non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:46 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
"मेरी फरमाइश ये है कि एक एक करके आने का कोई मतलब नहीं है।" मैने कहा__"ऐसे में सिर्फ वक्त की बर्बादी होगी। इस लिए एक काम करो। तुम्हारे पास जितने भी आदमी हों उन सबको यहीं पर बुला लो। उसके बाद मुकाबला करें तो थोड़ा मज़ा भी आए।"

"साले बहुत बोलता है तू।" वो आदमी मेरी तरफ बढ़ते हुए बोला___"तेरे लिए मैं ही काफी हूॅ। अभी तेरी हड्डियों का चूरमा बनाता हूॅ रुक।"

वो मेरे पास आते ही मुझ पर अपनी बलिस्ट भुजा का वार कर दिया। मैं तो पहले से ही चौकन्ना हो गया था और जानता भी था कि अगर इसका एक वार भी मुझे लग गया तो मेरी हालत खराब हो जानी थी। ख़ैर, जैसे ही उसने तेजी से अपना दाहिना हाथ घुमाया, मैं फौरन ही नीचे झुक गया। उसका हाथ मेरे ऊपर से निकल गया। उसके सम्हलने से पहले ही मैने उछल कर एक फ्लाइंग किक उसकी कनपटी पर जड़ दी। वो धड़ाम से जमीन पर गिरा। मुझे हैरानी हुई मगर मुझे उसके गिरने का कारण समझ आ गया। गुस्से में यही होता है। मुझे मारने के लिए जब उसने गुस्से से अपना हाथ घुमाया था तो मैं झुक गया था। उसका हाथ जैसे ही मेरे सिर से निकला वैसे ही उछल कर मैने ज़ोरदार फ्लाइंग किक उसकी कनपटी पर जड़ी थी। वो सम्हल नहीं पाया था। अपने ही प्रहार के वेग में वह मेरे प्रहार के लगते ही धड़ाम से गिरा था।

उसके गिरते ही मैंने उछल कर उसके ऊपर जंप मारी मगर वह पलट गया। जैसे ही मेरे दोनो पैर जमीन पर आए उसकी एक टाॅग घूम गई और मेरी एक टाॅग पर लगी। नतीजा ये हुआ कि मैं पिछवाड़े के बल गिर गया मगर पल भर में ही उछल कर खड़ा भी हो गया। और सच कहूॅ तो ये मेरा भाग्य ही अच्छा था कि मैं उछल कर खड़ा हो गया था। क्योंकि जैसे ही मैं गिरा था वैसे ही उसने तेज़ी अपनी दाहिनी कोहनी का वार मेरी छाती की तरफ किया था। मगर मेरे उछल कर खड़े हो जाने पर उसका वो वार जमीन पर तेजी से लगा। कोहनी का तीब्र वार जब पक्की ज़मीन से टकराया तो उसके हलक से चीख निकल गई। अपनी कोहनी को दूसरे हाथ से जल्दी जल्दी सहलाने लगा था वह। ऐसा अवसर छोंड़ना निहायत ही बेवकूफी थी। मैने अपनी दाहिनी टाॅग पूरी शक्ति से घुमा दी। जो कि उसकी कनपटी पर लगी। वो दूसरी कनपटी के बल ज़मीर पर गिर गया। उसका सिर ज़ोर से ज़मीन से टकराया था। उसके मुख से घुटी घुटी सी चीख़ निकल गई। निश्चित ही उसकी ऑखों के सामने कुछ पल के लिए अॅधेरा छा गया होगा।

अब मैने रुकना मुनासिब न समझा। मैं एकदम से पिल पड़ा उस पर। लात घूॅसों से उसकी जमकर ठोकाई की मैने। वो बचने के लिए इधर उधर हाॅथ पैर मार रहा था। जबकि मैं बिजली की स्पीड से उस पर वार किये जा रहा था। अचानक ही उसके हाथ में मेरी टाॅग आ गई। उसने मेरी उस टाॅग को पकड़ कर पूरी शक्ति से उछाल दिया। मैं हवा में लहराते हुए एक टेबल पर गिरा। मेरी पीठ पर टेबल का किनारा बड़ी तेज़ी से लगा। मैं चाह कर भी उस दर्द से निकलने वाली चीख को रोंक न सका। तभी मेरी नज़र सामने पड़ी और मैं पलक झपकते ही दर्द को बरदास्त करके टेबल से हट गया। नतीजा ये हुआ कि मेरे हटते ही टेबल पर कुर्सी का तेज़ प्रहार पड़ा और टेबल व कुर्सी दोनो ही टूटती चली गई।

