RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
मैंने फिर आराम से चाची के हाथों को सहलाते हुए उनके वक्षस्थल से हटाते हुए उनके बीच की घाटी पर नज़र डाला | आह्ह्हा ! क्या अद्भुत सुन्दर दृश्य था ! खुले हुए ब्लाउज के कप्स को किसी तरह वक्षों से लगाए रखने की असफल प्रयास करती चाची ब्रा में कैद अपने स्तनों को अधुरा ढक पा रही है और ऊपर के हुक खुले होने के कारण दोनों स्तनों की बीच की दरार और भी कामुक तरीके से बाहर की ओर दिखाई दे रही है | दूसरे शब्दों में कहूं तो इस समय पूरे ब्लाउज की जो हालत है वह और भी आग भड़काने वाली है | ऐसी ख़ामोश रात, कमरे में हम दोनों और दीप्ति डार्लिंग (चाची) की ऐसी हालत ..... सब कुछ मानो आग में घी डालने का काम कर रही है | पर फ़िलहाल तो उस मनोरम दृश्य के नयन सुख का घंटों आनंद लेने का फुर्सत मेरे पास नहीं था | मेरे तो पूरे दिलो दिमाग में दीप्ति अर्थात मेरी चाची के सम्पूर्ण नग्न स्वरुप का प्रत्यक्ष दिव्य दर्शन करने की व्याकुलता छाई हुई थी | पूरी नग्नता का दर्शन पाने का एक अजीब प्यास सी लगी थी |
ब्लाउज कप्स के दोनों सिरे अलग हो चुके थे और चाची के सुडोल पुष्टता भरे वक्ष अपने पूरी कामुक तृष्णा, मादकता और अपने सौंदर्य के अभिमान के साथ बाहर निकल कर गर्व से इठलाने लगे थे | मैं एक बार फिर कुछ पलों तक इस खूबसूरत अद्वितीय मास्टरपीस को देखता रहा | मुझे उनकी चूचियों को इस तरह से घूर कर देखने पर चाची हलके शर्म और गर्व के मिश्रित भाव लिए कनखियों से मुझे देख कर मुस्कराने लगी |
मैंने हाथ आगे बढ़ा कर दोनों चूचियों को अपने मुट्ठियों से पकड़ने ; उन्हें एक बार अच्छे से छू कर देखने की कोशिश की पर चाची की उन्नत चूचियां मेरे एक हाथ में ... एक हाथ में तो क्या ... दोनों हाथों में समाने से साफ़ इंकार कर दे रहे थे | पर आज चाची को इस तरह से पाकर मुझे भी कोई जल्दी नहीं थी; इसलिए बिना झुंझलाए और बिना कुछ और सोचे मैंने हौले हौले से उनकी चूचियों को बहुत अच्छे से फील करते हुए उनको मसलने लगा और चाची अपनी आँखें बंद कर चूचियों के इस तरह प्यार से मसले जाने का सुख अनुभव करने लगी | पर सिर्फ चूचियों को छूने या मसलने से मेरा मन कहाँ भरने वाला था .... सो मैंने चूचियों पर अपने हाथ टिकाये हुए ही सामने झुक कर दोनों चूचियों को चूमने लगा | ब्रा में कैद चूची ब्रा कप्स के ऊपर से जितना निकली हुई थी ... उतने हिस्से को पूर्ण रूपेण अच्छी तरह से चुमा चाटा ... फिर अपनी उँगलियों के पोरों से ब्रा कप्स के बॉर्डर पर कामुक अंदाज़ से रगड़ने लगा और थोड़ी ही देर बाद दोनों कप्स के दो साइड में ऊँगली अन्दर घुसा दिया और बड़े प्यार और इत्मीनान से चाची की आँखों में देखते हुए दोनों ब्रा कप्स को नीचे कर दिया .... और ऐसा करते ही सौन्दर्य के दो मूर्तमान स्वरुप उछल कर मेरे सामने दृश्यमान हो गए ! उफ्फ्फ़.... क्या रंगत... क्या ढांचा... क्या उठाव और क्या कटाव था उनके उन मदमस्त कर देने वाले मदमस्त चूचियों का !! अधिक देर न करते हुए झट से टूट पड़ा उनपर ... पहले तो ऊपर नीचे चूची को अच्छे से चुमा .. फिर एरोला के पास जा कर रुका और निप्पल के आस पास के एरिया को सूंघने लगा | ओह्ह्ह.... एक धीमे सुगंध वाली किसी परफ्यूम का गंध आ कर समाया मेरे नाक में | सूंघते हुए एरोला और निप्पल पर अपने गर्म साँसे छोड़ता और चाची सिहर उठती |
अब मैंने अपना जीभ निकाला और जीभ के बिल्कुल अगले सिरे को एरोला के चारों ओर गोल गोल घूमाने लगा | चाची “आआह्ह्ह....स्सस्सस...” से एक आह भरी और एक हाथ से मेरे सर को पकड़ कर अपने चूची के और पास ले आई | पर मैंने सीधे चूची पर कुछ करने के बजाए पहले की तरह ही अपने जीभ से एरोला पर हल्का दबाव बनाते हुए जीभ को गोल गोल घूमाते रहा | इसी के साथ मैं अब चाची की साड़ी को घुटनों से ऊपर उठाने लगा और उठाते उठाते जांघ तक ले आया और फ़िर जांघ पर हाथ फिराने लगा | चाची के गोरे टांग और जांघ बिल्कुल मक्खन से मुलायम प्रतीत हो रहे थे ...और किसी को भी जोश में भर देने के लिए काफ़ी थे | इतने साफ़ और गोरे थे की कोई भी उन्हें घंटों चाटते रहे |
