ने एक बार से उसके सिर को उसी लोहे के पाइप पर झटक दिया। रितू की चीख निकल गई। चोंट पर चोंट लगने से खून का रिसाव तेज़ हो गया।

"मैने मालिक से झूॅठ नहीं बोला था लड़की।" उस आदमी ने दाॅत पीसते हुए गुस्से से कहा___"उस दिन तू ही थी उस जीप में जो उस एम्बूलेन्स के आगे आगे चल रही थी। मगर पक्के तौर पर चूॅकि किसी को पता नहीं था इस लिए मुझे भी लगा कि शायद उस जीप में तेरे सिवा कोई ही न रहा हो। दूसरी बात हम में से कोई ये सोच ही नहीं सकता था कि हमारे मालिक से गद्दारी करने वाली खुद मालिक की ही छोकरी होगी।"

ये सब कहने के साथ ही उस आदमी ने पीछे से एक मुक्का रितू के पेट के बगल पर रसीद कर दिया। हट्टे कट्टे आदमी का मुक्का लगते ही रितू को भयानक दर्द हुआ। उसकी घुटी घुटी सी चीख फिज़ा में फैल गई।

"तुझे पता है आज मालिक ने मुझे साफ साफ कहा है कि अगर गद्दार के रूप में तू ही निकले तो तुझे मैं खुद ही इस गद्दारी की सज़ा दूॅ।" उस आदमी ने कहा___"मालिक को इस बात से अब कोई मतलब नहीं रह गया है कि गद्दार कौन है। उनके लिए अपना और पराया सब बराबर हैं। इस लिए ऐ छोकरी, तू अब सज़ा पाने के लिए तैयार हो जा। मैं पहले तेरे इस खूबसूरत जिस्म का मज़ा लूटूॅगा और फिर तेरी इज्ज़त की धज्जियाॅ उड़ाऊॅगा। हाहाहाहाहा कसम से पहली बार लग रहा है कि मालिक की सेवा करने का कुछ अच्छा फल मिल रहा है।"

रितू के कानों से उस आदमी की ये सब बातें टकराई तो उसके अंदर गस्से की ज्वाला धधक उठी। उसने अपने दाहिने हाॅथ को पीछे ले जाकर उस आदमी के सिर को उसके बालों से पकड़ा और पूरी ताकत से ऊपर से आगे की तरफ खींचा। वो आदमी तो पीछे से आगे न आ पाया क्योंकि वो वजनदार और हट्टा कट्टा था किन्तु सिर के बाल इतनी तेज़ी से खींचे जाने पर उसके मुख से दर्द भरी सीत्कार गूॅज उठी। इसके साथ ही रितू के सिर के बालों पर से उसकी पकड़ ढीली पड़ गई।

रितू ने एक पल का भी समय नहीं गवाॅया। उसके हाॅथ के नीचे से निकल कर उसने बिजली की सी तेज़ी से उस आदमी के बगल से आकर अपने दाहिने हाॅथ की कराट ज़ोर से उसकी गर्दन के पिछले भाग पर लगाई। नतीजा ये हुआ कि झोंक में उस आदमी का माॅथा उसी लोहे के पाइप से टकराया जिस पाइप पर अभी कुछ देर पहले रितू का सिर टकराया था। माॅथे पर लोहे का पाइप लगते ही वो आदमी दर्द से बिलबिलाया और दोनो हाॅथों से अपना माॅथा सहलाने लगा। पलक झपकते ही उसके माथे पर एक गोल सा गोला उभर आया जो हल्के नीले रंग का था।

रितू को तेज़ गुस्सा आया हुआ था। इस बार वो रुकी नहीं बल्कि जूड़ो कराटे और कुंगफू के ऐसे करतब दिखाए कि दो मिनट में ही उस आदमी को धरासाई कर दिया। एक बार पुनः वो हट्टा कट्टा आदमी सड़क पर पड़ा था, किन्तु इस बार वो दर्द से बुरी तरह कराह रहा था।

"तेरे जैसे पालतू कुत्तों का इलाज़ बहुत अच्छी तरह से करना आता है मुझे।" रितू किसी शेरनी की भाॅति गुर्राई___"चल आज तुझे इसका ट्रेलर भी और इसका अंजाम भी दिखाऊॅगी। तेरे जैसे कुत्तों का और अपने उस हरामी बाप का क्या हस्र होगा ये वक्त ही बताएगा।"

