non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:39 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
रितू की प्रसंसा पाने से हरिया काका तन कर चलने लगा। वह शंकर को इस तरह देखने लगा था जैसे अब उसके सामने उसकी कोई औकात ही नहीं है। शंकर उसे इस तरह अकड़ते हुए चलते देख बुरा सा मुह बना कर रह गया।

"पर काका।" रितू ने कहा___"मुझे लगता है कि आपका ये दिमाग़ काकी की वजह से तेज़ हुआ है।"
"अरे का बात करती हो बिटिया?" हरिया काका ने नागवारी भरे भाव से कहा___"ऊ ससुरी तो शुरू से ही दिमाग़ से पैदल है। हमरे साथ रह रह के ही तो थोड़ा बहुत दिमाग़ आ गवा है उसमे।"

"ओए तूने भाभी जी को ससुरी बोला?" शंकर ने झड़प कर कहा हरिया से___"रुक अभी जा के बताता हूॅ उनसे।"
"अबे रुक जा बे खबीस।" हरिया काका की सारी अकड़ तेल लेने चली गई___"सरवा मरवाएगा का हमका?"

हाँ तो भाभी जी को ससुरी क्यों बोला?" शंकर अभी भी उसे घुड़कता बोला__"और क्या बोला कि तेरे साथ रह रह कर ही उनमें थोड़ा बहुत अकल आई है। साला झूॅठा कहीं का।"
"तू ना अब मुह बंद ही कर ले समझा।" हरिया भी ताव खा गया___"वरना उल्टा तुझे ही पिटवा दूॅगा मैं उस ससुरी से।"

"वो कैसे भला?" शंकर बुरी तरह हैरान।
"अरे हम कह देंगे कि ये शंकरवा तुझे कहत रहा कि अब भौजी ससुरी बुड्ढी होई गई है।" हरिया ने कहा___"अउर ये भी कह देंगे कि मोटी भैस जइसन होई गई है।"

"ओये ये मैने कब कहा?" शंकर परेशान।
"नहीं कहा ता का हुआ?" हरिया बोला__"हम ता कह देंगे न कि ई शंकरवा अइसनै कहत रहा।"
"देखा रितू बिटिया।" शंकर ने मानो रितू से गुहार लगाई___"ये जबरदस्ती मुझे अपनी जोरू से पिटवाना चाहता है।"

"चिन्ता मत कीजिए काका।" रितू ने कहा___"सिर्फ आप ही बस नहीं पिटेंगे बल्कि आपके साथ साथ हरिया काका भी काकी से पिटेंगे।"
"अरे ई का कहत हो बिटिया?" हरिया काका ने हड़बड़ा कर कहा___"हम भला काहे पिटेंगे ऊ ससुरी से?"

"वो इस लिए कि मैं काकी से बताऊॅगी कि काका आपको जब देखो तब दिमाग़ से पैदल और ससुरी ससुरी कहते रहते हैं।" रितू ने कहा___"आपकी तो कोई इज्ज़त ही नहीं करते ये दोनो। फिर देखना काका, कैसे आप दोनो का हाल बनाएॅगी काकी।"
"अरे हमका माफ़ कर दो बिटिया।" काका ने दोनो हाॅथ जोड़ लिए बोला___"ई सब ना ई शंकरवा की कारण होई जात है। वरना हम ता बिंदिया की बहुत इज्जत करत हैं। ऊ ता हमरी जान है, प्राण प्यारी है बिटिया।"

"अच्छा छोड़ो ये सब।" रितू ने कहा__"अब चलिये उन सबका हाल चाल भी तो देखना है।"
"ठीक है बिटिया चलो।" हरिया ने कहा और फिर वो रितू के पीछे चल दिया। जबकि शंकर लोहे वाले गेट की तरफ बढ़ गया।

कुछ ही देर में रितू और हरिया काका तहखाने में पहुॅचे। तहखाना काफी बड़ा था। वहाॅ पर सामान तो कुछ नहीं था बस ज़मीन पर सीलन जैसा प्रतीत होता था। दीवार के चारो तरफ बल्ब लगे हुए थे। एक तरफ की दीवार से सटे वो चारो रस्सी में बॅधे खड़े थे। सभी के हाॅथों को ऊपर करके बाॅधा गया था और पैरों को नीचे विश्राम की पोजीशन में चारों लड़कों के पैरों से जोड़ते हुए बाॅधा गया था। लेकिन उनमें से कोई भी अपने पैरों को हिला नहीं सकता था। दोनो तरफ की दीवारों पर एक एक तरफ से पैरों में बॅधी रस्सी को खींच कर बाॅधा गया था।

उन चारों की हालत बहुत ही अजीब हो गई थी। डर और दहशत से उन सभी का बुरा हाल था। पहले से ही रितू की मार से लहू लुहान थे वो चारो और अब इस डर व भय ने उनकी हालत खराब कर दी थी जाने वो यहाॅ कैसे और क्यों लाए गए हैं। ये तो वो भी समझ चुके थे कि उनके साथ कुछ बहुत ही बुरा होने वाला है।