इधर प्रहार करने के बाद वो आदमी सम्हल भी न पाया था कि एक कुर्सी उठा कर मैने बड़ी तेज़ी से उसके सिर पर वार कर दिया। वार ज़बरदस्त था। हाॅथ में टूटी हुई कुर्सी लिए वह सामने टूटी हुई ही टेबल पर मुह के बल गिर गया। सिर से भल्ल भल्ल करके खून बहने लगा था उसके। मुझे समझते देर न लगी कि उसका सिर फट गया है। वह बुरी तरह चीखा था। कंटीन में उसकी चीख गूॅज गई थी। लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने वही कुर्सी एक बार फिर से अपने सिर से ऊपर तक उठा कर उस पर पटक दी। इस बार उसकी पीठ पर कुर्सी लगी थी। लकड़ी की कुर्सी थी वो। उसके दो पाए चटाक से टूट गए। वो आदमी धड़ाम से वहीं पर पसर गया।

अभी मैं उस पर फिर से वार करने ही वाला था कि मैंने देखा कि वो आदमी एकदम से सिथिल पड़ गया था। मैने अपने हाॅथ में ली हुई कुर्सी फेंक दी। झपट कर मैं उसके पर पहुॅचा। वो बुरी तरह खून में नहाये जा रहा था। उसके मुख से कराहटें निकल रही थी। मुझे लगा साला कहीं मर ही न जाए। वरना पंगा हो जाएगा।

मैने देखा उसकी ऑखें बंद होती जा रही थी। मैं ये देख कर बुरी तरह घबरा गया। इधर उधर देखा तो चौंक गया। पूरी कंटीन में लड़के लड़कियों की भीड़ जमा थी। सब लोग फटी फटी ऑखों से देखे जा रहे थे।

"भाईऽऽऽ।" तभी उस भीड़ से आशू राना चीखते हुए आया, बुरी तरह रोने लगा था वह___"ये क्या हो गया भाई तुम्हें? उठो भाई, मेरी तरफ देखो ना भाई।"
"देखो इस तरह रोने से कुछ नहीं होगा समझे।" मैने कहा___"इसे जल्दी से हास्पिटल ले जाना पड़ेगा वरना ये मर जाएगा।"

"तुमने मारा है मेरे भाई को तुमने।" आशू राना ने बिफरे हुए लहजे में कहा___"अगर मेरे भाई को कुछ भी हुआ तो आग लगा दूॅगा मैं इस पूरे काॅलेज में।"
"देखो ये सब बातें तुम बाद में भी कर लेना भाई।" मैने उसके भाई की हालत को देखते हुए कहा___"पहले एम्बूलेंस को बुलाओ।"

"एम्बूलेंस की ज़रूरत नहीं है।" आशू राना ने रोते हुए कहा___"मेरा भाई अपनी गाड़ी से आया था। बाहर खड़ी है।"
"ओह ठीक है फिर।" मैने कहा___"इसे गाड़ी तक ले चलने में मेरी मदद करो। ये बहुत भारी है मैं अकेले इसे कैसे ले जाऊॅगा?"

मेरे कहने पर आशू राना ने अपने भाई को एक तरफ से पकड़ा, दूसरी तरफ से मैंने उसे पकड़ा। काफी मेहनत के बाद आखिर मैं और आशू राना उसके भाई को गाड़ी तक ले आकर उसे कार की पिछली सीट पर लेटा दिया।

"कार की चाभी दो मुझे।" मैने आशू राना से कहा___"तुम अपने भाई को लेकर पीछे बैठ जाओ। मैं कार को जल्दी से हास्पिटल ले चलता हूॅ।"
"पहले तो मेरे भाई को मार कर इस हालत में पहुॅचा दिया और अब उसे हास्पिटल भी ले जा रहे हो।" आशू राना ने गुस्से मे कहा__"ये बहुत अच्छा कर रहे हो तुम, है न? मगर याद रखना कि इसका हिसाब तुम्हें देना होगा।"

"हाॅ ठीक है यार ले लेना हिसाब।" मैने उसके हाथ से चाभी खींचते हुए कहा___"पहले जो ज़रूरी है वो तो करने दो।"

