RE: Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन
मैंने इधर-उधर देखा। सभी दिन में आराम कर रहे थे। बाहर कोई नहीं था। मेरा दोस्त भी ड्यूटी गया था। मौका अच्छा था। मैंने उनको लपक कर पकड़ लिया और उनका एक मम्मा सूट के ऊपर से ही दबा दिया। उनके मुँह से एक 'आह' निकली। मैंने फिर दूसरे मम्मे को भी जोर से मसल दिया।
भाभी बोली- “क्या करते हो? कोई देख लेगा...”
मैं समझ गया कि भाभी का मन तो है। पर इर रही हैं। मैं उन्हें खींचते हुए सामने बाथरूम में ले गया। दरवाजा बंद करके उन्हें बाहों में भर लिया और बोला- मेरी गर्ल फ्रेण्ड बनोगी भाभी?
भाभी ने मादकता भरे स्वर में कहा- “मैंने कब मना किया...”
इतना सुनते ही मैंने उनके गालों और होंठों पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी।
भाभी- हटो, यह क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- गर्लफ्रेण्ड को चुम्मी कर रहा हूँ।
भाभी इठलाते हुए बोली- कोई ऐसा करता है भला?
मैं कहाँ मानने वाला था। चुम्बन के साथ-साथ उनके दोनों मम्मों को लगातार दबाने लगा।
वो गरम होने लगी। पर बार-बार ‘ना... ना मत करो' कह रही थी।
मैंने अपना एक हाथ उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया। तो वह और गरम हो गई और अजीब सी आवाजें निकालने लगी।
फिर वह मेरा साथ देने लगी और मुझे भी चुम्बन करने लगी। मैंने उनके पाजामे का नाड़ा खोल दिया और हाथ अन्दर ले गया तथा पैन्टी के अन्दर हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा। उनकी चूत बहुत ज्यादा गरम हो रही थी। मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी।
उन्हें मजा आने लगा। वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी। मैंने तुरन्त अपने होंठ उनके होंठों से लगा लिए और उनका हाथ पकड़कर अपने पैन्ट के ऊपर से ही लण्ड पर रख दिया। जो कि अब तक राड जैसा सख्त हो गया था।
वो भी मतवाली होकर मेरी चैन खोलकर मेरा लण्ड सहलाने लगी। थोड़ी ही देर में उनकी में से पानी रिसने लगा।
मैं जोर-जोर से अंगुली करने लगा। अब हम दोनों ही बहुत ज्यादा गरम हो गए थे। पर इर भी रहे थे कि कोई
आ ना जाए।
थोड़ी ही देर में भाभी की चूत से पानी चूने लगा। वो झड़ने के बाद निढाल सी होते हुए बोली- “प्लीज राज अब मत करो मैं पागल हो जाऊँगी...”
मैं उसके चूतरस से भीगी ऊँगली को चूसता हुआ बोला- “भाभी मजा आया?”
वो बोली- बहुत ज्यादा।
मैं बोला- और मजे लोगी?
वो बोली- यहाँ नहीं, इधर हम पकड़े जाएगें बाकी बाद में। आज रात को करेंगे।
मैं- भाभी मैं कब से तड़प रहा हूँ। अभी इसे शान्त तो करो।
भाभी मुश्कुरा कर बोली- “इसे तो मैं अभी शान्त कर देती हूँ, बाकि बाद में। सब्र करो... सब्र का फल मीठा होता है...” वो झुक गई और मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया और मुँह को आगे-पीछे करने लगी। मैंने फिल्मों में ऐसा तो दोस्तों के साथ बहुत देखा था। पर मैं पहली बार ये सब कर रहा था। बड़ा मजा आ रहा था, पर डर भी रहा था। थोड़ी ही देर में मैंने अपना सारा लावा उनके मुँह में भर दिया।
जिसे वो पी गई और बोली- “तुम्हारा माल तो बहुत ज्यादा निकलता है और बहुत गाढ़ा और टेस्टी भी है। आज
के बाद इसे बरबाद मत कर देना...” उन्होंने चाटकर पूरा लिंग साफ कर दिया।
फिर हमने फटाफट कपड़े ठीक किए और जाने से पहले एक-एक चुम्मी ली और एक-एक करके बाथरूम से बाहर
आ गए। हम दोनों ने रात में मिलने का वादा किया था।
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