RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मैंने धीरे से लंड पेला और वो सट से आधा रचना की चूत में घुस गया. रचना थोड़ी कसमसाई. सर बोले "रचना , घबरा मत, समझ बड़ी मोमबत्ती है. बहुत मजा आयेगा तुझे देखना. चल , आगे चल पर जरा प्यार से"
मैंने फ़िर लंड पेला और वो पूरा रचना की बुर में समा गया. रचना जरा सी चिहुकी और मुझे कस के पकड़ लिया. पाल सर खुश होकर बोले "बहुत अच्छे बेटे. ये अच्छा हुआ, बहन ने कैसे प्यार से भाई का ले लिया. भाई का हो तो दर्द भी कम होता है. अब चोद धीरे धीरे. जगह बना मेरे मूसल के लिये. प्यार से चोदना, और जरा मस्ती से दस मिनिट तक चोद, जल्दी मत कर"
मैं चोदने लगा. पहले धीरे चोदा कि रचना को दर्द न हो. पर रचना की चूत ऐसी गीली थी कि आराम से लंड अंदर बाहर होने लगा. रचना कमर उचकाने लगी और बोली "भैया ... बहुत अच्छा लग रहा है रे ...... बहुत मजा आ रहा है"
सर ने कहा "चलो चोद अपनी बहन को. कब से इसका मौका देख रहा था ना तू? चल अब रचना को दिखा दे कि कितना प्यार करता है"
रचना को मैं कस के चोदने लगा. फ़चाफ़च फ़चाफ़च की आवाज आने लगी. रचना की बुर से पानी बह रहा था
सर मेरे पास आकर बैठ गये और मेरी कमर और चूतड़ों पर हाथ फ़िराने लगे "बस ऐसे ही , कस कर चोदो हचक हचक कर, तेरी रचना की चूत अब खुल गयी है, मस्ती से चोदो, झड़ना नहीं बेटे" कहकर उन्होंने मेरे मुंह को चूमना शुरू कर दिया. अपने हाथ से वे अब मेरे चूतड़ ऐसे दबा रहै थे जैसे चूतड़ न होकर किसी औरत के मम्मे हों. इधर उनकी जीभ मेरी जीभ से लगी और उधर मुझे ऐसा मजा आया कि मैंने दो चार धक्के कस कर लगाये और झड़ गया.
मेरी हिचकी सर के मुंह में निकली तो वे चुम्मा तोड़ कर बोले "अरे बदमाश, झड़ गया अभी से " और एक हल्का सा घूंसा मेरी पीठ पर लगा दिया.
सर ने अपने लंड को मस्ती से मुठ्ठी में पकड़ा और बोले "अभी करता हूं. रचना तो बहुत प्यारी लड़की है, इसे पूरा मजा देता हूं अभी, चल बाजू में हो और खबरदार, आज माफ़ कर दिया पर फ़िर ऐसे जल्दी में झड़ा तो मार खायेगा"
मेरा लंड निकालकर मैं बाजू में बैठ गया. रचना को चोद कर बहुत अच्छा लग रहा था.
उधर सर भी झुक कर रचना की बुर चाट रहै थे. रचना ने उनका सिर पकड़ लिया और कमर हिलाने लगी.
उन्होंने रचना की बुर पूरी चाटी और फ़िर उसकी टांगों के बीच बैठ गये. "चल रचना , टांगें फ़ैला. इस लड़की की चूत ऐसी चिकनी और गीली कर दी है कि अब ये आराम से मेरा ले लेगी"
सर ने रचना की चूत के पपोटे फ़ैलाये और सुपाड़ा रखकर अंदर पेल दिया. रचना की चूत इतनी गीली थी कि वो आराम से फ़च्च से अंदर चला गया. रचना एकदम से तड़पी. सर ने तुरंत अपने मुंह से उसका मुंह बंद कर दिया. सर ने और लंड पेला और आधा अंदर कर दिया. रचना हाथ पैर मारने लगी. सर ने उसके हाथ पकड़ लिये. सर ने मेरी ओर देख कर कहा " अपनीरचना के पैर पकड़ लो, इसे दर्द हो रहा है पर मैं पूरा अंदर डाल देता हूं, फ़िर झंझट ही खतम हो जायेगी"
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