non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:52 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
तहखाने के अंदर का नज़ारा ही कुछ अलग था जिसे मैं ऑखें फाड़े अपलक देखे जा रहा था। कुछ देर के लिए तो जैसे मेरा दिमाग़ ही कुंद पड़ गया था। तहखाने के अंदर चारो तरफ छत पर लगे सफेद एल ई डी बल्बों की तीब्र रोशनी थी। अंदर मौजूद एक एक चीज़ स्पष्ट देखी जा सकती थी। किन्तु मेरी ऑखें जिस नज़ारे को देख कर हैरत से फट गई थी वो कुछ अलग ही किस्म का था। राइट साइड की दीवार से सटे हुए चार लड़के थे। उन चारों लड़कों के दोनो हाॅथ मजबूत रस्सी से बॅधे हुए जो कि ऊपर ही उठे हुए थे। चारों लड़कों जिस्म पर इस वक्त कपड़े का कोई रेसा तक न था बल्कि वो चारो जन्मजात नंगे थे। उन चारों की शक्ल सूरत से ही पता चल रहा था कि उन चारों ने यहाॅ कितनी दर्दनाक यातनाएॅ सही होंगी।

बाहर से तहखाने में आया हुआ वो आदमी भी इस वक्त पूरी तरह नंगा था और उन चारों में से एक लड़के को उसके सिर के बालों से मजबूती से पकड़ कर अपने लंड पर झुकाया हुआ था। मैं साफ देख रहा था कि वो आदमी उस लड़के के मुख में अपने लंड को ज़बरदस्ती डाले अपनी कमर को आगे पीछे कर रहा था। उसका सिर ऊपर की तरफ था और उसकी दोनो ऑखें मज़े में बंद थी।

ये सब देख कर मेरा दिमाग़ कुछ देर के लिए हैंग सा हो गया था। फिर जैसे मुझे होश आया। मेरे अंदर क्रोध और गुस्से की आग बिजली की सी तेज़ी से बढ़ती चली गई। मेरे जबड़े कस गए और मुट्ठिया भिंच गई। मैं तेज़ी से बढ़ते हुए उस आदमी के पास पहुॅचा और अपनी पूरी शक्ति से एक लात उसके बाजू में जड़ दी। परिणामस्वरूप वो आदमी उछलते हुए पीछे की दीवार से टकराया और फिर भरभरा कर नीचे तहखाने के पक्के फर्स पर गिरा। उसके हलक से दर्द में डूबी हुई चीख़ निकल गई थी।

फर्स पड़ा वो आदमी बुरी तरह कराहने लगा था। उसकी दोनो टाॅगें आपस में जुड़ कर मुड़ गई थी और उसके दोनो हाॅथ उसकी टाॅगों के बीच उसके प्राइवेट पार्ट पर थे। मुझे समझते देर नहीं लगी कि अचानक हुए इस हमले से उसका जो प्राइवेट पार्ट उस लड़के के मुख में था वो झटके से निकल गया था और झटके से निकलने से शायद उसके प्राइवेट पार्ट में उस लड़के के दाॅत गड़ गए होंगे या फिर दाॅतों से उसका लंड छिल गया होगा।

इधर अचानक हुए इस हमले से वो लड़का भी फर्स पर लुढ़क कर गिर गया था, और बाॅकी के तीन लड़के जो दीवार से सटे रस्सियों में बॅधे खड़े थे वो इस सबसे बुरी तरह घबरा गए थे। मेरे अंदर गुस्से की आग धधक रही थी इस लिए उस आदमी को एक लात जड़ने के बाद मैं उसकी तरफ बढ़ा और झुक कर उसके सिर के बालों को पकड़ कर उसे झटके से उठा लिया। वो आदमी फिर से दर्द में कराह उठा। अभी वो सम्हला भी नहीं था कि मैने एक पंच उसके चेहरे पर जड़ दिया जिससे वो फिर से उछलते हुए दूर जाकर गिरा। मैने इतने पर ही बस नहीं किया बल्कि मैंने तो उसकी धुनाई में कोई कसर ही नहीं छोंड़ी। वो खुद भी अपने हाथ पैर चला रहा था मगर उसकी मेरे सामने एक नहीं चल रही थी। कुछ ही देर में वो अधमरी हालत में पहुॅच गया था। जब मैने देखा कि वो फर्स पर पड़ा अब हिल डुल भी नहीं रहा है तो मैने उसे मारना बंद कर दिया।

मुझे उस पर इस लिए इतना गुस्सा आया हुआ था कि वो उस लड़के के साथ ज़बरदस्ती इतना घिनौना काम कर रहा था। मैं ये भी समझ चुका था कि वो ये काम उस लड़के के अलावा बाॅकी उन तीनों के साथ भी करता होगा। बस इसी बात पर मुझे उसके ऊपर इतना गुस्सा आया था और मैने उसे मारते मारते अधमरा कर दिया था।

उस आदमी के शान्त पड़ने के बाद मैने अपने गुस्से को काबू करने की कोशिश की और फिर तेज़ी से पलटा। मेरी नज़र फर्श पर गिरे उस लड़के पर पड़ी जिसके साथ वो आदमी वो घिनौना काम कर रहा था। मैने देखा कि वो लड़का बुरी तरह डर से काॅप रहा था। मुझे उस पर बड़ा तरस आया और उसकी हालत देख कर उस आदमी पर फिर से गुस्सा आ गया। मगर मैने अपने गुस्से को काबू किया और उस लड़के के पास उकड़ू होकर बैठ गया।