पहली बार चाची के गोरे टांग और जांघों को बहुत पास से और सामने देख रहा था मैं | देखते देखते ही एक अजीब सी खुमारी सा छाने लगा मुझ पर | ऊपर और नीचे से आधी नंगी ऐसी खूबसूरत औरत जिसके हर एक अंग-प्रत्यंग को ऊपरवाले ने बड़े ही धैर्यपूर्वक और ख़ूबसूरती से एक बेहतरीन सांचे में ढाला था | मेरा लंड बरमुडा के अन्दर से ही फुफकारें मारने लगा | पूरे शरीर के नसों में रक्त का प्रवाह हद से अधिक तीव्र हो उठा | चाहता तो वहीँ चाची को पटक कर, उन पर चढ़ कर एक अद्भुत चुदाई का नज़ारा पेश कर सकता था पर ये भी जानता था की ऐसे मौके बार बार नहीं आते इसलिए ये जो मौका मिला है .. इसका भरपूर और जी भर कर उपयोग करना चाहिए आज |
जांघों को सहलाते सहलाते मेरा हाथ ऊपर होते हुए और अन्दर घुस गया ... इतना अन्दर की मुझे कुछ होश ही नहीं रहा ....और तभी चाची चिहुंक उठी | आँख बंद थी चाची की पर देह में सिहरन सी दौड़ रही थी उनकी | मैं ध्यानपूर्वक चाची के चेहरे को देखा और फिर हाथ को अन्दर ले जाकर इस बार महसूस किया की चाची ने पैंटी पहना ही नहीं है .... और इस बात का अहसास होते ही मैं ख़ुशी से झूम उठा | मेरी दो उंगलिया उनके चूत के द्वार से टकरा रही थी और प्रत्येक छुअन से चाची पहले से अधिक मचल उठती | इधर मैं चाहता तो था की मैं चाची की मदमस्त गदराई जिस्म की बाकि के अंगो पर ध्यान दूं पर ठीक मेरे आँखों के सामने काम-सौन्दर्य से इठलाते हुए ऊपर नीचे करते चाची की गोरी-चिट्टी भरे हुए पौष्टिक चूचियां मुझे और कुछ सोचने ही नहीं दे रही थी ... इसलिए मैं अपना फोकस उनकी मदमस्त चूचियों पर दिया रहा | एक हाथ से बड़े प्यार से अंदरूनी जांघ को सहलाते हुए चूत-द्वार के साथ छेड़खानी करता और दूसरे से एरोला के आस पास चूची को पकड़ कर थोड़ा प्यार और थोड़ा सख्ती से मसल देता |
काफ़ी देर तक इसी तरह छेड़खानियाँ करता हुआ चाची को सेक्सुअली सताता रहा .... और अंत में अब निप्पल पर ध्यान दिया | एरोला के साथ हुए खिलवाड़ से निप्पल तन कर खड़े हो गये थे | एरोला के चारों ओर चूमने-चाटने से लगे लार से भीगे एरोला पर तने हुए निप्पल, खीर में ऊपर से डाले गए किशमिश की तरह लग रहे थे ... भूख से पीड़ित किसी आदमी को अपने तरफ़ लपक कर आ कर खा लेने के लिए निमंत्रण देते हुए से लग रहे थे |
और मैं तो भूखा था ही .... हवस का भूखा ...! ललचाई नज़रों से देखता और मुँह से बाहर आते लार को वापस निगलते हुए अपने होंठ निप्पल तक ले गया ... गर्म सांस निप्पल से टकरा कर चाची को मस्ती में भर दे रहे थे |
अपने होंठों से निप्पल के ऊपरी हिस्से को हलके से दबाते हुए पकड़ा और आगे की ओर खींचने लगा ... और इसी के साथ ही चाची को बेड पर लेटा कर साड़ी को कमर तक चढ़ा दिया ... ऐसा करते ही चाची की मनोरम, अप्रतिम नयन सुख देने वाली, एक झटके में ही काम उत्तेजना का संचार कर देने वाली लावण्यमयी रसभरी चूत अब सामने खुली पड़ी थी | बड़े ध्यान से देखता हुआ चूत के पास आया और उसपर निकले छोटे छोटे झांटों को अपनी उँगलियों में फंसा कर हल्के से खींचा और साथ ही चूत-द्वार पर बनी लम्बी लकीर को अपनी एक ऊँगली से दबाव बनाता हुआ ऊपर से नीचे और फिर नीचे से ऊपर करता .... दोनों ओर से हो रहे हमले से चाची मस्ती में दुहरा गई और वहीँ बेड पर लेटे लेटे बेडशीट को अपने मुट्ठियों से भींचते हुए कामुक मादक सिसकियाँ लेने लगी |
कुछ देर यही खेल खेलने के बाद निप्पल को चूसने लगा .... चूसते हुए कभी ‘चक चक’ की आवाज़ निकलता तो कभी ‘सरक सरक’ की.... इधर नीचे चूत में अपनी दो उँगलियाँ घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा | पहले तो धीरे मोशन में अंदर बाहर करता रहा फिर धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ाने लगा | चूत में हो रही ज़ोर से फिंगरिंग ने चाची को उनके ऊपर उनका खुद का रहा सहा कण्ट्रोल भी खो देने को मजबूर कर दिया | उनका पूरा शरीर थिरकने सा लगा और वो ‘ऊऊउम्म्म्मम्मम्मम्मम्मम्मम’ की सी आवाजें करने और आहें भरने लगीं | जब ये सेक्सुअल टार्चर बर्दाश्त से बाहर होने लगा तो चाची अपने दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़ कर अपने चूची पर कस कर दबा दी |
|