RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
तीन घंटे बाद,
चाची अपने रूम में है... और मैं अपने रूम में.. कुछ देर पहले फ़ोन आया था चाचा का .. आज आने में लेट होगा उनको.. ग्यारह बजे तक आयेंगे .. मुझे खाने का मूड नहीं था और चाची तो चाचा के आने बाद ही खाएँगी | बिस्तर पर लेटे लेटे पूरे दिन के घटनाक्रमों के बारे में सोच रहा था ... ‘माल की डिलीवरी.. ‘एक्सचेंज’... ‘डेमो’, ‘कोड’.... ये सब जितना सोचता उतना ही मेरे सिर पर किसी हथोरे की तरह चोट करते | बिस्तर पर से उठा.. पास के टेबल से बोतल उठाई और पूरा पानी गटक गया | पानी खत्म करते ही सिगरेट की तलब हो आई.. टेबल के दराज से ‘किंग साइज़’ और लाइटर निकाला और चल दिया ऊपर छत की तरफ़ .. कुछ कदम अभी चढ़ा ही था की सोचा एक बार चाची को बता दूं ..की ‘मैं छत पर जा रहा हूँ कोई काम होगा तो बुला लेना’ | साथ ही मुझे ये भी पता चल जाएगा की चाची अभी क्या कर रही है...
कोई पदचाप किये बिना मैं धीरे धीरे उनकी रूम की तरफ़ बढ़ा | दरवाज़ा पूरी तरह लगा नहीं था... हल्का सा सटा कर रखा गया था .. मैंने दरवाज़े को हल्का सा खोल कर अन्दर झाँका.. और झांकते ही आँखें चौड़ी हो गई..
चाची अन्दर अपने बदन पर सिर्फ़ एक टॉवल लपेटे आदमकद आइने (ड्रेसिंग टेबल) के सामने खड़ी थी | टॉवल भी सिर्फ़ उनके गांड से थोड़ी सी नीचे ही थी... बाकी सब साफ़ दिख रहा था .. चाची दूसरे टॉवल से अपने गीले बाल पोंछ रही थी और आईने में खुद को निहारते हुए मंद मंद मुस्कुरा रही थी | लगता है अभी अभी नहा कर निकली है | पूरा बदन चमक सा रहा था.. ख़ास कर उनका चेहरा.. काली आँखें, धनुषाकार आई ब्रो, लाल लिप्स, और उसपे भी रह रह कर आँखों और चेहरे पर गिर आते बालों के लट.. उन्हें और भी सम्मोहक और किसी काम मूर्ति की भाँती बना रही थी | कसम से, आज पहली बार उनको देख कर मन में तरह तरह के ख्याल आ रहे थे.. और वो सभी नेक ख्याल नहीं थे इस बात का प्रमाण मेरे बरमुडा में उभर आया तम्बू साफ़ दे रहा था | बाल पोंछ कर चाची कमरे के दूसरी तरफ़ चली गई | मैं वहीँ अपने यथास्थान पर खड़ा रहा | मन और लंड अभी बहुत कुछ देखना चाहते थे शायद.. खैर, थोड़ी ही देर में चाची फिर से आईने के सामने आई ...औ..औरर... और.. जो मैंने देखा वो देखकर मुझे अपने आँखों पर यकीं ही नहीं हो रहा था !!
चाची एक अजीब सी .. अलग ही सी ड्रेस में आईने के सामने खड़ी थी.. ये कहने में कोई भूल नहीं होगी की उस ड्रेस ने चाची की यौवन को जितना निखार कर सामने लाने का बढ़िया काम कर रही थी उतना ही मेरे अन्दर काम ज्वाला को धधकाने में भी कर रही थी | किसी छोटे बच्ची की स्कर्ट जैसी लग रही थी ... अंतर सिर्फ़ इतना है की कन्धों पर पूरे कपड़े होने के बजाए वहां सिर्फ एक एक धागे की डोरी जैसी थी जो नीचे उतरता हुआ उनके स्तनों के पास छोटे और तंग कप्स जैसे बन गए थे जो उनकी चूचियों को बड़ी ही खूबसूरती से ऊपर की ओर धकेल रही थी और नतीजतन, दोनों चूचियों के बहुत सा भाग सफ़ेद सा होकर ऊपर उठा हुआ दिख रहा था और दोनों के इस तरह से आपस में सट कर लगे होने से दोनों के बीच की गहरी घाटी (क्लीवेज) भी बहुत ही उत्तेजक रूप से सामने प्रदर्शित हो रही थी | चाची खुद को निहारती, मुस्कराती हुई, अपनी ही खूबसूरती पर मंत्रमुग्ध होती हुई अपने बदन पर क्रीम/ लोशन लगा रही थी | अपनी ही चाची के उस अर्धनग्न; यौवन से भरपूर रूप लावण्य के सौन्दर्य में मैं अपनी सुध-बुध खोता सा चला जा रहा था |
क्रीम/लोशन लगाने के बाद चाची फिर पलटी और कमरे के दुसरे तरफ़ चली गई.. स्टील वाली आलमारी खुलने की आवाज़ आई ... फिर बंद होने की... थोड़ी सी खटपट और चूड़ियों की छन छन की आवाज़ आई ... दो मिनट बाद ही चाची फिर से आईने के सामने आई... इसबार अपने ऊपर एक नाईट गाउन जिसे अक्सर, अंग्रेजी में रोब (Robe) भी कहते हैं, ली हुई थी...|
शिट..!! नयनाभिराम दृश्य का बहुत जल्दी अंत हो गया !.. मन दुखी हो गया.. लंड की बात छोड़ देता हूँ फिलहाल के लिए... अब तो कुछ भी नहीं दिख रहा था | दुखी मन से चाची को अच्छे से देखा... सब ढका हुआ था सही पर नितम्ब और वक्षों के आस पास का क्षेत्र पूरे गर्व के साथ उठे हुए से थे | थोड़ा और निहारता की तभी टेलीफ़ोन की घंटी सुनाई दी... दिमाग को एक झटका सा लगा.. वासना वाली सपनों की दुनिया से बाहर निकला... | पर अधिक सोचने का समय नहीं था अभी.. इसलिए जल्दी से भागा वहां से.. इस बात का पूरा ध्यान रखते हुए की मेरे से किसी तरह की कोई आवाज़ न हो जाए | अपने रूम के पास जा कर रुका और फिर दो मिनट रुक कर सीढ़ि से थोड़ा नीचे उतर कर नीचे बज रहे टेलीफोन पर नज़र रखा |
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