non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:32 PM,
#89
RE: non veg kahani एक नया संसार
चौहान भौचक्का सा डाक्टर को देखता रह गया था। उसके दिलो दिमाग़ में अभी तक धमाके हो रहे थे। असहाय अवस्था में बैठा रह गया था वह।

तभी केबिन का गेट खुला और एक नर्स अंदर दाखिल हुई।
"सर वो पुलिस बाहर आपका इन्तज़ार कर रही है।" नर्स ने डाक्टर की तरफ देख कर कहा था।

"ठीक है हम आते हैं।" डाक्टर ने उससे कहा फिर चौहान की तरफ देख कर कहा__"मिस्टर चौहान आइए चलते हैं।"

उसके बाद दोनो केबिन के बाहर आ गए। चौहान के चेहरे से ही लग रहा था कि वह दुखी है, किन्तु अपने इस दुख को वह जज़्ब करने की कोशिश कर रहा था।

बाहर गैलरी में आते ही डाक्टर को पुलिस के कुछ शिपाही दिखाई दिये। वह चौहान के साथ चलता हुआ रिसेशन पर पहुॅचा। जहाँ पर इंस्पेक्टर की वर्दी में रितू खड़ी थी। सिर पर पी-कैप व दाहिने हाँथ में पुलिसिया रुल था जिसे वह कुछ पलों के अन्तराल में अपनी बाॅई हथेली पर हल्के से मार रही थी।

"हैलो इंस्पेक्टर।" डाक्टर रितू के पास पहुॅचते ही बोला था।
"क्या उस लड़की को होश आ गया डाक्टर?" रितू ने पुलिसिया अंदाज़ में पूछा__"मुझे उसका स्टेटमेन्ट लेना है।"

"मिस रितू।" डाक्टर ने कहा__"बस कुछ ही समय में उसे होश आ जाएगा फिर आप उसका बयान ले सकती हैं।" डाक्टर ने कहने के साथ ही चौहान की तरफ इशारा करते हुए कहा__"ये उस लड़की के पिता हैं। मिस्टर शैलेन्द्र चौहान।"

"ओह आई सी।" रितू ने चौहान की तरफ देखते हुए कहा__"मुझे दुख है अंकल कि आपकी बेटी के साथ ऐसा हादसा हुआ?"
"सब भाग्य की बातें हैं बेटा।" चौहान ने हारे हुए खिलाड़ी की तरह बोला__"हम चाहे सारी ऊम्र सबके साथ अच्छा करते रहें और सबका अच्छा भला सोचते रहें लेकिन हमें हमारे भाग्य से जो मिलना होता है वो मिल ही जाता है।"

"हाँ ये तो है अंकल।" रितू ने कहा__"ख़ैर, आपकी बेटी का ये केस फाइल हो चुका है, बस आपके साइन की ज़रूरत है। लड़की के बयान के बाद पुलिस इस केस को अच्छी तरह देख लेगी। जिसने भी इस घिनौने काम को अंजाम दिया है उसको बहुत जल्द जेल की सलाखों के पीछे अधमरी अवस्था में पाएंगे आप।"

"उससे क्या होगा बेटी?" चौहान ने गंभीरता से कहा__"क्या वो सब वापस हो जाएगा जो लुट गया या बरबाद हो गया है?"
"आप ये कैसी बातें कर रहे हैं अंकल?" रितू ने हैरत से कहा__"क्या आप नहीं चाहते कि जिसने भी आपकी बेटी के साथ ये किया है उसे कानून के द्वारा शख्त से शख्त सज़ा मिले?"

"उसे कानून नहीं।" चौहान के चेहरे पर अचानक ही हाहाकारी भाव उभरे__"उसे मैं खुद अपने हाथों से सज़ा दूॅगा। तभी मेरी और मेरी बेटी की आत्मा को शान्ती मिलेगी।"

"तो क्या आप कानून को हाथ में लेंगे?" रितू ने कहा__"नहीं अंकल, ये पुलिस केस है और उसे कानूनन ही सज़ा प्राप्त होगी।"
"तुम अपना काम करो बेटी।" चौहान ने कहा__"और मुझे मेरा काम अपने तरीके से करना है।"