रितू की बात उस आदमी ने कोई जवाब न दिया, बल्कि वो जवाब देने की हालत में ही नहीं रह गया था। रितू ने नीचे झुक कर उस आदमी की कनपटी के पास मौजूद एक ऐसी खास जगह पर कराट मारी कि पल भर में वो आदमी बेहोश हो गया। उसके बेहोश होते ही रितू ने उस आदमी के एक हाॅथ को पकड़ कर खींचते हुए सड़क के किनारे पर लगाया और फिर पलट कर उस तरफ बढ़ चली जिस तरफ उसने अपनी जिप्सी को झाड़ियों और पेड़ों के पीछे छुपाया था।

थोड़ी ही देर में रितू जिप्सी को लेकर सड़क पर आ गई। जिप्सी को उस आदमी के पास खड़ी कर वो जिप्सी से नीचे उतरी और फिर उस आदमी के बेहोश जिस्म को किसी तरह उठा कर जिप्सी के पीछे डाल दिया। उसके बाद वो उस जीप के पास गई जिसमें बैठ कर वो आदमी यहाॅ आया था। उस जीप के इग्नीशन से चाभी निकाल कर रितू ने अपनी पैन्ट की पाॅकेट में डाला और वापस जिप्सी के पास आकर ड्राइविंग शीट पर बैठ गई।

उस आदमी को वहीं पर छोंड़ कर रितू ने अपनी जिप्सी को फार्महाउस की तरफ दौड़ा दिया। ऑधी तूफान बनी जिप्सी कुछ ही समय में फार्महाउस पहुॅच गई। फार्महाउस के मेन गेट पर ही हरिया और शंकर काका खड़े दिखे रितू को। रितू को आते देख शंकर ने लोहे वाला गेट खोल दिया। गेट खुलते ही रितू ने जिप्सी को गेट के अंदर की तरफ बढ़ा दिया। हरिया काका के पास जिप्सी को रोंक कर रितू ने अपनी पैन्ट की पाॅकेट से चाभी निकाली और शंकर की तरफ देखते हुए कहा___"शंकर काका मेरी गाड़ी से इस आदमी को बाहर निकाल कर वहीं तहखाने में डाल कर फटाफट आइये।"

"अच्छा बिटिया।" शंकर ने कहा और अपनी बंदूख को हरिया के हवाले कर जिप्सी के पास आया और उस आदमी को अपनी मजबूत बाहों से खींच कर बाहर निकाला। बाहर निकाल कर उसे उसने अपने कंधे पर लादा और अंदर तहखाने वाले हिस्से की तरफ बढ़ गया।

"काका आप ये चाभी लीजिए।" रितू हरिया की तरफ चाभी उछालते हुए कहा___"और मेरी इस गाड़ी से शंकर काका को भी साथ ले जाइये। बीच रास्ते पर ही उस आदमी की जीप खड़ी मिलेगी आपको। उसे वहाॅ से यहाॅ लेकर आना है।"

"ठीक है बिटिया।" हरिया ने कहा___"हम अभी शंकरवा का लइके जाथैं। लेकिन बिटिया ऊ ससुरा आदमी कउन है? अउर कहाॅ से मिल गवा ऊ तुमका?"
"मेरे डैड का पालतू कुत्ता है काका।" रितू ने नफ़रत के भाव से कहा___"मेरे डैड ने उसे मेरे पीछे लगाया हुआ था मेरी निगरानी के लिए। मैने उस कमीने को बीच में ही धर लिया और यहाॅ ले आई। अब आप इसकी भी ख़ातिरदारी कीजिएगा।"

"अरे बिलकुल बिटिया।" हरिया के चेहरे पर एकाएक ही खुशी के भाव उभरे लेकिन फिर जैसे उसे कुछ याद आया तो उसने फिर नार्मल भाव से कहा___"ऊ ससुरे की ख़ातिरदारी हम बहुत अच्छे से करूॅगा।"

