RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
दो पल ठहर कर थोड़ी हिम्मत जुटा कर होंठों पर जीभ फ़ेर कर भीगोते हुए बोला, “अंग्रेजी में एक कहावत है, अ मैन इज़ जज्ड बाई हिज़ एक्शन नट बाई हिज़ इंटेंशन .. अब आप ही तय कीजिए.. मेरी इस हरकत को आप क्या नाम देना चाहेंगे?”
कुछ सेकंड्स की शान्ति छाई रही |
और फ़िर आवाज़ आई, “देखो अभय, मैं तुम्हे दिशा दे सकता हूँ, निर्देश नहीं.. और न आदेश | तुम्हें कौन सी बात माननी है और कौन सी नहीं माननी.. क्या करना है और क्या नहीं..ये सब तुम्हारे ही फैसलों पर निर्भर है | अगर तुम्हें लगता है की हमसे तुम्हारा कोई फायदा नहीं तो तुम चाहो तो हमारे रास्ते अलग हो सकते हैं |”
इस बार चौंका मैं | मेरी नादानी की वजह से कहीं मैं अपने इस अनजाने मददगार को खो न दूँ | एक तो वैसे भी काफ़ी कुछ क्लियर नहीं है चाची या उनसे जुड़े घटनाओं और गतिविधियों के बारे में और ऊपर से इसकी ऐसी पेशकश | उफ़.. बुरा फँसा मैं |
मैंने जल्दी से बात को संभालने की कोशिश की |
“जी, देखिये, बात मेरी परिवार की है | चाचा और चाची, दोनों से ही मुझे बहुत प्यार मिला है | तो फ़िर, ऐसे में जब उनके आस पास कोई संकट हो और चाची भी उस से घिरी हो; तो आप ही बताइए की क्या मैं चुप रह सकता हूँ ऐसे हालात में? कुछ तो करना ही था मुझे | और जब तक पूरी विषयवस्तु अच्छे तरह से स्पष्ट नहीं हो जाती तब तक मैं सिवाए जासूसी के और कर भी क्या सकता हूँ ??”
इन तर्कों के साथ मैंने अपनी मजबूरी बतानी और नादानी छुपानी चाही | इधर स्पीकर से भी कुछ पलों के लिए कोई आवाज़ नहीं आई | फिर अचानक से वही खरखराती आवाज़ गूँजी उन वैन में ....
“तुम्हारे बातों में दम है... पर एक बात बताओ...”
“जी, पूछिए...” – मैं तपाक से बोल पड़ा |
“तुम्हें इतना यकीं क्यूँ है की तुम्हारी चाची वाकई किसी मुसीबत में है....ऐसा भी तो हो सकता है की वो खुद कोई मुसीबत हो?? ”
इस बात ने जैसे एक बम सा गिराया मेरे सिर पर ....
“जी???...ज.....ज......जी, आ.... आप.... आप क्या कहना चाहते हैं?” – मेरे मुँह से शब्द किसी तरह निकले |
“मैं पक्के तौर पर कुछ भी कह रहा हूँ अभय, और न ही मैं ऐसे किसी नतीजे पर पहुँचा हूँ ... सिर्फ़ शक समझो इसे... क्या ये कोई हैरानी की बात नहीं कि जिस चाची के तुम किसी तरह के किसी संकट में होने बात कर रहे हो, परेशान रहते हो और इस बात को अब एक महिना होने को आ गया ; वो चाची अभी तक पूरी तरह से महफूज़ है | उसे कोई परेशानी ज़रूर है पर वो तुमसे या तुम्हारे चाचा से अभी तक शेयर नहीं की... चलो ठीक है, शायद परेशानी शेयर करने लायक नहीं हो .. पर ऐसी कौन सी परेशानी है जिससे वो सुबह शाम परेशान रहती है लेकिन फ़िर भी बहोत ही अच्छे तरीके से खुद ही हैंडल कर ले रही है?? सोचो अभय, ज़रा सोचो.. वो अक्सर घर से किसी न किसी बहाने निकलती है और देर शाम को या देर से घर लौटती है... अब ये मत कहना की आजकल कुछ दिनों से तुमने अपनी चाची को अपने साथ कोई बैग लाते हुए नहीं देखा... देखा तो ज़रूर होगा.. है ना ...? वो बैग क्यों लाती है और उसमें बैग में क्या होता होगा... इस बारे में सोचा तुमने? जानने की कोशिश की?”
