non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:40 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
"काका इन सबको आज का भोजन दे दो।" रितू ने हरिया से कहा___"मगर भोजन भी वही देना जो हम कुत्तों को देते हैं। छलनी में आटा छालने से जो छलनी में बचता है ना उसी की मोटी रोटिया बनवाना और इन चारों को सिर्फ एक एक सूखी रोटी देना। जबकि इन दोनों गार्ड्स को ठीक ठाक भोजन दे देना। क्योंकि इन लोगों इन हरामियों के जैसा कोई अपराध नहीं किया है। ये तो बस गेहूॅ के साथ घुन की तरह यहाॅ पिसने आ गए हैं। इन्हें छोंड़ा नहीं जा सकता वरना ये दोनो उस चौधरी को यहाॅ की सारी बातें बता देंगे।"

"हम किसी से कुछ नहीं कहेंगे बेटी।" एक गार्ड शालीनता से बोला___"हम इन सबके बारे में सबकुछ जानते हैं। ये लोग सचमुच बहुत ही गंदे लोग हैं। हम तो ग़रीब आदमी हैं। दो पैसों के लिए इनके यहाॅ गार्ड की नौकरी कर रहे थे। ये लोग और इन लोगों के बाप जब भी फार्महाउस आते थे तो उन लोगों के साथ हर बार कोई दूसरी लड़कियाॅ होती थी। रात भर ये लोग अंदर अय्याशियाॅ करते। कुछ लड़कियों को ये लोग जबरदस्ती उठा लाते थे और उनकी इज्जत को तार तार करते थे। ये सब बड़े लोग हैं बेटी। पैसों की गरमी ने इन्हें शैतान बना दिया है।"

"साले हरामजादे हमारा नमक खाता है और हमारे ही बारे में ऐसी बातें करता है?" सूरज गुस्से में चीखा था।
"मेरे हाॅथ बॅधे हैं छोरे।" गार्ड ने कहा___"वरना तुझे बताता कि मुझे हरामजादा कहने का क्या अंजाम होता। नमक खाता था तो मुफ्त का नहीं खाता था समझे। बीस बीस घंटे चौकीदारी करता था तब तेरे बाप का नमक खाता था मैं। बात करता है साला रंडी की औलाद।"

"अपनी जुबान को लगाम दे कुत्ते।" सूरज पूरी शक्ति से चीखा था।
"कुत्ता तो तू है साले गस्ती की औलाद।" गार्ड ने भी ताव खाते हुए बोला___"इसी लिए तेरे लिए ऐसी रोटी बनने वाली है।"

सूरज खून के ऑसू पीकर रह गया। उसकी ऑखों में ज्वाला धधकने लगी थी। रितू उन दोनो की बाते सुन रही थी और सोच भी रही थी कि गार्ड तो बेचारे बेकसूर ही हैं। पर वो उन्हें छोंड़ कर कोई रिश्क नहीं लेना चाहती थी। क्योंकि ये भी हो सकता था कि वो दोनो अच्छा बनने का नाटक कर रहे हों। यानी सूरज ने उन लोगों को सिखाया पढ़ाया हो कि उसके आते ही हमें आपस में कैसी बातें करनी है। ताकि रितू यही समझे कि गार्ड्स बेकसूर हैं और वो उन्हें छोंड़ देने का विचार करे। और अगर वो छोंड़ देगी तो फिर वो यहाॅ से जाकर सीधा चौधरी को सारी बात बता देंगे। उसके बाद चौधरी रितू का हिसाब किताब कर लेता।

"काका, अभी भी इसमें गरमी बाॅकी है " रितू ने कहा___"इस लिए खिला पिला कर ज़रा अच्छे से फिर खातिरदारी करना। भोजन में कुत्ते वाली सिर्फ एक रोटी ही देना इन्हें। इसके बाद कल ही इन्हें खाना देना। अब चलती हूॅ मैं।"
"ठीक बिटिया।" हरिया खातिरदारी का सुन कर खुश हो गया था।

