RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
अब दोनों अलग हुए, दोनों की साँस तेज हो गयी थी। दीपू भैया ने मेरी बहन का हाथ पकड़ा और फ़िर खुद ही उसको अपने फ़्रेंची के ऊपर फ़ूले हुए भाग पर रख कर दबा दिया। तनु भी इशारा समझ कर ऊपर से ही हल्के-ह्लके दबाने लगी तो वो बोले।
दीपू - जान... अब जरा मेरा आखिरी कपड़ा अपने हाथ से उतार कर नंगा तो करो मुझे पहली बार।
तनु - नहीं.... मुझे शर्म आती है।
दीपू - अरे मेरी रानी.... अब शर्म छोडो। आज पहली बार मैं किसी जवान लडकी के सामने नंगा होना चाहता हूँ। तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि ऐसा मर्द मिला है जो कभी किसी दूसरी लड़की के लिए नंगा नहीं हुआ।
तनु - मैं भी तो कभी किसी लSके के साथ नहीं गयी कहीं डेट पर।
दीपू - इसीलिए तो ऐसे बेवकूफ़ हो कि दो दिन से शर्मा ही रही हो, जबकि तुम्हारे घरवालों ने तुम्हे मेरे साथ सेक्स करने के लिए ही भेजा है मेरे घर पर। अब कल तुम्हें अपने घर जाना है तो क्या ऐसे ही चली जाओगी? मम्मी जब पूछेगी तुमसे तब तुम क्या कहोगी?
तनु - छीः.... मम्मी यही सब बात करेगी मुझसे?
दीपू - अरे यार... मेरी सास मौडर्न सास है, तेरी तरह शर्म की गुड़िया नहीं है। विदाई के समय मुझे बोली थी कि मेरी बेटी को ले जा रहे हैं तो अच्छे से रखिएगा और उसको खूब प्यार कीजिएगा।
तनु - हाँ... तो इसका मतलब यही है ना जो आप करना चाहते हैं?
दीपू - और नहीं तो क्या? किसी की बेटी को उसका दामाद कैसे प्यार करेगा... अब तुम ही बता दो मुझे। तुम्हारी मम्मी को पापा ने प्यार ही तो किया था जो प्यार तुम जैसी खुबसूरत लड़की बन गया है।
बब्लू अब बोला, "मेरा पढाकू भाई तो मक्खनबाजी में तो बहुत तेज निकला...., बडा जल्दी तुम्हारी बहन को पिघलाने लगा है"। तनु के हाथ को दीपू भैया ने फ़िर से पकड़ा और उसकी ऊँगली को अपने फ़्रेंची की बैंड में घुसा कर नीचे ससार दिया। साथ में फ़्रेंची भी नीचे चला गया और दीपू भैया का साँवला कडा लन्ड अब अनावृत हो गया था। उसके चारों तरफ़ करीब आधा-पौना इंच का झाँट दिख रहा था। तनु का चेहरा यह देख कर अब लाल हो गया था वो अब अपना हाथ उनके हाथ से छुड़ाना चाहती थी शायद, पर दीपू भैया ने उसके हाथ को अपने लन्ड पर रख दिया और बोले।
दीपू - सहला कर देखो ना कि मर्द का यह अंग कैसा होता है.... कभी देखी हो ऐसे किसी का?
तनु ने ना में सर हिलाया, तो वो बोले।
दीपू - बातचीत किया करो यार, ऐसे इशारे में बात करना मुझे पसंद नहीं है।
तनु - नहीं....।
दीपू - क्या नहीं?
तनु - कभी देखा नहीं ऐसे।
दीपू - तो अब देखो जी भर के। तुम्हारे लिए ही यह इस धरती पर भेजा गया है... समझ रही हो?
तनु - जी... कैसा कड़ा है यह?
दीपू - तुम्हारे लिए ही कडा हुआ है मेरी जान। सब तुम्हारे हाथ का जादू है। तुम तो जादूगरनी हो...।
तनु को यह सब सुन कर अच्छा लगा शायद, उसने इसबार स्वयं ही अपना हाथ लन्ड पर चलाया और इसके साथ ही लंड का चमड़ा पीछे चला गया और लाल चमकीला सुपाडा उभर कर सामने आ गया।
दीपू - पता है इसको क्या कहते हैं?
तनु - हाँ...
दीपू - बताओ फ़िर?
तनु - क्यों?
दीपू - पता तो चले कि तुम बच्ची ही हो या बडी हो गयी हो
तनु - मतलब?
दीपू - इसको जो बोलोगी, उसी से तय हो जाएगा...।
तनु - वो कैसे?
दीपू - तुम बताओ इसका नाम, और मैं बताता हूँ फ़िर...
तनु - ऐसे तो शिश्न.... पर शायद आप कुछ और सुनना चाहते हैं। (तनु अब पहली बार थोडा निश्चिंत हो कर मुस्कुराते हुए दिखी)
दीपू - सही बात बोली, शिश्न तो किताबी शब्द है। जवान लड़के-लडकियों की दुनिया में यह कुछ और कहा जाता है। बताओ अब?
तनु - लौडा (शर्मा कर सर झुका ली थी)
दीपू - वाह मेरी जान..... और लन्ड भी। तुम तो सच में जवान हो गयी हो मेरी रानी।
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