RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
मेरा दिल अब बल्लियों उछल रहा था कि अब दीपू भैया किसी कीमत पर रुकने वाले नहीं थी और मेरी बहन भी "नहीं" के लिए तो कभी नहीं बोली थी, बस थोड़ा ऊहापोह में थी और दीपू भैया पक्का उसकी हाँ करवा लेने वाले थे। अब तय था कि आज मुझे अपनी बहन की कोरी गाँड में पहली बार लन्ड घुसते हुए देखने को मिलेगा ही। मैंने अपनी बहन तनु की कुँवारी बूर को पहली बार चुदते हुए देखा था और अब बडी बेसब्री से रात को अपनी बहन की पहली गाँड मराई देखने के लिए इंतजार में था। मैंने अब दीपू भैया से कहा, "भैया... कंडोम तो ठीक है समझ में आता है, पर क्रीम क्या है?" दीपू भैया मुस्कुराए और बोले, "यह मियाँ-बीवी के बीच की बात है, तुम अलग ही रहो इस सब से"। मैं तो अब हल्के से नशे में जैसे आ गया था तो उनको छेडा, "अरे तो आपकी बीवी मेरी बहन भी तो है, बल्कि वो पहले मेरी बहन ही है... बीवी तो वो बाद में बनी है"। अब दीपू भैया भी मुझसे थोड़ा खुलते हुए बोले, "असल में साले बाबू.... यह क्रीम न किसी चीज को फ़िसलन-दार बनाने के लिए लगाया जाता है। ज्यादातर इस क्रीम से से पैखाने के रास्ते को फ़िसलन वाली बना कर डाक्टर उस रास्ते से कोई नली या ट्युब भीतर घुसा कर जाँच करती है।" मैंने अब थोड़ा चौंकने की एक्टिंग करते हुए बोला, "हाँ... तो फ़िर इसका आप क्या कीजिएगा?" अब दीपू भैया थोड़ा जोश में बोले, "अबे साले बाबू, अभी तो हमारी आधी सुहागरात ही हुई है.... अब आज रात में पूरा सुहागरात मनाना है। अब तुमसे क्या सब बताउँ यार, तुम तो मेरे छोटे भाई के जैसे हो.... बस इतना ही काफ़ी है कि लड़की की कुछ छेद तो खुल जाती है और कुछ छेद को खोलना पडता है।" फ़िर उन्होंने मेरे पीठ पर एक हल्का सा धौल जमाते हुए कहा, "गन्दी किताबों की इतनी बड़ी लाईब्रेरी रखे हो, वारड्रोब में स्कूली लडकी की छोटी से पैन्टी जमा करके रखे हो.... तो क्या खाली हाथ ही हिलाते हो या लड़की की छेद भी खोले हो?" मैं अब सच में झेंप गया और चुप हो गया। हम घर की तरफ़ लौट रहे थे, मैं बस इतना ही कहा, "तनु से उन किताबों और उस पैन्टी को बचा दीजिएगा प्लीज...." और वो बोले, "अरे यार... अब तुम यह सब छोड़ो, अब उसकी शादी हो गयी है, वो सुहागरात मना चुकी है और जानती है कि मर्द का मतलब क्या? तुमको क्या लगता है कि इतना समय वो मेरे साथ कमरे में बीता चुकी है तो क्या मैं उसको कुछ सीखाया नहीं होऊँगा?" मैं अब समझ गया कि दीपू भैया पर अभी सिर्फ़ मेरी बहन की चूत का बुखार चढ़ा हुआ है और उनको तनु के नंगे बदन से ज्यादा कुछ नहीं समझ में आने वाला।
हम अब घर आ गये थे और पापा के साथ बैठ कर समाचार देखने लगे थे। वो कंडोम और क्रीम अभी भी दीपू भैया के कुर्ते की जेब में था। करीब नौ बजे हमने खाना खाया और फ़िर थोडी देर टीवी देखने के बाद दीपू भैया ऊपर चल दिए और साथ में मैं भी। मम्मी ने अब तनु को कहा, "तुम भी अब जाओ और आराम करो"। वो बोली, "बस यह सीरियल खत्म हो जाए... दस मिनट और"। मैं सीढ़ी चढते हुए, सोचा.... "आज तो तुम्हारी गाँड फ़टेगी मेरी प्यारी बहना.... आ जाओ ऊपर, रात भर नंगा हो कर तुम्हारी पहली गाँड़ मराई को सीधा अपनी आँखों से देखुँगा और फ़िर कल तुम्हारे देवर को बताऊँगा"। हमदोनों अभी मेरे कमरे में ही थे कि करीब दस मिनट बाद तनु भी वहीं मेरे ही कमरे में ऊपर आ गयी और अपने पति से बोली।
तनु: चलिए... अपने कमरे में।
(उसको यह शायद ध्यान ही नहीं रहा कि उसके इस बात का क्या अर्थ निकल सकता है।)
दीपू : वाह एक सप्ताह में ही मर्द का ऐसा तलब लग गया है कि बिना मर्द के कमरे में भी नहीं जा सकती!!!
(हम दोनों भाई-बहन उनकी इस बात का अर्थ समझ गये और कुछ प्रतिक्रिया करते कि वो आगे बोले)
दीपू: इसी भाई के साथ बचपन से रही हो और अब एक बार मेरे साथ सोने क्या लगी कि अब वही भैया पराया हो गया... चलो
बिस्तर तैयार करो, मैं आ रहा हूँ।
(बेचारी तनु अब शर्म से लाल होकर चट से कमरे से बाहर निकल गयी, और तब मैंने दीपू भैया से कहा)
मैं: क्या भैया...आप भी न। बेचारी तनु को क्या-क्या बोल दिए आप?