रितू पलट कर तहखाने के दरवाजे से बाहर निकल गई। उसके जाते ही हरिया ने तहखाने का दरवाजा बंद किया। एक कोने में रखे मोटे डंडे को उठाया और उन चारों की तरफ बढ़ा। हरिया को अपने करीब आते देख उन चारों की रूह काॅप गई।

"का रे मादरचोद।" हरिया ने सूरज की टाॅग में मोटा डंडा घुमा कर जड़ दिया___"बहुतै गरमी चढ़ रखी है न तोही। हम लोगन की गरमी को बहुतै अच्छे से उतारता हूॅ।"
"माफ कर दो काका।" सूरज ने सहसा हरिया से रिश्तेदारी जोड़ते हुए कह उठा___"ग़लती हो गई। अब कुछ नहीं कहूॅगा। प्लीज़ माफ़ कर दो न।"

"माफ़ी ता हम दे दूॅगा बछुवा।" हरिया ने डंडे को सूरज के पिछवाड़े पर हौले हौले सहलाते हुए कहा___"पर एखर कीमत दे का पड़ी। बोल दे सकत है तू कीमत?"
"कैसे कीमत काका?" सूरज ने नासमझने वाले भाव से कहा।

"ऊ का है ना बछुवा।" हरिया ने कहा___"हमका अपने जीवन मा एक बार ता जरूर केहू के गाॅड मारै का मन रहा। जब हमरी तोहरे काकी से शादी हुई ता हम बड़ा खुश हुए। सुहागरात मा हम तोहरे काकी से बोल दिये कि हमका तोर गाॅड मारै का है। पर ऊ ससुरी हमरी ई बात पर बिगड़ गै। फेर ता अइसनै चलत रहा बछुवा अउर हम आज तक केहू केर गाॅड मारै का ना पायन। एसे हम कहत हैं कि कीमत मा तोही आपन गाॅड हमसे मरावै का पड़ी।"

"नहीं नहीं।" सूरज हरिया की ये बात सुन कर अंदर तक काॅप गया।
"देख बछुवा ई ता तोही करै का पड़ी।" हरिया ने कठोरता से कहा__"ई हमरे खुशी का बात है। सरवा आज तक केहू केर गाॅड मारै का ना पायन हम। पर आज ता हम तोर गाॅड मार के रहब बछुवा। अब ई तै सोच ले कि तू ई सब खुशी मा करिहे या रोई रोई के। हीहीहीहीही।"

हरिया ज़ोर ज़ोर से हॅसे जा रहा था। उसकी हॅसी ने तहखाने में बड़ा ही भयानक वातावरण पैदा कर दिया था। उन चारी की अंतरआत्मा तक काॅप गई। सूरज तो हरिया को इस तरह देखने लगा था जैसे वह उसका काल हो।

"हमरे बिटिया केर बात ता तू लोग सुन ही लिये हो ना।" हरिया कह रहा था___"तू सब अब इहैं रहने वाले हो। अउर हम अब तू ससुरन के रोज बारी बारी से गाॅड मारब।"
"ऐसा मत करो काका हम तुम्हारे हाथ जोड़ते हैं प्लीज।" रोहित सहमे हुए से बोला।

हाँथ जोड़ै का कौनव फायदा ना होई बछुवा।" हरिया ने कहा___"काहे से के ई हमरे ख्वा....अरे ऊ का कहत हैं...ख्वाहिश...हाॅ ईहैं...हाॅ ता ई हमरे ख्वाहिश का बात है। गाॅड मारै का हमरा बहुतै ख्वाहिश है बछुवा। अब ई बात मा हम कौनव केर बात ना मानब। चल रे पहिले तोरै गाॅड का उद्घाटन हम करब हीहीही।"

सूरज की गाॅड में हरिया ने ज़ोर से मोटा डंडा जड़ दिया। सूरज दर्द के मारे पूरी शक्ति से चीखने लगा था। जबकि हरिया ने सूरज की कमर में बॅधे कपड़े को खोल कर एक तरफ उछाल दिया। सूरज बुरी तरह इधर उधर हो रहा था। मगर दोनो हाथ ऊपर बॅधे थे और दोनो पैर फैलाए हुए चारों के पैरों से बॅधे हुए थे।

