non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:15 PM,
#34
RE: non veg kahani एक नया संसार
"फिर भी करुणा।" प्रतिमा ने कहा__"मन को कितना भी बहला लो लेकिन जो तक़लीफ और दुख का कारण है उसका ख्याल तो आ ही जाता है। जवान औरत को अपनी सेक्स की गर्मी को बर्दास्त कर पाना ज़रा मुश्किल होता है।"

"किया भी क्या जा सकता है? करुणा ने सिर झुकाते हुए कहा__"इन्होंने तो जैसे कसम खा ली है कि इलाज़ नहीं करवाएंगे। क्या उनकी इच्छा नहीं होती होगी इसकी? मगर जैसे उन्होंने खुद की इच्छाओं को दबा लिया है वैसे ही मैने भी दबा लिया है।"

"हाय कैसे रह लेती हो तुम?" प्रतिमा ने कहने के साथ ही साड़ी के ऊपर से करुणा की नज़र में अपनी चूत को मसला__"मुझसे तो एक दिन भी बगैर लंड के नहीं रहा जाता। हर रात रगड़ रगड़ कर चुदवाना पड़ता है शिवा के डैड से। मौका मिलता है तो दिन में भी चुदवा लेती हूॅ। कसम से करुणा शिवा के डैड का लंड घोड़े जैसा है और जब तक उस घोड़े जैसे लंड से अपने आगे पीछे पेलवा नहीं लेती न तब तक चैन नहीं आता।"

"आपके मज़े हैं फिर तो।" करुणा ने हॅसते हुए कहा__"आपका भाग्य अच्छा है दीदी, जो आपको इतना कुछ मिल रहा है।"
"भाग्य बनाना पड़ता है छोटी।" प्रतिमा ने कहा__"तुमने अपना भाग्य खुद ही बिगाड़ रखा है तो कोई क्या कर सकता है?"

"मैंने कैसे अपना भाग्य बिगाड़ लिया भला?" करुणा के माॅथे पर अनायास ही बल पड़ता चला गया__"आप तो जानती हैं कि....ये,
"एक ही बात है।" प्रतिमा ने करुणा की बात को काटकर कहा__"वर्ना चार दिन की ज़िन्दगी में हर चीज़ का मज़ा लिया जा सकता है।"

"मतलब???" करुणा ने नासमझने वाले भाव से पूॅछा।
"अब अगर मैं कुछ कहूॅगी तो तुम्हें लगेगा कि ये मैं क्या ऊल जलूल बक रही हूॅ?" प्रतिमा ने अजीब भाव से कहा था।

"मैं ऐसा क्यों कहूॅगी दीदी?" करुणा ने हॅस कर कहा।
"तुम भी जानती होगी कि बड़े बड़े शहरों में कैसे लोग हर पल का आनंद लेते हैं?" प्रतिमा ने धड़कते दिल के साथ कहा__"वहाॅ शहरों में कोई औरत तुम्हारी तरह इस तरह नहीं बैठी नहीं रह जाती हैं बल्कि ऐसे हालात में भी अपने जिस्म की भूॅख को मिटाने के लिए रास्ता खोज लेती हैं।"

"क्या मतलब??" करुणा ने हैरानी से पूॅछा था__"किस तरह का रास्ता दीदी??"
"ज्यादा भोली न बनो तुम।" प्रतिमा ने कहने के साथ ही अजीब सा मुॅह बनाया फिर मुस्कुरा कर बोली__"तुम भी अच्छी तरह जानती हो कि मेरे कहने का क्या मतलब था?"

"कसम से दीदी मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि आप क्या कह रही हैं?" करुणा ने कहा।
"जैसे लड़के लड़कियाॅ गर्लफ्रैण्ड ब्वायफ्रैण्ड बना कर शादी के पहले ही सब कुछ कर लेते हैं न।" प्रतिमा ने कहा__"उसी तरह शादीशुदा औरत मर्द भी करते हैं। फर्क ये है कि कोई खुशी खुशी करता है और कोई यही सब मजबूरी में करता है।"

"ओह! तो आप ये कहना चाहती हैं कि जैसे शहर के औरत मर्द शादी के बाद भी किसी को गर्लफ्रैण्ड व ब्वायफैण्ड बना कर सब कुछ करते हैं।" करुणा कह रहक थी__"वैसे ही उनकी तरह मुझे भी करना चाहिए?"