तभी शंकर काका आता हुआ दिखाई दिया। उसके पास आते ही रितू ने उसे भी समझा दिया और हरिया के साथ अपनी जिप्सी से भेज दिया। उन दोनो के जाते ही रितू अंदर मकान की तरफ बढ़ चली।
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मैं रितू दीदी के कमरे में बड़ी बेचैनी से इधर से उधर टहल रहा था। रह रह कर सूरज की बातें मेरे ज़हन में ज़हर सा घोल रही थी। मुझे उन चारों पर भयानक गुस्सा आ रहा था। किन्तु दीदी ने फोन करके मुझे तहखाने से बाहर आ जाने के लिए कह दिया था। मुझे इस बात से बेहद तक़लीफ़ हो रही थी कि मेरी विधी के साथ कितना घिनौना कुकर्म किया गया था जिसके बारे में मुझे कुछ पता ही नहीं था और ना ही ये सब किसी ने मुझसे बताया था। मैं सोच रहा था की अगर इत्तेफाक़ से या संयोगवश मैं हरिया काका के पीछे उस तहखाने में न जाता तो मुझे पता भी न चलता कि मेरी विधी के साथ और क्या हुआ था।

मुझे इस सबके लिए पवन और दीदी दोनो पर गुस्सा भी आ रहा था मगर मैं इस बात से खुद को तसल्ली दिये हुए था कि इन्हीं की वजह से ही तो मैं अपनी विधी को अंतिम बार मिल सका था। उसके त्याग और बलिदान को जान सका था वरना सारी ज़िंदगी मैं उस मासूम व निर्दोष को कोसता रहता। इस लिए ये सब सोच कर मैं अपने गुस्से को शान्त किये हुए था। मैने खुद को बहुत समझाया था तब जाकर मुझे कुछ राहत मिली थी और सबसे ज्यादा रितू दीदी पर प्यार आया कि उन्होंने मेरे और विधी के ख़ातिर कितना कुछ किया था।

मुझे एहसास था कि रितू दीदी अब पहले जैसी नहीं रही थी बल्कि अब वो बदल गई थी। बचपन से लेकर अब तक मेरे प्रति जो उनके अंदर द्वेष या नफ़रत का भाव था वो अब बेपनाह प्यार व स्नेह में परिवर्तित हो गया था। जिस रितू दीदी से बात करने के लिए मैं अक्सर तरसता था आज वही दीदी मुझे अपनी जान से ज्यादा प्यार करने लगी हैं। इस बात से मैं बेहद खुश भी था। किन्तु हालात के मद्दे नज़र मैं अपनी इस खुशी को ज़ाहिर नहीं कर पा रहा था। इस वक्त मैं उनके कमरे में टहलते हुए उनके आने का बेसब्री से इन्तज़ार कर रहा था।

तभी कमरे का दरवाजा खुला और पुलिस इन्स्पेक्टर की वर्दी में रितू दीदी ने कमरे में प्रवेश किया। मैं उन्हें आज पुलिस की वर्दी में देख कर देखता ही रह गया। उनके खूबसूरत बदन पर ये पुलिस की वर्दी काफी जॅच रही थी। ऐसा लगता था कि पुलिस की ये वर्दी सिर्फ उन्हीं के लिए ही बनी थी। मुझे अपनी तरफ अपलक देखता देख दीदी के होठों पर मुस्कान उभर आई और फिर सहसा उनके चेहरे पर हया की सुर्खी भी नज़र आने लगी।

"ऐसे क्यों देख रहा है राज?" रितू दीदी ने मीठी सी आवाज़ में नज़रें झुकाते हुए कहा।
"देख रहा हूॅ कि मेरी रितू दीदी इस पुलिस की वर्दी में कितनी खूबसूरत लग रही हैं।" मैने सहसा मुस्कुराते हुए कहा___"ऐसा लगता है कि ये वर्दी दुनियाॅ में सिर्फ आपके लिए ही बनी है।"

"अच्छा जी।" रितू दीदी हॅस दी, बोली___"क्या सच कह रहा है भाई?"
"हाॅ दीदी।" मैने कहा___"आप तो मेरी वैसे भी दुनियाॅ की सबसे अच्छी और खूबसूरत दीदी हैं, ऊपर से इस पुलिस की यूनीफार्म पहने हुए। कसम से दीदी आप बहुत ही क्यूट और ब्यूटीफुल लग रही हैं। मेरी आपसे गुज़ारिश है कि आपने ये जो पुलिस की नौकरी छोंड़ का सोचा हुआ है उस सोच को आप अपने ज़हन से निकाल दें। मैं आपको हमेशा ऐसे ही पुलिस की इस वर्दी में देखना चाहता हूॅ।"