"ई का रे रंडी केर दुम।" हरिया सूरज की लुल्ली को देख कर कहा___"ई ता बच्चन जइसन है रे। मादरचोद नामरद है का रे?"
"आहहहहह।" अपनी लुल्ली पर डंडे की हल्की मार पड़ते ही सूरज बिलबिला उठा था।

इधर हरिया ने ऊपर खूॅटी से रस्सी की गाॅठ खोल कर सूरज के ऊपर उठे हुए हाॅथों को नीचे की तरफ कर दिया। सूरज का बाजू बुरी तरह अकड़ गया था। कल से एक ही पोजीशन में बॅधा था वह। इस वक्त वह जन्मजात नंगा था। वह बुरी तरह हिल रहा था और हरिया से अपनी गाॅड न मारने के लिए विनती कर रहा था। मगर हरिया मानने वालों में से नहीं था।

"हमने कहा ना बछुवा।" हरिया ने सूरज की मुंडी पकड़ कर आगे की तरफ झुका दिया, फिर बोला___"हम कौनव बात ना मानब। ई हमरे ख्वाहिश केर बात है। एसे हम तोर गाॅड ता मरबै करब।"

हरिया ने अपनी सफेद धोती की गाॅठ छोरी और धोती को खोल कर ऊपर खूॅटी पर टाॅग दिया। सूरज थर थर काॅप रहा था। उसके हाॅथ आपस में अभी भी बॅधे हुए थे इस लिए वह ज्यादा कुछ कर नहीं सकता था। इस वक्त वह हरिया से ये सब न करने के लिए गिड़गिड़ाए जा रहा था।

"काहे बछुवा।" हरिया ने सूरज की नंगी गाॅड में ज़ोर से एक थप्पड़ लगाया, बोला___"अब काहे गिड़गिड़ाय रहा है। कछू याद है? अइसनै ऊ लड़कियन लोग भी तोहरे सामने गिड़गिड़ाती रही होंगी। मगर तू उन मा से केहू केर बात न माने रहे होई है ना? ता मादरजोद फेर हमसे कइसन या उम्मीद करत है कि हम तोर बात मान जाब रे वैश्या के जने सारे?"

सूरज के बगल से बॅधे बाॅकी तीनों ये सब डरे सहमे से देख रहे थे। उनकी हालत बहुत खराब थी। वो ये सोच सोच कर मरे जा रहे थे कि सूरज के बाद उनके साथ भी यही सब होगा। कभी स्वप्न में भी उन लोगों ने ये नहीं सोचा था कभी ऐसा भी वक्त उनके जीवन में आएगा।

"आआआहहहहह।" सूरज के मुख से दर्द भरी कराह निकल गई। हरिया उसके सामने आकर सूरज के सिर के बाल पकड़ कर उठाया था, बोला___"ले देख मादरचोद कि लौड़ा केही कहत हैं। देख न रंडी के पूत। हम चाहू ता अपने ई लौड़े से तुम सबकी एकै बार मा गाॅड फाड़ दूॅ मगर फाड़ूॅगा नहीं। हम ता एक एक करके अउर तसल्ली से तुम चारोन की गाॅड मारब ससुरे लोग।"

हरिया नीचे से नंगा हो चुका था और इस वक्त अपने मोटे तगड़े लौड़े को सूरज के चेहरे के बेहद पास सहला रहा था। सूरज झुका हुआ था क्योकि हरिया ने एक हाॅ से उसके सिर के बाल पकड़ कर उसे नीचे झुकाया हुआ था।

देखते ही देखते हरिया का लौड़ा अकड़ कर खड़ा हो गया। बाॅकी तीनों आश्चर्य से हरिया के लौड़े की तरफ देखे जा रहे थे। उन लोगों की ये सोच कर नानी मर गई कि यही लौड़ा उन लोगों की भी गाॅड मारेगा। हरिया सूरज के पीछे आ गया। अपने पीछे जाते देख सूरज फिर से बुरी तरह हिलने लगा। वह बार बार हरिया से मिन्नतें करने लगता था।

