RE: Parivaar Mai Chudai अँधा प्यार या अंधी वासना
अपडेट 1- चावला साहब मीट्स संजना
चावला साहब का बहुत बड़ा बिज़्नेस था. शुरू से ज़मींदार थे उसके परिवार वाले और आज चावला साहब बड़े शहर्र में बड़े पैमाने पर बिज़्नेस करता है. पैदा गाओं में हुआ था एक ज़मींदार फॅमिली में और बड़े हवेली का मालिक था उसके दादा. इज़्ज़त वाले लोग थे जिनके नीचे हज़ारों
लोग काम करते थे. मगर आज के ज़माने में चावला साहिब गाओं की हवेली और ज़मीन बेच कर शहर्र में शिफ्ट हो गया पिछले 18 सालों से.
क्यूंकी चावला साहिब अपने खानदान का आखरी चिराग था, सो सारी ज़मीन और हवेली सब उसका अपना हो गया था.
बड़े शहर के शोर शराबे से कोई 2 किलोमीटर्स की दूरी पर एक आलीशान बंगलो टाइप घर है अभी उसका. चावला साहिब का पहला नाम सूरजप्रकाश हुआ करता था गाओं में. अब भी वोही नाम है मगर पिछले 18 सालों में सब उनको सिर्फ़ चावला साहब ही कहकर बुलाते हैं. बड़े बिज़्नेस पार्ट्नर्स, बड़े सोसाइटी के लोग, क्लब वाले, गोल्फ क्लब के साथी एट्सेटरा, सब उनको चावला साहिब से जानते हैं. इनके दो बेटे
हैं.
पहले बेटे का नाम विवान चावला, जो अभी करीब 40 यियर्ज़ का है और एक उस से छोटा बेटा जो तकरीबन 26 साल का है और जिस का नाम आराव है.
एक बेटी है, पूजा जिस की शादी हो चुकी और इसी शहर में रहती है मगर अक्सर अपने पिता के घर आया जाया करती है.
विवान शादी शुदा है; उसकी पत्नी , सानवी अभी कोई 27 या 28 साल की है और एक बेटी की माँ है. बेटी अभी छोटी है. **** साल की है. उसका नाम दीप्ति है. सब दीप बुलाते हैं उसको, नटखट है और सबकी दुलारी. घर में उसकी आवाज़ दिन रात गूँजती है. बहुत शोर मचाती रहती है. हल्ला गुल्ला सब दीप्ति का काम है.
चावला साहिब का छोटा बेटा आराव, भी अपने पिता के साथ ही बिज़्नेस संभालता है बराबर विवान की तरह. आराव बहुत शांत किस्म का लड़का है और बहुत फार्मबरदार है. अपने बाप और बड़े भाई की सभी बातें सुनता है. शर्मिला भी है वो, ज़ियादा बात भी नहीं करता था मगर
हां बिज़्नेस बहुत अच्छी तरह से करता है. काम में बहुत ध्यान देता है और कंपनी का बहुत अहम मेंबर है. उसकी अभी तक शादी नहीं हुई और चावला साहिब एक लड़की की तलाश में है उसके लिए. घर में एक बड़ी बहू तो है ही, अब एक और लाना था.
चावला साहिब पत्नी के देहांत के बाद ही अपनी ज़मीन वग़ैरह बेच कर सिटी में शिफ्ट हुआ और नया बिज़्नेस शुरू किया, यानी 18 साल पहले. दोनों बेटों और एक बेटी की देख भाल नौकरों ने ज़ियादा की क्यूंकी चावला साहिब बिज़्नेस में मसरूफ़ रहते थे. पैसे वाला था तो नौकरों की लाइन लगा दिया था अपने तीनों बच्चों की देख भाल के लिए. नौकरों की कमी होती गयी जब बच्चे बड़े होने लगे और ज़ियादा कम
हुए जब पहली दुल्हन सानवी घर में आई. हां एक ड्राइवर और एक बगीचे के देख भाल करने के लिए माली अभी तक है घर में. किचन खुद सानवी संभालती है. जो पहले से रसोई में काम करता था उसको कंपनी के किचन में भेजा गया.