"अगर ऐसी बात है मेरे प्यारे भाई।" रितू दीदी ने आगे बढ़ कर मेरे गालों पर सहलाते हुए कहा___"तो फिर अब तेरी ये दीदी पुलिस की नौकरी मरते दम तक नहीं छोंड़ेगी। भले ही चाहे जैसी भी परिस्थिति आ जाए। तुझे पता है राज, मेरी इस नौकरी से मेरे माॅम डैड और वो कमीना शिवा कोई भी खुश नहीं हैं। आज तेरे मुख से ये बात सुन कर मुझे बहुत खुशी हो रही है। मैं खुश हूॅ कि तुझे मेरा नौकरी करना और पुलिस की इस वर्दी में देखना अच्छा लग रहा है। काश! ये सब मैने बहुत पहले सोचा होता। मैने सोचा होता कभी तेरे बारे में तो कभी भी मैं तुझसे दूर न रहती। भाई क्या होता है ये मुझे अब पता चला है राज। वरना तो भाई के नाम से ही नफ़रत हो गई थी मुझे। तुझसे एक ही विनती है अपनी इस दीदी को कभी खुद से दूर न करना। मैंने अपने उन रिश्तों से नाता तोड़ लिया है जिन रिश्तों के द्वारा मेरा ये वजूद दुनियाॅ में आया है। अब अगर मेरा कोई है तो सिर्फ तू है मेरे भाई। जो गुज़र गया उसे तो मैं लौटा नहीं सकती राज मगर आज जो है और जो आने वाला है उसे सवाॅरने की पूरी कोशिश करूॅगी मैं। बस तू और तेरा साथ बना रहे। बोल न भाई, तू मुझे अपने साथ रखेगा न?"

ये सब कहते हुए रितू दीदी की ऑखों से ऑसू बहने लगे थे। मैने तड़प कर उन्हें अपने सीने से लगा लिया। वो मुझसे कस के लिपट गईं और खुद को ज़ार ज़ार न रोने की नाकाम कोशिश करने लगीं। मैं उन्हें इस तरह रोते हुए नहीं देख सकता था। उनका कैरेक्टर हमेशा से ही बहादुर लड़की का रहा था मगर इस वक्त कोई देखे तो किसी कीमत पर यकीन करे कि ये लड़की बहादुर भी सकती है। बाहर से पत्थर की तरह कठोर दिखने वाली इस लड़की के सीने में भी एक नन्हा सा दिल है जो धड़कना भी जानता है अपनों के लिए।

"मत रोइये दीदी।" मैने उनकी पीठ को सहलाते हुए कहा___"आप रोते हुए बिलकुल भी अच्छी नहीं लगती हैं। आप तो मेरी सबसे ज्यादा बहादुर दीदी हैं। चलिए अब चुप हो जाइये।"
"मुझे रो लेने दे राज।" दीदी मुझसे और भी कस के लिपट गईं, बोलीं____"तुझे नहीं पता कि जब से मुझे असलियत का पता चला है तब से मैं कितना अंदर ही अंदर इन वेदनाओं में झुलस रही हूॅ। वो कैसे लोग हैं मेरे भाई जो अपनी ही बहन बेटी के बारे में इतना गंदा सोच सकते हैं? वो कैसे लोग हैं राज जिनको रिश्तों की कोई क़दर ही नहीं है? सिर्फ अपनी हवस के लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार बैठे हैं।"

"अब कुछ मत कहिए दीदी।" मैने दीदी को खुद से अलग कर उनके ऑसुओं से तर चेहरे को अपनी दोनो हॅथेलियों के बीच लेकर कहा___"पाप करने वालों की उमर बहुत लम्बी नहीं होती है उनकी नियति में बहुत जल्द सड़ सड़ के मर जाना लिखा होता है। जो गुनाह जो पाप उन्होने किया है उसकी उन्हें ज़रूर सज़ा मिलेगी दीदी। बस वक्त का इन्तज़ार कीजिए।"

