RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
आंटी कारीडोर तक आयी और दूर से दरवाजा देखकर वापस बाथरूम में घुस गयी ….परन्तु जब उन्हें बाथरूम में देर लगने लगा तो मै बेचैन होने लगा ….फिर मेरे मन में एक ख्याल आया कि आंटी चाभी तो बाथरूम में लेकर नहीं गयी होगी , चाभी जरुर उनके कमरे में ही होगी ……शायद …पर्स में ….मेरे दिमाग में बस एक ही बात आ रहा था कि किसी तरह चाभी मुझे मिल जाए और मै फुर्र हो जाऊं … मुझे क्या पता था कि मेरी ये सोंच एक और नयी मुसीबत पैदा करने वाली है …..
किसी तरह हिम्मत जुटाकर मै आंटी के कमरे की तरफ जाने लगा | रास्ते में मुझे बाथरूम से आंटी के नहाने और पानी गिरने की आवाज आ रही थी | तभी मुझे ख़याल आया कि मैंने अभी तक आंटी को पूर्णतः नग्न तो देखा ही नहीं है, सिर्फ उनकी बड़ी बड़ी चुंचियां ही देखा था और उनकी चूत और गांड देखने का इससे बढ़िया मौक़ा मुझे नहीं मिल सकता था , इसी भावनावश मै बाथरूम के पास जाकर कोई छेद ढूढने लगा परन्तु दरवाजा हैंडल से बंद और खुलने वाला था इसलिए उसमे कोई की-होल भी नहीं था , मै बेसब्र होकर किसी तरह अन्दर देखने की कोशिश करने लगा |
तभी कहते है ना - जहां चाह , वहां राह | मुझे लकड़ी के दरवाजे के दो पाटो के बीच हल्का सा गैप मिला , वही से मै आँख सटाकर अन्दर देखने लगा ...आ..ह ...क्या नजारा था .... आंटी के बड़े बड़े भाड़ी भड़कम चुतर पानी डालने के क्रम में ऊपर नीचे हो रहै थे | आंटी के गोल गोल गांड को देखकर मेरे लंड ने सलामी दी | परन्तु काफी कोशिश के बाद भी मै उनका बुर देखने में कामयाब नहीं हो सका ...बस बुर के उभार का हल्का झलक सा मिला |
मैंने अपना लंड निकालकर उसे मुठीयाने लगा ..लंड चिपचिपा सा लगा ..देखा तो जेली अभी तक चमक रहा था जो मैंने वरुण की गांड मारने के लिए लगाया था , मैंने रुमाल निकालकर उसे अच्छी तरह से साफ़ किया और फिर आँख दरार से सटाकर आंटी के नग्न बदन को देखते हुए अपने लंड को उमेठने लगा |थोड़ी देर बाद आंटी जब झुकी तब पीछे से आंटी के चूत के दरारों के दर्शन हुए .. मै धन्य हो गया ..आंटी अपने बदन पर साबुन मल रही थी और अपनी चूत कस कसकर रगड़ रही थी ...मै थोड़ी देर देखता रहा फिर ध्यान आया मुझे देर हो रहा है और अगर चूत के चक्कर में थोड़ी देर और रहा तो या तो पिटूंगा या जेल जाउंगा |
तब मैंने खड़े लंड को अपने पैंट में ठूंसते हुए चाभी सर्च करने आंटी के कमरे की तरफ चल पडा | कमरा काफी साफ़ सुथरा था ..बिस्तर भी करीने से सजा था , मैंने तकिये की तरफ देखा क्योंकि प्रायः तकिये के पास ही चाभी रक्खी जाती है परन्तु वहां पर एक छोटा टॉवेल के अलावा कुछ नहीं पडा था, फिर मैंने आलमारी की तरफ देखा जो कि खुला ही था परन्तु उसमे भी पर्स जैसा कुछ नहीं दिखा जिसमे मै चाभी ढूंढ़ सकूँ | फिर मैंने कमरे में नजर दौडाया ....बिस्तर के बिलकुल बगल में कमरे के दरवाजे के ठीक सामने ड्रेसिंग टेबल था और बिस्तर के दूसरी तरफ खिड़की के पास एक मेज था, सबसे पहले मैंने ड्रेसिंग टेबल पर नजर दौडाया ,फिर उसका ड्रावर खोलकर देखा परन्तु मुझे चाभी कहीं नहीं मिली | फिर मै बिस्तर के दूसरी तरफ कोने में रखे मेज के पास गया और वहाँ चाभी ढूंढने लगा
लेकिन हाय रे मेरी किस्मत ... चाभी वहाँ भी नहीं मिला | फिर मै सोंचने लगा कि कहाँ हो सकता है ? मुझे पर्स भी नहीं दिखाई दे रहा था | फिर मुझे ध्यान आया कि आंटी तो सीधा बाहर से आकर वरुण के कमरे में गयी थी , तो शायद...... आंटी का पर्स वरुण के कमरे में ही होगा | यह ध्यान में आते ही मै अपने आप को कोसने लगा कि अगर थोड़ा भी दिमाग लगाया होता तो इस मुसीबत से निजात पा वरुण के घर से बाहर होता | अतः समय नष्ट ना करते हुए मै तुरंत वहाँ से निकलने को उदृत हुआ ही था कि बाथरूम का दरवाजा बंद होने और आंटी के कदमो कि आहट सुनकर मेरे पैरो को ब्रेक लग गए | कमरे से बाहर निकलने के प्रयास में ही पकड़ा जाता | मेरा दिमाग एकदम सुन्न हो गया ...दिल डर से बैठने लगा | क्या करूँ ? बेड के नीचे भी घुस नहीं सकता था क्योकि बेड बहुत नीचा था |
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