"कौन है ये आदमी?" मैने उस लड़के से पूॅछा___"और वो तुम्हारे साथ इतना घिनौना काम क्यों कर रहा था? मुझे सब कुछ साफ साफ बताओ।"

वो लड़का मेरी ये बात सुन कर कुछ न बोला बल्कि डरी सहमी हुई ऑखों से देखते रहा मुझे। मैं समझ गया कि इन चारों को उस आदमी ने इतना डरा दिया है कि ये लोग अपनी ज़ुबान तक नहीं खोल पा रहे हैं। इस बात पर मुझे उस आदमी पर फिर से बड़ा तेज़ गुस्सा आ गया। मैने अपनी ऑखें बंद कर अपने गुस्से को शान्त किया।

"देखो अब तुम्हें किसी से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है समझे?" मैने उससे ज़रा अपनापन दिखाते हुए कहा__"तुम मुझे सब कुछ साफ साफ बताओ कि ये आदमी तुम लोगों के साथ ये सब क्यों कर रहा था और तुम लोग इस तहखाने में कब से कैद हो?"

"प् प्लीज़ हमें बचा लीजिए।" सहसा उस लड़के की ऑखों से ऑसू छलछला आए और वो बुरी तरह रोते हुए बोल पड़ा___"हमें इस नर्क से निकाल दीजिए। इस आदमी ने हम चारो को बहुत बुरी तरह से टार्चर किया है। ये हर रोज़ दिन में चार बार आता है और हमारे साथ यही सब घिनौना काम करके चला जाता है। हम चारो इससे अपने किये की लाखों दफा मुआफ़ी माॅग चुके हैं मगर फिर भी ये आदमी हमारे साथ ये सुलूक करता है। प्लीज़ हमे इस आदमी से बचा लीजिए। हमें यहाॅ से निकाल कर हमें हमारे घर जाने दीजिए। हम आपके पैर पकड़ते हैं, प्लीज़ प्लीज़।"

उस लड़के का ये रुदन देख कर मैं अंदर तक काॅप गया। मैं इस बात की कल्पना कर सकता था कि इन चारों के साथ किस हद तक उस आदमी ने अत्याचार किया होगा। किन्तु सहसा मेरे मन में सवाल उभरा कि वो आदमी इन लोगों के साथ ये सब किस वजह से कर रहा है? जबकि ये फार्महाउस उसका नहीं बल्कि रितू दीदी का है? क्या रितू दीदी को इस सबका पता है? या फिर ये सब उनकी जानकारी में ही हो रहा है? नहीं नहीं, रितू दीदी ऐसे घिनौने काम का सोच भी नहीं सकती हैं। तो फिर उनके फार्महाउस के तहखाने में ये सब कैसे हो सकता है? मेरे मन में हज़ारों सवाल एक साथ आकर खड़े हो गए। मगर जवाब किसी का भी नहीं था मेरे पास।

"मैने तुमसे जो कुछ पूछा है उसका सही सही जवाब दो पहले।" मैने उस लड़के से कहा___"आख़िर किस वजह से ये सब तुम लोगों के साथ कर रहा है वो आदमी? तुम सब कुछ मुझे साफ साफ बताओ। और हाॅ किसी से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। तुमने देखा है न कि मैने कैसे उस आदमी का दो मिनट में काम तमाम कर दिया है? इस लिए तुम अब बेफिक्र रहो कि कोई तुम पर अब दुबारा ऐसा कर सकेगा। मैं तुम्हें यहाॅ से निकाल कर तुम लोगों को घर भी भेजवा दूॅगा। मगर उससे पहले तुम मुझे बताओ कि ये सब क्यों हो रहा है तुम लोगों साथ? ऐसा क्या अपराध किया है तुम लोगों ने? और अगर ये सब तुम लोगों के साथ बेवजह ही हो रहा है तो यकीन मानो मैं अपने हाॅथों से इस आदमी को मौत दूॅगा। चलो अब बताओ सारी बात।"

"ये सच है कि हम चारों ने एक साथ बराबर का अपराध किया था।" उस लड़के ने नज़रें झुका कर कहना शुरू किया___"मगर, उस अपराध के लिए हमें कानूनी तरीके से सज़ा भी तो दिलवाई जा सकती थी, मगर इन लोगों ने ऐसा कुछ नहीं किया। बल्कि हम चारों को पकड़ कर यहाॅ ले आए और फिर हर रोज़ हमारे साथ ये घिनौना काम करते रहे। हमने इन लोगों से अपने किये की लाखों दफा मुआफ़ी माॅगी। ये तक कहा कि आप हमें गोली मार कर खत्म कर दो उस अपराध के लिए मगर ये लोग हमारी कोई भी बात नहीं माने और हमारे साथ यही सब करते रहे।"

"ओह आई सी।" मैने कुछ सोचते हुए कहा___"लेकिन तुम लोगों ने आख़िर किस तरह का अपराध किया था जिसकी कीमत तुम लोगों को इस रूप में चुकानी पड़ रही है? और तुमने अभी ये कहा कि "इन लोगों ने" मतलब इस आदमी के अलावा भी कोई है जो तुम लोगों के साथ ये सब कर रहा है? कौन कौन हैं इस आदमी के साथ बताओ मुझे?"

