Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
11-17-2019, 12:45 PM,
#5
RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
अगले दिन सुबह....

हमेशा की तरह चाचा ऑफिस चले गए | चाची घर के काम निपटा रही थी | मैं सुबह के एक बैच को पढ़ा चूका था और दूसरे बैच को कोई बहाना बना कर छुट्टी दे दिया | एक छोटा सा लेकिन ज़रूरी काम था मुझे | सो मैं नहा धो कर, नाश्ता कर के चाची को बाय बोल कर घर से निकल गया | कोई आधे घंटे के करीब लगा मुझे मेरा काम ख़त्म करने में | पर सच कहूं तो काम कम्पलीट नहीं हुआ था, थोड़ा बाकि रह गया था जोकि फिर कभी पूरा हो सकता था | मैं घर की ओर लौट आ रहा था | घर के पास पहुँचने पर देखा की एक लड़का बड़ी तेज़ी से हमारे घर के बगल वाली गली में घुसा | मैं चौंका और संदेह भी हुआ | मैं भी जल्दी से पर बिना आवाज़ किये उस लड़के के पीछे पीछे गली में घुसा | गली बहुत संकरा सा था | एक बार में एक ही आदमी जा सकता था .. गली के दोनों और ऊँचे ऊँचे दीवारें हैं | और वो गली हमारे ही बाउंड्री में आता है | चाची इसका इस्तेमाल बचे खुचे छोटे मोटे कूड़ा करकट फेंकने के लिए करती थी | उस गली में एक दरवाज़ा भी था जो हमारे घर के पिछवाड़े वाले दरवाज़े से सटा था | मैं जल्दी से गली में घुसा तो ज़रूर था पर क्या देखता हूँ की उस लड़के का कहीं कुछ अता पता नहीं है | गली का दरवाज़ा भी लगा हुआ था |

मैंने और टाइम ना वेस्ट करते हुए जल्दी से पल्टा और घर के मैं डोर पे पहुँचा | डोर बेल बजाना चाहा पर वो बजी नहीं | शायद बिजली नहीं थी | फिर मैंने दरवाज़ा खटखटाया और काफ़ी देर तक खटखटाया | पर चाची ने दरवाज़ा नहीं खोला... मैं डर गया | कहीं कोई अनहोनी ना हो गयी हो | जब और कुछ सूझा नहीं तो मैं फिर से गली में घुसा और दरवाज़े तक गया | दरवाज़ा बंद था पर पुराना होने के कारण उसमें दरारें पड़ गई थीं और उन दरारों से दरवाज़े के दूसरी तरफ़ बहुत हद तक देखा जा सकता था | मैं बिल्कुल करीब जा कर दरवाज़े से कान लगाया | आवाजें आ रही थीं | एक तो चाची की थी पर दूसरा किसी लड़के का !! कहीं ये वही लड़का तो नहीं जिसे मैंने कुछ देर पहले गली में घुसते देखा था ? क्या वो चाची को जानता है? क्या वो उनके जान पहचान का है? अगर हाँ तो फिर उसे इस तरह से यहाँ आने की क्या ज़रूरत थी? वो मेन डोर से भी तो आ सकता था | पर ऐसे क्यों?
ज़्यादा देर न करते हुए मैं दरवाज़े पर पड़ी उन दरारों से अन्दर झाँकने लगा....... और जो देखा उससे सन्न रह गया | चाची तो लगभग पूरी दिख रही थी पर वो लड़का नहीं दिख रहा था..| सिर्फ़ उसका हाथ दिख रहा था.... औ...और ... उसका एक हाथ ... दायाँ हाथ चाची के बाएँ चूची पर था !! और बड़े प्यार से सहला रहा था | ये तो थी ही चौंकने वाली बात पर इससे भी ज़्यादा हैरान करने वाली बात ये थी की इस समय चाची के बदन पर साड़ी नहीं थी | पूरी की पूरी साड़ी उनके पैरों के पास थी... ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने या फिर चाची ने ही खड़े खड़े साड़ी खोली और हाथ से ऐसे ही छोड़ दी | साड़ी गोल हो कर उनके पैरों के इर्द गिर्द फैली हुई थी ! लड़का प्यार से उनके बाएँ चूची को दबाता और अचानक से एक बार के लिए पूरी चूची को जोर से दाब देता | और चाची दर्द से ‘आह्ह...’ कर के कराह देती |
“माफ़ कीजिएगा मैडम.. हमको ये करना पड़ रहा है... उन लोगों को हर बात की खबर रहती है ... अगर ऐसा नहीं किया तो वे लोग मुझे नहीं छोड़ेंगे..|” लडके ने कहा | जवाब में चाची ने सिर्फ “ह्म्म्म” कहा |

“पर एक बात बोले मैडम... बुरा मत मानिएगा ... इस उम्र में भी अच्छा मेन्टेन किया है आपने खुद को |..... ही ही ...|” बोल कर लड़का हँसा |
मैंने चाची के चेहरे की ओर देखा... दर्द और टेंशन से उनके चेहरे पर पसीने की बूँदें छलक आई थीं |
चाची – “जल्दी करो.. वो किसी भी टाइम आ जाएगा | अगर देख लिया तो मैं बर्बाद हो जाउंगी |”
लड़का – “अरे टेंशन क्यों लेती हो मैडम.. वे लोग उसका भी कोई इंतज़ाम कर देंगे |” बड़ी लापरवाही से कहा उसने |
लड़का – “ओह्हो मैडम... ये क्या... आपको जैसा करने कहा गया था आपने वैसा नहीं किया?”
चाची – “क्या करने..ओह्ह.. ह..हाँ... भूल गयी थी... मैं अभी आई |”
बोल कर चाची अन्दर जाने के लिए जैसे ही मुड़ी .. लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया... | बोला,
“अरे कहाँ चलीं मैडम जी... अन्दर नहीं जाना है |”
चाची (हैरानी से) – “तो फ़िर ?”
लड़का – “यहीं कीजिये |” लड़के के आवाज़ में कुटिलता और सफलता का अद्भुत मिश्रण था |
चाची (थोड़ी ऊँची आवाज़ में) – “क्याsss… क्या.. बक रहे हो तुम..? दिमाग ख़राब है क्या तुम्हारा? इतना हो रहा है..वो काफ़ी नहीं है क्या? उसपे भी अब ये... कैसे करुँगी मैं?”
लड़का (आवाज़ में बेचारगी लाते हुए) – “वो तो आप जानिए मैडम जी.. मैं तो वही कह रहा हूँ जो उन लोगों ने तय किया था ... और उनसे कुछ भी छिपता नहीं है... आगे आप जानिए |”

मैंने देखा, चाची सोच में पड़ गयी है... किसी उधेरबुन में थीं ... पर जल्द ही कुछ फैसला किया उन्होंने मानो | लडके के पास आ कर थोड़ा दूर हट कर लडके के तरफ़ पीठ कर के उल्टा खड़ी हो गई | उससे आगे का दिख नहीं रहा था | सिर्फ चूड़ियों की खन खन और छन छन की आवाज़ आ रही थी |
ऐसा लगा जैसे की लडके ने पैंट के ऊपर से अपने लंड को पकड़ कर मसलने लगा |
लड़का (धीमे आवाज़ में) – “उफ्फ्फ़ ... क्या पीठ है यार....इतना साफ़... बेदाग ....उफ्फ्फ्फ़.. क्या माल है....! काश के कभी एक बार मिल जाए...|”
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