RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
सामने की दीवार घड़ी पर नज़र दौड़ाया...
सवा बारह बज रहे हैं |
बिल्कुल सही समय है अपनी योजना पर काम करने का |
तपाक से बेड पर से उठा | खिड़की के पास जाकर खड़ा हुआ | बिना ग्रिल या लोहे की छड़ों वाली खिड़की थी | खिड़की से थोड़ी नीचे एक छज्जा सा बना हुआ है... शायद नीचे एक और खिड़की होगी | अपने दाएँ तरफ़ देखा | वहां एक और खिड़की है ... मैं सीधा हो कर अपने रूम के दाएँ तरफ़ देखा, बाथरूम था | मतलब बाथरूम में भी एक अच्छा खासा बड़ा सा खिड़की है | अमूमन ऐसा होता नहीं है ... पर....
खैर, अधिक सोचने लायक समय नहीं था मेरे पास | पर मेरा तरकीब कहीं न कहीं काम करने वाली थी यहाँ |
मैं जल्दी से बाथरूम में घुसा | एक बाल्टी लिया .. नल के नीचे लगाया और नल चला दिया | पानी मध्यम गति से बाल्टी में गिरने लगा | और अब बाथरूम का दरवाज़ा अन्दर से लॉक कर दिया |
बाथरूम का खिड़की खोला |
और लपक कर खिड़की से बाहर आ गया |
किसी तरह नीचे के छज्जे पर काँपते पैरों से संतुलन बना कर खड़ा था | दीवारों पर बने उभारदार बाउंड्री को पकड़ किसी तरह आगे बढ़ने लगा .... अपने रूम की खिड़की के नीचे के छज्जे की तरफ़... कष्ट तो हुआ बहुत | हाथ भी छिल गए ..पर अभी मेरा पूरा फोकस अपनी योजना को सफल बनाने पर था |
कुछ ही मिनट में मैं अपने रूम की खिड़की के पास था | वहाँ से नीचे देखने का साहस नहीं था मुझमे | बहुत ही उंचाई पर था मैं ... ज़रा सा पैर फ़िसला... और चला जाता मैं सीधे नीचे ... एकदम नीचे ..और... और एक झटके से हमेशा हमेशा के लिए ऊपर पहुँच जाता |
खिड़की के निचले हिस्से को पकड़ कर, अपने हाथों पर बल देते हुए खुद को थोड़ा ऊपर उठाया और अपने शरीर को एक हल्का झटका देते हुए सीधे रूम के फर्श पर जा गिरा | कोहनी में हलकी चोट आई पर खुद को संभालता हुआ जल्दी से दरवाज़े के पास रखे स्ट्रेचर के पास पहुँचा और उसपर पड़े उस बड़े से सफ़ेद चादर को उठा कर स्ट्रेचर के नीचे बने जगह में खुद को एडजस्ट कर लिया | जगह भी ऐसी थी की एक लम्बा आदमी आराम से अपने पैर पसार कर लेट जाए वहां |
अब सिर्फ सही समय की प्रतीक्षा थी ..
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कुछ ही देर बाद,...
दरवाज़ा खुला...
वार्ड बॉय अन्दर आया....
अन्दर घुस कर दो – तीन कदम चलते ही ठिठका....
कुछ क्षण रुक कर लगभग दौड़ते हुए बाथरूम की ओर गया ...
मैं चादर की ओट से एक आँख से देख रहा था...
दरवाज़ा धकेला... खुला नहीं...
खटखटाया ...
कोई आवाज़ नहीं... सिवाए पानी गिरने के.....
फिर कुछ पल बाथरूम के दरवाज़े से कान लगाए खड़ा रहा |
फिर थोड़ा निश्चिंत सा प्रतीत होता हुआ वो घूमा और कमरे की कुछेक चीज़ों को ठीक कर स्ट्रेचर को ले कमरे से बाहर आ गया !
मैंने राहत की सांस ली... पर अभी मंजिल दूर था |
एक बड़े से कॉरिडोर को पार करते हुए स्ट्रेचर हल्का सा मुड़ते हुए दूसरे कॉरिडोर में आ गया ....
अभी कुछ कदम आगे बढ़ा ही था कि अचानक से एक ज़ोर का ‘धकक्क’ से आवाज़ हुआ | मैंने वार्ड बॉय के कदमों की ओर देखा... ऐसा लगा जैसे की वो पीछे की ओर खींचा चला जा रहा है , जैसे कोई उसे खींच कर ले जा रहा हो ....
मेरा मन किसी घोर आशंका से भर उठा ... थोड़ी देर के चुप्पी के पश्चात अचानक से मेरे स्ट्रेचर को धक्का लगा... कोई उसे आगे ले जा रहा था | मैं आगे देखा... और चौंका... क्योंकि अब मुझे किसी वार्ड बॉय के पैरों के स्थान पर एक लड़की के दो टांगें दिख रही थी... ड्रेस से अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं हुआ कि ये शायद कोई नर्स होगी |
पर कौन.... एक जगह रुक कर मेरे सिरहाने के तरफ़ का चादर थोड़ा उठा और एक पैकेट दिया गया... और साथ ही एक लड़की की आवाज़ आई... “जल्दी ये लगा लो... दस सेकंड में...| ”
बिना कुछ सोचे मैंने जल्दी से पैकेट खोला और खोलते ही हैरान हो गया...
उस पैकेट में नकली दाढ़ी मूंछ और एक काला चश्मा था ....!
कुछ देर बाद मैं और वो लड़की एक लिफ्ट में थे... मैं एक व्हीलचेयर में बैठा था...नकली दाढ़ी मूंछ लगाए... बदन पर एक बड़ा सा शॉल लपेटे... |
लिफ्ट से बाहर आते ही दो आदमी हमारे पास आये...
मुझे सहारा दे कर उठाया...और अस्पताल ले बाहर ले आए |
उनके बाहर आते ही एक कार आ कर रुकी...ठीक हमारे सामने...
और फ़िर उन दोनों आदमी ने मुझे उस कार में ले जाकर पीछे की सीट पर लिटा दिया |
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