आराव और सानवी की बहुत बनती है. बहुत प्यार है देवर भाबी के बीच. और छोटी दीप्ति तो पागल थी अपने चाचा के लिए. विवान का बेडरूम उपर वाले माले पर है और आराव का भी. चावला साहिब का कमरा नीचे है. किचन भी नीचे है. बहुत बड़ा लाउंज है नीचे ही जहाँ
सबको रिसीव किया जाता है. बिज़्नेस पार्ट्नर्स कभी आते थे तो सब उसी लाउंज में बैठते थे और किचन एक तरफ था तो सर्व करने के लिए
आसानी होती थी. वैसे एक छोटा सा किचन उपर भी है. लाउंज लगता था किसी बड़े 5 स्टार होटेल का लिविंग एरिया है.
असल कहानी तब शुरू होती है जब चावला साहिब आराव के लिए लड़की पसंद करता है. अगर आराव को ही लड़की चुनने की और पसंद करने की बात होती तो वो बूढ़ा हो जाता मगर कभी नहीं सेलेक्ट करता. वो इन सब चीज़ों से दूर भागता है. इतना शर्मिला है की अपनी भाबी से पहली बार बात किया 4 महीने शादी के बाद. चावला साहिब और विवान ने सानवी को समझा दिया था कि आराव को वक़्त दिया जाए
उस से दोस्ती करने की क्यूंके वो बहुत शर्मिला है, लड़कियों के मामले में वो ज़ीरो है. एक भी लड़की उसकी दोस्त नहीं थी. कॉलेज तो बाय्स कॉलेज में पढ़ा था तो सिर्फ़ लड़के दोस्त थे उसके . वो. इतना शर्मिला और चुप चाप सा था कि बाप ने सोचा कि अगर वो उसकी शादी नहीं करेगा तो आराव ऐसे ही रहेगा ज़िंदगी भर, बॅचलर ही मरेगा.
चावला साहिब ने कयि लड़कियों को देखा दोस्तों की तरफ से मगर एक भी पसंद नहीं आई थी अब तक आराव के लिए. फिर एक दिन चावला साहिब, को अपने गाओं की तरफ जाना था किसी काम के लिए, तो वहाँ उसका पुराना दोस्त आनंद भाई मिला. आनंद ग़रीब आदमी था और कुछ साल पहले चावला खानदान की हवेली का नौकर हुआ करता था. आनंद की एक बेटी थी उन दिनों जो 18 साल पहले पैदा हुई
थी. और जिसको चावला साहिब ने गोद में लिया था और एक सोने की नेकलेस पहनाई थी उसको. आनंद जी गाओं के दूसरे हिस्से में रहते थे जहाँ चौला साहिब का एक छोटा सा फार्म हाउस था और जो उससने आनंद की वफ़ादारी के लिए उसको गिफ्ट कर दिया था. गाओं का वो हिस्सा पहाड़ी इलाक़ा था, और आनंद का तो एक छोटा सा झोंपड़ी था इससे पहले.
जब चावला साहिब गाओं के उस हिस्से में गये तो आनंद से मिले और आनंद ने उनको घर आने की दावत दी. एक 4बाई4 में चावला साहिब गये थे उधर. वैसे तो ड्राइवर है उनका मगर कभी कभी खुद भी ड्राइव करते हैं और लोंग ड्राइव बहुत पसंद था चावला साहिब और दोनों बेटों को भी.
चावला साहिब जब खुद अपने दिए हुए घर के अंदर दाखिल हुआ तो उसको एक अजीब सी फीलिंग हुई. बहरेहाल, चावला साहिब को बैठाया गया और कुछ ही देर बाद एक बहुत खूब सूरत लड़की चाइ सर्व करने को आई. लड़की बेहद खूबसूरत थी, बहुत हॉट दिख रही थी, सेक्सी
थी, और बिलकूल गोरे रंग की मेम लग रही थी. चावला साहिब को बहुत हैरानी हुई इतनी खूबसूरत लड़की को आनंद के यहाँ देख कर.
बेशक सवाल किया के लड़की कौन है? आनंद भाई के जवाब देने से पहले लड़की ने खुद थोड़ा शरमाते हुए कहा,
“ लो! आप तो मुझे पहचानते ही नहीं, मैं तो आप को पहचान गयी क्यूँ कि आप के साथ मेरे केयी फोटोस हैं जब मैं बेबी थी….. आप तो आज भी बिलकूल वैसे ही दिख रहे हो जैसे 17 साल पहले दिखते थे. आप की उमर नहीं बढ़ती क्या?”
