RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
इसपर मेरे दाएँ गाल पर चिकोटी काटते हुए चाची बोली, “ अपने प्राण प्यारे राजा भतीजे को छोड़ कर मैं भला कैसे खा सकती हूँ ?” उनके आवाज़ में शरारत के साथ साथ शिकायत वाला लहजा भी था | उनके लम्बे नाखून मुझे मेरे गाल पर चुभते हुए से लगे पर न जाने क्यों मुझे ये चुभन बहुत प्यारा सा लगा | कुछ कह तो नहीं सकता था इसलिए सिर्फ़ मुस्करा कर रह गया | चाची को शायद मेरा शर्माना बहुत अच्छा लगा, इसलिए मेरे बहुत पास आ कर मेरे आँखों में झाँकने का प्रयास करती हुई बोली, “वैसे इतनी रात को यहाँ अकेले अकेले कर क्या रहे हो... किससे मिलने गए थे अचानक से... कहीं कोई इश्क विश्क का चक्कर तो नहीं?” आवाज़ में अजब सी मिठास और शरारत का मिश्रण था | मैंने थोड़ा हँसते हुए जवाब दिया, “नहीं चाची... ऐसी कोई बात नहीं... और वादा रहा .. जिस दिन और जिससे ऐसी कोई बात होगी.. सबसे पहले आप ही को पता चलेगा.. यहाँ तो मैं बस हर दिन आने वाली चुनौतियों के बारे में सोच रहा था... हर नया दिन.. नई चुनौती.. नए संघर्ष... नए मुश्किलें ले कर आती हैं... सोच रहा था की इन सबसे कैसे निपटू .. कैसे सुलझाऊं हरेक परेशानियों को | कुछ बातें ऐसी भी होती हैं, जिन्हें खुद से सुलझाना आसान नहीं... किसी से शेयर करने को जी चाहता है.. क्या पता किसी एक की परेशानियो का हल किसी दूसरे के पास हो... |” ये कहते हुए मैं तिरछी निगाहों से चाची की ओर देखा...
चाची दूर क्षितिज में, बड़े बड़े बिल्डिंग्स में छोटे छोटे चमकते से रोशनी और आस पास के पेड़ पौधों को एकटक देखे जा रही थी... ऐसा लग रहा था मानो, मेरी एक एक बात उनके जेहन, उनकी जिस्म में उतरती चली जा रही हो | कुछ देर की चुप्पी के बाद वो बोली, “परेशानियो को शेयर करने का जी सबका चाहता है अभय.. संघर्षों से मिलकर लड़ने को जी सबका चाहता है ... मेरा भी... पर... पर... कुछ बातें ऐसी भी हो जाती हैं कि चाह कर भी हम जो चाहते है... वो लाख चाहने पर भी कर नहीं पाते..|” कहते हुए उनका गला भर आया था.. बहुत रुआंसा सी हो कर बोली,” ज़िंदगी इम्तेहान लेती हैं.... अभय... ज़िंदगी इम्तेहान लेती हैं |” ऐसा लगने लगा था की जैसे अब किसी भी क्षण उनकी रुलाई फूटने वाली है | बात को अलग मोड़ देने के लिए मैं उनसे पूछ बैठा,
“ आपको ऐसी क्या परेशानी है जो आप किसी से शेयर नहीं कर सकती... कौन से संघर्ष हैं जो मिलकर नहीं लड़ सकती...?? किसी और को नहीं तो कम से कम मुझे ही बता दीजिए... एस अ भतीजा ओर अ फ्रेंड समझ कर... आप ही तो कभी कभी कहती हैं न की मैं आपके लिए आपके फ्रेंड जैसा हूँ...| तो फिर मुझी से अपनी परेशानी शेयर कर लिया कीजिए | और अगर वैसी ज़रूरत ही आन पड़ी तो मैं आपके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर संघर्ष के साथ दो दो हाथ करूँगा... |” बेहद अपनेपन और आत्म विश्वास के साथ कहा मैंने |
मेरे सवाल करने पर जैसे उन्हें होश आया और ऐसी प्रतिक्रिया दी कि मानो उन्होंने कुछ ऐसी बात कह दी जो उन्हें नहीं कहनी चाहिए थी...| बात को संभालते हुए उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा,
“अरे नहीं अभय... ऐसा कुछ नहीं है मेरे साथ... फिलहाल के लिए... पर मेरी तरफ़ से भी वादा रहा की जिस दिन किसी को पता चलेगा... तो वो पहला व्यक्ति तुम होगे..|” एक पल के लिए मेरी ओर देख कर वो दूसरी ओर देखने लगी... होंठों पर एक हल्की मुस्कान दिखी | उस मुस्कान में कोई बात छिपी थी | शायद कुछ और भी कहना था उन्हें पर शायद कहना ठीक नहीं लगा होगा |
उनकी मुस्कान को देखते हुए मेरी नज़र उनके चेहरे से फ़िसल कर उनके वक्षस्थल पर अटक गई | दूधिया चाँद की रोशनी में नहाया उनका बदन किसी संगमरमर की तराशी हुई मूर्ति की भांति लग रही थी | उनके रोब (नाईट गाउन) के आगे से बांधे जाने वाले फ़ीतों के थोड़ा ढीला हो जाने से उनके रोब से उनकी कसी चूचियों के बीच की थोड़ी सी घाटी, उनका सुन्दर क्लीवेज जैसे आमंत्रण सा देता हुआ प्रतीत हो रहा था | जी तो चाहा की अभी इन्हें अपनी बाँहों में कस लूं और इनके पूरे बदन, ख़ास कर इनके चेहरे पर चुम्बनों की बारिश कर दूँ |
पर रोक लिया खुद को ... सही समय नहीं था अभी | क़िस्मत में है या नहीं, ये तो पता नहीं पर फ़िलहाल तो सिर्फ़ इंतज़ार ही दिख रहा है सामने | उनके बायीं कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “चलो चाची... खा लें... बहुत देर हो गई है |” इसपर चाची मेरे चेहरे की तरफ़ एक बार देखी, कुछ पलों के लिए रुकी, फिर ‘हाँ’ कहते हुए मुड़ कर चल दी.. मैं रोब में उनके उभरे हुए गांड को देखता हुआ आहें भरता हुआ मुड़ने ही वाला था की तभी मेरी छठी इंद्रिय सतर्क हो उठी.. | मैंने तुरंत मोड़ वाले रास्ते की तरफ़ देखा | एक काली रंग की कार खड़ी थी वहाँ.. जो कि अब धीरे धीरे पीछे हो रही थी..................................................................|
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