मैं कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर कार के इग्नीशन में चाभी लगाया और घुमाकर उसे स्टार्ट किया। मैने देखा कि काॅलेज के काफी सारे लड़के लड़कियाॅ बाहर आ गए थे। उनमें एक चेहरा नीलम का भी था। वह मुझे देखकर हैरान थी। मैने उससे नज़र हटाई और कार को एक झटके से आगे बढ़ा दिया।

ऑधी तूफान बनी कार बहुत जल्द हास्पिटल के सामने आकर खड़ी हो गई। मैं झट से गेट खोल कर बाहर आया। पिछला गेट खोल कर मैने आशू राना को बाहर आने को कहा। मैने नज़र घुमा कर देखा तो दो लोग एक खाली स्ट्रेचर को लिए जा रहे थे। मैंने झट से उनको आवाज़ दी। वो मुड़ कर मेरी तरफ देखने लगे।

"अरे जल्दी स्ट्रेचर ले आओ।" मैने चिल्लाते हुए कहा___"इट्स अर्जेन्ट।"
मेरी बात सुनकर वो तुरंत ही हमारी तरफ दौड़ते हुए आए। हम चारों ने आशू राना के भाई को सीट से निकाल कर स्ट्रेचर पर लिटाया। हास्पिटल वाले आदमी उसे उठा कर ले जाने लगे। मैं और आशू राना भी उनके पीछे हो लिए।

कुछ ही देर में वो लोग आशू के भाई को ओटी में ले गए। इधर आशू राना ऑखों में ऑसू लिए हास्पिटल की गैलरी में इधर से उधर बेचैनी और परेशानी में टहलने लगा।

"उम्मीद है कि बहुत जल्द तुम्हारा भाई पहले के जैसा हो जाएगा।" मैने आशू राना की तरफ देख कर कहा था।
"बात मत करो तुम मुझसे।" आशू राना अजीब भाव से गुर्राया___"मेरे भाई की इस हालत के तुम ही जिम्मेदार हो।"

"देख भाई, ये जो कुछ भी हुआ है न उसका जिम्मेदार सिर्फ तू है समझा?" मैने भी शख्त भाव से कहा___"तूने कालेज में उस लड़की की इज्ज़त पर हाथ डाला। इस लिए मैने उस लड़की की इज्ज़त बचाने के लिए तुझ पर हाथ उठाया। और तूने क्या किया? तू गया तो अपने बड़े भाई को बुला लाया अपनी हार और अपनी मार का बदला लेने के लिए। इस लिए ये तो होना ही था। हम दोनो में से किसी एक के साथ तो ये होना ही था। वक्त और हालात की बात है। मेरा दाॅव चल गया और मैने तेरे भाई की ये हालत बना दी। वरना कोई नहीं सोच सकता था कि तेरे उस मुस्टंडे भाई से मैं बचूॅगा।"

अभी आशू राना कुछ बोलने ही वाला था कि सहसा हमारे पास डाॅक्टर आ गया।
"देखिये सिर पर गहरी चोंट लगी है।" डाक्टर कह रहा था___"सिर फट गया है जिसकी वजह से खून काफी मात्रा में निकल गया है। हमने ब्लड टेस्ट किया तो उनके ग्रुप का ब्लड हमारे हास्पिटल में इस वक्त अवायलेवल नहीं है। जबकि उनको बल्ड चढ़ाना बहुत ज़रूरी है। वरना उनकी जान भी जा सकती है।"

"डाक्टर आप मेरा खून ले लीजिए।" आशू राना ने कहा___"मगर मेरे भाई को बचा लीजिए प्लीज़।"
"ठीक है आइये।" डाक्टर ने कहा___"मैं पहले आपके ब्लड का टेस्ट लूॅगा अगर उनके ब्लड से मैच हो गया तो आपका ही ब्लड उनको चढ़ा देंगे।"

डाक्टर आशू राना को लेकर चला गया। जबकि मैं परेशानी की हालत में आ गया था। मैं भगवान से दुआ करने लगा कि राना के भाई को कुछ न हो। थोड़ी देर में ही डाक्टर के साथ आशू राना बाहर आ गया।

