non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:50 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
"हाॅ ऐसा हो सकता है।" अजय सिंह के मस्तिष्क में जैसे झनाका सा हुआ, बोला___"ये यकीनन हो सकता है प्रतिमा। बचपन से जवानी तक वो इस गाॅव में रहा है, इस लिए ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि यहाॅ पर उसका कोई घनिष्ठ दोस्त या मित्र न बना हो, बल्कि ज़रूर बना होगा। सबका कोई न कोई घनिष्ठ मित्र ज़रूर होता है, उसका भी कोई ऐसा ही खास मित्र होगा यहाॅ। इस लिए ये संभव है कि विराज ने ये काम अपने किसी ऐसे ही मित्र द्वारा करवाया हो सकता है। इस बारे में तो हमें पहले ही सोचना चाहिए था डियर। वो भले ही मुम्बई में है लेकिन अपने किसी खास दोस्त के द्वारा वो ज़रूर हमारी पल पल की ख़बर लेता रहा होगा। अब भी ले रहा होगा।"

"आपने बिलकुल सही कहा डैड।" सहसा इतनी देर से चुप बैठा शिवा कह उठा___"उस कमीने के कई दोस्त हैं यहाॅ। लेकिन एक दोस्त तो उसका बहुत ही खास है। मैं उसे अच्छी तरह जानता हूॅ। कई बार मैने उसके दोस्त को उसके साथ देखा भी था। उसके उस दोस्त का नाम शायद पवन है, यस डैड...पवन सिंह। यही नाम है उसके दोस्त का।"

"वैरी गुड।" अजय सिंह के चेहरे पर बड़ी मुद्दत के बाद राहत के भाव उभरे, बोला___"इसका मतलब वो हरामज़ादा अपने उस दोस्त पवन के ज़रिये ये सब करवा रहा था। नहीं छोंड़ूॅगा उस मादरचोद को। उसके सारे खानदान का नामो निशान मिटा दूॅगा मैं।"

"तुम्हें क्या लगता है अजय?" प्रतिमा ने सहसा अजीब भाव से कहा___"ये कि विराज महामूर्ख है?"
"व्हाट डू यू मीन?" अजय सिंह की ऑखें फैली।
"जिस विराज ने अपने दोस्त को इतने बड़े काम को करने के लिए कहा होगा उसने क्या अपने दोस्त और उसके परिवार की सुरक्षा का ख़याल नहीं रखा होगा?" प्रतिमा एक ही साॅस में कहती चली गई___"ये तो विराज को भी पता है कि अगर वो किसी के द्वारा अपना कोई काम करवाएगा तो देर सवेर तुम्हें इसका पता चल ही जाएगा। उस सूरत में तुम उसके साथ क्या सुलूक करोगे इसका अंदाज़ा उसने पहले ही लगा लिया होगा। हाॅ अजय, विराज ये कभी नहीं चाहेगा कि उसके काम की वजह से उसके दोस्त के साथ साथ उसके दोस्त के परिवार वालों की ज़िंदगी भी ख़तरे में पड़ जाए। इस लिए मेरा ख़याल यही है कि विराज ने अपने दोस्त और उसके परिवार की सुरक्षा के बारे में सोचते हुए कुछ तो ऐसा ज़रूर किया होगा जिससे तुम्हारा क़हर उन पर न टूटने पाए।"

"तुम्हारी इस बात में यकीनन सच्चाई की झलक दिख रही है प्रतिमा।" अजय सिंह ने कहा___"मगर एक बार पता तो करना ही चाहिए हमें। क्योंकि अगर एक पल के लिए ये मान लें कि वैसा कुछ किया ही नहीं होगा विराज ने जैसे की तुम बात कर रही हो तो इस वक्त ज़रूर उसका दोस्त इसी गाॅव में अपने घर पर होगा। मैं एक बार इस बात की पक्के तौर पर जाॅच करवा लेना चाहता हूॅ।"

"ज़रूर जाॅच करवाओ अजय।" प्रतिमा ने अजीब भाव से कहा___"मगर मेरा अनुमान यही है कि तुम्हारे हाथ कुछ नहीं लगने वाला।"
"माॅम ये आप क्या कह रही हैं?" शिवा के स्वर में नाराज़गी थी, बोला___"क्या आप चाहती हैं कि हमारे हाॅथ कुछ न लगे?"