"तू उन सबको अपने हाॅथों से मौत की सज़ा देगा।" रितू दीदी ने कहा___"मैंने उन सबको सिर्फ तेरे लिए ही छोंड़ दिया था। मैं चाहती थी कि इन्होंने जिनके साथ पाप किया वही इन्हें अपने हाॅथों से सज़ा दें। और हाॅ, तू अपने मन में पल भर के लिए भी ये ख़याल मत लाना कि तू ऐसा करेगा तो मैं तुझे कुछ कहूॅगी। मैं सच कहती हूॅ राज, मुझे इस बात का ज़रा सा भी दुख नहीं होगा कि तूने मेरे माॅम डैड और शिवा को मौत दी।"

"आप शायद दुनियाॅ की पहली ऐसी लड़की हैं दीदी जिसे इस सबसे कोई दुख नहीं होगा।" मैने दीदी की ऑखों में देखते हुए कहा___"किन्तु आप ऐसा कह रही हैं ये हैरत की बात है मेये लिए।"
"इसमें हैरत कैसी राज?" रितू दीदी ने कहा___"हर इंसान को अपने अच्छे बुरे कर्मों का फल मिलता है। मेरे घर वालों को भी मिलेगा। तक़लीफ़ तो तब होती है जब अच्छे कर्मों का फल बुरा मिलता है, लेकिन इन लोगों ने तो सिर्फ बुरा कर्म ही किया है अपनी ज़िंदगी में। इन लोगों के मर जाने से मुझे कोई दुख नहीं होगा मेरे भाई, बल्कि इस बात का मलाल ज़रूर रहेगा कि ईश्वर ने मुझे ऐसे माॅ बाप और ऐसा भाई क्यों दिया था?"

रितू दीदी की इन बातों को सुन कर मैं हैरानी से उनकी तरफ देखता रह गया था। मुझे उन पर बड़ा स्नेह आया। मैने झुक कर उनके माॅथे पर हल्के से चूॅम लिया। मेरे इस तरह चूमने पर वो हौले से मुस्कुराईं।

"तू सच में बड़ा हो गया है राज।" रितू दीदी ने मेरे चेहरे को एक हाॅथ से सहलाते हुए कहा___"इस बात से मुझे खुशी है कि तू बड़ा हो गया है और समझदार भी। हलाॅकि ये बात तो मैं पहले भी जानती थी कि तू एक समझदार लड़का है। सबके प्रति तेरे दिल में प्यार इज्ज़त व सम्मान की भावना है। ख़ैर छोंड़ इन सब बातों को, ये बता कि तू तहखाने में कैसे पहुॅच गया था?"

"वो हरिका काका के बिहैवियर से मुझे उन पर संदेह हुआ।" मैने गहरी साॅस लेने के बाद कहा___"आप तो जानती ही हैं कि अगर किसी के मन में किसी तरह का संदेह हो जाता है तो वो हर पल यही प्रयास करता रहता है कि उसे जिस चीज़ पर संदेह हुआ है वो उसके सामने साफ तौर पर खुल जाए या उसकी हकीक़त पता चल जाए। बस हरिया काका के मामले में यही हुआ था। मुझे उन पर संदेह हुआ और जैसे ही वो तहखाने वाले रास्ते की तरफ गए तो मैं भी शंकर काका की नज़रों से खुद को छुपा कर हरिया काका के पीछे चला गया। उनके पीछे जाने से तहखाने में जो सच्चाई मुझे पता चली उसने मुझे मुकम्मल तौर पर हिला कर रख दिया। मुझे पता चला कि तहखाने में मौजूद उन चारो हरामज़ादो ने मेरी विधी के साथ क्या किया था? उसके बाद फिर मुझे वही करना था जो ऐसी परिस्थिति में कोई भी करता। मगर ऐन वक्त पर आपका फोन आ गया और मैं उन कमीनों के साथ वो न कर पाया जो करने का मैने फैंसला कर लिया था।"

"मुझे माफ़ कर दे राज।" दीदी ने गंभीरता से कहा___"पर तुझे नहीं पता कि उन लोगों के साथ साथ मैं और किन किन लोगों के साथ क्या क्या करने वाली हूॅ? इन चारों को आसान मौत मारने का कोई मतलब नहीं है मेरे भाई। मैंने ऐसा कुछ करने का सोचा हुआ है जिसके बारे किसी ने सोचा भी नहीं होगा।"