"क्या हुआ डाक्टर साहब?" मैंने हैरानी से देखते हुए कहा___"आप इसे बाहर क्यों ले आए?"
"इनका ब्लड ग्रुप उनके ब्लड ग्रुप से मैच नहीं कर रहा है।" डाक्टर ने कहा___"हमने फोन द्वारा दूसरे हास्पिटलों में भी पता कर लिया है मगर इस वक्त यहाॅ आस पास के किसी भी हास्पिटल में उस ग्रुप का ब्लड उपलब्ध नहीं है।"
"डाक्टर साहब मेरा ब्लड भी चेक कर लीजिए न।" मैने कहा___"शायद मैच हो जाए।"
"ठीक है चलिए।" डाक्टर ने कहा___"आपका भी देख लेते हैं।"

मैं डाक्टर के साथ चला गया। अंदर डाक्टर ने मेरा ब्लड टेस्ट किया और आश्चर्यजनक रूप से मेरा ब्लड मैच कर गया। डाक्टर और मैं दोनो ही खुश हो गए।
"ओह वैरी गुड यंगमैन।" डाक्टर ने कहा__"ये तो कमाल हो गया। आपका ब्लड इनके ब्लड से मैच कर रहा है।"

"तो फिर देर किस बात की है डाक्टर?" मैने कहा___"जल्दी से इसको मेरा खून चढ़ा दीजिए।"
"ओह यस यंगमैन।" डाक्टर ने कहा__"आइये मेरे साथ।"

मैं उस कमरे से निकल कर डाक्टर के साथ उस कमरे में गया जहाॅ पर राना के भाई को बेड पर लिटाया गया था। वहाॅ दो नर्सें मौजूद थी।
"अंकिता।" डाक्टर ने एक नर्स से कहा___"इस यंगमैन का ब्लड ग्रुप इनके ग्रुप से मैच कर रहा है इस लिए फौरन प्रोसेस शुरू करो।"

उसके बाद मुझे भी राना के भाई के बगल वाले बेड पर लेटा दिया गया। मैंने भगवान का शुक्रिया अदा किया और अपनी ऑखें बंद कर ली। कुछ ही देर में मुझे अपने हाॅथ में सुई चुभती महसूस हुई।

लगभग दो घंटे बाद !
डाक्टर ने आकर बताया कि आशू का भाई अब ठीक है। मेरे शरीर से खून की उचित मात्रा लेने के बाद मुझे डाक्टर ने बाहर भेज दिया था। मुझे कमज़ोरी का एहसास हो रहा था। मगर दिल में ये खुशी थी कि मेरे खून से आशू के भाई की जान बच गई थी।

आशू राना जो अब तक मुझसे चिढ़ा चिढ़ा सा था अब वह मुझसे बड़े सलीके से बात कर रहा था। उसने ये स्वीकार किया कि इस सबके लिए सच में वही जिम्मेदार था। डाक्टर ने आशू राना के भाई के सिर पर टाॅके लगा कर उस पर पट्टी कर दी थी।

मैं आशू राना के साथ उस हास्पिटल में तब तक रहा जब तक कि उसके भाई को होश नहीं आ गया था। डाक्टर ने आकर बताया कि राना के भाई को होश आ चुका है तो हम दोनो खुशी खुशी उससे मिलने गए।

कमरे में पहुॅच कर आशू राना अपने भाई को ठीक ठाक देख कर बेहद खुश हुआ। मैं आगे बढ़ कर उसके भाई से बोला___"कैसे हो भाई?"
"अब तो ठीक हूॅ।" उसने कहा___"मुझे डाक्टर ने बताया कि तुमने मुझे बचाने के लिए अपना खून मुझे दिया। ऐसा क्यों किया तुमने भाई? भला क्या लगता था मैं तुम्हारा जो तुमने अपना खून देकर मुझे मरने से बचाया?"

"कोई न कोई रिश्ता तो बन ही गया था हम दोनो के बीच में।" मैने कहा___"फिर चाहे वो दुश्मनी का रिश्ता ही क्यों न हो। सब जानते थे कि मैं तुम्हारे सामने एक पल के लिए भी टिक नहीं पाऊॅगा मगर ये मेरी किस्मत थी कि मुझे कुछ नहीं हुआ बल्कि मैने खुद को कुछ होने से बचा लिया। मगर तुम्हारी किस्मत में ये सब होना था सो हो गया और मजे की बात देखो कि मेरे ही खून से तुम्हें जीवित भी बच जाना था।"