"बात ये नहीं है बेटे कि मैं चाहती नहीं हूॅ।" प्रतिमा ने शख्त भाव से कहा___"बात ये है कि अब तक हाॅसिल भी क्या हुआ है? हर बार तो नाकामी ही हाॅथ लगी है हमें और अब तो ये आलम हो गया है कि किसी भी चीज़ के हाॅसिल होने की उम्मीद ही नहीं होती।"

"मैं तुम्हारे जज़्बातों को समझ सकता हूॅ माई स्वीट डार्लिंग।" अजय सिंह ने कहा___"मैं जानता हूॅ कि हर बार मिली नाकामी से तुम निराश हो गई हो। मगर यकीन मानो डियर, हमेशा ऐसा नहीं होता है। एक दिन ऐसा ज़रूर आता है जब हमें कामयाबी भी मिलती है। तुम देखना कि जिस दिन हमें कामयाबी मिली उस दिन हम अपनी उस कामयाबी को किस किस तरीके से सेलीब्रेट करेंगे?"

अजय सिंह की बात का प्रतिमा ने कोई जवाब न दिया। वो बस अजय सिंह को अजीब भाव से देखती रही। जबकि अजय सिंह ने उसके चेहरे से नज़र हटा कर शिवा से पवन सिंह के घर के बारे में पहले पूॅछा फिर अपनी कोट की पाॅकेट से मोबाइल निकाला। मोबाइल पर उसने किसी को फोन लगाया। दूसरी तरफ से काल रिवीव किये जाने के बाद अजय सिंह ने उसे पवन सिंह के घर का पता बताया और उससे जल्द से जल्द पवन सिंह का पता लगाने का हुक्म दिया। उसके बार उसने काल कट करके मोबाइल को अपने सामने रखी टेबल पर रख दिया।

"तो डिबेट को आगे बढ़ाएॅ डियर?" अजय सिंह ने प्रतिमा की तरफ देख कर कहा___"मैने अपने एक आदमी को पवन सिंह का पता करने के लिए बोल दिया है। वो जल्द ही इस बारे में हमें सूचित करेगा। तब तक हम अपनी डिबेट को आगे बढ़ते हैं।"

"ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।" प्रतिमा ने भावहीन स्वर में कहा___"शुरू करो।"
"यहाॅ पर इन सब बातों को संक्षेप में ये निर्णय निकालते हैं कि बाहरी कोई भी ब्यक्ति मेरे साथ ये सब नहीं कर रहा है।" अजय सिंह ने गहरी साॅस लेकर कहा__"बल्कि ये सब करने वाला सिर्फ एक ही शख्स है और वो है विराज। पवन सिंह का नाम जुड़ने से जो बात सामने आई वो ये है कि मुम्बई में रहते हुए विराज ने अपने दोस्त के द्वारा ये सब करवाया। किन्तु यहाॅ सवाल ये है कि विराज के इस काम में उसके और कितने दोस्त शामिल थे? क्योंकि ये काम सिर्फ एक आदमी से तो हो नहीं सकता। इस लिए ये जानना ज़रूरी है उसने किस किस को अपने इस काम पर लगाया हुआ है?"

"तुम एक बात भूल रहे हो अजय।" प्रतिमा ने कहा__"वो ये कि फैक्ट्री में आग लगने से पहले भी एक खेल तुम्हारे साथ खेला गया था। याद है, वो विदेशी ब्यापारी। जो अपनी बीवी के साथ आया था और उसने तुम्हें भारी मात्रा में कपड़ा तैयार करने को कहा था। डील पक्की होने के बाद जब डिलीवरी का समय आया तो उस विदेशी ब्यापारी का कहीं कोई पता ही नहीं था। अगले दिन अख़बार में ख़बर छपी कि शहर के मशहूर बिजनेस मैन अजय सिंह को किसी विदेशी ब्यक्ति ने करोड़ों का चूना लगाया।"

"ओह हाॅ यार।" अजय सिंह की ऑखों के सामने दो विदेशी पति पत्नी की शक्ल घूम उठी___"उसका तो मुझे ख़याल ही नहीं रहा था।"
"होना चाहिए अजय।" प्रतिमा ने कहा___"क्योंकि तुम्हारे साथ खेल खेलने का आग़ाज़ तो वहीं से शुरू हुआ था न? ख़ैर, मेरा ख़याल ये है कि वो विदेशी ब्यक्ति कोई और नहीं खुद विराज ही था और उसकी पत्नी के रूप में खुद उसकी ही बहन निधी थी।"