"क्या करने का सोचा है आपने?" मैने दीदी के चेहरे को ग़ौर से देखते हुए कहा___"क्या मुझे नहीं बताएॅगी आप?"
"बात कुछ ऐसी है मेरे भाई।" रितू दीदी ने सहसा पलट कर दूसरी तरफ अपना चेहरा करते हुए कहा___"कि मैं तुझे बता नहीं सकती। बस इतना समझ ले कि इन लोगों ने अगर नीचता की हद को पार किया था तो मैं इन्हें सज़ा देने में इनके साथ नीचता की इन्तेहां कर दूॅगी।"

"क्या मतलब???" मैं दीदी की बात सुन कर बुरी तरह चौंका था___"ऐसा क्या करने वाली हैं आप??"
"मैने कहा न राज।" रितू दीदी ने दूसरी तरफ मुॅह किये हुए ही कहा___"कि मैं तुझे इस बारे में कुछ बता नहीं सकती।"
"लेकिन दीदी।" मैं उनके पास जाते हुए बोला___"आपने तो सोच लिया है कि आपको उन चारों को क्या सज़ा देना है लेकिन बात जब नीचता की हो तो मैं ये कैसे सह सकता हूॅ कि मेरी बहन कोई नीचता वाला काम करे? नहीं दीदी आप ऐसा कुछ भी नहीं करेंगी। आप मुझे बताइये कि उन चारों के साथ साथ और कौन कौन ऐसे हैं जिनको उनके गुनाहों की सज़ा देनी है? मैं खुद अपने हाॅथों से उन्हें बद से बदतर सज़ा दूॅगा।"

"मुझे मजबूर मत कर मेरे भाई।" रितू दीदी सहसा मेरी तरफ पलट कर मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए कहा__"तू मेरा भाई है, इस लिए मैं तुझे वो बात कैसे बता सकूॅगी जिसे बताने में मुझे शर्म आए। दूसरी बात तू भी यही सोचेगा कि तेरी दीदी कैसे गंदे विचारों की है?"

"ऐसा कुछ नहीं है दीदी।" मैने उनके चेहरे को अपनी दोनो हॅथेलियों के बीच लेकर कहा___"मुझे पता है कि आपका मन और दिल गंगा मइया की तरह साफ और निर्मल है। आपने अपने जीवन कभी कोई ऐसा काम नहीं किया है जिसके लिए आपको किसी के सामने शर्मिंदा होना पड़े। सच कहूॅ तो मुझे इस सबसे आप पर नाज़ है। इस लिए आप मुझे बेझिझक होकर बताइये कि इन लोगों के साथ और कौन कौन हैं जिनको आप ऐसी सज़ा देने का मन बनाया हुआ है?"

"सूरज चौधरी को तो तू जानता ही है कि वो कौन है और किसका कपूत है?" रितू दीदी ने गहरी साॅस लेने के बाद कहा___"इस प्रदेश का मंत्री है वो। सूरज के साथ बाॅकी तीन जो लड़के और हैं वो सब भी किसी न किसी बड़े बाप की औलाद हैं। जब विधी वाला हादसा इन लोगों ने अंजाम दिया और मुझे उन सबके बारे में पता चला तो मुझे ये समझते देर न लगी कि इन लड़कों को कानूनन सज़ा दिलवाने से भी कुछ नहीं होने वाला। क्योंकि इनके सबके बाप बड़े बड़े लोग हैं। सारी कानून ब्यवस्था को इन लोगों ने अपने हाॅथों पर रखा हुआ है। अगर मैं इन लोगों को गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के पीछे डाल भी देती तो पलक झपकते ही मुझे उन लोगों को छोंड़ना भी पड़ जाता। ऊपर से यही आर्डर आता कि मंत्री साहब का बेटा और उसके तीनो साथियों मैने बेवजह ही गिरफ़्तार कर जेल में बंद किया है। कहने का मतलब ये कि कानूनी तौर पर मैं इन्हें कोई सज़ा दिला ही नहीं पाती। इस लिए मैंने कानून की मुहाफिज़ होते हुए भी कानून को अपने हाॅथ में लेने का मन बना लिया। किन्तु मैं ये भी जानती थी कि ये सब इतना आसान नहीं था। तब मैने अपने आला अफसर से इस संबंध में बात की। उन्हें मैंने इस बात का भी हवाला दिया कि प्रदेश का मंत्री कहने को तो मंत्री है मगर ऐसा कोई गुनाह या अपराध नहीं है जिसे इसने अपने बाॅकी साथियों के साथ मिल कर अंजाम न दिया हो। मेरी बात सुन कर कमिश्नर साहब राज़ी तो हुए मगर मंत्री के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत न होने की वजह से उस पर हाॅथ डालने से मुझे मना भी करने लगे। तब मैने उन्हें बताया कि मेरे पास मंत्री के खिलाफ़ ऐसे ऐसे ठोस सबूत हैं जिनकी बिना पर मैं जब चाहूॅ तब उसे और उसके सभी साथियों को बीच चौराहे पर नंगा दौड़ा देने पर मजबूर कर दूॅ। मेरी बातें सुन कर कमिश्नर साहब ने मुझे खुली छूट दे दी और कह दिया कि मेरा जो दिल करे वो मैं कर सकती हूॅ।"