"एक लड़की है।" उस लड़के ने कहा___"उसका नाम रितू है और वो पुलिस में इंस्पेक्टर है। वहीं हम चारों को पकड़ कर यहाॅ लाई थी। उसके बाद उसने इस आदमी को हमारी ख़ातिरदारी करने का काम दे दिया था। बस उसके बाद से ही ये आदमी हमारी ख़ातिरदारी के रूप में हमारे साथ ये सब कर रहा है।"

मैं उसके मुख से रितू दीदी का नाम सुन कर मन ही मन बुरी तरह उछल पड़ा था। मुझे समझ न आया कि रितू दीदी ने इन लोगों को किस लिए पकड़ा होगा और फिर पकड़ कर यहाॅ लाया होगा? अपने आदमी को इन लोगों की ख़ातिरदारी करने का काम सौंप दिया। इसका मतलब रितू दीदी को भी ये पता नहीं होगा कि उनका ये आदमी इन लोगों की कैसी ख़ातिरदारी करता है? मुझे यकीन था कि मुजरिम को सज़ा देने के लिए रितू दीदी भले ही कानून की थर्ड डिग्री का स्तेमाल कर लेतीं मगर ऐसा घिनौना काम करने को अपने आदमी से किसी सूरत में न कहती। अरे कहने की तो बात ही दूर वो तो इस बारे में सोचती ही नहीं। मतलब साफ है कि ख़ातिरदारी की आड़ में ये घिनौना काम दीदी का ये आदमी अपनी मर्ज़ी से ही कर रहा है, जिसका दीदी को पता ही नहीं है। अब सवाल ये था कि इन लड़कों ने ऐसा कौन सा जघन्य अपराध किया था जिसकी वजह से रितू दीदी इन लोगों को कानूनन सज़ा दिलाने की बजाय यहाॅ अपने फार्महाउस के तहखाने में लाकर बंद कर दिया था?

"यकीनन तुम लोगों के साथ बहुत बुरा हुआ है।" फिर मैने उससे कहा___"उस इंस्पेक्टर को ऐसा नहीं करना चाहिये था। उसे तो तुम लोगो को कानून के सामने लेकर जाना चाहिए था। ख़ैर, अब तुम बेफिक्र हो जाओ। ये बताओ कि तुम लोगों एक साथ ऐसा कौन सा अपराध किया था?"

"वो वो हम चारों ने एक साथ एक लड़की की इज्ज़त लूटी थी।" उस लड़के ने नज़रें चुराते हुए कहा___"और फिर उसे शहर के बाहर ऐसे ही अधमरी हालत में फेंक आए थे।"
"क्या?????" उसकी ये बात सुन कर मैं बुरी तरह चौंका___"तुम लोगों ने किसी लड़की की इज्ज़त लूटी थी? वो भी इस तरीके से कि उसे बाद में अधमरी हालत में कहीं फेंक भी आए? ये तो सच में तुम लोगों ने बहुत बड़ा अपराध किया है। ख़ैर, उसके बाद क्या हुआ था? मेरा मतलब कि तुम लोग उस इंस्पेक्टर रितू के द्वारा पकड़े कैसे गए?"

"तीसरे दिन हम चारो दोस्त अपने फार्महाउस पर मौज मस्ती कर रहे थे।" उस लड़के ने कहा___"तभी वो इंस्पेक्टर हमारे उस फार्महाउस पर आ धमकी थी। उसने हम चारों को पहले वहीं पर खूब मारा उसके बाद हम चारों को अपनी जीप में डाल कर यहाॅ ले आई तब से हम यहीं हैं और इस आदमी के द्वारा यातनाएं झेल रहे हैं। प्लीज़ हमें यहाॅ से निकाल लो भाई, हम जीवन भर तुम्हारी गुलामी करेंगे।"

"उस लड़की का क्या हुआ?" मैने उसकी अंतिम बात पर ध्यान न दिया___"जिसकी तुम चारों ने इज्ज़त लूटी थी?"
"इस बारे में मुझे कुछ पता नहीं है।" उस लड़के ने असहाय भाव से कहा___"हमने उसे उस दिन से देखा ही नहीं है और ना ही किसी ने हमें उसके बारे में बताया।"

"क्या तुम्हें इस बात का एहसास है कि जिस लड़की की तुम लोगों ने इज्ज़त लूटी है?" मैने ज़रा शख्त भाव से कहा___"उस पर क्या गुज़र रही होगी? उसके माॅ बाप पर क्या गुज़र रही होगी? अपनी हवस के लिए तुम लोगों ने किसी की लड़की का जीवन बरबाद कर दिया। तुम लोगों को तो सीधा फाॅसी पर लटका देना चाहिए।"

"हम सबको फाॅसी की सज़ा मंज़ूर है भाई।" उस लड़के ने कहा___"हमें इस बात का एहसास हो चुका है कि हमसे बहुत बड़ा गुनाह हुआ है। जब से जवानी की देहलीज़ पर हमने क़दम रखा था तब से किसी न किसी लड़की का जीवन हमने बरबाद ही तो किया है। इस लिए भाई फाॅसी से भी बढ़ कर अगर कोई सज़ा है तो हम चारों को वो सज़ा भी मंजूर है।"

"बहुत खूब।" मैने नाटकीय अंदाज़ से कहा___"ऐसी बातें अपराध करते वक्त मन में क्यों नहीं आती हैं? ये तब क्यों समझ में आती हैं जब मौत सिर पर आकर खड़ी हो जाती है या फिर जब वैसा ही कुकर्म खुद के साथ हुआ करता है? ख़ैर, ये बताओ कि ये एहसास अब क्या इस लिये हुआ है कि खुद पर जब वैसा ही गुज़रने लगा या फिर सच में लगता है कि हाॅ तुम लोगों ने ग़लत किया था उस लड़की के साथ?"