"तो इसमें ग़लत क्या है?" प्रतिमा ने कह दिया ये अलग बात है कि इसके साथ ही उसके दिल की धड़कन भयवश बढ़ गई थी।

"क्या???" करुणा ने बुरी तरह उछलते हुए कहा__"मतलब आप इस चीज़ को ग़लत नहीं मानती हैं??"
"बिलकुल।" प्रतिमा ने स्पष्ट लहजे में कहा__"हर इंसान की अपनी ज़रूरतें और चाहतें हैं, और ज़रूरतों तथा अपनी चाहतों को पूरा करना ग़लत नहीं हो सकता।"

"मतलब आप अगर मेरी जगह होतीं तो वो सब ज़रूर करतीं?" करुणा ने चकित भाव से कहा__"जो आज के समय में शहर वाले करते हैं?"

"बेशक।" प्रतिमा ने कहा__"जैसा कि मैने पहले ही बताया कि अपनी ज़रूरतों और चाहतों को पूरा करना कोई ग़लत नहीं है। जैसे मर्द अपनी खुशी के लिए हम पत्नियों के रहते हुए भी बाहरी औरत से जिस्मानी संबंध बना लेते हैं वैसे ही हम औरते किसी गैर मर्द से संबंध क्यों नहीं बना सकतीं? आख़िर इन सबके लिए हम औरतों पर ही पाबंदी क्यों? क्या हमारी इच्छाओं तथा ख्वाहिशों का कोई मोल नहीं?"

करुणा चकित थी प्रतिमा की बातें सुन कर। उसका मुॅह भाड़ की तरह खुला रह गया था।

"इतना हैरान न हो छोटी।" प्रतिमा कह रही थी__"आज के समय की यही सच्चाई है और यही माॅग भी है। ये सब बातें ऐसी नहीं हैं जिनके बारे में तुम्हें पता नहीं होगा।"

"हाॅ सुना तो मैंने भी है दीदी।" करुणा ने कहा__"मगर ये भी जानती हूॅ कि हर इंसान की अपनी अपनी सोच होती है, जिसे जो अच्छा लगता है वो वही करता है।"

"अपनी इच्छाओं का गला घोंट कर जीना कोई बुद्धिमानी नहीं है।" प्रतिमा ने एक लम्बी साॅस खींचते हुए कहा__"मर्द अगर हमारी ज़रूरत पूरी नहीं कर सकता तो ये उसकी ग़लती है। किसी चीज़ की कुर्बानी देना अच्छी बात है लेकिन इस तरह नहीं....अगर इलाज़ संभव है तो उसका इलाज़ करवाना ही चाहिए।"

करुणा भला क्या कहती? उसका दिमाग़ तो जैसे जाम हो गया था। प्रतिमा बड़े ग़ौर से करुणा को देखने लगी थी। उसने मन ही मन सोचा कि ऐसा क्या करूॅ कि ये शीशे में उतर जाए? कुछ समय तक जब कोई कुछ न बोला तो सहसा करुणा चौंकी, जाने किन खयालों में खो गई थी वह?

"आप बैठिए दीदी।" करुणा ने सहसा उठते हुए कहा__"मैं आपके लिए चाय बना कर लाती हूॅ।"
"अरे रहने दो छोटी।" प्रतिमा ने कहा__"मैं चाय पीकर आई थी।"

"तो क्या हुआ दीदी।" करुणा ने हॅस कर कहा__"मेरे हाॅथ की भी पी लीजिए चाय।"
"अच्छा ठीक है मगर एक शर्त पर।" प्रतिमा ने मुस्कुराकर कहा।
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