"सच कहा तुमने।" राना के बड़े भाई ने कहा___"ये किस्मत ही तो थी। मैने भी तो यही उम्मीद की थी कि दो मिनट के अंदर तुम्हारी हड्डियाॅ तोड़ कर कालेज से चला जाऊॅगा। मगर क्या पता था कि उल्टा मुझे ही इस हाल में पहुॅच जाना होगा। मैं हैरान था कि एक मामूली सा लड़का मुझे इस तरह कैसे मात दे रहा था। मतलब साफ है कि तुम भी कम नहीं थे।"

"चलो छोड़ो उस बात को।" मैने कहा___"सबसे अच्छी बात ये है कि तुम सही सलामत हो भाई।"
"भाई इस सबका जिम्मेदार मैं हूॅ।" आशू राना ने दुखी भाव से कहा___"सारे फसाद की शुरुआत तो मैने ही की थी। मैं उस लड़की की रैगिंग कर रहा था। मेरी कुछ बातों से उस लड़की को गुस्सा आया और उसने मुझे सबके सामने थप्पड़ मार दिया था। उसके थप्पड़ मारने की वजह से ही मुझे गुस्सा आया हुआ था जिसकी वजह से मैं उसके साथ वो सब कर रहा था। तभी ये भाई आया और मुझे मारने लगा था। इससे मार और मात खा कर ही मैं तुम्हारे पास आया था कि तुम इसे सबक सिखा कर मेरा बदला लो। मगर कुछ और ही हो गया भाई।"

"तुमने ग़लत किया और उस ग़लती में मुझे भी शामिल करवा लिया।" राना के भाई ने कहा__"इसका नतीजा ये तो होना ही था छोटे। कितनी बार तुझे समझाया है कि ऐसे काम मत किया कर बल्कि पढ़ाई किया कर। मगर तू तो पापा पर गया है न। कहाॅ किसी की सुनोगे?"

"अब से सिर्फ तुम्हारी ही बात सुनूॅगा भाई कसम से।" आशू ने कहा___"मैं वो सब ग़लत काम छोड़ दूॅगा।"
"ये सब तो तुमने पहले भी जाने कितनी बार मुझसे कहा था छोटे।" आशू के भाई ने कहा___"मगर क्या तुम कभी अपने फैसले पर अटल रहे? नहीं न? रह भी नहीं सकते छोटे। तुम बिलकुल पापा की तरह हो जैसे उन्हें अपने गुरूर में किसी की परवाह नहीं थी। उसी का नतीजा था कि आज हम बिना माॅ के हैं। तुम भी उनकी तरह ही हो छोटे। आज अगर मैं मर भी जाता तो तुम पर और पापा पर कोई असर नहीं होता।"

"नहीं भाई ऐसा मत कहो प्लीज।" आशू रो पड़ा था, बोला___"मुझे याद है भाई कि आज तक तुमने कैसे मेरी माॅ बन कर मुझे पाला पोषा है। पापा ने तो कभी ध्यान भी नहीं दिया कि उनके बेटे किस हालें हैं। मैं आपकी कसम खा कर कहता हूॅ भाई कि मैं अब से आपका एक अच्छा भाई बन कर दिखाऊॅगा।"

"चल मान ली तेरी ये बात भी।" आशू के भाई ने कहा___"और अगर सचमुच ऐसा हो गया तो मैं तहे दिल से तुम्हारा शुक्रगुजार हूॅ दोस्त कि तुमने मेरी आज ये हालत कर दी। वरना भला कैसे मेरा भाई सही रास्ते पर चलने की बात करता।"

"बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।" मैने मुस्कुराते हुए कहा___"हो सकता है ये जो कुछ भी हुआ आज वो इसी अच्छे के लिए हुआ हो।"
"हाॅ दोस्त।" आशू के भाई ने कहा___"आज से तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो और मेरे इस नालायक भाई के भी। इसे अपने साथ ही रखना। और अगर कहीं ग़लती करे तो वहीं पर इसकी धुनाई भी कर देना। मैं कुछ नहीं बोलूॅगा।"

"भाई ये आप क्या कह रहे हैं?" आशू राना की ऑखें फैल गईं___"मुझे इसके साथ रहने को कह रहे हैं? ये हर रोज़ मेरी कुटाई करेगा भाई। प्लीज ऐसा मत कीजिए।"

