RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
सर का मूसल रचना की चूत को चौड़ा कर रहा था, रचना की बुर का छेद ऐसे फैला था जैसे फट जायेग, तने रबर बैंड सा लग रहा था. देख कर मुझे भी मजा आ गया. मैंने रचना के पैर पकड़े और सर ने कस के सटाक से अपनी पूरा लंड रचना की बुर में डाल दिया.रचना का बदन एकदम कड़ा हो गया और वो कांपने लगी, अब वो पुरी तरह से तड़पती हुई हाथ पैर फ़टकारने की कोशिश कर रही थी पर मैंने उन्हें कस के पकड़े रखा, हिलने तक नहीं दिया. उधर रचना की आंखों में दर्द से आंसू आ गये थे और वो बड़ी कातर आंखों से हमारी ओर देख रही थी.
सर मस्ती में आकर बोले "ओह ... ओह ... क्या कसी चूत है इस लौंडी की ... , मजा आ गया, बहुत दिन हो गये ऐसी चूत मिली है"
सर रचना के संभलने का इंतजार करने लगे. साथ ही झुक कर होंठों से रचना की आंखें चूमने लगे. मेरा लंड अब सिर उठाने लगा था. सर ने उसे पकड़ा और दबाने लगे , मजा आ रहा है दीदी की चुदाई देखकर?"
"हां सर, रचना की चूत कितनी खुल गयी है, ये फ़ट तो नहीं जायेगी सर?" मैंने उत्सुकता से पूछा.
"अरे नहीं, तेरी बहन जैसी खूबसूरत मतवाली लड़कियों की चूत ऐसे नहीं फ़टती, ये तो बनी हैं हरदम चुदवाने को. बस दो मिनिट बाद ये कैसे मचलने लगेगी, तू ही देखना" सर मुझे पास खींच कर मेरा चुम्मा लेते हुए बोले.
धीरे धीरे रचना का कपकपाता बदन शांत हुआ. सर ने एक उंगली से रचना का दाना रगड़ना शुरू कर दिया. दो मिनिट में रचना कमर हिलाने लगी. सर ने मुस्कराकर . मुझे तो पता था कि ये बहादुर बच्ची ऐसे घबराने वाली नहीं है. अब देखिये मैं इसे कैसा मस्त करता हूं"
सर ने रचना का मुंह छोड़ा "रचना , ठीक है ना तू? अब तो नहीं दुखता?"
रचना सिसक कर बोली "सर ... अभी भी बहुत दुखता है ... पर अच्छा भी लग रहा है ... आप ने जब .... डाला तब ऐसा लग रहा था कि मैं ... मर जाऊंगी"
"तेरी गलती नहीं है, मेरा हथियार है ही ऐसा मूसल जैसा, पर अब देख,में तुझे ऐसा मजा दूंगा कि तू स्वर्ग का सुख लेगी"सर ने कहा
सर ने अब धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था. साथ ही उनकी उंगली रचना के दाने पर चल रही थी.
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