RE: Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन
कुछ देर बाद मैंने भाभी को फोन किया और पूछा- भाभी कैसा लगा, मजा आया?
भाभी बोली- मेरे पति घर से तीन-तीन दिन तक गायब रहते हैं और तुमने मेरी प्यास और बढ़ा दी है। अब इस प्यास को कब बुझाओगे?
मैंने कहा- अभी आ जाऊँ?
भाभी- अभी मरवाओगे क्या? अभी नहीं, मैं रात को काल करूंगी।
मैं रात का इन्तजार करने लगा। मैंने अपना फोन साईलेन्ट मोड में डाल दिया ताकि दोस्त को पता ना चले। रात को दोस्त भी आ गया, हमने साथ-साथ खाना खाया। पर भाभी का फोन नहीं आया। मैं परेशान हो गया और टीवी देखने लगा।
दोस्त बोला- यार कल मुझे सुबह 6:00 बजे ड्यूटी जाना है। तुझे कब जाना है?
मैंने कहा- कल मैं दोपहर में जाऊँगा इसलिए अभी एक फिल्म देगा।
दोस्त ने कहा- आवाज कम करके देख और मुझे सोने दे।
मैंने कम आवाज की और फोन का इन्तजार करते हुए फिल्म देखने लगा। जब 11:50 तक भी फोन नहीं आया। तो मैं भी सोने की तैयारी करने लगा। रात को 12:30 बजे, जब सभी गहरी नींद में सो गए और मुझे भी नींद आने ही लगी थी, कि तभी मेरे फोन पर भाभी का मैसेज आया कि छत पर मिलो।
सर्दी के दिन थे। रात में छत पर कोई नहीं जाता था। मैंने तेज खांसकर चैक किया कि दोस्त सोया है कि नहीं, वह गहरी नींद में था। मैं चुपचाप उठा। बाहर देखा कोई नहीं था। सभी अपने-अपने दरवाजे बंद करके कबके सो चुके थे। जब मैं छत पर पहुँचा। भाभी वहाँ पहले से ही खड़ी थी।
भाभी- “बच्चे अभी सोये हैं, मैं उन्हें ज्यादा देर अकेला नहीं छोड़ सकती, प्लीज राज, जो भी करना है। जल्दी करो...”
मैं- पर भाभी, यहाँ पर कैसे?
भाभी- ये देखो, मैंने आज दोपहर में ही एक गद्दा छत पर सूखने डाला था। जिसे मैं नीचे नहीं ले गई। यहीं पर
मैं- भाभी आप तो बहुत तेज हो।
भाभी चुदासी सी बोल पड़ीं- “जब नीचे आग लगी होती है तो तेज तो होना ही पड़ता है। अब जल्दी से वो कोने में ही गद्दा बिछाओ और जो दो टीन की चादरें रखी हैं। उनको दीवार के सहारे लगाओ।
मैंने फटाफट बिल्कुल कोने में जीने से दूर गद्दा बिछाया और उसे दीवार के सहारे टीन की चादरें लगाकर ऊपर से ढक दिया। छत पर पहले से ही बहुत अंधेरा था। फिर भी कोई आ गया तो चादरों के नीचे कोई है, ये किसी को दिखाई नहीं देगा।
मैं भाभी के दिमाग को मान गया। भाभी रात में कोई झंझट ना हो इसलिए वो साड़ी पहनकर आई थी। मैंने भाभी को लेटने को कहा और खुद उनके बगल में लेट गया और धीरे-धीरे उनके मम्मे दबाने लगा।
भाभी तो पहले से ही बहुत गरम और चुदासी थी। वो सीधे मेरे से चिपट गई और मेरा लौड़ा पकड़ते हुए बोलीप्लीज राज, जो भी करना है जल्दी करो। मैं बहुत दिनों से तड़प रही हूँ। मेरी प्यास बुझा दो...”
मैंने कहा- जरूर भाभी, पहले थोड़ा मजे तो ले लो।
उन्होंने मुझे पूरे कपड़े नहीं उतारने दिए, कहा- “फिर कभी मजे ले लेना। आज जो भी करना है, फटाफट करो। मैं अब ये आग नहीं सह सकती..."
फिर भी मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए और ब्रा को ऊपर उठाकर उनके निप्पल चूसने लगा। दूसरे हाथ से उनके पेटीकोट को ऊपर करके पैन्टी उतार दी और उनकी चूत सहलाने लगा। वहाँ तो पहले से ही रस का । दरिया बह रहा था, उन्हीं की पैन्टी से चूत साफ की और जीभ से चूत चाटने लगा, उन्हें मजा आने लगा। फिर हम 69 अवस्था में आ गए और वो भी मेरा लण्ड चूसने लगी। जब उन्हें मजा आने लगा तो वो तेज-तेज मुँह चलाने लगी।
मैंने मना किया- “ऐसे तो मेरा माल गिर जाएगा...”
तब उन्होंने मुझे अपने ऊपर से हटा लिया और किसी रांड की तरह टांगें चौड़ी करते हुए बोली- “राज अब मत सताओ, आ जाओ। मेरी चूत का काम तमाम कर दो...”
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