जैसे जैसे उस आवाज़ ने कई सारे पॉइंट्स और उन पॉइंट्स के साथ प्रश्न किए .. मेरे सोच में डूबता गया और मेरी पेशानिओं में बल पड़ते गए | उस वैन में ऊपर की ओर दो साइड से दो छोटे छोटे टेबल फैननुमा पंखे लगे थे जिनसे अच्छी हवा भी मिल रही थी पर अभी मेरे माथे पर पसीने की कुछ बूँदें छलक आई थीं.. मैंने पॉकेट से रुमाल निकाल कर माथे को पोछा और इसी के साथ ही दूसरी ओर से आवाज़ आई,
“पोछ लो अभय, पसीने को पोछ लो... पर साथ ही मेरे दागे गए सवालों के बारे में भी सोचो |”
“क्या आप बता सकते हैं कि अभी मेरी चाची कहाँ होगी?” रूमाल को वापस पॉकेट में रखते हुए मैंने पूछा |
“बता सकता हूँ पर बताऊंगा नहीं .. इसकी अपनी वजह है | खैर, तुम कल शाम साढ़े छह बजे फ्री रहना | सात बजे तुम्हें योर होटल कम रेस्टोरेंट में पहुँचना है; वहां पहुँचने पर तुम्हें एक अलग ही चाची दिखेगी | आज और अभी वो जिसके साथ होगी, कल भी उसी के साथ होगी और आज जो कर रही होगी शायद कल भी वही करेगी.. मैं चाहता हूँ की तुम खुद अपनी आँखों से सब देखो |”
संशय भरे लहजे में मैंने पूछा, “आं... म्मम्म... पर आप खुद भी तो बता सकते हैं..”
“हाँ, ज़रूर बता सकता हूँ पर बताना आसान नहीं है.. बेहतर यही होगा की कल तुम खुद ही सब देख आओ |”
कुछ सोचते हुए मैं बोला,
“पर मैं ऐसे ही तो नहीं जा सकता न.. मेरा निजी अनुभव कहता है कि वो लोग और वो जगह बहुत खतरनाक है |”
“हाँ, सही कह रहे हो | अपने सीट के नीचे देखो | एक बैग होगा वहाँ |” – दूसरी ओर से आवाज़ आई |
मैंने तुरंत सीट के नीचे देखा, एक काले रंग का मध्यम आकार का बैग रखा था |
“बैग को निकालो और खोल कर देखो |” – फ़िर आवाज़ आई |
मैंने उस आवाज़ के कहे अनुसार तुरंत उस बैग को सीट के नीचे से निकाला और चेन खोल कर अन्दर देखा | हल्के नारंगी रंग के कपड़े रखे थे, शायद ब्लेजर होगा | एक पैंट भी था .. नारंगी रंग का और साथ था एक सफ़ेद शर्ट |
मैं आश्चर्य और आँखों में ढेर सारे प्रश्न लिए उन कपड़ों को अभी देख ही रहा था कि फ़िर से आवाज़ आई –
“हैरानी हो रही होगी तुम्हें और साथ ही सोच भी रहे होगे की ये सब आखिर क्या है?... हैरान न हो.. ये कपड़े दरअसल उसी योर होटल के वेटर्स के यूनिफार्म में से एक है ; कल तुम्हें इन्हीं कपड़ो में योर होटल में जाना है | इससे लोग तुम्हें उसी होटल का ही एक वेटर समझेंगे | कई बार होटल का मालिक ख़ास मौकों पर वेटर की कमी होने पर बेरोज़गार लड़कों को एक रात के लिए काम पर रख लेता है | और अगले दिन अच्छी खासी रकम देकर अलविदा कर देता है | यहाँ एक बड़ी बात ये है की वो एक बार लड़कों को रखने के बाद दोबारा उनकी जांच नहीं करता इसलिए तुम बेफ़िक्र हो कर वहाँ घुस सकते हो और फ़िर सावधानी से अपना काम कर के निकल सकते हो.... और हाँ, तुम्हें कपड़े कहाँ बदलने हैं, होटल में घुसने के बाद तुम्हें क्या क्या करना है, कैसे सर्विस शुरू करनी है...ये सब इसी बैग में एक पेपर में लिख कर रखा हुआ है ; घर जा कर अच्छे से पढ़ लेना... ओके? ”
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