"ये तो सच बात है भाई कि इंसान को कोई बात तभी समझ में आती है जब उसे ठोकर लगती है।" उस लड़के ने कहा___"ये बात मुझ पर भी लागू होती है। मगर मुझे इस बात का अब गहरा दुख हो रहा है भाई कि मैने उस लड़की के साथ इतना बड़ा नीच काम किया था। प्यार मोहब्बत दोस्ती ये सब कितनी खूबसूरत चीज़ें हैं जिनके लिए और जिनके आधार पर इंसान कितना कुछ कर जाता है। अगर विश्वास हो तो कोई भी ब्यक्ति किसी के भी साथ कहीं भी आ जा सकता है या फिर वो आपके भरोसे आपके ऊपर कितनी ही बड़ी जिम्मेदारी सौंप देता है। मगर ये छल कपट और ये धोखा कितनी ख़राब चीज़ें हैं जो प्यार मोहब्बत दोस्ती, और भरोसा आदि सबको नस्ट कर देता है।"

"वाह तुम तो यार किसी बहुत बड़े उपदेशक की तरह बड़ी बड़ी बातें करने लगे।" मैने सहसा ब्यंगात्मक भाव से कहा___"काश! ये सब बड़ी बड़ी बातें तब भी तुम करते और समझते जब तुम किसी लड़की का जीवन नष्ट कर रहे थे। कम से कम इससे तुम दोनो का भला तो होता। वैसे प्यार मोहब्बत दोस्ती और भरोसा जैसी बातें तुम्हारे मन में कैसे आ गईं? क्या तुमने इन्हीं के आधार पर उस लड़की का जीवन बरबाद किया है?"

"बिलकुल सही कहा भाई।" उस लड़के ने बेचैनी से पहलू बदलते हुए कहा___"मेरे जीवन में लड़कियाॅ तो बहुत आईं थी जिनके साथ मैने अपने इन तीनों दोस्तों के साथ मौज मस्ती की थी। वो सब लड़कियाॅ मेरे पैसों के लालच में अपना सब कुछ खोल कर हमारे सामने बेड पर लेट जाती थीं मगर इस लड़की में बात ही कुछ खास थी। ये एक ऐसे लड़के से बेपनाह प्यार करती थी जिसका नाम विराज था, विराज सिंह बघेल। मैं भी इससे प्यार करता था पर कभी कह न सका था इससे। हलाॅकि दोस्ती के रिश्ते से हमारी हैलो हाय हो जाती थी। एक दिन जाने क्या हुआ इसे कि ये मुझे लेकर उस विराज के पास गई और उससे दो टूट भाव से कह दिया कि वो उससे प्यार नहीं करती थी बल्कि उसकी दौलत से प्यार करती थी। और अब जबकि वो कंगाल हो चुका है तो उसका उससे कोई रिश्ता नहीं। मैं उसकी इस बात से मन ही मन हैरान तो था मगर खुश भी हुआ कि चलो अब तो ये मेरे पास ही आएगी। वही हुआ भी। वो अपने एक्स ब्वायफ्रैण्ड को छोंड़ कर मेरे साथ ही कालेज में रहने लगी। मगर मुझे जल्द ही पता चल गया कि ये मेरे साथ रहते हुए भी मेरे साथ नहीं है। मैं अक्सर देखता था कि वो अकेले में बेहद उदास और दुखी रहती थी। मुझे लगा कि ये कहीं फिर से न उस विराज के पास लौट जाए, इस लिए मैने इसे अपने साथ हमेशा के लिए रखने का सोच लिया। मेरे ये तीनो दोस्त बार बार मुझसे कहते कि प्यार व्यार का चक्कर छोंड़ बस मज़े ले और हमें भी मज़ा करवा। मैने भी सोचा कि यार ऐसे प्यार का क्या मतलब जो अपना है ही नहीं। बस उसके बाद मैने वही किया जो अब तक दूसरी अन्य लड़कियों के साथ किया था। अपनी बर्थडे वाली शाम मैने इसे भी इन्वाइट किया था। जब ये उस शाम मेरे फार्महाउस पर आई तो मैने इसको कोल्ड ड्रिंक का वो ग्लास प्यार हे दिया जिस ग्लास में मैने नींद की दवा मिलाई हुई थी। कोल्ड ड्रिंक पीने के कुछ देर बाद ही वो नीद के नशे में झूमने लगी। मैने सबकी नज़र बचा कर उसे अपने कमरे में ले गया और उस कमरे में मैने उसके सारे कपड़े उतार कर उसकी इज्ज़त से खूब खेला। मेरा एक दोस्त इस सबकी वीडियो भी बना रहा था। बस उसके बाद तो उसे अपनी ही बने रहना था, इस लिए वो बनी रही और हम जब भी उसे बुलाते तो उसे आना पड़ता और हम सबको खुश रखना पड़ता उसे। यही सब चलता रहा मगर कुछ दिन पहले की बात है। मैने उसे फिर से अपने बर्थडे पर इन्वाइट किया मगर उसने आने से इंकार कर दिया। कहने लगी कि उसकी तबीयत ख़राब है। मैं समझ गया कि वो बहाने बना रही है न आने का। इस लिए मैने उसे फिर से वीडियो को उसके डैड के पास भेज देने की धमकी दी। मेरी इस धमकी से उसे मेरे फार्महाउस पर आना पड़ा। उस दिन भी मैंने अपने इन तीनो दोस्तों के साथ मिल कर उसके साथ सेक्स किया और और उसी हालत में सो गए थे। रात के लगभग तीन या चार बजे के करीब मेरी ऑख खुली तो देखा कि विधी की हालत बहुत ख़राब थी। उसके प्राइवेट पार्ट से ब्लड निकला हुआ था और उसके मुख से भी। ये देख कर मैं बहुत ज्यादा घबरा गया। मुझे लगा कहीं ये मर न जाए। मगर उसे उस हालत में लेकर हम भला उतने समय कहाॅ जाते। इस लिए मैने अपने इन दोस्तो को जगाया और इन लोगों को भी विधी की हालत के बारे में बताया। ये तीनो भी विधी की वो हालत देख कर घबरा गए थे। फिर हम चारों ने सोच विचार करके फैंसला लिया कि इसे कहीं छोंड़ आते हैं। इस फैंसले के साथ ही हम चारों ने विधी को किसी तरह कपड़े पहनाए और उसे उसी हालत में उठा कर बाहर खड़ी अपनी कार की डिक्की में डाल दिया। उसके बाद हम चारो उस तरफ चल पड़े जिस तरफ पिछले कुछ साल पहले ही एक नये हाइवे का निर्माण हुआ था। रात के उस सन्नाटे में किसी के भी द्वारा देख लिए जाने का कोई ख़तरा नहीं था। हाइवे में पहुॅच कर हमने कुछ दूरी पर सड़क के किनारे झाड़ियों के पास ही विधी को डिक्की से निकाल कर चुपचाप लिटा दिया और फिर हम चारों वहाॅ से वापस फार्महाउस आ गए। उसके बाद क्या हुआ इसका हमें आज तक कुछ भी पता नहीं है।"