दीपू: अरे तो इसमें गलत क्या बोल दिए? जो सच है, वही तो बोला ना। उसको भी पता है कि बिस्तर तैयार करने का मतलब
उसको तैयार होना है सेक्स के लिए, मतलब उसको पेशाब करके अपना प्राईवेट अंग धोकर बिस्तर पर आना है।
मैं: धत्त भैया.... आप भी ना। अरे बहन है वो मेरी।
दीपू: साले बाबू... आप जितना हमको मूर्ख समझ रहे हो मैं उतना हूँ नहीं। मुझे पता है कि उस वार्ड्रोब में जो पैन्टी है, उसमें दो
तनु की है। तनु के कपड़ों में मुझे वैसी ही और उसी ब्रान्ड की पैन्टी दिख रही है। इसी बात की घबड़ारहट है न तुम्हें?
मेरे पास अब इस बात का कोई जवाब नहीं था, सो चुप रहने में ही अपनी भलाई मैंने समझी।
दीपू: तनु तो कुँवारी थी जब मेरे बिस्तर पर आई, मतलब तुम उसकी पैन्टी चुराए थे, और उसका क्या करते थे यह एक लडका
होने के कारण मुझे खुब पता है। अब तुम बस सीधे-सीधे बताओ कि वो छोटीवाली किसकी है, ज्यादा पुरानी भी नहीं है वो?
मुझे तो अब जैसे चक्कर सा आने लगा, कैसे कहता कि वह पैन्टी उनकी बहन बब्ली की है... पर कुछ तो कहना था तो मेरा दिमाग तेजी से चलने लगा और मुझे नेहा याद आ गई, मेरी मौसेरी बहन जो अभी आठवीं में थी और मैं इधर उसको याद करते हुए भी मूठ मारने लगा था। चौदह साल की उस खुबसूरत नेहा का कच्ची कली सरीखा बदन उस पैन्टी के हिसाब से फ़िट था।
मैं: ज ज्जी.... वो नेहा का है। मेरी मौसेरी बहन... बहुत सुन्दर है।
दीपू: इत्ती सुन्दर है इस साईज में ही तुम उसकी चुरा लिए। देखना पडेगा तब तो अपनी इस साली को।
मैं: जी भैया.... बहुत सुन्दर है और एकदम बेदाग गोरी।
दीपू: मतलब... साले साहब ने उसको लिटा लिया है क्या अपने नीचे? (वो अब मुस्कुरा रहे थे)
मैं: कहाँ भैया...? अपनी ऐसी किस्मत कहाँ कि कोई लड़की के साथ हम सो सकें। (मैंने रुँआसे होते हुए कहा)
दीपू: एक बात कहूँ... जब तक यह चस्का नहीं लगा है तभी तक। जहाँ एक बार लडकी के बदन का चस्का लगा कि मेरी वाली
हालत हो जाएगी। देख लो.... शादी के पहले तो यह सब बकवास लगता था, पर अब तनु के साथ के बाद रोज दिमाग में नया-
नया खुराफ़ात सुझता रहता है। नेहा जब ऐसे सुन्दर है और पसंद है तो मेरे तरह उल्लूपना मत करो, अगले मौके पर ही लपेट
लो उसको।
मैं: अपनी मौसेरी बहन है न... सो कुछ पक्का जुगाड़ हो नहीं सकता है। मैं तो सोच रहा था कि थोडा और बडी हो जाए तो मैं
बब्लू से उसकी शादी की बात चला दूँ। ऐसी सुन्दर लड़की किसी अनजान के हाथ क्यों लगे। मेरा तो मानना है कि सबसे अपनी
तरक्की की सोचो, और अगर यह ना हो सके तो अपने वालों की तरक्की की। उसमें भी अपना भी कुछ फ़ायदा होता ही है।
दीपू: हा हा हा.... सही बात है। अच्छा चलता हूँ, आज तनु की छेद को खोलने में भी मेहनत करना है। (आँख मारते हुए वो बोले)
मैं: मतलब.... अभी तक आपने उसके साथ पूरा सेक्स नहीं किया है? (मैं अब खुल कर बोलने में नहीं हिचका)
दीपू: नहीं रे, तुम समझे नहीं...तनु की बूर में तो सेक्स कर लिया है, आज उसका पिछवाडा का उद्घाटन करना है।
मैं: ओह देवा...., बेचारी..... थोड़ा दया दिखाइएगा प्लीज। (मैं यह सब जानता था, पर अभी दिखावे के लिए नाटक किया)
दीपू: अरे तुम तो अपनी बहन को जवानी में नंगा देखे ही नहीं होगे न कभी, इसीलिए ऐसा बोल रहे हो। उसका नंगा बदन ऐसा
नशा चढाता है कि सब होश-हवाश गुम हो जाता है और हवस की आग जल जाती है बदन में। बूरा मत मानता, मैं यह तुम्हारे
बहन की तारीफ़ ही कर रहा हूँ। वैसे वो भी तैयार है अब अपना वो छेद खुलवाने के लिए... इसलिए अब कोई दया की जरुरत
नहीं है। वैसे भी आज-न-कल मैं तो उसकी गाँड मारूँगा ही।
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