तभी वहाँ पर एक नर्स आई। उसने बताया कि उस लड़की को होश आ गया है और उसे दूसरे रूम में शिफ्ट कर दिया गया है। नर्स की बात सुनकर डाक्टर ने रितू को उससे बयान लेने की परमीशन दी किन्तु ये भी कहा कि पेशेन्ट को ज्यादा किसी बात के लिए मजबूर न करें। चौहान साथ में जाना चाहता था किन्तु रितू ने ये कह कर उसे रोंक लिया कि ये पुलिस केस है इस लिए पहले पुलिस उससे मिलेगी और उसका बयान लेगी।

इंस्पेक्टर रितू अपने साथ एक महिला शिपाही को लिए उस कमरे में पहुॅची जिस कमरे में उस लड़की को शिफ्ट किया गया था। डाक्टर खुद भी साथ आया था। किन्तु फिर एक नर्स को कमरे में छोंड़ कर वह बाहर चला गया था।

हास्पिटल वाले बेड पर लेटी वह लड़की आँखें बंद किये लेटी थी। ये अलग बात है कि उसकी बंद आँखों की कोरों से आँसूॅ की धार सी बहती दिख रही थी। उसके शरीर का गले से नीचे का सारा हिस्सा एक चादर से ढ्का हुआ था। कमरे में कुछ लोगों के आने की आहट से भी उसने अपनी आँखें नहीं खोली थी। बल्कि उसी तरह पुर्वत् लेटी रही थी वह।

"अब कैसी तबियत है तुम्हारी?" रितू उसके करीब ही एक स्टूल पर बैठती हुई बोली थी। उसके इस प्रकार पूॅछने पर लड़की ने अपनी आँखें खोली और रितू की तरफ चेहरा मोड़ कर देखा उसे। रितू पर नज़र पड़ते ही उसकी आँखों में हैरत के भाव उभरे। ये बात रितू ने भी महसूस की थी।

"अब कैसा फील कर रही हो?" रितु ने पुनः उसकी तरफ देख कर किन्तु इस बार हल्के से मुस्कुराते हुए पूछा__"अगर अच्छा फील कर रही हो तो अच्छी बात है। मुझे तुमसे इस वारदात के बारे में कुछ पूछताॅछ करनी है। लेकिन उससे पहले मैं तुम्हें ये बता दूॅ कि तुम्हें मुझसे भयभीत होने की कोई ज़रूरत नहीं है। मैं भी तुम्हारी तरह एक लड़की ही हूँ और हाँ तुम मुझे अपनी दोस्त समझ सकती हो, ठीक है ना?"

लड़की के चेहरे पर कई सारे भाव आए और चले भी गए। उसने रितू की बातों का अपनी पलकों को झपका कर जवाब दिया।

"ओके, तो अब तुम मुझे सबसे पहले अपना नाम बताओ।" रितू ने मुस्कुरा कर कहा।
"वि वि...विधी।" उस लड़की के थरथराते होठों से आवाज़ आई।

उसका नाम सुन कर रितू को झटका सा लगा। मस्तिष्क में जैसे बम्ब सा फटा था। चेहरे पर एक ही पल में कई तरह के भाव आए और फिर लुप्त हो गए। रितू ने सीघ्र ही खुद को नार्मल कर लिया।

"ओह....कितना खूबसूरत सा नाम है तुम्हारा।" रितू ने कहा। उसके दिमाग़ में कुछ और ही ख़याल था, बोली__"विधी...विधी चौहान, राइट?"

लड़की की आँखों में एक बार पुनः चौंकने के भाव आए थे। एकाएक ही उसका चेहरा सफेद फक्क सा पड़ गया था। चेहरे पर घबराहट के चिन्ह नज़र आए। उसने अपनी गर्दन को दूसरी तरफ मोड़ लिया।

"तो विधी।" रितू ने कहा__"अब तुम मुझे बेझिझक बताओ कि क्या हुआ था तुम्हारे साथ?"

रितू की बात पर विधी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वह दूसरी तरफ मुह किये लेटी रही। जबकि उसकी ख़ामोशी को देख कर रितू ने कहा__"देखो ये ग़लत बात है विधी। अगर तुम कुछ बताओगी नहीं तो मैं कैसे उस अपराधी को सज़ा दिला पाऊॅगी जिसने तुम्हारी यानी मेरी दोस्त की ऐसी हालत की है? इस लिए बताओ मुझे....सारी बातें विस्तार से बताओ कि क्या और कैसे हुआ था?"

