RE: Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन
मकान मालकिन- राज क्या देख रहे हो? जल्दी से मेरी सलवार झाड़ो और मुझे पहनाओ।
मैंने उनके पैरों से सलवार निकाली और उसे तीन-चार बार झाड़ा। मैंने सोचा ऐसे तो काम बनेगा नहीं। मुझे ही कुछ करना पड़ेगा। नहीं तो हाथ आई चूत बिना दर्शन के ही वापस जा सकती है। मैं चिल्लाया- “भाभी, दो चींटियां तुम्हारी पैन्टी के अन्दर घुस रही हैं। कहीं तुमको ‘उधर' काट ना लें..”
मकान मालकिन- राज, उन्हें जल्दी से हटाओ नहीं तो वो मुझे काट लेंगी। पर खबरदार पैन्टी मत खोलना।
मैं- “ठीक है भाभी..” मैंने जल्दी से सलवार एक तरफ फेंकी और उनके पीछे जाकर अपने हाथ उनके आगे लेजाकर उनकी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा।
मालकिन- ओह्ह... राज, यह क्या कर रहे हो तुम?
मैं- भाभी, तुमने ही तो बोला था कि पैन्टी मत खोलना। चींटियां तो दिख नहीं रही हैं। इसलिए बाहर से ही मसल रहा हूँ। ताकि उससे अन्दर गई चींटियां मर जाएँ। तुम थोड़ा धैर्य तो रखो।
मालकिन- ठीक है, करो फिर।
मैं एक हाथ से उनकी टाँगों के बीच सहला रहा था। दूसरे हाथ से उनकी कमर पकड़े था। ताकि बीच में भाग ना जाएं। धीरे-धीरे मैं उनकी पैन्टी के किनारे से हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा।
उन्हें भी मर्द का हाथ आनन्द दे रहा था इसलिए वे कुछ नहीं बोलीं। थोड़ी ही देर में वो रगड़ाई से गरम हो गई
और अपनी पैन्टी गीली कर बैठीं। मैं समझ गया कि माल अब गरम है, मैंने अपना लण्ड उनकी गाण्ड से सटा दिया और उनकी चूत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर करने लगा।
भाभी को मेरे इरादे का पता चल गया, वो बोली- “ओह... राज... ये क्या कर रहा है तू। अगर किसी को पता चल गया तो मैं बदनाम हो जाऊँगी.”
मैं- भाभी, तुम किसी को बताओगी क्या?
मालकिन- मैं क्यों बताऊँगी।
मैं- मैं तो बताने से रहा। तुम नहीं बताओगी तो किसी को पता कैसे चलेगा। वैसे भी तुम्हारा भी मन है ही ये सब करने को। तभी तो तुम्हारी पैन्टी गीली हो गई है। अब शर्माओ मत और खुलकर मेरा साथ दो। जिससे तुमको दुगुना मजा आएगा।
अब मकान-मालकिन ने भी शरम उतार फेंकी और दोनों हाथ ब्रा से हटा दिए। हाथ हटाते ही उनके कबूतर पिंजरे से आजाद हो गए। मैंने भी उनकी पैन्टी उनके जिश्म से अलग कर दी।
मैं- वाह भाभी क्या जिश्म है तुम्हारा देखते ही मजा आ गया।
मालकिन- राज, तुमने मेरा सब कुछ देख लिया है। मुझे भी तो अपना दिखाओ ना। कितने सालों से उसके दर्शन नहीं हुए हैं। मैं देखने को मरी जा रही हूँ, जल्दी से कपड़े उतारो।
मैंने फटाफट कपड़े उतार दिए। मेरा हथियार अब उनके सामने था।
मालकिन- राज, मैं इसे हाथ में पकड़कर चूम लँ?
मैं- भाभी, तुम्हारी अमानत है। जो मर्जी है वो करो।
उन्होंने फटाफट उसे लपक लिया और पागलों की तरह उसे चूमने लगीं।
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