RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
पर साथ ही मेरे पारखी नज़रों ने यह ताड़ लिया था कि दत्ता बातें सुनने के साथ ही साथ कुछ और भी करने में व्यस्त था...
वह चाची के चेहरे को एकटक निहारे जा रहा था |
होंठ, गाल, गला, भोंहें, आँखें.... सब कुछ देखे जा रहा था |
एक अजीब सा दीवानापन, अपनापन का एहसास अपने आँखों में लिए वह चाची को अपलक देखे जा रहा है |
मैं चाची की ओर देखा,
उनकी आँखें साफ़ जाहिर कर रही थी कि वह भी इंस्पेक्टर की हरेक हरकत को बखूबी समझ रही है ... पर इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला |
और कहीं न कहीं ये बात मेरे लिए राहत देने वाली बात थी... पता नहीं क्यों?
थोड़ी देर बाद,
मेज़ पर चार ग्लास चाय थे |
चाची की बातें ख़त्म हो चुकी थी | मैं कुछ कहने की सोच रहा था और चाचा के पास कहने को कुछ ना था |
दो सिप ले चुका था चाय का इंस्पेक्टर दत्ता ने... ग्लास के गोल मुहाने पर अपने दाएँ हाथ की तर्जनी ऊँगली को गोल गोल घूमाते हुए किसी सोच में डूबा हुआ सा लग रहा था वह | फ़िर उसी हाथ को उठा कर दो उँगलियों को मोड़ कर अपने होंठों पर और अपनी ठोड़ी को हथेली का सहारा देते हुए बगल की खिड़की से बाहर देखने लगा |
हम तीनो चुपचाप बैठे हैं | तीनों की ही नज़रें इंस्पेक्टर दत्ता पर जमी हुई है और किसी अप्रत्याशित प्रश्न या उत्तर की सम्भावना को ख़ारिज करने की मन ही मन उपाय और ताकत जुटा रहे हैं |
कुछ देर तक कमरे में छाई चुप्पी को भंग करते हुए इंस्पेक्टर दत्ता ने कहा,
“देखिए, मिस्टर एंड मिसेस शर्मा, मैं फिलहाल कुछ ख़ास करने की स्थिति में नहीं हूँ.. दरअसल बात यह है कि इस केस को इंस्पेक्टर विनय हैंडल कर रहे थें | वह अभी छुट्टी में हैं... उनके आने के बाद ही कोई सटीक कदम उठाने के बारे में सोचा जा सकता है | मैं तो बस उनका रिप्लेसमेंट हूँ | हाँ, मैं अभी के लिए आपको यह आश्वासन ज़रूर दे सकता हूँ की पुलिस की तरफ़ से आपको फुल प्रोटेक्शन और सपोर्ट है.. और आज के बाद, इन फैक्ट, आज से ही अगर आप लोगों को कहीं कुछ भी संदिग्ध सा लगे या कोई आप लोगों से किसी भी तरह कोई कांटेक्ट करने की कोशिश करे तो आप बेहिचक हमें सूचित कर सकते हैं | पुलिस डिपार्टमेंट हमेशा आपके सेवा में उपस्थित है और रहेगी |”
अंतिम पंक्तियाँ – “आप बेहिचक हमें सूचित कर सकते हैं | पुलिस डिपार्टमेंट हमेशा आपके सेवा में उपस्थित है और रहेगी |” कहते हुए दत्ता ने नज़रें चाची की ओर कर ली थी और बात खत्म करते करते उसकी नज़रें चाची के पारदर्शी आँचल के नीचे से नज़र आ रहे क्लीवेज पर जम गई थी |
खैर,
बाकी फॉर्मेलिटी सब पूरी करने के बाद हम तीनो उठ कर बाहर आ गए | कमरे से निकलते वक़्त मैंने सिर घूमा कर इंस्पेक्टर की ओर देखा; उसकी नज़रें चाची की बैकलेस ब्लाउज में दिख रही चिकनी बेदाग़ पीठ और उनके उभरे हुए पिछवाड़े पर टिकी हुई थी |
पुलिस स्टेशन से निकलने के क्रम में भूरे रंग का ओवरकोट और हैट पहना एक आदमी मुझसे जोर से टकराया और बिना कुछ कहे आगे बढ़ गया | मैं उसे कुछ कहता या टोकता पर चूँकि स्टेशन में ही थे हम लोग इसलिए मैंने चुप रहने में ही भलाई समझी |
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