RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
तनु यह सब सुनकर चुपचाप सर नीचे करके खड़ी रही। दीपू भैया अब खुद अपने हाथ से अपना लंड सहला रहे थे और यहाँ कमरे में हम दोनों दोस्त भी तनु की इस मस्त ३२-२४-३४ फ़ीगर को ऐसे अधनंगा देख कर अपना लन्ड हिला रहे थे। तभी दीपू भैया बोले।
दीपू - अब जान, अपने हाथ से अपने बदन पर का यह आखिरी कपडा भी उतारो ना प्लीज।
तनु - नहीं... मुझसे यह सब नहीं होगा।
दीपू - क्या नहीं होगा रानी?
तनु - इससे ज्यादा... अब कपडे नहीं उतारूँगी।
दीपू - अरे क्या यार... फ़िर वही बात... इसमें तो ना तेरी बूर दिख रही है और ना ही तेरी चुच्ची। फ़िर मेरे इस खड़े लन्ड का क्या होगा? इस बेचारे को तो इसकी सहेली का दीदार करवा दो ना।
जिस तरह से रुआँसे आवाज में दीपू भैया ने आखिरी बात कही थी, उससे तनु को हँसी आ गई... और वो बोली।
तनु - बस ऊपर वाला ही उतारूँगी।
कहते हुए उसने अपना हाथ पीछे ले जाकर अपने ब्रा का हुक खोल दिया और अगले पल उसकी गोरी-गोरी ३२ साईज की चुच्ची हमारे सामने चमक उठी। आज पहली बार इस तरह से तनु भी किसी मर्द के सामने अपने इस अंग को ऐसे नंगा की थी तो उसके शर्म की लाली साफ़ उसके चेहरे पर झलक रही थी। बब्लू बोला, "मेरा तो निकल जाएगा... क्या मस्त चुच्ची है यार। एकदम ठोस और गोल टेनिस बौल की तरह"। वो अब अपना हाथ तेजी से अपने लंड पर चला रहा था जबकि मैंने अपना हाथ अपने लंड से दूर कर लिया था और बस नजरों से अपनी बहन की नंगी चुचियों को पीये जा रहा था। दीपू भैया अब आगे बढ़कर फ़िर से तनु को अपने से चिपका लिए और उसको इधर-ऊधर चुमने लगे। तनु भी अबतक गर्म हो चुकी थी तो वो भी साथ देने लगी। जब दीपू भैया ने उसको अपने बदन से जोर से चिपकाया अपने एक हाथ की मदद से और फ़िर दूसरे हाथ से उसके पैन्टी को नीचे ससारा तभी बब्लू का छूट गया, उसके मुँह से एक जोर की आह निकली तो देखा कि उसका हाथ उसके ही सफ़ेदे से लिसडा हुआ था।
मैं एकबार फ़िर से स्क्रीन पर देखने लगा जहाँ उसकी पैन्टी धीरे-धीरे नीचे खिसकती हुई दिख रही थी। मुझे पता था कि अब अगर मैंने अपना लन्ड छुआ तो उसमें भी विस्फ़ोट हो जाएगा, सो मैंने अब तय कर लिया था कि मैं अपना हाथ अब अपने लंड से दूर ही रखुँगा... कम-से-कम तब तक जब तक की मेरी बहन सील नहीं टुटती है। बब्लू अपना हाथ साफ़ करने बाथरूम चला गया था और मैं देख रहा था कि सेक्स की गर्मी में मेरी बहन को पता ही नहीं था कि वो कब पूरी नंगी हो गयी है। उसके सामने का हिस्सा अभी भी दीपू भैया से चिपका हुआ था सो मुझे सिर्फ़ उसकी नंगी पीठ और गोल-गोल गुंदाज चुतड़ ही दिख रहा था। जब दीपू भैया को लग गया कि अब वो तनु को अपनी गिरफ़्त से आजाद करके भी उसके नंगे बदन को देख सकते हैं तब उन्होंने उसके बदन पर अपनी पकड ढीली की और तनु को अपने से दूर किया जिससे वो उसकी नंगी जवानी को भरपूर नजरों से देख सकें। यह तो तनु को करीब आठ-दस सेकेंड के बाद पता चला कि वो अब अपने पति के सामने पूरी तरह से नंगी ही खडी है। वो अब पूरी तरह से गर्म हो चली थी और अपनी जाँघों को भींच रही थी। मेरी नजर अब सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी खिली हुई गोरी-चिट्टी बूर पर थी, जिसके ऊपर एक करीब दो इंच का दिल बना हुआ था झाँट के गुच्छे से।
दीपू - माई गौड... क्या चूत सजा कर आई हो मेरे पास चुदाने के लिए? कौन बनाया है तुम्हारा इतना सजा कर?
तनु - जी... ब्युटी-पार्लर में।
दीपू - वही तो.... बहुत सुन्दर है (अपना चेहरा झुका कर उसकी चूत के ठीक ऊपर बने इस दिल को चुम लिया), कितना चार्ज किया है पार्लर इसका?
तनु - ११००, सबसे महँगा यही था।
दीपू - हाँ, लाजवाब है.... इसको अब थोडा सहेज कर रखना। साईड के बाल को सप्ताह में 2 बार छील लेना रेजर से, कम-से- कम जबतक हम यूरोप का टूर नहीं कर लेते हैं। मैंने पाँच दिन का टूर बूक किया है अगले सप्ताह का, पेरिस और रोम का। कल तुम्हारे घर पर ही सब को पता चलेगा।
|