RE: Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन
वो दर्द से चिल्लाने लगी और मुझे अपने ऊपर से हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी। वो बोली- “आह... मर गई.. बहुत दर्द हो रहा है... मुझे नहीं लेने है मजे... बाहर निकालो इसे... तुमने तो मुझे मार ही डाला। मेरी चूत फट गई है। सहन नहीं हो रहा है मुझसे। आह्ह... आह्ह..”
मैंने कहा- बेबी, बस हो गया... अब दर्द नहीं होगा। बस थोड़ा सा और सहन कर लो। फिर बहुत मजा आएगा।
दर्द से उसकी आखों में आंसू आ गए। मैंने उसे कसकर पकड़ लिया, मैंने उसकी चूचियां मसलनी शुरू कर दीं।
और उसे किस करता रहा। जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो एक तेज धक्का मारकर मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में ठोंक दिया।
वो बेहोश सी हो गई। एक बार तो मैं डर सा गया। मैंने लण्ड बाहर निकाला तो देखा उसकी चूत से खून की लकीर सी बहने लगी थी। उसकी सील टूट चुकी थी। मेरा लण्ड भी उसके खून में सना हुआ था। मैंने उसे पानी पिलाया और उसके होंठ और चूचियों से खेलने लगा।
ये दवाई का ही असर था कि इतने दर्द के बावजूद वह चुदवाने को तैयार हो गई। एक बार फिर मैंने उसकी चूत में लण्ड डाला और हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा।
चूत बहुत टाइट थी। इसलिए उसे अब भी दर्द हो रहा था। मैंने स्पीड बढ़ाई तो वो फिर कराहने लगी।- “आहह...
आह्ह... नहीं भइया, नहीं... दर्द हो रहा है... ओह्ह... ओह्ह..सीईई... आइइ..."
मैं अनसुना करते हुए लगातार लौड़े की ठोकरें चूत में मारता रहा। धीरे-धीरे उसे मजा आने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी। चूत वास्तव में बहुत ही ज्यादा टाइट थी इसलिए मजा भी दुगना आ रहा था। मैं पहली बार किसी कुँवारी चूत को चोद रहा था इससे और जोश बढ़ गया।
“आह्ह... आह... तेज भईया... और तेज... चोद दो मुझे... ओह... और तेज... बहुत मजा आ रहा है। आह्ह...
आहह..” अब नजारा बदल चुका था।
मैंने रफ्तार पकड़ ली और कमरे में उसकी आवाजें गूजने लगीं, मैं कुँवारी चूत चोदने लगा। थोड़ी ही देर में मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया। कुछ देर उसके ऊपर ही चढ़े रहने के बाद जब मैंने लण्ड बाहर निकाला तो मेरे वीर्य के साथ खून भी उसकी चूत से बाहर आ रहा था। तौलिया खून से लाल हो गया और उसकी गुलाबी चूत फूल गई थी।
मैंने आज उसे कली से फूल बना दिया था। मैंने उसे उठाया। उसकी हालत खराब थी। उससे उठा भी नहीं जा रहा था। हम दोनों नंगे ही बाथरूम गए। मैंने उसकी चूत खूब साफ करके धोई और फिर साथ में नहाए और उसके बाद फिर उसकी दो बार और चुदाई की, और उसकी चूत को वीर्य से भर दिया। गोली के असर के कारण वो चुद तो गई, पर उसकी हालत बहुत खराब थी। मैंने उसे दर्द की गोली और गर्भ निरोधक गोली दी और आराम करने को कहा।
मैंने कहा- “मीनू... कहो कैसी रही मेरे साथ तुम्हारी चुदाई? मजा आया ना तुम्हें?
वो बोली- तुमने तो मेरी हालत खराब कर दी। मेरी चूत की क्या सूरत बना दी है तुमने। ये फूल गई है। पहले तो दर्द बहुत हुआ। पर बाद में मजा बहुत आया।
मैं बोला- जानेमन, वो कुछ देर में ठीक हो जाएगी। अब तुम्हारी सील खुल चुकी है। आगे से तुम्हें दर्द नहीं होगा। बस चूत चुदवाने में मजा ही मजा मिलेगा।
वो बोली- भइया, अगर आज का पापा को पता चल गया तो वो मुझे मार ही डालेंगे। मुझसे तो चला भी नहीं जा रहा है।
मैं बोला- तुम पापा को बताना कि सुबह तुम सीढ़ियों से फिसल गई थीं और तुम्हारे पैर में मोच आ गई थी। इसलिए चला नहीं जा रहा है। किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।
शाम को उसके घर वाले आ गए। जिन्हें मैंने और उसने वही बताया। जिसे वो मान गए। दो दिन बाद वो नार्मल हो गई और अब तो हम रोज ही कमरा बंद करके जल्दीबाजी वाला राउण्ड खेलने लगे। उसे मैं बहुत बार अपने दोस्त के कमरे में भी ले गया। जहाँ मैंने उसकी दबाकर चुदाई की। बहुत बार उसकी गाण्ड भी मारी।
कुछ महीने बाद वो अपने मम्मी-पापा के साथ नए मकान में चले गए और मैं फिर अकेला पड़ गया। पर इस बात की खुशी है कि वह जब भी मेरे कमरे में आती है। तो मेरे से चुदती जरूर है और मैंने ही उसकी पहली बार कुँवारी चूत की सील खोली थी और उसे कली से फूल बनाया था। और अब मेरी कुँवारी लड़की की चूत की सील खोलने की हसरत भी पूरी हो गई थी।
*
|