"मु मुझे कुछ नहीं पता।" विधी ने दूसरी तरफ मुह किये हुए ही कहा__"मैं नहीं जानती कि किसने कब कैसे मेरे साथ ये सब किया?"
"तुम झूॅठ बोल रही विधी।" रितू की आवाज़ सहसा तेज़ हो गई__"भला ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम्हारे साथ इतना कुछ हुआ और तुम्हें इस सबके बारे में थोड़ा सा भी पता न हुआ हो?"

"भला मैं झूॅठ क्यों बोलूॅगी आपसे?" विधी ने इस बार रितू की तरफ पलट कर कहा था।
"हाँ लेकिन सच भी तो नहीं बोल रही हो तुम?" रितू ने कहा__"आख़िर वो सब बताने में परेशानी क्या है? देखो अगर तुम नहीं बताओगी तो सच जानने के लिए पुलिस के पास और भी तरीके हैं। कहने का मतलब ये कि, हम ये पता लगा ही लेंगे कि तुम्हारे साथ ये सब किसने किया है?"

बेड पर लेटी विधी के चेहरे पर असमंजस व बेचैनी के भाव उभरे। कदाचित् समझ नहीं पा रही थी कि वह रितू की बातों का क्या और कैसे जवाब दे?

"तुम्हारे चेहरे के भाव बता रहे हैं विधी कि तुम मेरे सवालों से बेचैन हो गई हो।" रितू ने कहा__"तुम जानती हो कि तुम्हारे साथ ये सब किसने किया है। लेकिन बताने में शायद डर रही हो या फिर हिचकिचा रही हो।"

विधी ने कमरे में मौजूद लेडी शिपाही व नर्स की तरफ एक एक दृष्टि डाली फिर वापस रितू की तरफ दयनीय भाव से देखने लगी। रितू को उसका आशय समझते देर न लगी। उसने तुरंत ही लेडी शिपाही व नर्स को बाहर जाने का इशारा किया। नर्स ने बाहर जाते हुए इतना ही कहा कि पेशेन्ट को किसी बात के लिए ज्यादा मजबूर मत कीजिएगा क्योंकि इससे उसके दिलो दिमाग़ पर बुरा असर पड़ सकता है। नर्स तथा लेडी शिपाही के बाहर जाने के बाद रितू ने पलट कर विधी की तरफ देखा।

"देखो विधी, अब इस कमरे में हम दोनो के सिवा दूसरा कोई नहीं है।" रितू ने प्यार भरे लहजे से कहा__"अब तुम मुझे यानी अपनी दोस्त को बता सकती हो कि ये सब तुम्हारे साथ कब और किसने किया है?"

"क..क कल मैं अपने एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में गई थी।" विधी ने मानो कहना शुरू किया, उसकी आवाज़ में लड़खड़ाहट थी__"वहाँ पर हमारे काॅलेज की कुछ और लड़कियाॅ थी जो हमारे ही ग्रुप की फ्रैण्ड्स थी और साथ में कुछ लड़के भी। पार्टी में सब एंज्वाय कर रहे थे। मेरी दोस्त परिधि ने मनोरंजन का सारा एरेन्जमेन्ट किया हुआ था। जिसमें बियर और शराब भी थी। दोस्त के ज़ोर देने पर मैंने थोड़ा बहुत बियर पिया था। लेकिन मुझे याद है कि उस बियर से मैने अपना होश नहीं खोया था। हम सब डान्स कर रहे थे, तभी मेरी एक फ्रैण्ड ने मेरे हाँथ में काॅच का प्याला पकड़ाया और मस्ती के ही मूड में मुझे पीने का इशारा किया। मैंने भी मुस्कुरा कर उसके दिये हुए प्याले को अपने मुह से लगा लिया और उसे धीरे धीरे करके पीने लगी। किन्तु इस बार इसका टेस्ट पहले वाले से अलग था। फिर भी मैंने उसे पी लिया। कुछ ही देर बाद मेरा सर भारी होने लगा। वहाँ की हर चीज़ मुझे धुंधली सी दिखने लगी थी। उसके बाद मुझे नहीं पता कि किसने मेरे साथ क्या किया? हाँ बेहोशी में मुझे असह पीड़ा का एहसास ज़रूर हो रहा था, इसके सिवा कुछ नहीं। जब मुझे होश आया तो मैंने अपने आपको यहाँ हास्पिटल में पाया। मुझे नहीं पता कि यहाँ पर मैं कैसे आई? लेकिन इतना जान चुकी हूँ कि मेरा सबकुछ लुट चुका है, मैं किसी को मुह दिखाने के काबिल नहीं रही।"

