RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
रचना सिसक कर बोली "सर ... अभी भी बहुत दुखता है ... पर अच्छा भी लग रहा है ... आप ने जब .... डाला तब ऐसा लग रहा था कि मैं ... मर जाऊंगी"
"तेरी गलती नहीं है, मेरा हथियार है ही ऐसा मूसल जैसा, पर अब देख,में तुझे ऐसा मजा दूंगा कि तू स्वर्ग का सुख लेगी"सर ने कहा
सर ने अब धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था. साथ ही उनकी उंगली रचना के दाने पर चल रही थी.
मैंने देखा कि सर का लंड अब आराम से अंदर बाहर हो रहा था. जब बाहर होता तो थोड़ा पानी निकलता. रचना हौले हौले सांसें ले रही थी और सर की आंखों में आंखें डाले हुए थी. "सर ... मजा आ रहा है सर .... कीजिये ना और ..."
"दर्द तो नहीं हो रहा है रचना ? चोदूं तुझे अब कायदे जैसे तेरी जैसी छोकरी को चोदना चाहिये?" सर ने रचना का चुम्मा लेकर पूछा. रचना ने बस पलक झपका दी. सर उसे अब हौले हौले चोदने लगे. रचना ने एक सिसकारी भरी और सर से लिपट गयी "हा ऽ य सर .... उई ऽ मां ऽ .... सर .... दर्द होता है सर पर बहुत अच्छा लग रहा है सर ... और ... और ...कीजिये ना .... प्लीज़"
"और क्या रचना ? ठीक से बोल, और क्या करूं?" सर ने मुस्कराकर पूछा. वे बड़े सधे अंदाज में चोद रहै थे. बस तीन चार इंच लंड अंदर बाहर करते, बिना एक पल भी रुके हुए.
रचना ने शरमा कर कहा "सर ... चोदिये ना प्लीज़"
"ये हुई ना बात! अब लेसन सीखी है कि कैसे बोला जाता है. अब देख तुझे कैसे चोदता हूं" कहकर सर ने रफ़्तार बढ़ा दी. पूरा लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मुझे लगा कि रचना को दर्द होगा पर वो अब मजे से चुदवा रही थी. उसकी जरा सी बुर में सर का इतना बड़ा लंड अंदर बाहर होता देख कर मैं आंखें फ़ाड़ फ़ाड़ कर यह नजारा देख रहा था. मेरा लंड फ़िर से कसके खड़ा हो गया था.
. वे रचना को कस के चोद रहै थे. सात आठ धक्के लगाने के बाद रुक जाते, फ़िर एक मिनिट रुक कर हौले हौले चोदते और फ़िर घचाघच लंड पेलने लगते.रचना सिसक सिसक कर कह रही थी "सर ... बहुत मजा .... आ रहा है सर ... रहा नहीं जाता ....आह ... ओह ... प्लीज़ .... प्लीज़ ... और जोर से कीजिये ... चोदिये ना .. ... देखिये ना ... प्लीज़ "
मेने सर से कहा "सर, झड़ा दीजिये बेचारी को, ऐसे न तड़पाइये उसे"
सर ने धक्के लगाते हुए कहा "अरे जरा मजा करने दो, बेचारी ने इतना दर्द सहा है मेरा लंड लेने में, रचना , तू क्यों बिचकती है, मजा ले, चुदने का पूरा मजा नहीं लेगी क्या?" फ़िर पाल सर रचना को बाहों में भर के पूरे उसपर लेट गये
मुझे रोमांच हो आया.
" सर ने रचना के होंठ अपने मुंह में लिये और उसका मुंह चूसते हुए हचक हचक कर चोदने लगे.
अब कमरे में बस ’फ़चा फ़च’ ’फ़चा फ़च’ ’पॉक पॉक पुक पुक’ ऐसी चुदाई की आवाजें आ रही थीं. दीदी ने अपनी टांगें और हाथ सर के बदन के इर्द गिर्द भींच लिये थे और कमररचना उछाल उछाल कर उनका मुंह चूसते हुए चुदवा रही थी.
सर ने रचना को बहुत देर चोदा. वे दो बार झड़ीं. वे सर को चूमती जातीं और शाबासी देती जातीं "बहुत अच्छे मेरे सर , .....बहुत प्यारे है आप .... बहुत मस्त चोदते है .... अब जरा और जोर से .... लगा ना कस कस के .... आज खाना नहीं खाया क्या? .... हाय सर देख कैसे कचूमर निकाल रहै हैं मेरी चूत का...."
बात सच थी. सर ने रचना को ऐसा चोदा था कि वो बस अपने सर के मुंह में दबे मुंह से ’अं ऽ अं ऽ अं ऽ’ कर रही थी. शायद अब वो झड़ गयी थी इसलिये छूटने की कोशिश कर रही थी. पर सर उसे छोड नहीं रहै थे. जब सर ने अपना मुंह अलग किया तो रचना सिसक कर बोली "आह ऽ ... बस सर ... प्लीज़ सर ... अब छोड़िये ना ... कैसा .. तो ... भी होता .... है ... सर .... प्लीज़ सर .."
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