RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
“मिस्टर आलोक.. क्या आपको ये उम्मीद था कि वो दूसरे दिन आ जाएगा?” – इंस्पेक्टर विनय ने चाचा के आँखों में गहराई से झाँकते हुए अपने प्रश्न को दोहराया और खास जोर भी दिया इस प्रश्न पर |
अपने चश्मे को ठीक करते हुए चाचा ने थोड़े सकपकाए अंदाज़ में उत्तर देने का प्रयास किया,
“ज..ज.....जी, ब... बताया ना, इस....इससे पहले अभय ने ऐसा कभी नहीं किया .. इसलिए थोड़ी सी उम्मीद थी कहीं न कहीं.. हमें लग रहा था की अभय की कोई न कोई खबर हमें मिल जाएगी... य...या..या शायद वो खुद ही हमें ख़बर कर देगा... इ..इस.. इसलिए............”
“ये सही कह रहे हैं इंस्पेक्टर साहब...” – इतनी देर में पहली बार मुँह खोला चाची ने, जो अब तक चुप बैठी थी |
चाची के इतना कहते ही इंस्पेक्टर विनय की नज़रें चाची की तरफ़ घूमी और नज़रें उन्ही पर जम गई ... सच कहा जाए तो नज़रें चाची पर भी नहीं, वरन उनके यौवन पर केन्द्रित हो गई थीं | रेशमी साड़ी, गर्मी के दिन के कारण; पसीने से जगह जगह से भीग जाने के कारण उनके गदराये जिस्म से चिपक गई थी |
जिस्म का एक एक कटाव और उभार साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था |
पारदर्शी वस्त्र में; संगमरमर की प्रतिमा सी नज़र आ रही थी चाची इस वक़्त |
ब्लाउज झीना था, कुछ जगहों से भीगा हुआ भी |
यहाँ तक की ब्रा का डिज़ाइन भी साफ़ नज़र आ रहा था |
चाची ने इंस्पेक्टर विनय की तरफ़ एक बार देखा ;
और फिर उसकी नज़रों को भांपते हुए अपने पल्लू को दुरुस्त किया | पर इंस्पेक्टर विनय की नज़रें अभी भी उस पारदर्शी पल्लू के अन्दर से साफ़ नज़र आ रही करीब तीन इंच की सुन्दर क्लीवेज पर टिकी हुई थी |
इंस्पेक्टर विनय की नज़रों में एक जानी पहचानी सी आकांक्षा देख कर चाची परेशान हो उठी |
‘उफ्फ्फ़....
ये तो ऐसे देख रहा है मुझे जैसे मेरे पल्लू से होते हुए ब्लाउज और ब्रा तक को चीर देना चाहता है | क्या ये मेरी बातें सुन भी रहा है?’ मन ही मन सोची चाची |
“आं...हाँ... हाँ.... वो तो मैं सुन ही रहा हूँ...| ” खुद को संभालने की कोशिश करते हुए बोला वह पर नज़रें अभी भी चाची के उभार और उनके बीच की दरार पर थी |
बेचैन-परेशान चाची को एकाएक अपने रूप सौंदर्य का आभास हुआ...
और इसके साथ ही लाज और झेंप की सुर्खी दौड़ गई उनके चेहरे पर |
साथ ही गर्व से तन गए उनके यौवन उभार |
इंस्पेक्टर विनय ने खुद को संभालने की भरसक कोशिश करता हुआ, मन ही मन चाची के यौवन के कटावों और उभारों की ओर न देखने का दृढ़ संकल्प लेता हुआ आवाज़ में थोड़ी गंभीरता लाते हुए बोला,
“आं.. देखिये मिस्टर एंड मिसेस शर्मा, मैं अपने कर्तव्य का पूर्णरूपेण पालन करूँगा और इस बात का आश्वासन देता हूँ की हमारी पुलिस डिपार्टमेंट सुबह शाम रात दिन एक कर के जहां से भी हो आपके भतीजे को ढूँढ निकालेगी और उसके गायब होने के पीछे के मुख्य अभियुक्तों को हरगिज़ नहीं छोड़ेगी |”
चाचा और चाची ने हाथ जोड़कर इंस्पेक्टर का अभिवादन किया, इंस्पेक्टर ने भी प्रत्युत्तर में हाथ जोड़ कर मुस्कराया | कुछेक ज़रूरी कागज़ी कार्रवाई कर के दोनों थाना से निकल गये पर इंस्पेक्टर विनय को चाची के मटकते नितम्ब उनके चले जाने के बाद भी बहुत देर तक नज़र आते रहे |
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