"यार तुम ऐसा क्यों सोचते हो कि मैं तुम्हारी कुटाई करूॅगा?" मैने कहा___"तुम आज से मेरे दोस्त हो। हम सब साथ में ही पढ़ेंगे। लेकिन एक बात ज़रूर याद रखना कि भूल से भी किसी के साथ कोई बुरा बर्ताव नहीं करोगे। वरना सुन ही लिया है न कि भूषण भाई ने क्या कहा है। ख़ैर, मैं तुमसे ये कहना चाहता हूॅ कि एक ऐसा इंसान बनो आशू जिससे हर ब्यक्ति के दिल में तुम्हारे लिए इज्ज़त हो, प्यार हो और सम्मान हो। किसी का बुरा करने से या सोचने से कभी भी तुम लोगों की नज़र में अच्छे नहीं बन सकते। तुम खुद सोचो कि तुमने अपने ग़लत दोस्तों की शोहबत में अपनी क्या इमेज बना ली है सबके बीच? सब लोग तुमसे दूर भागते हैं। कोई भी अच्छा ब्यक्ति तुमसे किसी तरह का ताल्लुक नहीं रखना चाहता। लोग तुमसे तुम्हारे ग़लत ब्यौहार की वजह से कतराते हैं। किसी को डरा धमका कर तुम ये समझते हो कि लोगों के बीच तुम्हारा दबदबा है। जबकि ऐसी सोच सिरे से ही ग़लत है। क्योंकि वो लोग तुमसे डरते नहीं हैं बल्कि तुम जैसे बुरे इंसान के मुह नहीं लगना चाहते। इस लिए वो सब तुमसे दूर भागते हैं। इस लिए दोस्त ऐसा इंसान बनो जिसमें हर कोई तुम्हारे पास खुद आने के लिए रात दिन सोचे। और ये सब तभी होगा जब तुम सबके लिए अच्छा सोचोगे। किसी को अपने से कमज़ोर नहीं समझोगे।"

"वाह दोस्त।" भूषण राना प्रसंसा के भाव से कह उठा___"कितनी गहरी बातें कही है तुमने। काश तुम्हारी ये बातें मेरे इस छोटे को समझ आ जाएॅ और ये उसी राह पर चल पड़े जिस राह पर चलने से ये एक अच्छा इंसान बन जाए।"

"मैं चलूॅगा भाई।" आशू राना कह उठा__"अब से आपको कोई शिकायत का मौका नहीं दूॅगा। इस भाई की बात मेरी समझ में आ गई है। मुझे एहसास हो रहा है भाई कि इसने जो कुछ भी मेरे बारे में कहा वो एक कड़वा सच है। सच ही तो कहा है भाई ने कि सब लोग मेरे बुरे आचरण की वजह से मुझसे दूर भागते हैं। मगर अब ऐसा नहीं होगा भाई। मैं इसके साथ रह कर एक अच्छा इंसान बनूॅगा और ज़रूर बनूॅगा।"

"ये हुई न बात।" मैने कहा___"चल आजा इसी बात पर गले लग जा मेरे। कितनी बड़ी बात है कि आज काॅलेज के पहले ही दिन में पहले दुश्मनी हुई और फिर दोस्ती भी हो गई।"

आशू मेरे गले लग गया। मैने देखा बेड पर पड़े भूषण राना की ऑखों में खुशी के ऑसूॅ थे। कुछ देर और वहाॅ पर रुकने के बाद मैने भूषण राना से जाने की इजाज़त माॅगी तो उसने पहले मुझसे मेरा फोन नंबर लिया और मैने भी उसका लिया। फिर भूषण के कहने पर आशू मुझे भूषण की कार से काॅलेज तक छोंड़ा। पूरे रास्ते आशू राना का चेहरा खिला खिला नज़र आया मुझे। मैं समझ गया कि ये अब ज़रूर सुधर जाएगा।

काॅलेज के गेट के पास उतार कर आशू वापस लौट गया जबकि मैं पार्किंग की तरफ बढ़ गया अपनी बाइक को लेने के लिए। पार्किंग से अपनी बाइक पर सवार होकर अभी मैने बाइक को स्टार्ट करने के लिए सेल्फ पर अॅगूठा रखा ही था कि मेरा मोबाइल फोन बज उठा। मैने पैंट की जेब से मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर फ्लैश कर रहे नंबर को देखा तो मेरे चेहरे पर सोचने वाले भाव उजागर हो गए।
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RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 12:46 PM

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