"क्या तुम जानते हो कि मैं कौन हूॅ?" उसकी बात सुनने के बाद मैने सहसा कठोर भाव से उससे पूछा___"ठीक से देखो मुझे। मेरा दावा है कि तुम मुझे ज़रूर पहचान जाओगे कि मैं कौन हूॅ?"

मेरी इस बात को सुन कर वो लड़का जो कि वास्तव में सूरज चौधरी ही था मेरी तरफ बड़े ध्यान से देखने लगा। उसके चेहरे पर पहले तो उलझन के भाव उभरे थे किन्तु जल्द ही उसके चेहरे पर चौंकने के भाव उभरे और फिर एकाएक ही आश्चर्य से मेरी तरफ ऑखें फाड़े देखने लगा। पल भर में उसका चहेरा डर और दहशत से पीला ज़र्द पड़ता चला गया। वह एकदम से ही जूड़ी के मरीज़ की तरह काॅपने लगा था।

"क्या हुआ सूरज चौधरी?" मेरे मुख से एकाएक शेर की सी गुर्राहट निकली___"पहचाना मुझे या मैं खुद अपने तरीके से बताऊॅ तुझे कि मैं कौन हूॅ??"
"वि...वि...विराऽज।" सूरज चौधरी के मुख से दहशत में डूबा स्वर निकला___"तुम वि..विराज हो। वही विराज जिसे वो विधी बेपनाह मोहब्बत करती थी।"

"और जिसके साथ तूने इतना बड़ा वहशियाना कुकर्म किया है।" मैंने गुस्से में आग बबूला होते ही उसे उसके सिर के बालों से पकड़ कर उठा लिया और फिर पीछे से उसकी गर्दन में अपने दोनो हाॅथ जमाते हुए मैने पूरी ताकत से झटका दिया। सूरज चौधरी के हलक से हृदय विदारक चीख निकल गई। दीवार पर कुंडे में बॅधी रस्सी एक झटके में ही टूट गई थी और इधर झटका लगते ही सूरज के दोनो हाॅथों में वो रस्सी गड़ सी गई थी।

"हरामज़ादे।" मैंने कहने के साथ ही सूरज को अपने सिर के ऊपर तक उठा लिया और पूरी ताकत से सामने की दीवार की तरफ उछाल दिया, फिर बोला___"तूने मेरी विधी के साथ इतना घिनौना कुकर्म किया। नहीं छोंड़ूॅगा तुझे....तुम चारों को एक एक करके ऐसी भयावह मौत दूॅगा कि उसे देख कर ये ज़मीन और वो आसमां तक थर्रा जाएॅगे।"

उधर दीवार से टकरा कर सूरज नीचे फर्श पर मुह के बल गिरा। गिरते ही उसके मुख से दर्द भरी चीख निकल गई। उसके दोनो हाथ अभी भी रस्सी से बॅधे हुए थे इस लिए वो सहारे के लिए अपने हाॅथ आगे या इधर उधर नहीं कर सकता था। इधर सूरज का ये हाल देख कर बाॅकी तीनों लड़कों के देवता कूच कर गए। वो मेरी तरफ बुरी तरह घबराए हुए से देखने लगे थे।

आगे बढ़ कर मैने सूरज के सिर के बाल पकड़ कर उसे उठाया और कहा___"तेरी कहानी सुनने से पहले मुझे लग रहा था कि तेरे साथ वो आदमी बहुत ग़लत कर रहा था मगर अब समझ में आया कि वो कितना अच्छा कर रहा था। तू जिस इंस्पेक्टर रितू की बात कर रहा था न वो मेरी बड़ी बहन है। मैं सब कुछ समझ गया अब कि तेरे यहाॅ होने का असल माज़रा क्या था?"