"चिन्ता ना कर बछुवा।" हरिया ने सूरज की गाॅड को फैलाते हुए कहा___"बस एकै बार तीनौ लोकन के दर्शन होई हैं ऊखे बाद ता मजा मिली। अउर हाॅ गाॅड का अपने ढीलै रखिहे नाहीं ता ससुरे फाट जाई ता हमरा दोष ना दीहे।"

सूरज बुरी तरह छटपटाए जा रहा था। मगर हट्टे कट्टे हरिया का एक हाॅथ सूरज के सिर पर था जिसे वह सूरज को नीचे झुके रहने के लिए मजबूर किये हुए था। जबकि दूसरे हाॅथ से वह ढेर सारा थूॅक लेकर उसे अपने लौड़े पर लगाया और फिर लौड़े पकड़ कर सूरज की गाॅड में सेट किया।

तहखाने में मौजूद बाॅकी तीनो वो लड़के और वो दोनो गार्ड्स फटी ऑखों से ये दृश्य देखे जा रहे थे। हरिया ने लौड़ा सेट कर गाॅड की तरब दबाव बढ़ाया।

"आआआहहहहह।" सूरज को दर्द होने लगा। उसकी गाॅड बेहद टाइट थी। जबकि हरिया का लौड़ा मोटा तगड़ा था। हर पल के साथ सूरज की हालत हलाल होते बकरे जैसी होती जा रही थी। वह बुरी तरह छटपटा रहा मगर हरिया की मजबूत पकड़ से वह छूट नहीं पा रहा था। बड़ी मुश्किल से हरिया के लौड़े का टोपा सूरज की गाॅड में घुसा। इतने में ही सूरज गला फाड़े चिल्लाने लगा था।

"सबर कर बछुवा।" हरिया ने कहा___"गला फाड़ने से का होई? ऊ ता हिम्मत रखै से होई। अउर ई ता अबे शुरूआतै हुआ है। अबे ता मंजिल बहुत बाॅकी है बछुवा।"
"आआहहहहहह मममममम्मी रेरेएएएएएए।" हरिया ने ज़ोर का झटका दिया। सूरज की गाॅड को चीरता हुआ हरिया का लौड़ा लगभग आधा घुस गया था। सूरज के मुख से बड़ी भयंकर चीख निकली थी। उसकी ऑखों के सामने अॅधेरा छा गया। सूरज बेहोश हो चुका था। उसकी हालत देख कर बाकी सब के होश उड़ गए। सूरज के दोस्त थर थर काॅपने लगे। वो अनायास ही ज़ोर ज़ोर से पागलों की तरह रोने चिल्लाने लगे।

"अबे चुप करा मादरचोदो वरना ई लौड़ा इसकी गाॅड से निकाल के तुम्हरी गाॅड में घुसेड़ दूॅगा हम।" हरिया गुर्राया तो वो डर के मारे एक दम से चुप हो गए। उनके चुप हो जाने के बाद हरिया ने सूरज की गाॅड में थप्पड़ मारते हुए बोला___"का बे मादरचोद। ससुरे इतने से ही टाॅय बोल गया रे। अभी ता हम पूरा लौड़ा डाला भी नहीं हूॅ।"

हरिया सूरज की गाॅड में धक्के लगाना शुरू कर दिया। हर धक्के के साथ वह थोड़ा बहुत लौड़े को सूरज की गाॅड में घुसेड़ता ही रहा था। सूरज बेहोशी की हालत में भी कराह रहा था। हरिया एक बार तेज़े से धक्का लगाया तो एच ज़ोरदार चीख के साथ सूरज होश में आ गया। होश में आते ही वह बुरी तरह रोने बिलखने लगा। रहम की भीख माॅगने लगा वह। मगर हरिया को तो अब जैसे न रुकना था और नाही रुका वह। तहखाने में सूरज का रोना और चिल्लाना ज़ारी रहा।
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