RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
एक टैक्सी में बैठा हुआ हूँ मैं... और मेरा टैक्सी वाला अपने सामने के टैक्सी को फॉलो कर रहा है ... बराबर दूरी बना कर.. समान गति से.. खुद के पकड़े जाने का डर नहीं है.. मेकअप कर के बैठा हूँ.. एक मित्र है मेरा.. अच्छा काम करता है मेकअप का.. नकली दाढ़ी मूँछ लगा कर... हेयर स्टाइल बदल कर .. एक लम्बा..फ्री स्टाइल ट्राउजर .. पिंक कलर का शर्ट और उसपे ट्राउजर से मैच करता ग्रे कलर का ब्लेज़र डाला हुआ है मैंने.. दाएँ हाथ की तीन उँगलियों में तीन बेशकीमती (पर नकली) रत्न लगे अंगूठियाँ.. दाएँ हाथ की ही कलाई में एक चैन वाली घड़ी ... बाएँ हाथ की अँगुलियों ; तर्जनी और मध्यमा के बीच एक सुलगता सिगार ... और साथ में पेपर.. आँखों पर काला चश्मा.. गारंटी दे कर कह सकता था की कोई माई का लाल मुझे नहीं पहचान सकता था |
करीब पैंतालीस मिनट का सफ़र तय करते हुए आगे वाली टैक्सी शहर के ही एक महँगे होटल के सामने रुकी | मैंने भी अपने टैक्सी को थोड़ी ही दूरी पर रुकवा दिया | आगे वाली टैक्सी का पीछे वाले दोनों दरवाज़े एक साथ खुले .. दाएँ तरफ़ से एक लम्बा सा आदमी निकला.. पठानी सूट में... तो वहीं दूसरी तरफ़ से बाहर निकली थी कुछ समय पहले तक आदर्श गृहिणी का तमगा रखने वाली मेरी प्यारी चाची... आज चाची को भी पहचानना मुश्किल था .. हल्का आसमानी रंग की साड़ी और ब्लाउज के नाम पर बिकिनी ब्लाउज... जिसमें दो अत्यंत छोटे ब्लाउज कप्स थे..जिनका काम था चाची की उन्नत, परिपुष्ट चूचियों में से थोड़े हिस्से को कवर करना और बाकि के हिस्से को जबरदस्त प्रभाव के साथ ऊपर की ओर उठाये रखना | बस.... बाकि सब पतली रस्सियों की डोरी सी थी | और माँ कसम.... कमाल की पीस लग रही थी |
पीले गोल्डन जैसे चमकते हील वाले सेंडल पहने इठलाती , मटकती , आहिस्ते, शौख से गांड हिलाती वो उस लम्बे से आदमी के साथ अन्दर उस होटल में दाखिल हुई.. मैंने उस टैक्सी वाले को एक पचास का नोट थमाते हुए आँखों से कुछ इशारा किया ... वो मुस्कुरा कर हाँ में सर हिलाया और मैं इतने में ही टैक्सी से उतर कर रोबीले अंदाज़ में उस होटल की ओर बढ़ चला... इधर मेरे टैक्सी वाले ने चाची वाले टैक्सी के साथ अपनी गाड़ी पार्क की और उधर ठीक उसी समय मैं उस आलिशान होटल के सुन्दर नक्काशी वाले और एक दो जगह कांच लगे दरवाज़े को हल्का धक्का देते हुए अन्दर घुसा |
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अन्दर घुसते ही देखा, वो आदमी चाची के कमर में हाथ डाले एक टेबल की ओर बढ़ा जा रहा है | ये ऐसा होटल है, जिसके ऊपर वाले फ्लोर पर होटल की सारी व्यवस्था है और नीचे, जहां अभी मैं हूँ... वो किसी रेस्टोरेंट और कैफेटेरिया का कॉम्बो जैसा है | यहाँ पिज़्ज़ा, बर्गर, हॉट डॉग्स, नूडल्स से लेकर हाई क्वालिटी की चाय, कॉफ़ी तक और तो और बियर और शराब तक अवेलेबल है | पूरी जगह की एक सरसरी सी नज़र दौड़ा कर मुआयना किया .... वो आदमी चाची को लेकर एक टेबल से लगी तीन कुर्सिओं में से एक पर बैठ गया और चाची को भी खिंच कर अपने से लग रखी दूसरी कुर्सी पर बैठाया | मैं तुरंत उनके ठीक बगल वाले टेबल पर जा कर बैठ गया | बगल में होते हुए भी वो टेबल थोड़ा पीछे था | वहां लोग बहुत नहीं थे पर थे भी | अभी तक मैंने पहली वाली ख़त्म कर एक और सिगार सुलगा लिया था | मेरे टेबल के लिए भी तीन कुर्सी थी जिनमें से एक पर मैं बैठा था ; बाकी दोनों खाली थे | मैं पेपर को सामने लिए पढने का ढोंग करने लगा | मेरे बैठने के कोई दो मिनट ही हुए होंगे की लाल कपड़े पहने एक वेटर आ गया और बड़ी शालीनता से आगे की ओर थोड़ा झुक कर सीधा होगया और बहुत ही शांत लहजे में पूछा,
“व्हाट वुड यू लाइक तो हेव सर...?”
“वन कॉफ़ी प्लीज़....लेस शुगर ... एंड अ टोस्ट...!” मैंने भी बड़े ही रोबीले अंदाज़ में अपना ऑर्डर दिया...|
“ओके सर... एनीथिंग एल्स सर...|”
“म्मम्म... या.. गेट अन ऑमलेट आल्सो...|” थोड़ी बेफिक्री से कहा मैंने... |
वेटर एक बार फिर वैसे ही झुक कर सलाम कर के चला गया .. पेपर पढ़ता हुआ मैं बीच बीच में चाची की टेबल की तरफ़ देख लेता | काला चश्मा पहने होने के कारण उन दोनों को पता नहीं चल रहा था की मैं उन्हें देख भी रहा हूँ |
इसी दौरान मैंने देखा की वो आदमी अपने कुरते के पॉकेट से एक स्टील केस बाहर निकाल कर उसे खोला और उसमें से एक सिगार निकाल कर सुलगा लिया... और धुआं चाची के चेहरे पर छोड़ने लगा.. | चाची को परेशानी हो रही थी पर वो बिना कुछ कहे, हाथों से धुआं हटाते हुए थोड़ा खांसती, फिर अपने पल्लू का एक सिरा अपने नाक पर रख लेती | चाची की यह हालत देख कर मेरी भी हंसी छूटने को हो रही थी |
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