तहखाने में दो तरफ के बल्ब जल रहे थे। इस लिए तहखाने में काफी रोशनी थी। पसीने तथपथ उन चारों के चेहरों को बखूबी देखा जा सकता था। रितू और हरिया काका जैसे ही तहखाने में पहुॅचे तो उन चारो ने उनकी आहट से अपनी अपनी गर्दन उठा कर सामने देखा। रितू पर नज़र पड़ते ही सबकी घिग्घी बॅध गई। चेहरे पर डर के मारे हल्दी सी पुत गई। जूड़ी के मरीज़ की तरफ एकदम से काॅपने लगे थे वो चारो।

"काका इन लोगों की खातिरदारी नहीं की क्या आपने?" रितू ने उन चारों को एक एक नज़र देखने के बाद हरिया से कहा था।
"अरे हमरा मन ता बहुत रहा बिटिया।" हरिया ने कहा___"लेकिन ऊ का है न हमका परमीशॅनवा ही मिला था। वरना हम ता इन ससुरन की अइसन पेलाई करते कि ई ससुरे यहीं पषर टट्टी कर देते।"

"चलो अच्छा हुआ काका जो मैने आपको परमीशन नहीं दी थी।" रितू ने कहा___"वर्ना अगर ये टट्टी कर देते तो साफ भी तो आपको ही करना पड़ता न?"
"अरे हाॅ बिटिया।" हरिया ने हैरानी से कहा___"ई ता हम सोचे ही नहीं। पर कउनव बात नहीं बिटिया। हम ता साफ न करते लेकिन ई सब ससुरे लोग जरूर साफ करते। अउर ना करते तो हम ई ससुरन का अउर अच्छे से पेलते।"

रितू ने हरिया की बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया बल्कि वह ऑखों में आग लिए उन चारो की तरफ बढ़ी। उन सबकी हालत बड़ी ही दयनीय हो गई। उन सबकी टाॅगें इस तरह काॅपने लगी थी जैसे उन पर अब उनका कोई ज़ोर ही न रह गया हो।

"क्या सोचा था तुम सबने? रितू के मुख से शेरनी की सी गुर्राहट निकली___"इतने सारे गुनाह करके तुम सब बड़े मज़े में रहोगे?? कोई तुम्हारा बाल बाॅका कर ही नहीं सकता?"

"ह हमें माफ़ कर दो।" सूरज चौधरी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा___"हम किसी के साथ कोई भी ग़लत काम नहीं करेंगे अब।"
"करोगे तो तब जब करने के लिए ज़िंदा बचोगे।" रितू ने बर्फ की मानिन्द ठंडे स्वर में कहा___"अब तो तुम चारों का रिज़र्वेशन हो गया है नरक में जाने का। लेकिन चिन्ता मत करो क्योंकि नरक में यहाॅ से ज्यादा तुम लोगों को यातनाएॅ नहीं सहनी पड़ेगी।"

"नहीं नहीं।" रोहित बुरी तरह रो पड़ा__"हमें कुछ मत करो प्लीज़। हम मरना नहीं चाहते। आ आख़िर किस वजह से तुम हमारे साथ ये सब कर रही हो? हमें यहाॅ से जाने दो इंस्पेक्टर वरना तुम नहीं जानती कि हमें इस तरह यहाॅ बंधक बना कर रखने से तुम्हारा क्या अंजाम हो सकता है?"

"और तुम्हें भी ये अंदाज़ा नहीं है लड़के कि मैं तुम सबके बापों के साथ क्या कर सकती हूॅ?" रितू ने सहसा रोहित के सिर के बाल को मुट्ठी मे पकड़ कर खींचते हुए कहा___"अगर मैं चाहूॅ तो इसी वक्त तुम्हारे बापों बीच चौराहे पर नंगा करके दौड़ाऊॅ। मगर फिलहाल ये बाद में अभी तो तुम सबके साथ ही हिसाब किताब करना है।"

"हरामज़ादी कुतिया साली हमारे बाप को बीच चौराहे पर नंगा दौड़ाएगी तू।" सहसा सूरज चौधरी गुर्रा उठा___"एक बार मेरे हाॅथ पैर खोल दे फिर देख तेरा क्या हस्र करता हूॅ मैं?"
"देखा था सुअर की औलाद।" रितू नोंकदार बूट की ठोकर ज़ोर से सूरज के पेट में मारते हुए कहा। सूरज के मुख से हलाल होते बकरे की सी चीखें निकली जबकि रितू बोली__"उस दिन तेरी मर्दानगी भी देखी थी। तुम सबकी देखी थी। उसी का नतीजा है कि आज यहाॅ बॅधे पड़े हो।"

"हमें छोड़ दो इंस्पेक्टर।" किशन ने गुहार लगाते हुए कहा___"आख़िर हमने किया क्या है? किस लिए हमें यहाॅ लाकर हमारे साथ ये सब कर रही हो तुम?"
"काका, इसे पता ही नहीं है कि इसने किया क्या है?" रितू ने कहा___"ये साला ऐसा शरीफ बन रहा है बहनचोद जैसे इसने कभी किसी चींटी तक को चोंट न पहुॅचाई हो।"

"ज़ुबान सम्हाल कर बात करो इंस्पेक्टर।" सहसा सूरज कह उठा___"और याद रखो कि अगर हममें से किसी को भी कुछ हुआ तो उसका खामियाजा तुम्हें और तुम्हारे पूरे खानदान को भुगतना होगा।"
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