कहने के साथ ही मैने सूरज के पेट में अपने घुटने का ज़बरदस्त वार किया तो वो हलाल होते बकरे की तरह चिल्लाया। उसके झुकते ही मैने उसकी पीठ पर दुहत्थड़ जड़ दिया, जिससे वो फर्श पर मुह के बल गिरा। नीचे झुक कर मैने फिर उसे उसके बालों से पकड़ कर उठाया, फिर बोला___"अब सारी कहानी समझ गया हूॅ मैं। तू अपने इन कमीने दोस्तों के साथ विधी को उस दिन वहाॅ हाइवे के किनारे झाड़ियों के पास छोंड़ आया। सुबह हुई तो हाइवे से गुज़र रहे किसी वाहन में आ रहे ब्यक्ति की नज़र विधी पर पड़ी होगी तो उसने इसकी सूचना पुलिस को दी होगी। ये मामला चूॅकि हल्दीपुर का था इस लिए हल्दीपुर पुलिस थाने में मेरी बड़ी बहन रितू दीदी ही थी, उनको जब इस सबकी सूचना किसी अज्ञात ब्यक्ति द्वारा मिली तो वो उस जगह पर पहुॅच गईं। विधी की उस गंभीर हालत को देख कर दीदी ने विधी को तुरंत ही हल्दीपुर के सरकारी हास्पिटल में एडमिट कर दिया। दीदी को शायद कहीं से ये पता था कि मैं किसी विधी नाम की लड़की से प्यार करता था। इस लिए हास्पिटल में जब दीदी को डाक्टर द्वारा विधी के बारे में पता चला होगा तो उनके दिमाग़ में तुरंत ही ये बात आई होगी कि किसी विधी नाम की लड़की से ही उनका भाई विराज प्यार करता था। किन्तु उन्होंने विधी को देखा तो था नहीं पहले इस लिए उन्होंने इस बारे में कन्फर्म करने के लिए विधी से पूछताॅछ की होगी। दीदी के पूछने पर आख़िर विधी ने बता ही दिया होगा कि हाॅ वो ही वो विधी है जिसे उनका भाई विराज प्यार करता था। बस उसके बाद ही दीदी का मेरे प्रति भी हृदय परिवर्तन हुआ होगा या फिर खुद विधी ने बताया होगा उन्हें कि सच्चाई क्या है? ख़ैर, उसके बाद विधी ने दीदी से अपनी अंतिम इच्छा की बात कही और दीदी ने उससे वादा किया कि वो उसके महबूब को उसके पास ज़रूर लेकर आएॅगी। दीदी ने मेरी खोज करना शुरू किया और उन्हें मेरा दोस्त पवन मिला। पवन से दीदी ने सारी बातें बताईं होंगी। तभी तो पवन मुझसे वो सब बता नहीं रहा था बल्कि यही कहे जा रहा था कि मैं आ जाऊॅ। वाह रितू दीदी! आप ग्रेट हो दीदी। आपने मुझे मेरी विधी से मिलवाया वरना मैं तो उसे अंतिम समय में भी देख न पाता। आपने ये बहुत बड़ा उपकार किया है दीदी। आज आप मेरी नज़र में बहुत महान हो गईं हैं।"

मैं भावावेश में जाने क्या क्या कहे जा रहा था जबकि मेरे चंगुल में फॅसा सूरज बड़ी मुश्किल से अपनी पलकें उठा कर मेरी तरफ हैरत से देखे जा रहा था। शायद वो मेरी कुछ बातें समझने की कोशिश कर रहा था मगर समझ नहीं पा रहा था।

"इतना कुछ मेरी विधी के साथ हो गया और मुझे इसका आभास तक न था।" मेरी ऑखों से ऑसू छलक पड़े। मेरे दिल में हूक सी उठी। विधी के साथ हुए इस घृणित कुकर्म का सोच कर ही मेरी आत्मा काॅप उठी, मेरा दिल तड़प उठा। एकाएक ही मेरे चेहरे पर गुस्से की आग धधक उठी। मैने सूरज को उसकी गर्दन से पकड़ कर एक ही हाॅथ से ऊपर उठा लिया, फिर बोला___"तेरा और तेरे साथियों का मैं वो हाल करूॅगा कि दुबारा इस धरती पर पैदा होने से मना कर दोगे।"

"मुझे माफ़ कर दो विराज।" सूरज की ऑखें बाहर को निकली आ रही थी, फिर भी किसी तरह बोला__"मैं मानता हूॅ कि मुझसे बहुत बड़ा अपराध हो गया है जिसके लिए कोई मुआफ़ी हो ही नहीं सकती। मगर.....
"हरामज़ादे जब जानता है कि कोई मुआफ़ी नहीं हो सकती तो क्यों माॅग रहा है मुआफ़ी?" मैने ऊपर से ही उसे उछाल दिया। वो लहराते हुए उस जगह पर गिरा जिस जगह पर वो आदमी बेहश अवस्था में पड़ा था। सूरज जब फर्श से टकराया तो उसके हलक से चीख निकल गई और उसका बाजू ज़ोर से उस आदमी के जिस्म पर लगा।