"व्हाऽऽऽट???" अजय सिंह उछल पड़ा___"ऐसा तुम यकीन से कैसे कह सकती हो?"
"नायकीनी की भी कोई वजह बता दो मुझे?" प्रतिमा ने बड़े आत्मविश्वास से कहा___"तुम यकीन इस लिए नहीं कर पा रहे क्योंकि तुम अब भी यही समझते हो कि विराज किसी ढाबे या होटल में कप प्लेट धो रहा होगा और उसकी औकात नहीं कि वो ये सब अफोर्ड कर सके। लेकिन मैं इस बात को अलग तरह से सोचती हूॅ अजय। मैं ये सोचती हूॅ कि विराज एक पढ़ा लिखा लड़का है। वो बचपन से ही पढ़ने लिखने में सभी बच्चों से आगे था। उसका माइंड बड़ा शार्प था। कहने का मतलब ये कि जितना वो पढ़ा लिखा था उससे उसे कोई नौकरी मिल जाना कोई मुश्किल काम नहीं था। संभव है कि उसे कोई ऐसी नौकरी मिल गई हो जिसके तहत वो इतना तो अफोर्ड कर ही सके कि वो तुम्हारे साथ ऐसा खेल खेल सके। अगर तुम इस एंगल से सोचोगे अजय तो तुम्हें भी लगने लगेगा कि हाॅ वो लड़का ऐसा कर सकता है।"

प्रतिमा की इन सब बातों से अजय सिंह को भी एहसास हुआ कि प्रतिमा की बात में सच्चाई है। इस बात को उसे भी स्वीकार करना ही पड़ा कि विराज सभी बच्चों में सबसे ज्यादा पढ़ने में तेज़ था। उसे ये भी मानना पड़ा कि उसे कोई ऐसी नौकरी ज़रूर मिल गई रही होगी जिससे वो ये सब कर सके। अजय सिंह की ऑखों के सामने शिवा का वो अधमरी हालत मिलना घूम गया। इस बात से ये साफ ज़ाहिर होता है कि विराज़ के मन में इन लोगों के प्रति आक्रोश और बदले की भावना है। इस लिए उसका तो ये हमेशा प्रयास रहेगा कि वो अपने साथ हुए अत्याचार का बदला ले सके।

अजय सिंह के मनो मस्तिष्क में ये सब बातें बड़ी तेज़ी से चलने लगी थी, जिसका असर ये हुआ कि उसने इस सब को स्वीकार कर लिया कि ये सब कुछ विराज ने ही किया हो सकता है। फिर चाहे उसका वो विदेशी बनना हो या फिर फैक्ट्री में आग लगाना। अभी अजय सिंह ये सब सोच ही रहा था कि सामने टेबल पर रखा उसका मोबाइल बजने लगा। उन तीनों ध्यान एक साथ मोबाइल पर गया।

अजय सिंह ने हाॅथ बढ़ा कर मोबाइल उठाया और उस पर आ रही काल को रिसीव कर उसे कान से लगा लिया। उस तरफ से कुछ देर तक वो कुछ सुनता रहा उसके बाद उसने ये कह कर काल कट कर दिया कि___"अपने सब आदमियों से कहो कि वो सब उन लोगों का पता लगाएॅ। मुझे हर हाल में उन सबका पता चाहिए।"

"क्या बात हुई तुम्हारी अपने उस आदमी से?" प्रतिमा ने पूछा।
"तुम्हारा कहना बिलकुल सही था प्रतिमा।" अजय सिंह ने गहरी साॅस ली___"विराज ने सच में अपने उस दोस्त और उसके परिवार की सुरक्षा का ख़याल रखा हुआ था।"

"आख़िर क्या बताया तुम्हारे आदमी ने?" प्रतिमा ने कहा___"पूरी बात साफ साफ मुझे भी बताओ।"
"मेरा आदमी पवन सिंह के घर पर गया था।" अजय सिंह ने बताना शुरू किया___"किन्तु जब वो पवन ने घर के दरवाजे पर पहुॅचा तो देखा कि वहाॅ बड़ा सा ताला लगा हुआ था। उसके बाद मेरे उस आदमी ने आस पास वालों से पवन और उसके घर वालों के बारे में पूछा तो कुछ लोगों ने उसे बताया कि शाम को पवन के घर के सामने एक एम्बूलेन्स आई थी। उस एम्बूलेन्स में घर के अंदर से कुछ सामान लाकर रखा गया था और फिर उस एम्बूलेन्स में पवन, पवन की विधवा माॅ और उसकी एक बेटी बैठ गईं थी। इन लोगों के साथ दो आदमी और थे। वो दोनो भी उस एम्बूलेन्स में बैठ गए थे। एम्बूलेन्स के आगे ही एक जीप खड़ी थी। उस जीप के चलते ही वो एम्बूलेन्स भी चल पड़ी थी। इसके बाद वो लोग कहाॅ गए इसका किसी को कोई पता नहीं।"
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