RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
इतना सुनते ही मैं से बोल पड़ा, “तो क्या मेरी माँ भी??”
इसपर आवाज़ आई, “नहीं....मुझे नहीं लगता.. जैसा तुम सोच रहे हो.. अगर वैसा ही कुछ होता तो अभी तक तुम्हें बहुत कुछ पता चल गया होता या फिर उन लोगों ने खुद ही तुम्हें इसके बारे में कोई इशारा या सन्देश दे दिया होता... तुम्हारी माँ बिल्कुल ठीक है और सुरक्षित है.. तुम निश्चिंत रहो | उन लोगों ने किसी तरह तुम्हारे घर में घुस कर वो तस्वीरें लीं होंगी |”
मैं आश्चर्य में भरकर बोला, “तो आपको ये भी पता है की उन लोगों ने मेरी माँ की तस्व....”
मेरी बात को बीच में काटते हुए उस शख्स ने कहा, “मैंने तुम्हे पहले ही कहा था की मैं सब कुछ जानता हूँ ... अगर मेरे सब कुछ जान लेने पर तुम्हें यकीं नहीं तो अब इतना तो मानोगे ही की मैं बहुत कुछ जानता हूँ..?!” सब कुछ और बहुत कुछ पर जोर देते हुए कहा उसने |
मैं – “अच्छा, एक बात बताइए... अगर आप मुझे दिखेंगे नहीं तो मैं आपसे मदद कैसे मांगूंगा?? आपको कैसे पता चलेगा की मैं मुसीबत में हूँ भी या नहीं...?”
“वो मैं देख लूँगा.. और कभी अगर कांटेक्ट करने की ज़रूरत महसूस हुई तो मैं खुद ही कांटेक्ट कर लूँगा...| अभी इससे ज़्यादा और कुछ नहीं बता सकता |” भावहीन स्वर में बोला वो...|
मैं – “अच्छा, एक और बात.. कम से कम इतना तो बताइए की आप हैं कौन या फिर आप मेरी ही मदद क्यों कर रहे हैं??” मेरे इस प्रश्न में मेरे उतावलेपन का स्तर साफ़ नज़र आ रहा था |
“सही समय आने पर सब खुद ब खुद ही पता चल जाएगा... डोंट वरी.. आज के लिए इतना ही.. वो टैक्सी तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देगी ... बाय...|” पहले जैसे स्वर में ही कहा उसने |
अभी मैं कुछ कहता या कोई प्रतिक्रिया देता... खट से एक आवाज़ हुई.. मैं धड़कते दिल को संभाले धीरे धीरे खम्भे के दूसरी तरफ़ गया.. घुप्प अँधेरा... टॉर्च जलाया... चारों तरफ़ ईंटें और कई दूसरी चीज़ें गिरी हुई थीं... उस शख्स का कहीं कोई नामो निशान नहीं था.. ऐसा लग रहा था जैसे की हवा में विलीन हो गया हो | मन में कई सवाल, अंदेशों और संदेहों को टटोलता – संभालता मैं टैक्सी की ओर बढ़ चला.. घर वापस जाने के लिए .......
.
|