उस आदमी के जिस्म में हरकत हुई और वो कुछ ही पलों में होश में आ गया। ऑख खुलते ही उसने अपनी तरफ बढ़ते हुए मुझे देखा तो एकाएक ही उसके चेहरे पर घबराहट के भाव उभर आए। जबकि मेरा ध्यान तो सूरज की तरफ था जो उस आदमी के ही पास पड़ा कराह रहा था। उसके पास पहुॅच कर मैने उसे फिर से उसके बालो से पकड़ कर उठाया।

"तूने मेरी विधी के साथ जो कुकर्म किया है उसके लिए मैं मुआफ़ी कैसे दे दूॅगा तुझे?" मैने गुर्रा कर उसे झकझोरते हुए कहा___"तू ये सोच भी कैसे सकता है कि तुझे मुआफ़ी मिल जाएगी। तुझे अगर कुछ मिलेगा तो सिर्फ वो जिसे तड़प तड़प कर और सड़ सड़ कर मरना कहते हैं।"

दीवार से सटे बाॅकी तीनों लड़कों की ये सब देख कर ही हालत ख़राब थी। मेरे चेहरे पर इस वक्त हिंसक दरिंदे जैसे भाव थे। उधर फर्श पर पड़ा वो आदमी मेरी बातें सुन कर हैरान रह गया था। फिर सहसा उसे खुद का ख़याल आया। वो सूरज की तरह ही जन्मजात नंगा था। ये देख कर वो किसी तरह उठा और एक तरफ रखे अपने कपड़ों की तरफ बढ़ गया। कपड़े उठा कर वो जल्दी जल्दी उन्हें पहनने लगा।

इधर मैने गुस्से में उबलते हुए सूरज के चेहरे पर ज़ोर का घूॅसा मारा तो वो पीछे की दीवार में ज़ोर से टकराया और फिर फर्श पर लुढ़कता चला गया। उसके नाॅक और मुख से भल्ल भल्ल करके खून बहने लगा था। फर्श पर गिरते ही उसकी ऑखें बंद होती चली गई। मैं समझ गया कि ये बेहोश हो चुका है।

बेहोश हो चुके सूरज के जिस्म पर मैने पैर की एक ठोकर जमाई और पलट कर बाएॅ साइड दीवार की तरफ देखा। दीवार से सटे वो तीनो लड़के रस्सियों में बॅधे ऊपर की तरफ हाॅथ किये खड़े थरथर काॅप रहे थे। ऑखों में आग और चेहरे पर ज़लज़ला लिए मैं उनकी तरफ बढ़ा।

मुझे अपनी तरफ आते देख उन तीनों की हालत ख़राब हो गई। किनारे साइड की तरफ जो बॅधा खड़ा हुआ था उसका डर के मारे पेशाब छूट गया। उनके क़रीब पहुॅच मैने पहले एक एक घूॅसा उन तीनों के जबड़ों पर रसीद किया। तीनो ही दर्द में बिलबिला उठे। मुझसे रहम की भीख माॅगने लगे किन्तु मैं इन लोगों को भला कैसे माफ़ कर सकता था? ये मेरी विधी के रेपिस्ट थे, उसके हत्यारे थे ये। इनको तो अब ऐसी मौत मरना था जिसके बारे में आज तक किसी ने सुना तक न होगा।

"तुम सबको ऐसी मौत मारूॅगा किसके बारे में किसी कल्पना तक न की होगी।" मैने भभकते हुए कहा__"तुम सब ने मेरी मासूम विधी के साथ ऐसा घिनौना अपराध किया है जिसके लिए मैं तुम लोगों को अगर कुछ दूॅगा तो है सिर्फ दर्दनाक मौत। इसके सिवा और कुछ नहीं। रहम के बारे में तो सोचो ही मत। क्योंकि वो मैं ब्रम्हा के कहने पर भी नहीं करने वाला।"

मेरी ये बात सुन कर उन तीनों के चेहरे डर से पीले ज़र्द पड़ गए। पल भर में ऐसी सूरत नज़र आने लगी उन तीनो की जैसे लकवा मार गया हो। इधर मैं पलटा। मेरी नज़र उस आदमी पर पड़ी जो सूरज के मुख में अपना लंड डाले हुए था। वो मेरी तरफ सकते ही हालत में देखे जा रहा था। मैं उसकी तरफ बढ़ा तो वो एकदम से भयभीत सा हो गया।

"मुझे माफ़ कर दो काका।" उसके पास पहुॅचते ही मैने विनम्र भाव से कहा___"मैने बिना कुछ जाने समझे आप पर हाॅथ उठा दिया। उसके लिए आप चाहें तो मुझे सज़ा दे सकते हैं।"
"अ अरे ना ना बेटवा।" हरिया काका हड़बड़ाते हुए एकदम से बोल पड़ा___"ई का कहत हो तुम? तोहरे से कउनव ग़लती ना हुई है। एसे माफी मागे के कउनव जरूरत ना है। हमहू का कहाॅ पता रहे बेटवा कि तुम असल मा हमरे रितू बिटिया के छोट भाई हो।"