"ओह तो इसका मतलब बात सिर्फ इतनी ही नहीं है जितनी कि मुझे नज़र आ रही है।" मैने चकित भाव से दीदी की तरफ देखते हुए कहा___"इस सब में प्रदेश का मंत्री और उसके कुछ साथी भी इनवाल्ब हैं?"
"इन्वाल्ब नहीं है राज।" रितू दीदी ने कहा___"बल्कि इस खेल में उन सबको भी लपेटना पड़ा मुझे। मैं चाहती थी कि एक ही काम में दोनो काम हो जाएॅ। सारा प्रदेश उस मंत्री के अत्याचार से भी दुखी है। इस लिए बाप बेटों को एक साथ लपेटने का मन बनाया मैने।"

"तो इसमें ऐसी क्या बात थी दीदी जिसे आप बताना नहीं चाहती थी?" मैने सोचने वाले भाव से कहा।
"ये तो मैने किरदारों के बारे में बताया है तुझे।" रितू दीदी ने कहा___"ये नहीं बताया कि इन सब किरदारों के साथ क्या करूॅगी मैं?"

"ओह आई सी।" मैने कहा___"आप बताना नहीं चाहती तो कोई बात नहीं दीदी। मैं सिर्फ ये चाहता हूॅ कि इस सब में आपको कुछ न हो। आपकी बातों से मैं ये बात समझ गया हूॅ कि जिन लोगों की आपने बात की है वो निहायत ही खतरनाक लोग हैं। इस लिए उन पर हाॅथ डालने से यकीनन बेहद ख़तरा है और मैं ये हर्गिज़ नहीं चाह सकता कि ऐसे ख़तरों के बीच मेरी दीदी अकेले फॅस जाएॅ। अच्छा हुआ कि आपने मुझे इस बारे में बता दिया। अब मैं खुद आपको इस ख़तरे के बीच अकेला नहीं रहने दूॅगा। ये लड़ाई अब हम दोनो बहन भाई मिल कर लड़ेंगे और जीत कर दिखाएॅगे दुनियाॅ को।"

"ये तू क्या कह रहा है मेरे भाई?" रितू दीदी एकाएक ही चौंक पड़ी थी, बोली___"नहीं नहीं, तू इस सबसे दूर ही रह। मैं तुझे ऐसे ख़तरे के बीच में आने की इजाज़त हर्गिज़ नहीं दूॅगी। बड़ी मुश्किल से तो मेरा भाई मुझे मिला है। सारी उमर मैने तुझे दुख तक़लीफ़ें दी थी अब और नहीं मेरे भाई। मैं तुझे किसी भी ख़तरे में नहीं डालूॅगी। तू इस सबसे दूर रहेगा और इन सबको साथ लेकर वापस मुम्बई चला जाएगा। तू मेरी फिक्र मत कर राज, तेरी दीदी इतनी कमज़ोर नहीं है कि कोई भी ऐरा गैरा उसे हाथ भी लगा सके।"

