RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
जैसे जैसे वह सब कहते जा रही थी वैसे वैसे मैं उसके चेहरे, आँखों, भौहों, होंठों .... सब में खोता जा रहा था |
एक अजीब सी कशिश, एक अजीब सा खींचाव था उसके हरेक अदा, हरेक बात में |
वह शायद मेरे इन मनोभावों को भी अच्छे से समझ रही थी ... तभी तो रह रह कर उसके गोरे चेहरे पर लाज की एक रेखा आती जाती रहती |
आँखों पे चढ़ा काला चश्मा कुछ देर पहले उतार चुकी थी .... हल्के नीले रंग की थी उसकी आँखें... और किनारों पर बहुत ही सलीके से काजल लगा हुआ था ... और ये उसकी आँखों की सुंदरता को भी कई गुना बढ़ा रही थी |
“हेल्लो..!!” उसने थोड़ा ज़ोर से कहा |
मेरी तन्द्रा टूटी... देखा, अपने दाएँ हाथ को मेरे आँखों के सामने हिला रही थी |
“कहाँ खो जाते हो...? अभी जो ज़रूरी बातें हैं... उनपे ध्यान दो... बाकी के बातों पर ध्यान देने के लिए और भी समय बाद में मिलेगा |”
थोड़ी झुंझलाहट थी उसकी आवाज़ में... पर साथ ही आँखों और चेहरे पर शर्म और ख़ुशी (शायद) के मिश्रित भाव थे |
“आं...हाँ... तो ...आं... हम्म.... हाँ... ठीक है.... अम्म.... आ... आप मेरे बारे में इतना कुछ जानती हैं... पर आपने मुझे अपना नाम नहीं बताया..?!” झेंपते हुए बोला मैं | एक चोरी पकड़ी गयी मेरी अभी अभी |
“वैसे नाम तो मेरा मोनिका है... पर दोस्तों-रिश्तेदारों में सब मुझे मोना नाम से जानते – पुकारते हैं |” थोड़ी इतराते हुए बोली |
“तो क्या मैं भी तुम्हे मोना कहूँ?” मैंने पूछा |
“कह सकते हो...|” उसने उत्तर दिया |
फ़िर, तुरंत ही कहा,
“अच्छा... अब इससे पहले की किसी तरह के और सवाल जवाब हों.. हमें काम की बातों पर लौट आना चाहिए .... ओके?”
इसबार उसके आवाज़ में दृढ़ता थी |
मैंने हाँ में सिर हिलाया |
“तो सुनो... पहली बात... तुम और तुम्हारा परिवार... ख़ास कर तुम.. पुलिस पर भरोसा भूल से भी भूल कर मत करो.. सबकी तो नहीं बता सकती पर इस बात का काफ़ी हद तक अंदेशा है कि उस विभाग में कोई मिले हुए है; तुम्हारे और देश के दुश्मनों से... ”
उसकी यह बात मेरे अन्दर कौंधती हुई सी लगी पर मैं शांत रहा | सिर्फ़ इतना कहा,
“तुम बोलती जाओ...|”
मेरे सकारात्मक रवैये को देख वो खुश होती हुई बोली,
“गुड, अब आगे सुनो.. जिस इंस्पेक्टर विनय को तुम ढूँढने गये थे स्टेशन ... वह फ़िलहाल मिलने वाले हैं नहीं... लम्बी छुट्टी पर गए हैं... और शायद जब तक वो लौटे... तुम और तुम्हारे परिवार का गेम बज चुका होगा... खास कर देश का भी |”
जिस विश्वसनीयता के साथ उसने कहा ये बात, मुझे वाकई बहुत ताज्जुब हुआ पर चुप रहा |
क्योंकि मुझे याद आया कि, किसी महापुरुष ने एक बार कहा थे की यदि श्रेष्ठ वक्ता बनना है तो पहले श्रेष्ठ श्रोता बनो |
“ये लोग इंटरनेशनल ड्रग डीलर्स और खतरनाक माफ़िया हैं .. इनसे पार पाना इज नॉट एट ऑल इजी | तुम्हारी चाची को इन्ही लोगों ने किसी तरह अपने जाल में फंसाया है | ये लोग अक्सर कम उम्र की लड़कियों और विवाहित महिलाओं को अपना शिकार बनाते हैं ताकि इनका धंधा किसी की पकड़ में न आए
|