RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
लेटे लेटे मैंने अस्पताल के ऊपरी मंजिल की ओर देखा, लगा जैसे थोड़ी अफरा तफरी सी लगी हुई है | शायद मेरे वहां न होने का उन लोगों को पता चल गया है | मैंने सर थोड़ा उठा कर आगे की सीट पर देखा... धक् से दरवाज़ा बंद हुआ.. ड्राइविंग सीट पर एक लड़की आ कर बैठी | कार तुरंत स्टार्ट हुआ... दोनों आदमी बाहर ही रहे..|
कार पूरे फ़र्राटे से रोड पर दौड़ पड़ी...|
“धन्यवाद... पर आप कौन...?” मैंने पूछा |
“पहले मंजिल पर पहुँचने दो... सब पता चल जाएगा...|” बहुत ही भावहीन और सपाट उत्तर मिला |
पता नहीं क्यों.. पर मैंने चुप रहना ही उचित समझा...| बहुत देर बाद कार हमारे ही घर के मोड़ वाले रास्ते पर आ रुकी... मैं हैरत में डूबा उस लड़की की ओर देखने लगा ... सोच रहा था की ये कौन है जिसे मेरे घर का एड्रेस तक मालूम है.?..
“जल्दी जाओ.. मेरे पास ज़्यादा वक़्त नहीं है..”
“पर आप हैं कौन... मेरा घर कैसे जानती हैं..? और..और......”
“सुनो.....कहा ना... ज़्यादा वक़्त नहीं है मेरे पास... मुझे जल्दी जाना है... नहीं तो उन लोगों को मुझ पर शक हो जाएगा...| पर इतना ज़रूर कहूँगी कि, ये हमारी आखिरी मुलाकात नहीं है... हम फ़िर मिलेंगे...| नाओ, गुड बाय...|” – इस बार लड़की के आवाज़ में तीखापन और झुंझलाहट साफ़ था |
मैं कार से उतर गया.. पर उतरने से पहले नकली दाढ़ी मूंछ और चश्मा पिछली सीट पर रख कर, एक बार फिर उस लड़की को धन्यवाद किया |
लड़की आगे जा कर गाड़ी घुमाई और मेरे पास आकर रुक कर बोली, “हमारे मंज़िल एक हैं..पर रास्ते अलग... और अगर तुम चाहो तो हम जल्द ही मंज़िल हासिल कर सकते है... ओनली इफ़ यू वांट... अगर तुम चाहो तो.....!”
इतना कह कर लड़की गाड़ी ले कर आगे निकल गई |
और इधर मैं बेवकूफ सा खड़ा, टूटी फूटी कड़ियों को आपस में जोड़ने की नाकाम कोशिश करता; कुछ देर तक उस लड़की के गाड़ी द्वारा दूर तक छोड़े गए धूल के गुबारों को देखता रहा... फ़िर सर झटक कर घर की ओर चल दिया... दिलो-दिमाग में बहुत से उधेड़बुन लिए..................|
थाना... पुलिस थाना... अपनी कुर्सी पर बैठे इंस्पेक्टर विनय भंडारी गहरी सोच में डूबा था | सामने टेबल पर रखी चाय पड़े पड़े ही ठंडी हो चुकी थी | और टेबल के दूसरे तरफ़ की कुर्सियों पर चाचा और चाची गहरी चिंता और उम्मीदों की आस लिए इंस्पेक्टर विनय भंडारी की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं | कमरे में एक भय और चिंतायुक्त सन्नाटा वाला माहौल था |
“ह्म्म्म.. आपका भतीजा पिछले दो दिन से घर से गायब है.. तो आप ये तीसरे दिन आकर रिपोर्ट क्यों कर रहे हैं? दूसरे ही दिन क्यों नहीं आ गए? क्या आपको ये उम्मीद था कि वो दूसरे दिन आ जाएगा?” – चुप्पी तोड़ते हुए इंस्पेक्टर विनय पहले बोला |
“दरअसल इससे पहले कभी उसने ऐसा नहीं किया और ना हुआ.. कुछ बताया भी नहीं था उसने.. अगर कोई परेशानी थी या कोई काम था जिसके तहत उसे बाहर कहीं जाना था तो वो हमें ज़रूर बताता |” – बड़े ही चिंतित स्वर में चाचा ने उत्तर दिया |
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