इतना सब कहने के साथ ही विधी बेड पर पड़े ही ज़ार ज़ार रोने लगी थी। उसकी आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। इंस्पेक्टर रितू उसकी बात सुनकर पहले तो हैरान रही फिर उसने उसे बड़ी मुश्किल से शान्त कराया।

"तुम्हें यहाँ पर मैं लेकर आई थी विधी।" रितू ने गंभीरता से कहा__"पुलिस थाने में किसी अंजान ब्यक्ति ने फोन करके हमें सूचित कर बताया कि शहर से बाहर मेन सड़क के नीचे कुछ दूरी पर एक लड़की बहुत ही गंभीर हालत में पड़ी है। वो जगह हल्दीपुर की अंतिम सीमा के पास थी, जहाँ से हम तुम्हें उठा कर यहाँ हास्पिटल लाए थे।"

"ये आपने अच्छा नहीं किया।" विधी ने सिसकते हुए कहा__"उस हालत में मुझे वहीं पर मर जाने दिया होता। कम से कम उस सूरत में मुझे किसी के सामने अपना मुह तो न दिखाना पड़ता। मेरे घर वाले, मेरे माता पिता को मुझे देख कर शर्म से अपना चेहरा तो न झुका लेना पड़ता।"

"देखो विधी।" रितू ने समझाने वाले भाव से कहा__"इस सबमें तुम्हारी कोई ग़लती नहीं है और ये बात तुम्हारे पैरेन्ट्स भी जानते और समझते हैं। ग़लती जिनकी है उन्हें इस सबकी शख्त से शख्त सज़ा मिलेगी। तुम्हारे साथ ये अत्याचार करने वालों को मैं कानून की सलाखों के पीछे जल्द ही पहुचाऊॅगी।"

विधी कुछ न बोली। वह बस अपनी आँखों में नीर भरे देखती रही रितू को। जबकि,,

"अच्छा ये बताओ कि तुम्हारी दोस्त की पार्टी में उस वक्त कौन कौन मौजूद था जिनके बारे में तुम जानती हो?" रितू ने पूछा__"साथ ही ये भी बताओ कि तुम्हें उनमें से किन पर ये शक़ है कि उन्होने तुम्हारे साथ ऐसा किया हो सकता है? तुम बेझिझक होकर मुझे उन सबका नाम पता बताओ।"

विधी कुछ देर सोचती रही फिर उसने पार्टी में मौजूद कुछ लड़के लड़कियों के बारे में रितू को बता दिया। रितू ने एक काग़ज पर उन सबका नाम पता लिख लिया। उसके बाद कुछ और पूछताछ करने के बाद रितू कमरे से बाहर आ गई।

रितू को डाक्टर ने बताया कि वो लड़की दो महीने की प्रैग्नेन्ट है। ये सुन कर रितू बुरी तरह चौंकी थी। हलाॅकि मिस्टर चौहान ने डाक्टर को मना किया था कि ये बात वह किसी को न बताए। किन्तु डाक्टर ने अपना फर्ज़ समझ कर पुलिस के रूप में रितू को बता दिया था।

रितू ने मिस्टर चौहान को एक बार थाने में आने का कह कर हास्पिटल से निकल गई थी। उसके मस्तिष्क में एक ही ख़याल उछल कूद मचा रहा था कि 'क्या ये वही विधी है जिसे विराज प्यार करता था'???? रितू ने कभी विधी को देखा नहीं था, और नाही उसके बारे में उसके भाई विराज ने कभी बताया था। उसे तो बस कहीं से ये पता चला था कि उसका भाई विराज किसी विधी नाम की लड़की से प्यार करता है। इस लिए आज जब उसने उस लड़की के मुख से उसका नाम विधी सुना तो उसके दिमाग़ में तुरंत ही उस विधी का ख़याल आ गया जिस विधी नाम की लड़की से उसका भाई प्यार करता है। रितु के मन में पहले ये विचार ज़रूर आया कि वह एक बार उससे ये जानने की कोशिश करे कि क्या वह विराज को जानती है? लेकिन फिर उसने तुरंत ही अपने मन में आए इस विचार के तहत उससे इस बारे में पूछने का ख़याल निकाल दिया। उसे लगा ये वक्त अभी इसके लिए सही नहीं है।
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