"मैं जानता हूॅ कि मेरी दीदी दुनियाॅ की सबसे बहादुर लड़की है।" मैने दीदी को उनके दोनो कंधों से पकड़ कर कहा___"मगर, एक भाई होने के नाते मेरा भी कुछ फर्ज़ बनता है। मैं सक्षम होते हुए भी आपको अकेले ऐसे ख़तरे में कैसे जाने दूॅ? मेरे दिल मेरा ज़मीर हमेशा इस बात के लिए मुझे धिक्कारेगा कि मैंने अकेले आपको इतने बड़े खतरे में जाने दिया और खुद अपनी जान बचा कर मुम्बई चला गया। नहीं दीदी, ऐसा कायर और बुजदिल नहीं है आपका भाई। आप भी तो मुझे मुद्दतों बाद मिली हैं। आप जानती हैं कि बचपन से अब तक मैं आपसे बात करने के लिए तरस रहा था और आज जब मुझे मेरी सबसे प्यारी दीदी मिल गई है तो मैं कैसे आपको यूॅ अकेला मौत के मुह में छोंड़ कर चला जाऊॅगा? कभी नहीं दीदी....कभी नहीं। मैं मर जाऊॅगा मखर आपको यूॅ अकेला छोंड़ कर यहाॅ से कहीं नहीं जाऊॅगा।"

"नहींऽऽऽ।" मेरे मुख से मरने की बात सुन कर तुरंत ही दीदी के मुख से चीख निकल गई। झपट कर मुझे अपने गले से लगा लिया उन्होंने, फिर बोलीं___"ख़बरदार अगर ऐसी अशुभ बात दुबारा कही तो। मरेंगे तेरे दुश्मन। तुझे कुछ नहीं होने दूॅगी मैं।"

"तो फिर मुझे अपने पास रहने दीजिए दीदी।" मैने उनके गले लगे हुए ही कहा___"मुझे अपना फर्ज़ निभाने दीजिए। अपने इस भाई को कायर और बुजदिल मत बनाइये। वरना यकीन मानिये मैं कभी भी सुकून से जी नहीं पाऊॅगा। हम दोनो साथ मिल कर हर ख़तरे का मुकाबला करेंगे। सब कुछ ठीक होने के बाद हम सब साथ में ही रहेंगे। मुझे आपसे बहुत सारी बातें भी करनी हैं। प्लीज़ दीदी, मुझे अपने साथ रहने दीजिए न।"

"उफ्फ राज।" दीदी ने मुझे कस के पकड़ते हुए कहा___"तू इतना अच्छा क्यों है रे? इतना प्यार क्यों करता है तू अपनी इस दीदी से? क्या तू भूल गया कि ये वही दीदी है जिसने तुझे कभी अपना भाई नहीं माना और हमेशा तुझे जलील करके तेरा दिल दुखाया है। ऐसी दीदी से क्यों इतना प्यार करता है पगले?"

"मुझे आपसे कभी कोई दुख नहीं मिला दीदी।" मैं उनसे अलग होकर तथा उनके खूबसूरत चेहरे को अपनी हॅथेलियों पर लेकर कहा___"और ना ही आपने कभी मुझे कोई दुख दिया है। हर इंसान के जीवन में अच्छा बुरा समय आता है। इस लिए जो बीत गया मुझे उसका लेश मात्र भी रंज़ नहीं है, बल्कि आज इस बात की बेहद खुशी है कि मुझे वो दीदी मिल गई है जिसे मैं सबसे ज्यादा पसंद करता था।"

मेरी बात सुन कर रितू दीदी फफक कर रो पड़ी। उनकी ऑखों से झर झर करके ऑसूॅ बहने लगे। ये देख कर मैं तड़प उठा। मैने अपने दोनो हाॅथों से उनकी ऑखों से बहते हुए ऑसुओं को पोंछा।

"ऐसी बातें मत कर मेरे भाई।" दीदी ने सिसकते हुए कहा___"मैं अपने अंदर के जज़्बातों को सम्हाल नहीं पाऊॅगी। मेरा दिल धड़कना बंद कर देगा। आज मुझे एहसास हुआ कि सच्चा प्यार व स्नेह कैसा होता है? क्यों इस प्यार में लोग अपने किसी प्रिय के लिए खुद को कुर्बान कर देते हैं? तू प्यार मोहब्बत और प्रेम का जीता जागता प्रमाण है राज। मैं अपने भाई के इस सच्चे प्रेम में बह जाना चाहती हूॅ। म??
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RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 12:52 PM

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