उसकी आवाज़ इतनी सुरीली थी कि चावला जी को उस लड़की को सुनते रहने का मन किया और कुछ हैरान नज़रों से आनंद के तरफ देखते हुए पूछने ही वाला था कि आनंद ने कहा,
“मेरी बिटिया है साहिब, वोही जो पैदा हुई थी जब आप हवेली बेचने वाले थे, फिर जब ये एक साल की हुई थी तो आप ने इसको नेकलेस दिया था और तस्वीरें खिंचवाई थी जो इस ने बहुत संभाल के रखे हैं. आप के बारे में हमेशा पूछती रहती है. इस ज़माने की लड़की है साहिब,
मोबाइल से दिन भर सेल्फिे लेती रहती है और वो कान में स्पीकर ठूँसे रहती है, पता नहीं क्या सुनती रहती है…..”
चावला साहिब की नज़रें उस लड़की के चेहरे से हट ही नहीं रही थी. उसने लड़की से पूछा, “मोबाइल यूज़ करती हो मतलब पढ़ी लिखी हो तुम? नेटवर्क आता है क्या यहाँ?”
और लड़की की जगह उसके पिता ने जवाब दिया, “कॉलेज भेजा था साहिब, छोटा सा शहर है ना इस गाओं के उस पार. वहीं जाती थी….. मगर कंप्लीट नहीं किया, इंग्लीश तो फटाफट बोलती है मगर गणित में बहुत वीक है, उसका मन नहीं लगता था कॉलेज में इसी साल की शुरू में जाना बंद किया. मैं ने भी कह दिया कि क्या उखाड़ लेगी पर लिख कर, घर के काम काज सीख ले शादी के बाद यही तो काम आएगी, घर के देख भाल करना….”
चावला साहिब के चेहरे में एक चमक सी दिखी, और फिर उस लड़की को उपर से नीचे देखता रहा मानों कि एक अप्सरा दिख गयी हो उसे. “इस मधुर आवाज़ की मालकिन का नाम क्या है आनंद?” चावला साहिब ने पूछा. तो लड़की ने खुद एक दिलकश मुस्कुराहट में जवाब दिया,
“संजना अट युवर सर्विस सर.”
चावला साहिब खड़े हो गये और लड़की को कहा, “अरे तुझे तो मेरे गले लगना चाहिए, आजा आजा, सीने से लगा लूँ तुझे!”
लड़की थोडा सा शरमाई पर चली गयी चावला साहिब की बाहों में यह कहते हुए, “मैं ने तो सोचा था कि मुझे देखते ही आप मुझको गले लगाओगे, मैं तो वेट कर रही थी, मगर आप ने तो मुझको पहचाना ही नहीं!”
ज़ोर से संजना को बाहों में भर के चावला साहिब उसकी पीठ थपथपा रहे थे, फिर उसके दोनों गालों पर चुंबन दिए, और लड़की ने भी चावला साहिब को गालों पर किस किया और कूदते हुए वापस किचन के तरफ चली गयी.
चावला साहिब को एक सुकून सा महसूस हुआ और एक अजीब सी फीलिंग हुई. उसको लगा कि कोई बरसों से बिछड़ा हुआ मिला जिसको
गले लगा के एक अंजान सी राहत मिली दिल के अंदर. चावला साहिब समझ नहीं पा रहा था कि यह फीलिंग कैसी थी.
संजना के जाने के बाद चावला साहब ने आनंद को बाहर चलने को कहा क्यूंकी उसको एक ख़ास बात करनी थी उस से. मगर ठीक तभी संजना वापस आई, और चावला साहिब जो खड़े हो गये थे बाहर निकलने के लिए, मूधकर मुस्कुराते हुए उसको देखने लगा. पर इशारे से, नज़रों के माध्यम से पता नहीं क्यूँ आनंद संजना को वापस जाने का इशारा कर रहा था. मगर संजना नहीं गयी और वहीं खड़ी रही चावला साहिब को मुस्कुराते हुए देखते. तो चावला साहिब ने कहा,
“मेरी बहू बनोंगी संजना?”
टू बी कंटिन्यूड......................
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