"आप बहुत अच्छे हैं काका।" मैने हरिया काका के दाएॅ कंधे पर हाथ रखते हुए कहा___"आपने इन लोगों की वैसी ही ख़ातिरदारी की है जैसी इन लोगों की करनी चाहिए थी।"
"अब का करें बेटवा हमरे मन मा एखे अलावा र कउनव बात आईये न रही।" काका ने कहा___"रितू बिटिया जब हमसे कहा कि ई ससुरन केर अच्छे से ख़ातिरदारी करै का है ता हमरे मन मा इहै बात आई। बस ऊखे बाद हम शुरू होई गयन। ई ससुरन के पिछवाड़े से बजावै मा बड़ी मज़ा आई बेटवा। लेकिन अब एकै बात केर चिन्ता है कि कहीं ई बात रितू बिटिया का पता न चल जाय। ऊ का है ना बेटवा, ई अइसन काम है कि केहू का पता चल जाय ता बहुतै शरम केर बात होई जाथै न। अउर हम ई नाहीं चाही कि ई बात रितू बिटिया का पता चलै। काहे से के ई बात पता चले मा सरवा हमरी इज्जत का बहुतै कचरा होई जाई।"

"चिन्ता मत करो काका।" मैं मन ही मन उसकी बात पर और उसकी भाषा पर मुस्कुराते हुए बोला___"इस बात का पता रितू दीदी को बिलकुल भी नहीं चलेगा। लेकिन एक बात अब आप भी सुन लीजिए। वो ये कि आपने अपना काम कर लिया अब बारी मेरी है। मैं इन्हें ऐसी मौत दूॅगा कि आपने उसके बारे में कभी सोचा भी नहीं होगा। इस लिए अब आप सिर्फ तमाशा देखेंगे।"

"ठीक है बेटवा।" काका ने सिर हिलाया___"हमहू ईहै चाहिथे कि ई ससुरन का कुत्तन जइसन मौत हो। जितना बड़ा अपराध ई लोगन ने किया है न उसके लिए ई लोगन का कौनव परकार केर रियाइत ता मिलबै न करै।"
"ऐसा ही होगा काका।" मैने उन चारों पर एक एक नज़र डालते हुए कहा___"मुझे कुछ सामान चाहिए आपसे। और हाॅ बाॅकी किसी और को मत बताइयेगा कि मैं यहाॅ हूॅ।"

"ठीक है बेटवा।" काका ने कहा___"अउर सामान का चाहै का है तुमका?"
"एक रेज़र ब्लेड।" मैने कहा___"और एक प्लास चाहिए काका।"
"ठीक है बेटवा।" हरिया काका ने कहा___"हम अभी लावथैं दुई मिनट मा।"

कहने के साथ ही हरिया काका तहखाने के दरवाजे से बाहर चला गया। जबकि उनके जाते ही मैं सूरज के पास पहुॅचा और उसे उठा कर फिर से एक अलग रस्सी जोड़ कर उसे वैसे ही बाॅध दिया जैसे बाॅकी तीनो बॅधे हुए थे। सूरज को बाॅधने के बाद मैं पलटा और एक तरफ रखी पानी की बाल्टी से एक मग पानी लेकर सूरज के चेहरे पर ज़ोर से उलट दिया। पानी का तेज़ प्रहार पड़ते ही सूरज होश में आ गया। होश में आते ही वो दर्द से चीखने लगा।

"तुम हमारे साथ क्या करने वाले हो?" बाॅकी तीन मे से एक ने घबराते हुए पूछा___"देखो, हम मानते हैं कि हमने बहुत बड़ा गुनाह किया है और उसके लिए अगर तुम हमे गोली मार कर जान से मार भी दो तो हमें मंजूर है मगर ऐसे तड़पा तड़पा कर मत मारो भाई। प्लीज़ कुछ तो रहम करो। उस आदमी ने तो वैसे भी हम लोगों के वो सब करके हमें जान से ही मार दिया है। तुम क्या जानो कि उस हवशी ने हमारे पिछवाड़ों की क्या दुर्गत की है?"

"जब अपने पर बीतती है तभी एहसास होता है कि दर्द और तक़लीफ़ क्या होती है।" मैने उससे गुर्राते हुए कहा___"तुम लोगों को तब इस बात का एहसास नहीं हुआ था कि जिन जिन लड़कियों के साथ तुम सबने कुकर्म किया है उन पर उस वक्त क्या गुज़री रही होगी?"

"सच कहा भाई।" एक दूसरे लड़के ने कहा___"लेकिन अब जो हो गया उसे लौटाया तो नहीं जा सकता न। हमें हमारे गुनाहों की इतनी सज़ाएॅ तो मिल ही चुकी हैं। तुम हमें एक ही बार में जान से मार दो। मगर वो सब न करो भाई जो तुम अपने मन सोचे बैठे हो। प्लीज भाई हम पर रहम करो।"

"शट-अऽऽऽप।" मैं पूरी शक्ति से दहाड़ा___"यहाॅ तुम लोगों की मर्ज़ी से कुछ नहीं होगा, बल्कि वही होगा जो मैं चाहूॅगा। मैं क्या चाहता हूॅ इसका पता जल्द ही तुम चारो को चल जाएगा।"

मैने इतना कहा ही था कि हरिया काका तहखाने में पुनः दाखिल हुए। उनके हाॅथ में वो सामान था जो मैने उनसे मॅगवाया था। यानी कि रेज़र ब्लेड और प्लास। मेरे हाॅथ में सामान पकड़ाने के बाद हरिया काका ने तहखाने का दरवाज़ा बंद कर दिया और फिर एक तरफ खड़े हो गए। इधर सामान लिए मैं उस सामान को सरसरी तौर पर देख ही रहा था कि मेरा मोबाइल फोन बज उठा।
Reply


Messages In This Thread
RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 12:52 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,465,332 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,402 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,217,662 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 920,800 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,632,648 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,063,966 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,922,329 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,962,044 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,995,125 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,470 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 7 Guest(s)